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मोबाइल डाटा स्पीड में भारत की लंबी छलांग, रूस-अर्जेंटीना को छोड़ा पीछे, 49वें पायदान पर पहुंचा देश

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस डिजिटल इंडिया का सपना देखा है, उसको साकार करने की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश दूरसंचार और मोबाइल डाटा के इस्तेमाल में एक के बाद एक उपलब्धि हासिल कर रहा है। भारत में 5जी रॉकेट की स्पीड से दौड़ रहा है। स्पीड टेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में भारत की स्थिति बेहतर होती जा रही है। आज देश में मोबाइल डाटा की डाउनलोड रफ्तार 115 प्रतिशत बढ़ गई है। पिछले साल सितंबर में 13.87 एमबीपीएस थी, जो जनवरी में 29.85 एमबीपीएस रही। अब भारत जी-20 देशों जैसे रूस, अर्जेंटीना, पाकिस्तान, बांग्लादेश व इंडोनेशिया सहित अन्य देशों से आगे निकल गया है।

स्पीड टेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में 20 स्थानों की छलांग

नेटवर्क की स्पीड टेस्ट करने वाली साइट ऊकला की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पीड टेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में भारत जनवरी 2023 में 69वीं पायदान पर था लेकिन अब 5-जी की वजह से भारत 49वें स्थान पर पहुंच गया है। सितंबर, 2022 में यह 118वें स्थान पर था। रिलायंस जियो और एयरटेल 5जी स्पीड की तुलना करते हुए रिपोर्ट में बताया है कि जनवरी 2023 में जियो 5जी सेवा को इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को हिमाचल प्रदेश में 246.49 एमबीपीएस की औसत डाउनलोड गति मिली। वहीं, कोलकाता में 506.25 एमबीपीएस तक की रफ्तार दर्ज की गई।

स्पीड टेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में कई देशों से आगे निकला भारत 

भारत अब कई जी20 देशों से इस लिस्ट में आगे आ गया है जिसमें मेक्सिको, रूस और अर्जेंटिना के साथ ही भारत के पड़ोसी देश जैसे इंडोनेशिया, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अब भारत तुर्कीये, साउथ अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों के साथ मुकाबले में हैं। तुर्किये में औसत डाउनलोड स्पीड 30.98 एमबीपीएस है, और देश 65वें स्थान पर है। वहीं, साउथ अफ्रीका में यह 34.71 एमबीपीएस है और यह 58वें स्थान पर है। जबकि ब्रजील में यह स्पीड 35.85 एमबीपीएस है और यह 57वें स्थान पर है।

औसत डाउनलोड स्पीड में क्षेत्रीय असंतुलन हुआ कम 

ऊकला की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5जी सर्विस में काफी क्षेत्रीय असंतुलन था। शुरुआत में जब 5जी सर्विसेज लॉन्च की गई थीं उस समय यूजर्स को 5जी डिवाइसेज पर स्पीड में अलग अलग क्षेत्रों के हिसाब से बड़ा अंतर देखने को मिल रहा था। उदाहरण के लिए उस वक्त गुजरात में औसत डाउनलोड स्पीड 512.57 एमबीपीएस थी, जबकि उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में यह केवल 19.23 एमबीपीएस थी। लेकिन जनवरी 2023 तक आते आते लगभग सभी टेलीकॉम सर्कलों में यह 200 एमबीपीएस के करीब पहुंच चुकी है। हालांकि इसमें जम्मू-कश्मीर और कोलकाता में अभी भी बड़ा अंतर बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर और कोलकाता में औसत डाउनलोड स्पीड 500 एमबीपीएस के करीब है।

आइए देखते हैं मोदी सरकार में भारत किस तरह टेलीकॉम टेक्नोलॉजी में ग्लोबल स्टैंडर्ड तय कर रहा है…

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5G के लॉन्च करते समय कहा था कि भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है। 5G के साथ भारत पहली बार टेलीकॉम टेक्नोलॉजी में ग्लोबल स्टैंडर्ड तय कर रहा है। उन्होंने कहा था कि 5G को लेकर भारत के प्रयासों का एक और संदेश है। नया भारत, टेक्नोलॉजी का सिर्फ़ कंज्यूमर बनकर नहीं रहेगा बल्कि भारत उस टेक्नोलॉजी के विकास में, उसके इंप्लीमेंटेशन में सक्रिय भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही भविष्य की वायरलेस टेक्नोलॉजी को डिजाइन करने में, उससे जुड़ी मैन्यूफैक्चरिंग में भारत की बड़ी भूमिका होगी। पीएम मोदी कहा था कि आज की तेजी से बदलती दुनिया में भारत को शीर्ष पर चढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा। इस स्थान पर हमारा अधिकार है। भारत और भारतीय इससे कम पर समझौता नहीं कर सकते। भारत चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करेगा।

डिजिटल इंडिया अभियान की यह बहुत बड़ी सफलता है

प्रधानमंत्री मोदी ने 5जी के लांच एवं इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर कहा कि 2G, 3G, 4G के समय भारत टेक्नॉलजी के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा, लेकिन 5G के साथ भारत ने नया इतिहास रच दिया है। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाला हर व्यक्ति इस बात को समझ रहा है कि 5G, इंटरनेट का पूरा आर्किटेक्चर बदल कर रख देगा। उन्होंने कहा, ”भारत के युवाओं के लिए आज 5G बहुत बड़ा अवसर लेकर आया है। मुझे खुशी है कि विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा हमारा देश, दुनिया के अन्य देशों के साथ किस तरह कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। ये भारत की बहुत बड़ी सफलता है, डिजिटल इंडिया अभियान की बहुत बड़ी सफलता है।”

डिजिटल इंडिया की सफलता के लिए 4 Pillars पर फोकस

पीएम मोदी ने कहा कि जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं तो कुछ लोग समझते हैं कि ये सिर्फ एक सरकारी योजना है। लेकिन डिजिटल इंडिया सिर्फ एक नाम नहीं है, ये देश के विकास का बहुत बड़ा विजन है। इस विजन का लक्ष्य है उस टेक्नॉलजी को आम लोगों तक पहुंचाना, जो लोगों के लिए काम करे और लोगों के साथ जुड़कर काम करे। उन्होंने कहा, ”मुझे याद है, जब मोबाइल सेक्टर से जुड़े इस विजन के लिए स्ट्रैटजी बनाई जा रही थी, तो मैंने कहा था कि हमारी अप्रोच टुकड़ों-टुकड़ों में नहीं बल्कि होलिस्टिक होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया की सफलता के लिए जरूरी था कि वो इस सेक्टर के सभी आयामों को एक साथ कवर करे। इसलिए हमने 4 Pillars पर, चार दिशाओं में एक साथ फोकस किया। पहला, डिवाइस की कीमत दूसरा, डिजिटल कनेक्टिविटी तीसरा, डेटा की कीमत चौथा, और सबसे जरूरी, ‘digital first’ की सोच।

डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ ही डेटा की कीमत भी अहम

डिजिटल कनेक्टिविटी और डेटा की कीमत पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ ही डेटा की कीमत भी उतनी ही अहम हो जाती है। ये डिजिटल इंडिया का तीसरा पिलर था, जिस पर हमने पूरी शक्ति से काम किया। हमने टेलीकॉम सेक्टर के रास्ते में आने वाली तमाम अड़चनों को हटाया। पहले विजन की कमी और पारदर्शिता के अभाव में टेलीकॉम सेक्टर को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। आप परिचित हैं कि कैसे हमने 4G तकनीक के विस्तार के लिए नीतिगत सपोर्ट दिया। इससे डेटा की कीमत में भारी कमी आई और देश में डेटा क्रांति का जन्म हुआ। देखते ही देखते ये तीनों फैक्टर, डिवाइस की कीमत, डिजिटल कनेक्टिविटी और डेटा की कीमत – इसका मल्टीप्लायर अफेक्ट हर तरफ नजर आने लगा।

देश में ‘digital first’ की सोच विकसित हुई

पीएम मोदी ने कहा था कि इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण काम हुआ और वह है देश में ‘digital first’ की सोच विकसित हुई। एक वक्त था जब इलीट क्लास के कुछ मुट्ठी भर लोग गरीब लोगों की क्षमता पर संदेह करते थे। उन्हें शक था कि गरीब लोग डिजिटल का मतलब भी नहीं समझ पाएंगे। लेकिन मुझे देश के सामान्य मानवी की समझ पर, उसके विवेक पर, उसके जिज्ञासु मन पर हमेशा भरोसा रहा है। उन्होंने कहा, ”मैंने देखा है कि भारत का गरीब से गरीब व्यक्ति भी नई तकनीकों को अपनाने में आगे रहता है। सिर्फ देश के इलीट क्लास के कुछ लोगों को ही हमारे गरीब भाई-बहनों पर यकीन नहीं था। हम ‘digital first’ के अप्रोच के साथ आगे बढ़ने में कामयाब हुए। सरकार ने खुद आगे बढ़कर डिजिटल पेमेंट्स का रास्ता आसान बनाया। सरकार ने खुद ऐप के जरिए citizen-centric delivery service को बढ़ावा दिया। बात चाहे किसानों की हो, या छोटे दुकानदारों की, हमने उन्हें ऐप के जरिए रोज की जरूरतें पूरी करने का रास्ता दिया।

टेक्नोलॉजी सही मायने में लोकतांत्रिक हुई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज टेक्नॉलजी सही मायने में लोकतांत्रिक हो गई है। आपने भी देखा है कि ‘digital first’ की हमारी अप्रोच ने कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में देश के लोगों की कितनी मदद की। दुनिया के बड़े-बड़े विकसित देश जब अपने नागरिकों की मदद करने में संघर्ष कर रहे थे, भारत एक क्लिक पर हजारों करोड़ रुपए उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर रहा था। उन्होंने कहा कि ये डिजिटल इंडिया की ही ताकत थी कि जब दुनिया थमी हुई थी, तो भी हमारे बच्चे ऑनलाइन क्लासेस ले रहे थे। अस्पतालों के सामने असाधारण चुनौती थी, लेकिन डॉक्टर्स अपने मरीजों का इलाज टेली-मेडिसिन के जरिए भी कर रहे थे। ऑफिसेस बंद थे, लेकिन वर्क फ्राम होम चल रहा था। आज हमारे छोटे व्यापारी हों, छोटे उद्यमी हों, लोकल कलाकार और कारीगर हों, डिजिटल इंडिया ने सबको मंच दिया है, बाजार दिया है। आज आप किसी लोकल मार्केट में या सब्जी मंडी में जाकर देखिए, रेहड़ी-पटरी वाला छोटा दुकानदार भी आपसे कहेगा, कैश नहीं ‘UPI’ कर दीजिए। ये बदलाव बताता है कि जब सुविधा सुलभ होती है तो सोच किस तरह सशक्त हो जाती है।

सरकार के प्रयासों से भारत में डेटा की कीमत बहुत कम

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि टेलीकॉम सेक्टर में जो क्रांति देश देख रहा है, वो इस बात का सबूत है कि अगर सरकार सही नीयत से काम करे, तो नागरिकों की नियति बदलने में देर नहीं लगती। भारत आज दुनिया के उन देशों में है जहां डेटा इतना सस्ता है। पहले 1GB डेटा की कीमत जहां 300 रुपए के करीब होती थीं, वहीं आज 1GB डेटा का खर्च केवल 10 रुपए तक आ गया है। आज भारत में महीने भर में एक व्यक्ति मोबाइल पर करीब-करीब 14 GB डेटा इस्तेमाल कर रहा है। 2014 में इसी 14 GB डेटा की कीमत होती थी करीब 4200 रुपए प्रति महीना। आज इतना ही डेटा सवा सौ रुपए, डेढ़ सौ रुपए में मिल जाता है। यानि आज गरीब के, मध्यम वर्ग के मोबाइल डेटा के करीब करीब 4 हजार रुपए हर महीने बच रहे हैं। हमारी सरकार के प्रयासों से भारत में डेटा की कीमत बहुत कम बनी हुई है। ये बात अलग है कि हमने इसका हल्ला नहीं मचाया, बड़े-बड़े विज्ञापन नहीं दिए। हमने फोकस किया कि कैसे देश के लोगों की सहूलियत बढ़े, ईज आफ लिविंग बढ़े।

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