दिल्ली में कोरोना वायरस बेकाबू हो चुका है। वहीं दिल्ली सरकार इसको नियंत्रित करने में नाकाम रही है। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने हाथ जोड़ लिए हैं। आज उन्होंने साफ कहा कि उनकी सरकार केंद्र और उपराज्यपाल के आदेश को मानेगी। उन्होंने कहा कि यह वक्त आपस में लड़ने का नहीं है, बल्कि कोरोना से मिलकर मुकाबला करने का है। केजरीवाल यह बदला रूख उनकी चालबाजी का नतीजा है। उन्हें अब लगने लगा है कि दिल्ली में कोरोना का विस्फोट होने जा रहा है। इससे पहले वह दिल्लीवासियों को संकट में छोड़कर भाग निकले, ताकि अपनी जिम्मेदारियों से बच सके।
केजरीवाल के बदले रूख का राज क्या है?
अबतक सिर्फ दिल्ली के लोगों के लिए फिक्रमंद दिख रहे अरविंद केजरीवाल केंद्र के पाले में गेंद डालकर क्यों भाग खड़े हुए ? इस सवाल का जवाब कई लोग जानना चाहते होंगे। तो चलिए हम आपको बताते हैं केजरीवाल के बदले रूख के पीछे का राज क्या है।
ब्लेम गेम के लिए अपनी जिम्मेदारी से भागे केजरीवाल
ऐसे में अगर दिल्ली में कोरोना विस्फोट होता है तो दिल्ली सरकार के पास यह कहने को होगा कि बेड इसलिए कम पड़े कि इलाज के लिए सभी लोगों को आने दिया गया। मतलब सीधे तौर पर उस स्थिति में ब्लेम गेम फिर चालू हो जाएगा।
मनीष सिसोदिया ने पेश की भयानक तस्वीर
आम आदमी पार्टी के नेताओं के बयानों में इस बदले रूख का जवाब छिपा है। मनीष सिसोदिया ने भयानक तस्वीर पेश करते हुए बताया था कि दिल्ली में 31 जुलाई तक साढ़े पांच लाख केस हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ’15 जून तक दिल्ली में 44 हजार केस आने की संभावना है। जिसके लिए 6 हजार 6 सौ बेड की जरूरत होगी। इसके साथ ही 30 जून तक कोरोना के मामले एक लाख पहुंच सकते हैं और इसके लिए 15 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी और 15 जुलाई तक दो लाख 25 हजार केस हो सकते हैं जिसके लिए 33 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी। वही 31 जुलाई तक दिल्ली में साढे पांच लाख कोरोना के मामले आ सकते हैं जिसके लिए 80 हजार बेड की जरूरत होगी।’
By 15 June, there’ll be 44,000 cases & 6,600 beds will be needed. By 30 June we’ll reach 1 lakh cases & 15,000 beds will be required. By 15 July there’ll be 2.25 lakh cases & 33,000 beds will be needed. By 31 July, 5.5 lakh cases expected & 80,000 beds will be needed: Delhi Dy CM pic.twitter.com/F5iXDlgO7R
— ANI (@ANI) June 9, 2020
बाहरी लोगों के कारण 1.5 लाख बेड की हो सकती है जरूरत
मनीष सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली में 80 हजार बेड चाहिए होंगे। लेकिन अब अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि ये 80 हजार बेड सिर्फ दिल्लीवालों का आंकड़ा है। लेकिन जब बाहर के लोगों का भी इलाज होगा तो कुल डेढ़ लाख बेड चाहिए होंगे। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के हॉस्पिटलों में कोरोना काल से पहले तक 50 प्रतिशत बाहर के लोग इलाज करवाते रहे हैं।
तैयारियों पर उठते सवाल से मिलेगा छूटकारा
केजरीवाल ने 30 मई, 2020 को दिल्ली के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा था कि उनकी सरकार कोरोना वायरस से ‘‘चार कदम आगे’’ और हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। आवश्यकता से अधिक बेड की व्यवस्था की गई है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केजरीवाल के इस दावे पर सवाल उठने लगे थे। केजरीवाल से पूछा जाने लगा था कि जब तैयारियां पहले से थी, तो लोग एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटने के लिए मजबूर क्यों है? मरीज अस्पताल के सामने क्यों मर रहे हैं ? कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच क्यों नहीं हो रही है ? दिल्ली कोरोना एप पर बेड खाली दिखाने के बावजूद मरीजों को बेड क्यों नहीं मिल रहे हैं ?
दिल्ली सरकार के पास पैसे की किल्लत
कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही दिल्ली की सरकार के सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने का संकट उत्पन्न हो गया है। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से 5000 करोड़ रुपये की सहायता तत्काल देने की मांग की है, ताकि कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार से निवेदन है आपदा की इस घड़ी में दिल्ली के लोगों की मदद करें। ऐसे में केजरीवाल सरकार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर है। जब कोरोना के मामले बढ़ेंगे, तो मरीजों के इलाज और अन्य सुविधाओं पर अधिक खर्च करने पड़ेंगे। आखिरकार केंद्र सरकार के सामने गुहार लगानी पड़ेगी।
कोरोना को नियंत्रित करने में नाकाम केजरीवाल सरकार
10 जून, 2020 के आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में दिल्ली में 1366 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। इन्हें मिलाकर कुल मरीजों की संख्या 31,309 हो चुकी है। विभिन्न अस्पतालों से 504 मरीजों को स्वस्थ होने पर छुट्टी दे दी गई। लेकिन बीते चौबीस घंटे में 31 मरीजों की मौत हुई है। हालांकि दिल्ली में अब तक कोरोना से 905 लोगों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली में कोरोना संक्रमण (10/06/2020) | |
कुल संक्रमित | 31,309 |
मौतें | 905 |
ठीक हुए | 11861 |
सक्रिय मामले | 18,543 |
जांच | 261079 |
आइए देखते हैं किस तरह दिल्ली में कोरोन के कहर से दिल्ली की जनता परेशान है और केजरीवाल सरकार बेबस नजर आ रही है।
मर रहे मरीज, गुहार लगाते परिजन
केजरीवाल टेस्ट की समुचित व्यवास्था होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आज दिल्ली में आलम यह कि कोरोना से मरीज मर रहे हैं, लेकिन संपर्क करने के बावजूद उन्हें सहायता नहीं मिल रही है। मरीज के परिजन संक्रमण की जांच के लिए गुहार लगा रहे हैं, उनका सुनने वाला कोई नहीं है।
पूर्वी दिल्ली शकरपुर आज सुबह एक 80 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई इनके घर मे इनका बेटाजो कोरोना से संक्रमित हैबुजुर्ग भी सस्पेक्टेड थे सुबह से प्रशासन के अधिकारियों से बात करने के बाद भी शव लेने कोई नही आ रहा शर्म है क्या@ArvindKejriwal @SatyendarJain @Ch_AnilKumarINC @srinivasiyc pic.twitter.com/CutyScispx
— RachnaUpadhyay रचना (NEWS18) ?❣? (@RachnaUpadhya) June 6, 2020
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ये है दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का असली सच जहां लड़कियों के haircut पर तुरंत रिप्लाय मिलता है लेकिन कोई आम इंसान मार रहा हो इससे उसे कोई फर्क नही पड़ता। pic.twitter.com/saQq4UtWRJ
— Raushan Pathak (@raushanpathak86) June 6, 2020
बेड नहीं मिलने के कारण एक मरीज ने एलएनजीपी अस्पताल के सामने दम तोड़ दिया।
He is no more. The govt failed us. https://t.co/uFJef9JxSA
— Amarpreet (@amar_hrhelpdesk) June 4, 2020
अस्पतालों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण मरीजों की मौत हो रही है। अस्पताल में बेड नहीं मिलने से एक और मरीज की मौत होने का मामला सामने आया है। मृतक के परिजन अभिषेक जैन ने आज तक चैनल से बात करते हुए कहा कि गुरुवार सुबह मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसके बाद हम उनको शालीमार बाग के फोर्टिस हॉस्पिटल ले गए। वहां पर उन्हें ऑक्सीजन दिया गया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने कहा कि आप अपने मरीज को वापस ले जाइए। हमारे पास कोई बेड नहीं है। हम मदद नहीं कर सकते। केजरीवाल सरकार से नाराज अभिषेक जैन ने कहा कि हमने उनसे इस तरह की उम्मीद नहीं थी। हम दिल्ली सरकार का ऐप देख रहे थे तो सबमें बेड दिखा रहा था।
बेड नहीं मिलने के कारण एक मरीज ने एलएनजीपी अस्पताल के सामने दम तोड़ दिया।
He is no more. The govt failed us. https://t.co/uFJef9JxSA
— Amarpreet (@amar_hrhelpdesk) June 4, 2020