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मिसाइल के क्षेत्र में बढ़ी भारत की ताकत, पृथ्वी-2 मिसाइल का रात्रिकालीन सफल परीक्षण, अब अंधेरे में भी जमीन से अंतरिक्ष तक कांपेंगे दुश्मन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत रक्षा के क्षेत्र में दिनोंदिन ताकतवर होता जा रहा है। भारत ने रक्षा क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त विकास किया है, न सिर्फ अन्य मित्र देशों के सहयोग से, बल्कि भारत अपने बलबूते भी रक्षा क्षेत्र में लगातार सशक्त होता जा रहा है। अब यदि यह कहा जाए कि मिसाइल के क्षेत्र में भारत पूरे विश्व में मील का पत्थर बन चुका है तो यह अनुचित नहीं होगा क्योंकि यह सभी देश जानते हैं कि आने वाला युद्ध गोली बंदूक से नहीं बल्कि मिसाइलों से ही जीता जा सकता है। अब भारत अंधेरे में मिसाइल से दुश्मन का लक्ष्य भेदने में भी सक्षम हो गया है। भारतीय सेना और डीआरडीओ ने उड़ीसा के चांदीपुर के आईटीआर परिसर से पृथ्वी-2 मिसाइल का सफलतापूर्वक रात्रिकालीन परीक्षण किया है। इसके पहले भी कई बार पृथ्वी-2 मिसाइल का रात्रिकालीन परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है। पृथ्वी 2 मिसाइल सिंगल स्टेज का लिक्विड इंजन वाली मिसाइल है, जो अधिकतम 500 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने की ताकत रखती है। इसमें उच्च स्तर के विस्फोटक, छेद करने वाले, क्लस्टर बम, टुकड़े करने वाले, गर्मी पैदा करने वाले रासायनिक और टैक्टिकल परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं। यानी किसी भी हथियार को लगाकर पृथ्वी-2 मिसाइल छोड़ दिया जाए तो दुश्मन की धरती कांप उठेगी। इससे पहले दिसंबर 2022 में भारत ने अपने सबसे बड़े महाअस्त्र अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक नाइट ट्रायल कर चीन सहित पूरी दुनिया को संदेश दिया कि भारत हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

पृथ्वी-2 मिसाइल भारत के परमाणु जखीरे का महत्वपूर्ण हिस्सा

पृथ्वी-2 मिसाइल भारत के परमाणु जखीरे का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मिसाइल ने बेहद सटीक तरीके से निशाना लगाया। सफल परीक्षण में मिसाइल के सभी परिचालन और तकनीकी मानदंड सही पाये गए। पृथ्वी-द्वितीय मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 350 किलोमीटर है। पृथ्वी-II मिसाइल भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित एक कम दूरी की, सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। यह भारत की पृथ्वी मिसाइल श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें पृथ्वी-I, पृथ्वी-II, पृथ्वी-III और धनुष शामिल हैं।

पृथ्वी-2 मिसाइल 500 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम

पृथ्वी II स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल है और 500 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है। शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-II का परीक्षण पिछले साल जून में ओडिशा के चांदीपुर से किया गया था। मिसाइल बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर जारी गतिरोध के बीच भारत लगातार अपनी मिसाइल क्षमता मजबूत कर रहा है।

पृथ्वी-2 मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर

पृथ्वी-2 की मारक क्षमता 350 किलोमीटर के करीब है। यह स्ट्रैप डाउन सीरियल नेवीगेशन सिस्टम से चलती है। आज यानी कि मंगलवार को इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ से जुड़े तथा आईटीआर से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौके पर मौजूद थे। यहां उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी पृथ्वी एक, पृथ्वी दो का रात्रि कालीन सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसके साथ-साथ अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों अग्नि 1,2,3,4,5 का रात्रि कालीन सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।

दिसंबर 2022 में हुआ था सबसे बड़े महाअस्त्र अग्नि-5 का नाइट ट्रायल सफल

दरअसल 15 दिसंबर, 2022 की रात में किए गए परीक्षण में पहली बार अग्नि-5 मिसाइल को इसकी पूरी रेंज में दागा गया। यानी इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त कर दिया। इस मिसाइल को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने संयुक्त रूप से मिलकर बनाया है। मुद्दा ये नहीं है कि इसकी रेंज कितनी है, चीन और कई देशों को यह डर है कि इस मिसाइल की जद में उनका पूरा का पूरा क्षेत्रफल आ रहा है। भारत अगर इस मिसाइल को दागता है तो वह पूरे एशिया, यूरोप का कुछ हिस्सा, यूक्रेन, रूस, जापान, इंडोनेशिया तक हमला कर सकता है।

अग्नि-5 मिसाइल एक साथ कई टारगेट पर निशाना लगा सकता

अग्नि-5 मिसाइल की सबसे खास बात है इसकी MIRV तकनीक (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स)। इस तकनीक में मिसाइल के ऊपर लगाए जाने वॉरहेड (Warhead) की संख्या बढ़ाई जा सकती है। यानी एक मिसाइल एक साथ कई टारगेट पर निशाना लगा सकता है। अग्नि-5 मिसाइल की विशेषता है कि यह 29,401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करती है। इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस, NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम लगा हुआ है। अग्नि-5 मिसाइल टारगेट पर सटीकता से हमला करता है। अगर टारगेट अपनी जगह से हटकर 10 से 80 मीटर तक भी जाता है तो उसका बचना मुश्किल है।

अग्नि-5 मिसाइल 1500 किलो परमाणु हथियार ढोने में सक्षम

अग्नि-5 मिसाइल का वजन 50 हजार किलोग्राम है। यह 17.5 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर यानी 6.7 फीट है। इसके ऊपर 1500 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार लगा सकते हैं। इस मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर हैं जो सॉलिड फ्यूल से उड़ते हैं। इसकी गति साउंड की स्पीड से 24 गुना ज्यादा है। यानी एक सेकेंड में 8.16 किलोमीटर की दूरी तय करती है। अग्नि-5 मिसाइल (Agni-V) को लॉन्च करने के लिए मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करते हैं। इसे ट्रक पर लोड करके किसी भी स्थान पर पहुंचाया जा सकता है।

देश की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ साथ मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा दे रही है ताकि आत्मनिर्भर और सुरक्षा के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले। आइए मोदी सरकार की ऐसी परियोजनाओं पर एक नजर डालते हैं।

पहली बार 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में हर रोज नया इतिहास रचा जा रहा है। नए-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। जो कभी असंभव लग रहा था, वो अब मेड इन इंडिया के तहत मुमकिन हो रहा है। 23 दिसंबर, 2021 को भी एक नया इतिहास रचा गया। भारत ने 24 घंटे के भीतर लगातार दूसरा अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का ओडिशा तट के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके अलावा पूरी तरह स्वदेश में बने हाई-स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) ‘अभ्यास’ का भी सफल टेस्ट किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ। स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है और 150 से 500 किलोमीटर के बीच टारगेट को तबाह कर सकती है।

मिसाइलों का टारगेट ‘अभ्यास’

डीआरडीओ ने 23 दिसंबर, 2021 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर स्वदेशी रूप से विकसित उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यभेदी ‘अभ्यास’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। ‘अभ्यास’ एक बिना पायलट का एरियल टारगेट है। इसका इस्तेमाल कई तरह के मिसाइल को टेस्ट करने में किया जाएगा। इसके साथ ही ‘अभ्यास’ का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके की मिसाइल और एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए हो सकता है। इसमें एक छोटा गैस टरबाइन इंजन लगा है। यह MEMS नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है। डीआरडीओ के मुताबिक यह एक बेहतरीन एयरक्राफ्ट है, जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करेगा। जमीन से इसे एक लैपटॉप के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।

स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम का सफल परीक्षण

भारत ने अक्टूबर 2020 में अपनी पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल- रुद्रम का ओडिशा के तट से दूर व्हीलर द्वीप पर सफल रेडिएशन परीक्षण किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय वायु सेना के लिए यह देश का पहला स्वदेशी एंडी ​रेडिएशन ​मिसाइल रुद्रम विकसित की है। इस मिसाइल को लॉन्च प्लेटफॉर्म के रूप में सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में एकीकृत किया गया है, इसमें लॉन्च स्थितियों के आधार पर अलग-अलग रेंज की क्षमता है। इसमें अंतिम हमले के लिए पैसिव होमिंग हेड के साथ आईएनएस-जीपीएस नेविगेशन है। ‘रुद्रम’ ने रेडिएशन लक्ष्य को पिनपॉइंट सटीकता से मारा।

के-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण

भारत ने 19 जनवरी, 2020 को परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर है और यह पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है। मिसाइल को नौसेना की स्वदेशी आईएनएस अरिहंत-श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पर तैनात किया जाएगा। पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। के-4 पानी के नीचे चलने वाली उन दो स्वदेशी मिसाइल में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है।

ब्रह्मोस और आकाश का सफल परीक्षण

विश्‍व की सबसे तेज सुपर-सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने नवंबर 2017 में उस समय इतिहास रच दिया, जब पहली बार भारतीय वायुसेना के अग्रणी युद्धक विमान सुखोई-30 एमके-1 से उसकी सफल परीक्षण उड़ान हुई। हवा से सतह पर मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन के इलाके में बने आतंकी शिविरों पर दागा जा सकता है। इसके साथ ही जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल को भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण

भारत ने सितंबर 2019 में रात को ओडिशा तट पर एक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही कम और अधिक उंचाई से लक्ष्‍य भेदने में सक्षम द्विस्‍तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार यह पृथ्वी रक्षा यान (पीडीवी) मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किमी से ऊपर की ऊंचाई पर लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए है।

भारतीय वैज्ञानिक कर रहे पुराने मिसाइलों का आधुनिकीकरण

भारतीय वैज्ञानिकों ने दिन के तीनों पहर में मिसाइलों का सफल परीक्षण करने के बाद अब चाहे वो छोटी मिसाइल हो या फिर बडी़ मिसाइल, इन सभी का शाम के समय ही परीक्षण करते हैं। आने वाले दिनों में और कई नए और पुराने मिसाइलों का आधुनिकीकरण कर इसका परीक्षण किया जाएगा। इस मिसाइल के परीक्षण से पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान जरूर कांपेंगे। भारत लगातार अपने रक्षा क्षेत्र को मजबूत कर रहा है।

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