भारत-चीन सीमा विवाद पर पूरे विश्व की नजर है। लेकिन भारत के विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस के नेताओं का रवैया देश की छवि को धुमिल करने वाला है। तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए कांग्रेस के नेता भारत की सरकार और उसकी सेना को निशाना बनाकर चीन के प्रोपेगैंडा को हवा दे रहे हैं। मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस नेता और उसकी सरपरस्त मीडिया जनता को वास्तविक मुद्दे से ध्यान भटाकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि कन्फ्यूजन के आवरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान को भी तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।
दस साल तक भारत के प्रधानमंत्री रह चुके डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें मनमोहन सिंह ने नसीहत देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री को लद्दाख टकराव पर बयान के बाद अपने शब्दों के प्रति सावधान रहना चाहिए। प्रधानमंत्री चीन को अपने शब्दों का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे सकते। प्रधानमंत्री को हमेशा अपने शब्दों लेकर राष्ट्र की सुरक्षा पर घोषणाओं के लिए सावधान रहना चाहिए। कूटनीति के लिए गलत जानकारी सही नहीं है।
This is a moment where we must stand together as a nation and be united in our response to this brazen threat: Press Statement by Former PM Dr. Manmohan Singh pic.twitter.com/qP3hN3Od9D
— Congress (@INCIndia) June 22, 2020
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को आधार बनाकर जिस तरह देश को गुमराह करने की कोशिश की है, उससे लगता है कि मनमोहन सिंह ने सोची-समझी रणनीति के तहत राजनीतिक फायदे के लिए पत्र लिखा है या वह खुद कन्फ्यूज़्ड है। लेकिन स्वार्थ में अंधे और कन्फ्यूज़्ड हो चुके कांग्रेस नेताओं का बयान देश के हित के खिलाफ है। यह केंद्र सरकार और सेना का मनोबल तोड़ने वाला है।
चीन लगातार हमारी गलवान घाटी पर कब्जे का दावा कर रहा है। भाजपा सरकार को देश को सीमा पर बनी स्थिति से परिचित करवाना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा और शहीदों के लिए न्याय को सुनिश्चित करना चाहिए। #शहादत_को_न्याय_कब pic.twitter.com/hUdlzzJ6P8
— Congress (@INCIndia) June 22, 2020
तो चलिए आपको बताते किस तरह कांग्रेस के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को तोड़-मरोड़ कर भ्रम पैदा करने की कोशिश की है। दरअसल 19 जून को सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न तो किसी ने हमारी सीमा में प्रवेश किया है, न ही किसी भी पोस्ट पर कब्जा किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे 20 बहादुर जवानों ने लद्दाख में राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, लेकिन सेना ने उन लोगों को सबक भी सिखाया जिन्होंने हमारी मातृभूमि की ओर देखने का दुस्साहस किया। राष्ट्र उनके साहस और बलिदान को हमेशा याद रखेगा।
पूर्वी लद्दाख में जो हुआ, इसको लेकर आपने रक्षा मंत्री जी और विदेश मंत्री जी को सुना भी और Presentation को भी देखा । न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 19, 2020
प्रधानमंत्री मोदी के बयान में कहीं से भी भ्रम यानि कन्फ्यूजन पैदा नहीं होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक में भारत की सीमा का जिक्र किया है। लेकिन मुख्य विवाद LAC में बदलाव को लेकर है। भारत की सीमा और LAC दोनों में अंतर है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहीं नहीं कहा है कि चीन ने LAC को बदलने की कोशिश नहीं की है।
मोदी सरकार लगातार चीन पर आरोप लगा रही है कि उसने LAC को बदलने की कोशिश की है। भारत की सेना चीन की सेना को अप्रैल की स्थिति में लौटने और LAC का सम्मान करने की बात कह रही है, लेकिन चीन LAC को बदलने की कोशिश कर रहा है, जिसका विरोध करने पर गलवान में हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए।
बता दें कि LAC कुछ किलो मीटर का एक ऐसा संक्रमण क्षेत्र है, जिसपर न तो भारत का अधिकार और न ही चीन का। लेकिन समझौते के तहत यह प्रावधान किया गया है कि LAC पर दोनों देशों की सेना गश्त कर सकती है, लेकिन इसमें कोई स्थायी निर्माण नहीं कर सकती। विवाद की स्थिति में दोनों सेनाएं अपने मूल स्थान पर लौट जाएंगी और तनाव कम करने की कोशिश करेंगी। लेकिन चीन ने समझौते के खिलाफ LAC का अतिक्रमण किया है।
जैसे गलवान घाटी में चीन की सेना भारतीय सीमा के करीब तक पहुंच गई थी। 6 जून की बातचीत में चीनी सेना पीछे हटने पर सहमत हो गई थी, लेकिन उसने पीछे हटने के बजाय स्थायी चौकी बनाना शुरू कर दिया, जिसका विरोध 15-16 की रात को भारतीय सेना ने किया। इस विरोध के दौरान झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए लेकिन भारत के वीर सपूतों ने चीनी सेना को जबरदस्त नुकसान पहुंचा और शिविर को उखाड़ कर उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
1) गलवान घाटी में चीन ने भारतीय सीमा में घुस कर कैम्प-पोस्ट बनाया
2) बातचीत-सहमति के बाद हटाया
3) रातोंरात फिर बनाया
4) भारतीय सेना ने उखाड़ फेंका और चीनी सैनिकों को LAC पार खदेड़ते ले गए
5) उसके बाद ख़ूनी संघर्ष चीनी ज़मीन पर हुआ जहां शहादतें हुईं
— Manak Gupta (@manakgupta) June 21, 2020
जहां तक पेंगोग झील का मामला है तो भारत की सीमा फिंगर प्वाइंट 4 तक है और चीन की सीमा फिंगर प्वाइंट 8 तक है। प्वाइंट 4 और 8 के बीच का क्षेत्र LAC है, जिसमें दोनों सेना गश्त करती है। लेकिन चीनी सेना ने इस बार LAC का अतिक्रमण कर प्वाइंट 4 पर स्थित भारत की सीमा चौकी के सामने पहुंच गई है। यहां पर भारतीय सीमा का अतिक्रमण नहीं हुआ है। दोनों देशों की सेना आमने-सामने डटी हुई है। भारतीय सेना चीनी सेना को फिंगर प्वाइंट 8 पर लौटने के लिए दबाव बना रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में भी स्पष्ट किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा की ओर चीनी सेना की कोई मौजूदगी न होने वाली टिप्पणियां गलवान घाटी में सशस्त्र बलों की वीरता के बाद के हालात से जुड़े हैं। लेकिन कांग्रेस के नेताओं और कांग्रेस परस्त मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को आधार बनाकर जान-बूझकर देश में कन्फ्यूजन पैदा करने की कोशिश की है।