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जज साहब, आपको मणिपुर मामले में ही गुस्सा क्यों आया? बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली के मामलों में गुस्सा क्यों नहीं आता!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने और भारत को अस्थिर करने के लिए मणिपुर में फेक न्यूज फैलाया गया और उसके बाद दो समुदायों के बीच भड़की नफरत ने मणिपुर को हिंसा की आग में झोंक दिया गया। फेक न्यूज न फैले इसके लिए राज्य सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया और करीब-करीब हालात पर काबू पा लिया गया। लेकिन जिन ताकतों ने पीएम मोदी की छवि खराब करने का ठेका ले रखा है उन्हें राज्य में शांति बहाली गले से नहीं उतरी। फिर उन्होंने एक वीडियो वायरल कर दिया। इसी तरह की वीडियो और तस्वीरें बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली से भी आते रहे हैं। लेकिन मणिपुर मामले को लेकर जिस तरह जज साहब को गुस्सा आया और सक्रियता दिखाई वही सक्रियता और गुस्सा बंगाल और अन्य राज्यों में हो रही घटनाओं पर नहीं दिखाई दी। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या गैर बीजेपी शासित राज्यों को देखते समय उनका लेंस बदल जाता है? भारतवर्ष की हजारों बेटियां रेप और गैंगरेप की शिकार हैं। न्याय का इंतजार कर रही हैं लेकिन आपको इस पर गुस्सा क्यों नहीं आता जज साहब? क्यों बलात्कार के मामलों में जल्द सुनवाई कर न्याय सुनिश्चित नहीं किया जाता?

जब मैतेई मारे जा रहे थे तब वह चुप थे, कुकी मुद्दे पर जाग गए
मणिपुर में जब तक हिन्दू मैतेई आदिवासी मारे जा रहे थे, उनकी औरतों का रेप हो रहा था, उनके गांव जलाए जा रहे थे। करीब 50 हज़ार हिन्दू मैतेई आदिवासी पलायन कर गए, शरणार्थी शिविरों में जीवन बसर रह रहे हैं तब जज साहब आंख बंद करके सो रहे थे। तब जज साहब ये सब नहीं दिखाई दिया लेकिन जैसे ही ईसाई कुकी विद्रोहियों और कम्युनिस्ट मारे जाने लगे अचानक उनकी आंख खुल गई।

सिर्फ मणिपुर क्यों, बंगाल-राजस्थान-झारखंड का दर्द क्यों नहीं दिखता?
बंगाल हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप की घटनाएं सामने आईं। कितने परिवार काल की भेंट चढ़ गए। राजस्थान में एक परिवार के कई लोगों को जिंदा जला दिया गया। तब सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान नहीं लिया। बीते दिनों बंगाल में हुए पंचायत चुनाव में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। क्या बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा पर उसे यह महसूस नहीं हुआ कि स्वत: संज्ञान लेना चाहिए जबकि मृतकों का यह आंकड़ा दिल्ली दंगों से भी ज्यादा है।

मणिपुर घटना पर गुस्सा तो झारखंड पर चुप्पी क्यों?
मणिपुर की घटना पर कोर्ट को गुस्सा आ रहा है तो झारखंड पर चुप्पी क्यों? झारखंड में एक महिला को निर्वस्त्र कर पूरे गांव में घुमाया गया और जूते-चप्पलों से पीटा गया।

राजस्थान में रेप की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान क्यों नहीं
मणिपुर में जो हुआ वो अमानवीय, शर्मनाक और अतिशीघ्र कठोरतम दण्ड लायक़ है। कोर्ट का स्वतः संज्ञान लेना भी ठीक है। पर यही कोर्ट राजस्थान जहां रोज़ रेप हो रहे हैं एक बार भी स्वतः संज्ञान नहीं लेता… क्यों? क्या राजस्थान की मां, बहन, बेटियां अलग है?

गुस्सा होने के बजाय सिस्टम में बदलाव क्यों नहीं करते?
जज साहब, आप गुस्सा होने के बजाय जल्दी फैसले सुनाने का प्रबंध क्यों नहीं करते? आप गुस्सा होने के बजाय कुछ ऐसा क्यों नहीं करते कि अदालत के चक्कर काटते हुए आदमी की चप्पलें न घिसें? आप गुस्सा होने के बजाय आम आदमी को तारीख पर तारीख देने के सिस्टम में बदलाव क्यों नहीं करते?

गुस्सा होने के बजाय बलात्कारियों को फांसी पर लटकाएं
जज साहब, आप गुस्सा होने के बजाय बलात्कारियों को फांसी पर लटकाने का आदेश क्यों नहीं देते? जज साहब, निर्भया के बलात्कारियों के बाद किसी भी अन्य बलात्कारी को फांसी पर क्यों नहीं लटकाया गया ?

श्रद्धा के 35 टुकड़े हुए, तब गुस्सा नहीं आया
जज साहब आप गुस्सा हो रहे हैं न। जब दिल्ली में श्रद्धा के 35 टुकड़े कर दिए गए तब तो गुस्सा नहीं आया। दिल्ली की ही अदालत ने श्रद्धा के 35 टुकड़े करने वाले आफताब को फांसी पर लटकाने का फैसला देने के बजाय उसे गर्म कपड़े और किताबें देने का निर्देश दिया था। आपको तब तो गुस्सा नहीं आया था।

गुस्सा करने वाले जज साहब आपको याद है न ?
2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में 7 हजार महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने यह बात कही थी। लेकिन आप न तो गुस्सा हुए और न ही सजा सुनाई।

बंगाल चुनाव के बाद 60 साल की बुजुर्ग से हुआ गैंगरेप
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद 60 साल बुजुर्ग महिला का उनके पोते के सामने घर में घुसकर गैंगरेप किया गया था। आपको गुस्सा क्यों नहीं आया? अगर आया तो अभी तक उन हैवानों को तारीख पर तारीख देने के बजाय फांसी की सजा क्यों नहीं सुनाई ?

बंगाल में 17 साल की नाबालिग किशोरी से गैंगरेप
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद 17 साल की नाबालिग किशोरी को घर से घसीटकर जंगल ले जाया गया जहां उसके साथ 5 लोगों ने गैंगरेप किया, आपको गुस्सा क्यों नहीं आया? अगर गुस्सा आया तो अभी तक फांसी की सजा क्यों नहीं सुनाई ?

बंगाल में नाबालिग किशोरी के साथ जन्मदिन पार्टी में गैंगरेप
नादिया में नाबालिग किशोरी के साथ टीएमसी नेता के बेटे की जन्मदिन पार्टी में गैंगरेप किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई जिस पर ममता बनर्जी ने कहा कि ये तो लव अफेयर था। इस पर आपको गुस्सा क्यों नहीं आया जज साहब? अगर आया तो उन हैवानों को अभी तक फांसी पर क्यों नहीं लटकाया गया?

बंगाल के हावड़ा में महिला को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया
8 जुलाई को बंगाल के हावड़ा में TMC नेताओं ने एक महिला के कपड़े फाड़े, उसके शरीर को नोंचा और निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया। इस आपको गुस्सा क्यों नहीं आया?

साक्षी को साहिल ने चाकुओं से गोद दिया, आपको गुस्सा नहीं आया
दिल्ली में साक्षी को साहिल ने चाकुओं से गोदकर, पत्थर से कुचलकर मार डाला। क्या आपको इस पर गुस्सा नहीं आया जज साहब? अगर आया तो सारे प्रमाण सामने होने के बाद भी अभी तक साहिल को फांसी पर क्यों नहीं लटकाया गया?

सर तन से जुदा पर आपको गुस्सा नहीं आया जज साहब?
कन्हैयालाल, उमेश कोल्हे, निशांक राठौर, प्रवीण नेत्तारू, शानू पांडेय की हत्या की हत्या हो गई। सर तन से जुदा पर आपको गुस्सा नहीं आया जज साहब? अगर आया तो सारे प्रमाण सामने होने के बाद भी इनके हैवानों को अभी तक फांसी क्यों नहीं दी गई?

अजमेर रेप कांड पर भी आपको गुस्सा नहीं आता
जज साहब, 90 के दशक में अजमेर रेप कांड हुआ था। 250 से ज्यादा बेटियों का रेप और गैंगरेप किया गया था। 30 साल बाद भी एक भी बलात्कारी को फांसी नहीं हुई है। क्या आपको इस पर गुस्सा नहीं आता जज साहब?

छत्तीसगढ़ में दलित युवकों ने किया निर्वस्त्र प्रदर्शन, आपको वो भी नहीं दिखा
छत्तीसगढ़ में फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट के आधार करीब 267 लोग सरकारी पदों पर नौकरी कर रहे हैं। 3 साल पहले ही इन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी हुआ, लेकिन वे अब भी नौकरी कर रहे हैं और भूपेश बघेल सरकार इन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके विरोध में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सड़कों पर अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) समूह के युवाओं ने निर्वस्त्र होकर विरोध प्रदर्शन किया। आपको इस पर भी गुस्सा नहीं आया।

फेक न्यूज से फैली थी मणिपुर हिंसा
मणिपुर हिंसा की शुरुआत एक फेक न्यूज से हुई थी। मणिपुर में एक फोटो वायरल किया गया था, जिससे एक समुदाय इतना भड़क गया कि देखते ही देखते इस हिंसा की आग पूरे मणिपुर में फैल गई। मणिपुर में एक महिला के शव की तस्वीरें वायरल हुई थी। बताया गया था कि ये तस्वीर मैतेई समुदाय के एक महिला की है, जिसके साथ रेप की घटना को अंजाम दिया गया है। इसका आरोप कुकी समुदाय के लोगों पर लगाया गया था। इस फेक न्यूज के फैलते ही मैतेई समुदाय के लोगों में आक्रोश फूट पड़ा। इसके बाद 4 मई को हमलावर बड़ी संख्या में एक गांव में घुसे और हमला कर दिया।

तीस्ता सीतलवाड़ के लिए रात में खुल गया सुप्रीम कोर्ट
जज साहब, तीस्ता सीतलवाड़ के लिए सुप्रीम कोर्ट रात में खुल गया। आम नागरिकों के लिए इतनी तत्परता से अदालत के द्वार कब खुलेंगे? गुजरात दंगे से जुड़े झूठे सबूत देने के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने 1 जुलाई 2023 को तथाकथित सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत खारिज कर दी और तुरंत उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा। हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने वाली सीतलवाड़ की याचिका 1 जुलाई 2023 को ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई और उस पर उसी दिन सुनवाई भी शुरू हो गई। जमानत देने पर दो जजों के बीच असहमति हो गई। इसके बाद उसी दिन मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच का गठन कर दिया गया। तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर रात 9.15 बजे सुनवाई हुई और उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी गई कि एक हफ्ते के लिए जमानत देने से कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। जज साहब, आम आदमी को समझाइए न आसमान कब टूटता है।

देश की अदालतों में 5 करोड़ मामले लंबित
जज साहब, देश की अदालतों में 5 करोड़ मामले लंबित हैं। इस पर आपको गुस्सा नहीं आता। देश में न्याय प्रणाली ठप्प पड़ी हुई है और अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 14 जुलाई 2023 को पांच करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। न्यायपालिका के सभी तीन स्तर जिला अदालतें, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामलों के निपटारों की संख्या अपेक्षा से कम रहा है। 20 जुलाई 2023 को राज्यसभा में जानकारी दी गई कि देश की अलग-अलग अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गए हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि 5.02 करोड़ से अधिक मामले अलग-अलदालतों में हैं। ये सभी मामले जिनमें सुप्रीम कोर्ट, 25 हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 69 हजार से अधिक मामले पेंडिंग
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 1 जुलाई 2023 तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं। वहीं राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) की बात करें तो 14 जुलाई 2023 तक हाईकोर्ट में 60 लाख 62 हजार 953 मामले लंबित हैं। इसके अलावा जिला और अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की कुल संख्या 4 करोड़ 41 लाख 35 हजार 357 हैं। जज साहब, सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं, इस पर आपको गुस्सा नहीं आता। इस पर भी कभी गुस्सा निकालिए न।

जज साहब सेलेक्टिव मामलों पर गुस्सा होने का ठप्पा न लगवाएं
जज साहब, अगर आपको सच में गुस्सा आ रहा है न तो एक काम कीजिए। रेप के जिन मामलों में सीधे प्रमाण उपस्थित हैं, उनको तारीख पर तारीख देने के बजाय फैसला सुनाइए, बलात्कारियों को फांसी पर लटकाने का आदेश सुनाइए। जिस दिन नियमित अंतराल पर बलात्कारी फांसी पर झूलने लग जाएंगे, बहन-बेटियां सुरक्षित हो जाएंगी, निर्वस्त्र कर उनकी परेड निकालने की हिम्मत कोई नहीं कर पाएगा। अगर ऐसा नहीं होगा तो लोग यही समझेंगे कि जज साहब को भी नेताओं की तरह सेलेक्टिव मामलों पर गुस्सा आता है।

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