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पीएम मोदी के काम पर गुजरात में वोट मांग रहे केजरीवाल, पहले स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर फैलाया झूठ, कहा था- पैसे की बर्बादी है, अब पोस्टर पर लगाया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, लेफ्ट लिबरल गैंग ने कहा था- साल में 10 लाख लोग भी नहीं आएंगे देखने, जबकि कोरोना काल में 75 लाख पर्यटक पहुंचे

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देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के 70 साल के शासनकाल में उपेक्षित रहे। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि पिछली गलतियों को सुधारकर उन्होंने सरदार पटेल को वह प्रतिष्ठा दी है जिसके वह हकदार थे। इसी के तहत उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण करवाया। अब पीएम मोदी की ब्रेन चाइल्ड स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की लोकप्रियता दिनों दिनों बढ़ती ही जा रही है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को रोजाना देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या अमेरिका के 133 साल पुराने स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी के पर्यटकों से ज्यादा हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को किया था। आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की दुनिया और देश का आज प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिनती हो रही है। आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने लोकप्रियता के मामले में ताजमहल को पछाड़ दिया है। कोरोना काल में ही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए 75 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे। लेकिन जब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण करवाया गया तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ ही लेफ्ट लिबरल गैंग ने इस पर सवाल उठाए थे कि इसे देखने साल में 10 लाख लोग भी नहीं आएंगे और यह पैसे की बर्बादी है। जबकि आज यह न केवल देश का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल बन गया बल्कि इससे कमाई भी अच्छी हो रही है और कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। भारतीय राजनीति में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और लेफ्ट लिबरल गैंग के तथाकथित बुद्धिजीवी पीएम मोदी द्वारा किए गए अच्छे काम का जब विरोध करते हैं तो यह संदेह उत्पन्न होता है कि वे किसी विदेशी ताकत के इशारे पर इशारे पर तो काम नहीं कर रहे हैं। क्योंकि कई विदेशी एनजीओ से इनका संपर्क गाहे-बगाहे सामने आता रहता है।

पीएम मोदी के काम पर गुजरात में वोट मांग रहे केजरीवाल

झूठे वादे और झूठी गारंटी बांटने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले तो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विरोध किया था और इसे पैसे की बर्बादी करार दिया था। लेकिन अब गुजारत चुनाव में पीएम मोदी द्वारा बनाए गए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को अपने पोस्टर पर स्थान देकर वोट मांग रहे हैं।

लेफ्ट लिबरल गैंग ने कहा था- सालभर में 10 लाख लोग भी नहीं आएंगे देखने

केजरीवाल की तरह ही लेफ्ट लिबरल गैंग के सदस्य यूट्यूबर ध्रुव राठी ने एक वीडियो में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को पैसे की बर्बादी बताया था और कहा था कि इसे देखने सालभर में 10 लाख लोग भी नहीं आएंगे। लेफ्ट लिबरल गैंग ने इसी तरह के न जाने के कितने झूठ और प्रोपेगेंडा फैलाए। लेकिन आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की बढ़ती लोकप्रियता उनके मुंह पर थप्पड़ के समान है।

अब देखिए कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कमाई से लेकर पर्यटकों के आने के मामले में स्टैच्यू आफ लिबर्टी और ताजमहल को किस तरह पीछे छोड़ रहा है। हालांकि अभी ताजा आंकड़े नहीं आए हैं ये आंकड़े 2022 से पहले के हैं-

पर्यटकों की संख्या के मामले में अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को पीछे छोड़ा

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में सरदार सरोवर बाँध से लगभग 3.5 किलोमीटर दक्षिण में नर्मदा नदी पर स्थित है। गुजरात के केवडिया में 3000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुई यह प्रतिमा पर्यटकों की संख्या के मामले में अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका के 133 साल पुरानी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने प्रति वर्ष करीब 23 लाख दर्शक पहुंचते हैं जबकि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने वाले पर्यटकों की संख्या वर्ष 2019 में ही 26 लाख पहुंच गई थी।

कमाई के मामले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने ताजमहल को पीछे छोड़ा

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर की विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा अब कमाई के मामले में भी एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कमाई के मामले में दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल समेत देश के सभी प्रसिद्ध स्मारकों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पीछे छोड़ दिया है। 2019 में जारी ASI की रिपोर्ट के मुताबिक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने पिछले एक साल में 63 करोड़ रुपए की कमाई कर एक रिकॉर्ड बनाया है। जबकि राजस्व के तौर पर ताजमहल की कमाई सिर्फ 56 करोड़ रुपए हुई है। हालांकि ताजमहल को देखने के लिए 64.58 लाख और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए 26 लाख लोग पहुंचे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षणों में प्रदर्शनी हॉल, संग्रहालय, वॉल ऑफ यूनिटी, लेजर लाइट एंड साउंड शो, वैली ऑफ फ्लॉवर्स, सरदार सरोवर बांध, नौका विहार, हेलीकॉप्टर की सवारी, बर्ड वॉचिंग आदि है।

महिला ड्राइवरों की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से बदली किस्मत

‘मैं एक आत्मनिर्भर महिला हूं’। खुद पर गर्व करते हुए अपनी टूटी-फूटी हिंदी में ज्योति कुमारी तरवी ये बात कहती हैं। गुजरात में नर्मदा जिले के केवड़िया की रहने वाली 35 साल की ज्योति कुमारी तरवी एक आदिवासी महिला हैं और वह ई-ऑटोरिक्शा चलाती है। ज्योति मुस्कुराते हुए बताती हैं, ‘मैं ई-रिक्शा और घर दोनों चलाती हूं। ज्योति जैसी तकरीबन 60 महिलाएं देश के पहले हरित ऊर्जा प्रमाणित एकतानगर रेलवे स्टेशन के पास ई-रिक्शा चलाती हैं। ये सभी केवड़िया और उसके आस-पास रहने वाली महिलाएं हैं। गौरतलब है कि एकतानगर रेलवे स्टेशन का नाम पहले केवड़िया रेलवे स्टेशन था। सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनने के बाद इस स्टेशन का नाम बदल दिया गया है और ज्यादा संख्या में पर्यटकों के आने से इन महिलाओं की कमाई बढ़ गई है और जिंदगी में सुखद बदलावा आया है।

260 से अधिक आदिवासी महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने की योजना

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रबंधन के प्रवक्ता राहुल पटेल का कहना है, ‘आसपास के गांवों की ये महिलाएं, सरकार द्वारा संचालित एकतानगर कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षित होने के बाद ई-रिक्शा चलाकर कमा रही हैं। ये सभी अत्यंत ही गरीब परिवारों की महिलाएं हैं। 260 से अधिक आदिवासी महिलाओं को औपचारिक तौर पर ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने की योजना है। ये महिलाएं न सिर्फ यात्रियों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के दर्शन करवाती हैं, साथ ही आस-पास की अन्य महत्वपूर्ण जगहों की जानकारी भी देती हैं।’

विदेशी सहित 75 लाख से अधिक पर्यटक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने पहुंचे

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रबंधन के प्रवक्ता राहुल पटेल ने कहा ने बताया, ‘31 अक्टूबर 2018 से इस साल की शुरुआत तक विदेशी सहित 75 लाख से अधिक पर्यटक यहां आ चुके हैं। इनमें से अधिकतर पर्यटकों ने महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाले इन ई-रिक्शा पर सफर का आनंद उठाया है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थापित होने के बाद इलाके का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है।’

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा

प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को किया था। आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की दुनिया और देश का आज प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिनती हो रही है। भारत के पहले केंद्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती पर प्रधानमंत्री ने इस प्रतिमा को राष्ट्र को समर्पित किया था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर लंबी प्रतिमा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा की ऊंचाई स्प्रिंग टेंपल बुद्धा (चीन), उशीकू दाइबत्सू (जापान), स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी (अमेरिका) और क्राइस्ट द रिडीमर (ब्राजील) से भी ज्यादा ऊंची है। Spring Temple of Buddha की 153 ​​मीटर, Ushiku Daibutsu की 120 मीटर, Statue of Liberty की 93 मीटर और ब्राजील की Christ the Redeeme की ऊंचाई 38 मीटर है।

दुनिया के आठ अजूबों की लिस्ट में शामिल हुआ स्टैचू ऑफ यूनिटी

शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन ने स्टैचू ऑफ यूनिटी को आठ अजूबों की लिस्ट में शामिल कर लिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए कहा कि हम एससीओ के सदस्य देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास की सराहना करते हैं। एससीओ के आठ अजूबों की लिस्ट में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी शामिल किया गया है। यह निश्चित तौर पर एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा। एससीओ की लिस्ट में शामिल होने के बाद अब एससीओ खुद पूरी दुनिया में स्टैचू ऑफ यूनिटी के बारे में प्रचार करेगा। स्टैचू ऑफ यूनिटी को प्रतिदिन देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है। शनिवार-रविवार को यह संख्या 20 हजार से ऊपर पहुंच जाती है। अब एससीओ की लिस्ट में आने के बाद स्टैचू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी। सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्तूबर, 2018 को किया था। गुजरात के केवडिया में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के समीप बनी यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।

130 साल के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के कितना करीब 11 माह का स्टैच्यू ऑफ यूनिटी? मोदी ने बताया

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में अपने जन्मदिन के मौके पर गुजरात के केवडिया में सरदार सरोवर बांध का दौरा किया। यहां पीएम मोदी ने नर्मदा नदी की पूजा की और और बांध का जायजा लिया। बांध के साथ ही मौजूद सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के बारे में पीएम मोदी ने विस्तार से बात की और और बताया कि किस तरह अब ये देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी तक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने करीब 23 लाख लोग आ चुके हैं, रोजाना औसतन 6.7 हजार लोग यहां आए हैं।जन्माष्टमी के अवसर पर यहां सबसे ज्यादा 34 हजार पर्यटक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने आए थे। इस दौरान पीएम ने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से इसकी तुलना की और कहा कि अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने रोजाना 10 हजार लोग जाते हैं, जबकि वह 130 साल पुराना है। लेकिन अभी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को सिर्फ 11 महीने हुए हैं और लोगों में इसको लेकर इतना क्रेज है।

2013 में काम शुरू हुआ, 33 महीने में बन गई

31 अक्‍टूबर, 2013 के दिन इस प्रतिमा की रूपरेखा तैयार हुई. भारत की ही एक बहुराष्‍ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (Larsen and Tubro) ने सबसे कम बोली लगाकर इसके निर्माण कार्य व रखरखाव की जिम्‍मेदारी ली। 33 माह (लगभग ढाई साल) के कम समय में इस प्रतिमा का बुनियादी ढ़ांंचा बना, जो भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड रहा।

7 किलोमीटर दूर से नजर आ जाती है प्रतिमा

यह प्रतिमा 597 फीट ऊंची है, जो 7 किलोमीटर दूर से नजर आती है। यह इतनी विशाल है कि 30 फीट का तो चेहरा ही बनाया गया। इसमें 3डी टेक्नीक यूज की गई।

70 फीट लंबे हाथ हैं, पैरों की ऊंचाई 85 फीट

प्रतिमा के होंठ, आंखें और जैकेट के बटन 6 फीट के इंसान के कद जितने बड़े हैं। 70 फीट लंबे हाथ हैं, पैरों की ऊंचाई 85 फीट से ज्यादा है।

4 धातुओं के मिश्रण से बनी, 85% तांबा

यह प्रतिमा 4 धातुओं के मिश्रण से बनी है, लेकिन सबसे ज्यादा 85% तांबा इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में इसमें जंग लगने का भी डर नहीं है। एक लिफ्ट भी लगाई है, जिससे प्रतिमा के हृदय तक जा सकेंगे।

17 KM लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी

यहां से लोगों को सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का नजारा दिख सकता है। अपनी तरह की पहली और सबसे बड़ी प्रतिमा के लिए मटेरियल जुटाने पर भी बहुत मेहनत हुई।

6 लाख लोगों ने जुटाया लोहा-तांबा

जब ये तय हुआ कि सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा बनेगी तो सवाल ये था कि इतना लोहा कहां से जुटाएं? इसके लिए गुजरात सरकार ने “सरदार वल्‍लभ भाई पटेल राष्‍ट्रीय एकता ट्रस्‍ट” बनाया, जिसके तहत देशभर में 36 दफ्तर खुले और करीब 6 लाख लोगों को लोहा-तांबा इकट्ठा करने में लगा दिया गया।

5 हजार मैट्रिक टन लोहा किसानों से दान में मिला

किसानों से लगभग 5 हजार मैट्रिक टन लोहा दान में मिला। 57,00,000 किलो तो स्टील ही था। मटेरियल मिलते रहने पर इस मूर्ति को बनाने में 3400 मजदूरों, 250 इंजीनियरों ने कम से कम 42 महीने काम किया। लागत 2990 करोड़ रुपए आई।

पटेल से जुड़े 2000 दुर्लभ फोटो देख सकेंगे

यह प्रतिमा तैयार होने के साथ ही सरदार म्यूजियम भी बन रहा है। इस म्यूजियम में पटेल से जुड़े 40,000 दस्तावेज और उनके करीब 2000 दुर्लभ फोटो देख सकेंगे। अब चहुंओर इसी मूर्ति के चर्चे हो रहे हैं।

टाइम की टॉप-100 ग्रेट साइट्स में मिली जगह

वर्ष 2020 में मशहूर अमेरिकी पत्रिका टाइम ने विश्व के महानतम स्थानों की सूची में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को भी शामिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए इस पर ट्वीट भी किया था।

सरदार पटेल ने इस तरह देश को एकता के सूत्र में पिरोया था

अंग्रेज जब भारत छोड़ रहे थे तो उन्होंने देसी रियासतों को तीन विकल्प दिए। एक यही कि वे खुद स्वतंत्र रहें या फिर भारत या पाकिस्तान में से किसी एक के साथ विलय कर लें। करीब 550 से अधिक रियासतों के अलग-अलग मिजाज वाले राजा-महाराजाओं के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर कराना और उन्हें भारत का हिस्सा बनाना बेहद कठिन कार्य था। सरदार पटेल की कूटनीति एवं दूरदर्शी सोच के साथ ही दृढ़ इच्छाशक्ति के मेल ने इस असंभव सी दिखती चुनौती को संभव कर दिखाया। इस तरह तमाम रियासतों का भारत में विलय हुआ। यदि वह इस जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लेते तो भारत का नक्शा छिन्न-भिन्न होता। हैदराबाद के निजाम और जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान के साथ विलय का फैसला किया था और मध्य भारत में कुछ महाराजा अपनी आजादी का राग अलाप रहे थे। ऐसे वक्त में पटेल ने दखल दिया और जहां जरूरी हुआ वहां सैन्य शक्ति से भी काम लिया और उनका भारत में विलय कराया। हैदराबाद के पाकिस्तान में विलय के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वह ‘भारत के पेट में तकलीफ को बर्दाश्त नहीं कर सकते।’ प्रधानमंत्री नेहरू इस मामले में सख्ती से खुश नहीं थे। यदि तब लौहपुरुष सरदार पटेल नहीं होते तो भारत की आजादी के साथ ही उसके नक्शे की तस्वीर भी बिगड़ जाती।

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