चीन की दादागिरी और उसकी विस्तारवादी नीति से भारत सहित उसके कई पड़ोसी देश परेशान है। लद्दाख हो या दक्षिण चीन सागर चीन अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहा है। दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधि ऐसे समय हो रही है, जब उसकी और भारत की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में तीन महीने से अधिक समय से तनातनी चली आ रही है। ऐसे में चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत ने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिया है। अब वियतनाम और भारत साथ आ रहे हैं। दोनों देश मिलकर चीन और पाकिस्तान की नापाक दोस्ती को करारा जवाब दे सकते हैं।
रणनीतिक साझेदारी को अधिक व्यापक बनाने का फैसला
भारत और वियतनाम के बीच मंगलवार शाम को हुई साझा बातचीत में चीन की बढ़ती क्षेत्रीय दादागिरी एक अहम मुद्दा थी। दोनों देशों ने संयुक्त आयोग की 17वीं बैठक के दौरान आपसी रणनीतिक साझेदारी को अधिक व्यापक और गहरा बनाने का फैसला किया। विदेश मंत्री एस जय शंकर और वियतनाम के उप- प्रधानमंत्री फाम बिन मिन्ह के बीच हुई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अपने रणनितक संबंधों को नाभिकीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, समुद्री प्रौद्योगिकी, नई तकनीक आदि क्षेत्रों में बढ़ाने का फैसला किया।
I co-chaired the 17th Meeting of Joint Commission today. With FM @DrSJaishankar we worked on new measures & orientations for the Comprehensive Strategic Partneship, looking forward to the #VietNamIndia50 in 2022. pic.twitter.com/cCZbgjErey
— PhamBinhMinh (@FMPhamBinhMinh) August 25, 2020
भारत के विदेश सचिव से मिले वियतनाम के राजदूत
बताया जा रहा है कि पिछले शुक्रवार को वियतनाम के राजदूत फाम सान्ह चाउ ने भारतीय विदेश सचिव हर्ष वर्द्धन श्रृंगला से मुलाकात करके साउथ चाइना सी में बढ़ते तनाव के बारे में बताया था। चीन ने दक्षिण चीन सागर में वियतनाम से सटे वूडी द्वीप पर अपना बेहद घातक बमवर्षक विमान एच-6 जे तैनात किया है। इससे वियतनाम काफी खफा है। वियतनाम ने कहा कि यह बॉम्बर न केवल वियतनाम की संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्र में शांति के लिए संकट पैदा कर सकता है।
भारत से संपर्क साधकर वियतनाम ने चीन को दिया संदेश
वियतनाम के राजदूत की यह मुलाकात काफी मायने रखती है। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स डिफेंस फोर्स अकादमी में प्रफेसर कार्लेयले थायर ने कहा कि वियतनाम ने बमवर्षक विमान तैनात करने की जानकारी भारत को दी है। वियतनाम चीन के खिलाफ राजनीतिक समर्थन जुटाना चाहता है। वियतनाम के विदेशी मामलों के जानकार हूयंच ताम सांग ने कहा कि भारत के साथ संपर्क साधकर वियतनाम ने यह दिखा दिया है कि उसे भारत का न केवल समर्थन हासिल है बल्कि वह खुद भी साउथ चाइना सी में मुक्त आवागमन के भारत के मांग का समर्थन करता है।
चीन-पाकिस्तान को जवाब है भारत-वियतनाम दोस्ती
सांग ने कहा कि भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों की मजबूती ठीक समय पर चीन को संदेश देगा। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय में शोधकर्ता मोहन मलिक ने कहा कि भारत और वियतनाम की दोस्ती चीन और पाकिस्तान के रिश्ते का जवाब है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से चीन और पाकिस्तान भारत के खिलाफ आपस में समन्वय करते हैं और सैन्य कदम उठाते हैं, उसी तरह से नई दिल्ली और हनोई एक-दूसरे को ड्रैगन के खिलाफ जानकारी देने लगे हैं। जिस तरह से पाकिस्तान चाहता है कि चीन हिंद महासागर में अपनी मजबूत सैन्य उपस्थिति करे, उसी तरह से वियतनाम चाहता है कि भारतीय नौसेना साउथ चाइना सी में अपनी उपस्थिति बढ़ाए।
दक्षिण चीन सागर में भारत की बढ़ेगी भूमिका
भारत और वियतनाम दोनों ही रूसी हथियारों पर काफी हद तक निर्भर हैं। इस क्षेत्र में वे आपस में मदद कर सकते हैं। मोहन मलिक के मुताबिक भारत और वियतनाम आपस में चीनी नेवी के बारे में खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान करके एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। भारत वियतनाम के तेल क्षेत्र में मदद कर रहा है। भारत दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस निकालने में अपनी भूमिका को और ज्यादा बढ़ा सकता है। भारत और वियतनाम के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा एवं सैन्य संबंधों में काफी वृद्धि हुई है।