Home समाचार तीसरे टर्म में भारत बनेगा दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था- प्रधानमंत्री मोदी

तीसरे टर्म में भारत बनेगा दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हमारे तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। 26 जुलाई को दिल्ली के प्रगति मैदान में नए आईटीपीओ कॉम्प्लेक्स ‘भारत मंडपम’ का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा कि हमारे पहले कार्यकाल में भारत दुनिया की दसवें नंबर की अर्थव्यवस्था था, अब दूसरे कार्यकाल में हम पांचवे नंबर पर आ गए हैं और हमारे तीसरे कार्यकाल में हम दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे। ये मोदी की गारंटी है और आप 2024 के बाद अपने सपनों को अपनी आंखों से पूरा होते हुए देखेंगे।

इसके पहले भारत मंडपम के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक अद्भुत दृश्य मेरे सामने है। भव्य है, विराट है, विहंगम है। और ये आज का ये जो अवसर है, इसके पीछे जो कल्पना है, और आज हमारी आंखों के सामने उस सपने को साकार होते हुए देख रहे हैं, तब मुझे एक प्रसिद्ध कविता की पंक्तियां गुनगुनाने का मन करता है:-
नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई।
उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में फिर से नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
आज के ये दिव्य और भव्य ‘भारत मंडपम’ उसे देख करके हर भारतीय खुशी से भर रहा है, आनंदित है, और गर्व महसूस कर रहा है। ‘भारत मंडपम’ आह्वान है भारत के सामर्थ्य का, भारत की नई ऊर्जा का। ‘भारत मंडपम’ दर्शन है, भारत की भव्यता का और भारत की इच्छाशक्ति का। कोरोना के कठिन काल में जब हर तरफ काम रुका हुआ था, हमारे देश के श्रमजीवियों ने दिन-रात मेहनत करके इसका निर्माण पूरा किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मंडपम देश-विदेश के बड़े-बड़े exhibitors को मदद करेगा। भारत मंडपम देश में कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का बहुत बड़ा जरिया बनेगा। भारत मंडपम हमारे स्टार्टअप्स की शक्ति को शो-केस का माध्यम बनेगा। भारत मंडपम हमारे सिनेमा-जगत, हमारे आर्टिस्ट्स की परफॉर्मेंस का साक्षी बनेगा। भारत मंडपम हमारे हस्तशिल्पियों, कारीगरों-बुनकरों के परिश्रम को प्लेटफॉर्म देने का एक महत्‍वपूर्ण माध्‍यम बनने वाला है और भारत मंडपम आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल अभियान का प्रतिबिंब बनेगा। यानि इकोनॉमी से इकोलॉजी तक, ट्रेड से टेक्‍नोलॉजी तक, ऐसे हर आयोजन के लिए ये विशाल परिश्रम और ये विशाल परिसर, ये भारत मंडपम बहुत बड़ा मंच बनेगा।

सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत मंडपम जैसी इस व्यवस्था का निर्माण कई दशक पहले हो जाना चाहिए था। लेकिन शायद मुझे लगता है, बहुत सारे काम मेरे हाथ में ही लिखे हुए हैं। और हम देखते हैं, दुनिया में किसी देश में अगर एक ओलंपिक समिट होता है, पूरी दुनिया में उस देश का प्रोफाइल एकदम से बदल जाता है। आज ये विश्‍व में इन चीजों का महात्‍मय बहुत बड़ा हो गया है और देश का प्रोफाइल भी बहुत मायने रखता है। और ऐसी ही व्‍यवस्‍थाएं हैं जो कुछ न कुछ उसमें वैल्यू एडिशन करती हैं। लेकिन हमारे देश में कुछ अलग सोच के लोग भी हैं। नकारात्मक सोच वालों की कोई कमी तो है नहीं हमारे यहां। इस निर्माण को रोकने के लिए भी नकारात्मक सोच वालों ने क्या-क्या कोशिशें नहीं की। खूब तूफान मचाया गया, अदालतों के चक्कर काटे गए। लेकिन जहां सत्‍य होता है, वहां ईश्‍वर भी होता है। लेकिन अब ये सुंदर परिसर आपकी आंखों के सामने मौजूद है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत आज वो हासिल कर रहा है, जो पहले अकल्पनीय था, कोई सोच भी नहीं सकता था। विकसित होने के लिए हमें बड़ा सोचना ही होगा, बड़े लक्ष्य हासिल करने ही होंगे। इसलिए “Think Big, Dream Big, Act Big” के सिद्धांत को अपनाते हुए भारत आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। और कहा भी गया है- इतने ऊंचे उठो कि, जितना उठा गगन है। हम पहले से बड़ा निर्माण कर रहे हैं, हम पहले से बेहतर निर्माण कर रहे हैं, हम पहले से तेज गति से निर्माण कर रहे हैं। पूर्व से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक, भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर बदल रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा Solar Wind Park आज भारत में बन रहा है। दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज आज भारत में है। 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी टनल आज भारत में है। दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड आज भारत में है। दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम आज भारत में है। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा आज भारत में है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल-रोड ब्रिज भी भारत में है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां ग्रीन हाइड्रोजन पर इतना बड़ा काम हो रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश का विकास तभी हो सकता है, जब नियत साफ हो, नीति सही हो, देश में सार्थक परिवर्तन लाने के लिए उपयुक्‍त नीति हो। भारत की प्रेसिडेंसी के दौरान, पूरे देश में हो रहे जी-20 के आयोजन भी इसका एक प्रेरक उदाहरण हैं। हमने जी-20 को सिर्फ एक शहर, एक स्थान तक सीमित नहीं रखा। हम जी-20 की बैठकों को देश के 50 से ज्यादा शहरों में ले गए। हमने इसके माध्यम से भारत की विविधता को शोकेस किया है। हमने दुनिया को दिखाया कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति क्या है, भारत की विरासत क्या है। विविधताओं के बीच भी भारत किस प्रकार से प्रगति कर रहा है। भारत किस प्रकार से विविधता को सेलिब्रेट करता है।आज दुनिया भर से लोग इन आयोजनों में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं। G-20 की बैठकों के लिए अनेक शहरों में नई सुविधाओं का निर्माण हुआ, पुरानी सुविधाओं का आधुनिकीकरण हुआ। इससे देश का फायदा हुआ, देश के लोगों का फायदा हुआ। और यही तो सुशासन है। नेशन फर्स्ट, सिटीज़न फर्स्ट की भावना पर चलते हुए ही हम भारत को विकसित भारत बनाने वाले हैं।

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