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दिल्ली में विज्ञापन घोटाला : केजरीवाल की कट्टर ईमानदार पार्टी डकार गई थी जनता का 164 करोड़ रुपये, DIP सचिव ने भेजा रिकवरी नोटिस, 10 दिनों के अंदर रुपये जमा करने का निर्देश

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अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के कारनामे एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। इससे केजरीवाल और उनकी पार्टी की कट्टर ईमानदारी तार-तार हो रही है। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर खूब पैसा लुटाया। यहां तक कि जनता के पैसे का इस्तेमाल पार्टी के प्रचार के लिए किया। अब विज्ञापन ही केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए गले की फांस बन गया है। दिल्ली सरकार के ही डीआईपी यानी डायरेक्टरेट ऑफ इनफॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी सचिव ने अरविंद केजरीवाल को करीब 164 करोड़ रुपये का रिकवरी नोटिस जारी किया है, जिसे 10 दिनों के भीतर जमा करने को कहा गया है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी ने 2015-2016 के दौरान सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापनों को प्रकाशित करवाया था, लेकिन अब उनकी चोरी पकड़ी गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्य सचिव को राजनीतिक विज्ञापनों के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था, जिसके एक महीने बाद डीआईपी सचिव यह नोटिस जारी किया। लेकिन वित्त वर्ष 2022-2023 में पुनर्मूल्यांकन के बाद आंकड़ा बढ़ा और ब्याज आदि मिलाकर 163,61,88,265 रुपये पहुंच गया। अगर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल तय समय तक रकम का भुगतान नहीं करेंगे तो आम आदमी पार्टी की संपत्तियां भी कुर्क की जा सकती हैं। 

बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल को नोटिस आम आदमी पार्टी का संयोजक होने की वजह से भेजा गया है। अफसर को मुख्यमंत्री से लड़ाने का आरोप लगाया जा रहा है, इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता है। कपिल मिश्रा ने सवाल किया कि अगर सरकार के पैसे से, जनता के पैसे से किसी पॉलिटिकल पार्टी को फायदा पहुंचाया गया है तो उसको नोटिस भेजा जाएगा या नहीं। नोटिस सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत दिया गया है। 2015-16 में जनता के पैसे से पार्टी का विज्ञापन दिया गया था। इसकी जांच चार से पांच तक चली है। जब सारे तथ्य सामने आ गए हैं, तो नोटिस भेजा गया है।

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी पर दिल्ली का खजाना लूटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहले नादिरशाह ने लूटा था, अब आम आदमी पार्टी दिल्ली का खजाना लूटने में लगी है। व्यंग कसते हुए कहा कि ‘झुग्गी से पैसा लेने पर भी उनका आशियाना लूट लेंगे, मौका मिलने पर खज़ाना लूट लेंगे’। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा पैसे रिकवर करने पर आम आदमी पार्टी के लोग छटपटा गए हैं। ये लोग फिर से वही अराजक भाषा का प्रयोग करने लगे हैं, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। आज उसी अराजकता का परिचय सीएम केजरीवाल दे रहे हैं। सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि वह गरीबों का पैसा था, जिसे केजरीवाल ने अपने चेहरे को चमकाने पर खर्च किया। साल 2017 में आम आदमी पार्टी ने इस मामले में हाईकोर्ट से स्टे लेने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने दिल्ली सरकार से आम आदमी पार्टी का बैंक खाता तुरंत सीज करने की मांग की। 

गौरतलब है कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना का यह आदेश 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश, 2016 के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश और 2016 के सीसीआरजीए के आदेश को देखते हुए आया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार इसका लगातार उल्लंघन कर रही थी और सरकारी विज्ञापन के जरिए पार्टी का विज्ञापन कर रही थी। इस मामले में गठित एक निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों में ‘आप’ का जिक्र करने, मुख्यमंत्री के विचारों का विज्ञापन जारी करने और विपक्ष को निशाना बनाने का दोषी पाया था।

आइए एक नजर डालते हैं केजरीवाल और उनकी पार्टी ने विज्ञापन में जनता के पैसे को लूटने का काम किया है…

अरविंद केजरीवाल की विज्ञापन वाली सरकार
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की हो या पंजाब की, इन्हें यदि विज्ञापनबाजी की सरकारें कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। केजरीवाल दिल्ली में ऐसा कई बार कर चुके हैं कि काम कुछ लाख का होता है और उसके गुणगान के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च कर दिए जाते हैं। अपने राज्य में ही नहीं, बल्कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के समय छवि बनाने के लिए करोड़ों के विज्ञापन दिए गए।

केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर
मुख्यमंत्री केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। वो कहते कुछ हैं और दिखावे के लिए करते कुछ और ही हैं। केजरीवाल ने जनवरी 2022 में पंजाब चुनाव प्रचार के दौरान भी कहा था- “कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए कहा है और हम तो डोर टू डोर ही करते हैं। दूसरे दल तो खूब पैसे खर्चते हैं। बड़े-बड़े विज्ञापन देते हैं। ऐसे विज्ञापन देना आम आदमी पार्टी को नहीं आता। हमारे पास तो विज्ञापनों के लिए पैसे ही नहीं हैं, क्योंकि हम ईमानदार पार्टी हैं।” केजरीवाल के शब्दों में यदि विज्ञापन न देना ईमानदारी की परिभाषा है तो साफ कह सकते हैं कि दिल्ली और पंजाब की सरकारें बेईमानी पर उतर आई हैं। यदि यह कहें कि उन्होंने तो बेईमानी की नदियां ही बहा दीं हैं तो ज्यादा तर्कसंगत होगा।

काम से कई गुना ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च, कहां से आता है केजरीवाल के पास इतना पैसा- यादव
दिल्ली से लेकर पंजाब और अब बिहार तक में नेताओं ने विज्ञापन वाली आप सरकार की आलोचना की है। बिहार की जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री काम तो मुश्किल से 40 करोड़ रुपये का करते हैं, लेकिन इसके विज्ञापन पर 400 करोड़ रूपये खर्च कर देते हैं। समझ में नहीं आता कि उनके पास इतना पैसा आता कहां से है। यादव ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जब भी गुजरात जाते हैं तो 40 लाख रुपये पंजाब का खर्च करवाते हैं।

एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपये विज्ञापनों पर फूंके- कुमार
इससे पहले कांग्रेस नेता अजोय कुमार ने आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने केजरीवाल सरकार पर अखबारों और चैनलों को करोड़ों के विज्ञापन देने के नाम पर हमला बोला। कांग्रेस नेता कुमार ने कहा कि साल 2015 में AAP ने टीवी और अखबारों को 81 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। जबकि 2017-18 में 117 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। वहीं, 2019 में पार्टी ने 200 करोड़ और 2021-22 में 490 करोड़ रुपये के आसपास का विज्ञापन दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार ने अब तक विज्ञापन पर 1200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने पंजाब की मान सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘पिछले 6 महीने से पंजाब सरकार कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही है, लेकिन चैनलों और अखबारों को करोड़ों के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। चैनलों के मालिक खुश हैं। खासतौर से गुजरात में। पिछले 2 महीनों में भगवंत मान ने गुजरात टीवी चैनलों और अखबारों में विज्ञापन देकर 36 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।

चुनावी लाभ के लिए करदाताओं के पैसे का बाहरी राज्यों में उपयोग 
पंजाब में कांग्रेस नेता परगट सिंह ने कहा था कि दरअसल आप सरकार किसी राजनीतिक दल के रूप में नहीं, बल्कि पीआर एजेंसी की तरह काम कर रही है, जिसका काम सिर्फ लुभावने विज्ञापन देना है। उसको जनता की परेशानियों या राज्य की आर्थिक सेहत से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार ने 60 दिन में 38 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। उन्होंने कहा था कि आप पार्टी पंजाब के करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल पंजाब के बाहर के राज्यों में चुनावी लाभ के लिए कर रही है। यह पंजाब और उसके लोगों के साथ विश्वासघात है। पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि राज्य का खजाना भरने के दावे करके सत्ता में आई आप खुद ही इसे खाली करने में जुटी है। 

68 लाख के काम के लिए विज्ञापन पर खर्च 23 करोड़ रुपये 
दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो राजधानी में किसी भी नागरिक के गले नहीं उतर रहा है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पराली की समस्या को दूर करने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में बायो डी-कंपोजर छिड़काव पर दो साल में सिर्फ 68 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अपना नाम चमकाने के लिए इस दौरान विज्ञापन पर 23 करोड़ रुपए फूंक डाले। जबकि इस योजना से सिर्फ 955 किसानों को ही फायदा मिला।

2020-21 में खर्च किए 490 करोड़ रुपये
दिल्ली के 3 करोड़ लोगों के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 2021-22 में 488.97 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव के दौरान विज्ञापन पर कम खर्च करने का दावा तो करते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार ने कोरोना काल की महामारी के दौरान हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आ चुकी है। न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए पूछा था कि दिल्ली सरकार द्वारा एक मार्च 2020 से 30 जुलाई 2021 तक विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं? इसके जवाब में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बताया कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

दिवाली पूजा के नाम पर 15 करोड़ खर्च किए
पिछले साल 2021 में पूजा के लिए दिल्ली सरकार ने 15 करोड़ खर्च किए लेकिन इनमें से पूजा पर सिर्फ तीन करोड़ रुपये पूजा में खर्च किए गए जबकि 12 करोड़ रुपये पूजा का मीडिया पर लाइव टेलीकास्ट करने के लिए तमाम मीडिया वालों को दिए गए। यानी उन्होंने पूजा को भी उन्होंने एक इवेंट बना दिया और मीडिया प्रचार पर पैसे लुटाए। पैसे लुटाने के इस खेल में केजरीवाल ने दोस्ती भी जमकर निभाई। उन्होंने इस इवेंट का ठेका विजक्राफ्ट कंपनी को दिया जो कि उनके ईसाई दोस्त सब्बास जोसफ की कंपनी है।

वर्ष 2020 में दिवाली पूजा पर हर मिनट 20 लाख रुपये खर्च
इसी तरह वर्ष 2020 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा और उसके लाइव टेलीकास्ट कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एक आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने आरटीआई के जरिये यह जानकारी जुटाई थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार और अरविंद केजरीवाल द्वारा 14 नवंबर, 2020 को किए गए लक्ष्मी पूजा आयोजन और लाइव टेलीकास्ट पर करदाताओं के पैसे के 6 करोड़ खर्च कर दिए। साकेत गोखले ने कहा कि 30 मिनट की इस पूजा पर कुल 6 करोड़ खर्च, मतलब प्रति मिनट 20 लाख रुपये किए गए। दिवाली की रात मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके कैबिनेट मंत्रियों द्वारा दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में अपने जीवनसाथियों के साथ भाग लेने वाले मेगा इवेंट का लाइव टेलीकास्ट किया गया था।

शराब घोटाले और सत्येंद्र जैन का केस लड़ने के लिए वकीलों पर खर्च किए 28 करोड़ रुपये
भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली बनाने के वादे के साथ सत्ता में आई अरविंद केजरीवाल की सरकार खुद भ्रष्टाचार और घोटाले के दलदल में धंसती चली जा रही है। केजरीवाल सरकार घोटालों को छिपाने के लिए एक के बाद एक नए-नए घोटाले कर रही है। जनता को सौ और हजार रुपये की ‘मुफ्त रेवड़ी’ थमाकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्री अपनी अय्याशी पर करोड़ों रुपये लूटा रहे हैं। घोटालों से बचने के लिए जनता के पैसे पर महंगे वकीलों की सेवाएं लेते हैं और केस लड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। इसी कड़ी में दिल्ली राजभवन ने एक हैरान करने वाला खुलासा किया है। सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाले और जेल में बंद सत्येंद्र जैन का केस लड़ने के लिए दिल्ली सरकार पिछले 18 महीने में वकीलों की फीस के रूप में कुल 28.10 करोड़ रुपये लूटा चुकी है।

सत्येंद्र जैन का केस लड़ने के लिए वकील राहुल मेहरा को 5.30 करोड़ रुपये मिले
मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार मामले में तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के मामलों में अक्सर पेश होने वाले एक अन्य वकील राहुल मेहरा को 5.30 करोड़ रुपये मिले। दिल्ली सरकार की व्यय सूची में दिखा गया है कि 2020-21 में मेहरा को 2.4 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। इसके बाद 2021-22 में भुगतान अचानक बढ़कर 3.9 करोड़ रुपये हो गया। 2022-23 में 1.3 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि सत्येंद्र जैन को 30 मई, 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।

आइए देखते हैं, केजरीवाल सरकार ने किस तरह दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव कर शराब माफिया को सरकारी खजाने और दिल्ली की जनता को लूटने की खुली छूट दी…

दिल्ली के सबसे बड़े शराब घोटाले से जुड़े पुख्ता सुबूत सीबीआई के हाथ लगते जा रहे हैं। इससे न सिर्फ सिसोदिया का बचना मुश्किल है, बल्कि उसके बेहद करीबी भी एक के बाद एक्सपोज हो रहे हैं। आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार पर अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा कि इंडोस्पिरिट्स के एमडी समीर महेंद्रू ने नई दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यूको बैंक की शाखा में राधा इंडस्ट्रीज के खाते में 1 करोड़ रुपये की रकम भेजी थी। राधा इंडस्ट्रीज का प्रबंधन दिनेश अरोड़ा कर रहे हैं, जो दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार की एलजी को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस ही माफ कर दी।

मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए करोड़ों के शराब घोटाले में जल्द होगी ED की एंट्री
दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी-घोटाले के आरोप में सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इससे साथ ही सीबीआई ने सिसोदिया के घर समेत 31 जगहों पर छापेमारी भी की थी। सीबीआई पड़ताल में सामने आया कि अरुण रामचंद्र पिल्लई, विजय नायर के माध्यम से समीर महेंद्रू से आरोपी लोक सेवकों को आगे स्थानांतरित करने के लिए अनुचित धन एकत्र करता था। अर्जुन पांडे नाम के एक व्यक्ति ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की।सिसोदिया के करीबी शराब लाइसेंसधारियों से एकत्रित करते थे अनुचित आर्थिक लाभ
सीबीआई के मुताबिक मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी में 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों में सौंप दीं
दरअसल, दिल्ली सरकार के शराब घोटाले का खेल 2021 में ही शुरू हो गया था। सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए। हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह कुल मिलाकर 849 दुकानें खोलने की नीति थी। नई नीति लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60% दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट थीं, लेकिन नई नीति लागू होने के बाद 100% दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई। आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने खोखला तर्क गढ़ा कि इससे रेवेन्यू 3,500 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। अब 1 सितंबर से फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी लागू हो जाएगी। इसके बाद शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियां ही चलाएंगी।मुख्य सचिव कुमार की गोपनीय रिपोर्ट पर एलजी ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश
आपको बता दें कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ ये पूरी कार्रवाई मुख्य सचिव नरेश कुमार की उस रिपोर्ट पर हो रही है, जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया गया था। ये रिपोर्ट लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्‍सेना को सौंपी गई थी। मुख्य सचिव कुमार की रिपोर्ट पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था। सीबीआई ने अब 8 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया. यानी, ये लोग अब देश छोड़कर नहीं जा सकते।कैसे फंसे सिसोदिया… कोरोना के बहाने शराब ठेकेदारों के 144.36 करोड़ रुपये माफ कराए
जनमानस की यह जानने में दिलचस्पी जरूर होगी कि आखिर शातिर खिलाड़ी मनीष सिसोदिया इस सारे खेल में कैसे घिर गए। दरअसल, मुख्य सचिव की रिपोर्ट बताती है कि एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी होने के नाते मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर ऐसे फैसले लिए। इसके आधार पर एलजी ने पाया कि आबकारी नीति को लागू करने में किस प्रकार की वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। सिसोदिया पर एक्साइज पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिसोदिया ने कथित तौर पर टेंडर दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सिसोदिया के आदेश पर एक्साइज पॉलिसी के जरिए कोरोना के बहाने शराब ठेकेदारों के 144.36 करोड़ रुपये माफ किए गए।

इलाज पर केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने सरकारी खजाने से लुटाये 76 लाख रुपये

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने इलाज के नाम पर सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये लुटाए। यह राशि सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपने और अपने परिवार के इलाज पर खर्च किए। आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने 11 जून 2022 को एक ऑनलाइन आरटीआई आवेदन दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दाखिल की थी। इसमें वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2022 के मध्य मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के 6 अन्य मंत्रियों के इलाज पर खर्च किए गए सरकारी धन की जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद आरटीआई से जो जवाब मिला, उससे सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों के बारे में चौंकाने वाली जानकारी मिली।

 

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