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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष : 3डी अवतार में योग शिक्षक बने पीएम मोदी, स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सीखिए योगासन के गुर

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योग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लगाव किसी से छिपा नहीं है। जब भी समय मिलता है वह देश के लोगों को योग के महत्व के बारे में जरूर समझाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने योग के प्रचार प्रसार के लिए खुद योग कार्यक्रमों में शामिल होकर लोगों को प्रेरणा दी है। अब प्रधानमंत्री मोदी अपने 3डी अवतार में योग शिक्षक बनकर सामने आए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर पर कई योगासन का वीडियो शेयर किया है, जिसे देखकर आप भी योगासन सीख सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं। 

शशांकासन

शशांक का अर्थ होता है खरगोश। आसन में व्यक्ति का आकार खरगोश के समान होता है, इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 3डी अवतार से शशांकासन के गुर सिखाए हैं। आप भी देखिए और सीखिए शशांकासन-

त्रिकोणासन

त्रिकोणासन खड़े होकर करने वाला एक महत्वपूर्ण आसन है। ‘त्रिकोण’ का अर्थ होता है त्रिभुज और आसन का अर्थ योग है। इसका मतलब यह हुआ कि इस आसन में शरीर त्रिकोण की आकृति का हो जाता है, इसीलिए इसका नाम त्रिकोणासन रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जून 2019 में अपने ट्विटर पर त्रिकोणासन का 3डी वर्जन शेयर किया। इस 3डी वीडियो में त्रिकोणासन के गुर सिखाए गए  हैं।  

त्रिकोणासन कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह छाती, कंधे, जांघ और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। आप भी देखिए वीडियो-

अर्ध चक्रासन 

प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2019 में ट्विटर पर अर्ध चक्रासन योगासन का वीडियो शेयर किया। योग के इस आसन का अभ्यास करने से पीठ और गर्दन दर्द से राहत मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘पीठ को मजबूत करने के लिए, खून के शरीर में बेहतर संचार के लिए जानिए अर्ध चक्रासन का अभ्यास आपको कैसे मदद कर सकता है।’

देखिए वीडियो-

उष्ट्रासन

इस आसान को उष्ट्रासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन में शरीर को ऊंट की तरह आकार दिया जाता है। उष्ट्रासन करने से शरीर को अनेक लाभ होते हैं जैसे की कमर दर्द, साइटिका, स्लिप डिस्क, महिलाओं की मासिक चक्र से जुड़ी बीमारीयां आदि। उष्ट्रासन करने से शरीर में रक्त-प्रवाह बेहतर हो जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2019 में ट्विटर पर उष्ट्रासन का 3डी वर्जन शेयर किया। इस 3डी वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी उष्ट्रासन करते दिख रहे हैं। 

देखिए वीडियो-

सेतु बंधासन

इस आसन में शरीर को हम पुल की आकृति में बांधने का प्रयास करते हैं। योग का यह प्रकार तनाव और अवसाद को दूर करने के साथ-साथ मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह आसन शरीर में रक्तसंचार को बेहतर करता है। यह दिल के ब्लॉकेज़ को भी खोलने, वहीं दिमाग को शांत करने और तनाव कम करने में मदद करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर एनिमेटेड वीडियो साझा किया, जिसमें सेतु बंधासन के बारे में बताया गया है। 

देखिए वीडियो-

योग निद्रा अभ्यास

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 मार्च, 2020 को योगासन का एक और वीडियो शेयर किया। योग निद्रा अभ्यास का वीडियो शेयर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह शरीर को स्वस्थ और मन को प्रसन्न रखता है। अपने ट्वीट संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, जब भी समय मिलता है, मैं हफ्ते में 1-2 बार योग निद्रा का अभ्यास करता हूं। ये शरीर को स्वस्थ और मन को प्रसन्न रखता है, साथ ही तनाव और चिंता को कम करता है। इंटरनेट पर आपको योग निद्रा के कई वीडियो मिलेंगे। अंग्रेजी और हिन्दी में 1-1 वीडियो साझा कर रहा हूं।’

इवांका ट्रंप बोलीं- वंडरफुल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप को योग निद्रा का यह विडियो काफी पसंद आया। उन्होंने वीडियो को रीट्वीट कर पीएम मोदी का आभार जताया। इवांका ने लिखा, ‘यह अद्भुत है। शुक्रिया पीएम नरेंद्र मोदी आपका।’

प्रधानमंत्री मोदी ने 29 मार्च, 2020 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था, “नमो एप पर मुझे रुड़की से शशि जी ने पूछा है कि लॉकडाउन के समय में, मैं अपनी फिटनेस के लिए क्या करता हूं? जहां तक फिटनेस की बात है, मुझे लगता है कि बात लम्बी हो जाएगी, तो मैं ऐसा करता हूँ कि सोशल मीडिया में कुछ वीडियोज अपलोड करूंगा। NarendraModi App पर आप जरूर उस वीडियो को देखेंगे।” बता दें कि यूट्यूब पर प्रधानमंत्री मोदी के योग से संबंधित 32 वीडियो हैं। योग वीडियो देखने के लिए क्लिक करें- यूट्यूब

 

1 COMMENT

  1. “योग साधना के लिए मानव शरीर ”
    योग मात्र व्यायाम अथवा शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए नहीं होता है | योग
    कल्पना से परे जीवन को आनंद देने वाला और सुख -शान्ति प्रदान करने वाला
    भी होता है | मनुष्य को योग में स्थिर होकर कर्म करना चाहिए | योग गणित
    दर्शन और धर्म से भी कुछ ज्यादा ही है | यह प्राचीन हिन्दू सभ्यता का योग
    गौरवमयी महत्वपूर्ण तत्व है | योग से शरीर ,मन और आत्मा को परमात्मा से
    जोड़ने का एक माध्यम है | योग मन और शरीर को निरोग रखने के साथ ही साथ
    अध्यात्म की तरफ अग्रसर करता है और मन मस्तिष्क तथा भावनाओं में समन्वय
    स्थापित करने का कार्य करता है | योग का प्रथम कार्य है कि शरीर को स्वास्थ्य
    और ऊर्जावान बनाये |
    मनुष्य को जन्मों का भोग भोगना ही पड़ता है | जब मनुष्य कई जन्मों का भोग
    भोगते हुए मनुष्य योनि में जन्म लेता है यो इस जन्म को शुभ कर्मों ,शुभ संस्कारों
    एवं ईश्वर की परम कृपा होने पर योग साधना के लिए मनुष्य शरीर को प्राप्त
    करता है |
    योग की क्रिया में ‘कर्म योग’ का अपना अलग स्थान है | कर्म योगी फल की इच्छा
    नहीं करता है वह परमात्मा में ही तल्लीन रहता है | यही मानव की आवश्यकता
    भी है कि प्रतिपल किसी भी स्थिति में हों ईश्वर को याद करते रहें | जो कार्य हो
    रहा हो उसे ईश्वर का दिया हुआ समझें |
    सुख प्राप्ति ,दुःख निवृत्ति रुपी फल को योग विभूति समझना चाहिए | उपाय व
    अनुष्ठान ही योगाभ्यास है |
    वैयक्तिक योग – वैयक्तिक योग की दशा तब उत्पन्न होती है जब बालक सुषुप्ति
    अवस्था को प्राप्त करता है | उस समय माँ के प्यार का बच्चा अनुभव नहीं कर
    पाता जबकि माँ प्यार से उसे दुलारती है | योग के प्रभाव से मनुष्य को भूख -प्यास
    नहीं सताती यथा –
    कण्ठं कूपं श्रति पिपासा निवृत्ति : | (योग दर्शन )
    भगवान ने योग के विषय में कहा –
    योग: कर्मसु कुशलं !
    योग को प्रमुख रूप नसे चार प्रकार का बताया गया है – कर्म योग ,राज योग ,
    भक्ति योग और ज्ञान योग | योग का क्षेत्र ,अर्थ अत्यंत व्यापक है |
    * कर्म योग – कर्म योग को प्रखर कर्मनिष्ठा जीवन साधन कहा गया है | इसमें
    सेवा भाव निहित है | मनुष्य को भविष्य को भी संवारने के लिए सत कर्म
    करना होता है जिससे भविष्य काल शुभ फल देने वाला हो जो कर्म योग से
    संभव होता है |
    * राज योग – राज योग योग की प्रथम क्रिया और सरल भी होती है | इसमें आसन
    का अधिक स्थान माना गया है | इस योग को अष्टांग योग भी कहते हैं | इसके
    प्रकार निम्न लिखित हैं-
    यम (शपथ लेना ) ,नियन ,प्राणायाम ,आसन ,प्रत्याहार (इन्द्रिय पर नियंत्रण ),
    एकाग्रता ,धारणा और समाधि |
    * भक्ति योग – भक्ति योग में भावनाओं को भक्ति की तरफ केंद्रित करना
    कहा गया है | भक्ति ब्रह्मसत्ता ,भक्तिभाव से जुड़े रहने की जीवन पद्धति है
    जी संसार के रचयिता से हो |
    * ज्ञान योग – ज्ञान योग ज्ञान साधना द्वारा सर्वव्यापी सत्ता की अखण्ड
    अनुभूति है | यह योग की कठिन शाखा है | इस क्रिया में मनुष्य को ग्रंथों का
    अध्ययन करना और मौखिक रूप से बुद्धि को ज्ञान मार्ग में लगाना होता है |
    इस योग से बुद्धि को विकसित किया जाता है |
    * मन्त्र योग – मन्त्र योग में ,मन्त्र जप द्वारा आत्मचेतना का ब्रह्मचेतना
    से समरसता प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है | मन्त्र जप में ध्यान देने की
    विशेष आवश्यकता होती है कि’ ॐ ‘मन्त्र उच्चारण के पूर्व और पश्चात में में
    होना चाहिए |
    * हठ योग – हठ योग यानी पूर्ण स्वस्थता के लिए की जाने वाली विशिष्ट
    शारीरिक ,मानसिक क्रियाओं का साग्रह अभ्यास है |
    धारणा – योग का प्रमुख प्रथम अंश है | ध्यान में इस प्रकार मग्न हो जाय ,
    ध्येय पदार्थ में ले हो जाय | इसका जन साथारण नाम संयम है |
    धारणा ,ध्यान और समाधि से ज्ञान की शुद्धि होती है | यह एक सुगम मार्ग
    है जिसे लोगों ने दुर्गम बना डाला है ,मन में लगन ,तन्मयता ,तत्परता की
    आवश्यकता होती है | इस क्रिया में दूसरों के सहारा , सहायता के बिना श्रद्धा ,
    साहस हो ! श्रद्धा प्रथम बाद में साहस आ जाने से चरम कोटि तक जातक पहुंच
    सकता है |
    श्रीमद भागवत में, योगी और योग के स्वरुप को कुछ इस प्रकार दर्शाया
    गया है –
    जिससे आत्मचेतना – ब्रह्मचेतना के मिलन से आनंद -उल्लास
    सक्रियता -स्फूर्ति ,कर्मनिष्ठा -चरित्रनिष्ठां के स्वरुप प्रत्यक्ष रूप में देखे जा
    सकते हैं |
    गीता में कहा गया है कि –
    ‘समत्वं योग उच्चते ‘
    अर्थात समस्त बुद्धि संतुलन, मनः स्थिति ही योग है |
    समदर्शी भावना से सर्वत्र परमात्मा को देखने वाले व्यक्ति योगयुक्त होते है |
    कुंडलनी जागरण और ऊर्ध्वारोहण इसका दूसरा नाम है | इन क्रियाओं के उपरांत
    क्रियाशीलता ,स्फूर्ति ,उल्लालास ,उत्फुलता तथा आनंद फूट पड़ता है |
    आत्मसत्ता दिन -प्रतिदिन प्रखर -विशुद्ध होती जाती है | यही मोक्ष ,मिलन ,
    विलय -विसर्जन , शुद्ध सत्ता ,महान सत्ता का योग मात्र है |
    श्रीमदभागवत में भगवान ने कहा है-
    ‘यह मनुष्य शरीर ,मेरे स्वरुप ज्ञान की प्राप्ति का साधन है ,इसे पाकर जो मनुष्य
    सच्चे प्रेम से मेरी भक्ति करता है वह अंतः करण में स्थित मिझ आनंद स्वरुप
    परमात्मा को प्राप्त करता है | बुद्धिमान पुरुष को सत्पुरुषों का सत्संग करना
    चाहिए | सत्संग से आसक्ति मिटती है और मन मुझमें लगता है | मेरी कथा
    मनुष्यों के लिए परम हितकर है उसे जो श्रवण करते हैं उनके सारे पाप -पापों को धो डालते हैं | ‘
    यही भक्ति योग की श्रेणी है |
    हमें अपने को प्रभु के ध्यान में मन लगाने की आवश्यकता है | मनुष्य को सत्पात्र
    बनने का प्रयास करने में रत रहना चाहिए और फिर देखिये उस भगवान् की
    अनुपम कृपा हम पर कैसे बरसाती है |
    -सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी

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