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इंडी अलायंस पहली परीक्षा में फेल, बीजेपी ने चुनावों में धूल चटाया, अब INDI Alliance की 6 दिसंबर को बैठक

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इंडी अलायंस को बीजेपी ने धूल चटा दिया है। भाजपा को मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान के व‍िधानसभा चुनाव में म‍िले प्रचंड बहुमत के बाद व‍िपक्ष के गठबंधन INDI Alliance का भव‍िष्‍य भी अंधकारमय हो गया है। INDI Alliance के गठन के बाद यह पहला चुनाव था। विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल आने के बाद जहां सुबह से कांग्रेस के दफ्तरों में ढोल नगाढ़े बजने के साथ जो लड्डू बटने का स‍िलस‍िला शुरू हुआ वो पहले रुझान आने के बाद ही थम गया। लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए तीन राज्‍यों में भाजपा की इस प्रचंड जीत के कई मायने हैं। इस बीच INDI Alliance ने लोकसभा चुनाव से संबंधित रणनीति बनाने के लिए 6 दिसंबर को बैठक करने जा रही है। INDI Alliance ने खास रणनीति के तहत 6 दिसंबर का दिन चुना है। 6 दिसंबर वही दिन है जब 1992 को राम भक्तों ने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर अवैध बाबरी ढांचा को ध्वस्त कर दिया था। इससे साफ हो जाता है कि इंडी अलायंस आज भी राम के साथ नहीं है बल्कि मुगल आक्रांता बाबर के साथ खड़ा है। जिस मुस्लिम तुष्टिकरण को जनता ने चुनावों में नकार दिया ये उसी नीति पर चलकर अगले चुनाव में जाना चाहते हैं। इससे साफ है लोकसभा चुनाव 2024 में भी इनके सपने को बड़ा झटका लगने वाला है। देखना यह भी होगा कि पिछली बैठक में जिस यूनाइटेड वी स्टैंड का नारा दिया था अब वह कितना यूनाइटेड रह पाते हैं।

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए INDI Alliance की बैठक 6 दिसंबर को
INDI Alliance की चौथी बैठक 6 दिसंबर को दिल्ली में होगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष के सभी 28 दलों को मीटिंग के लिए बुलाया है। पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम) में चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी दलों की यह पहली बैठक है। इस बैठक में चुनाव नतीजों पर मंथन किया जाएगा। माना जा रहा है कि विपक्षी नेता चुनाव से पहले भाजपा से मुकाबला करने की अपनी योजना पर चर्चा करेंगे और उसे अंतिम रूप देंगे। लेकिन इसमें सबसे खास है बैठक के लिए दिन का चुनाव। 26 दिसंबर को ही राम भक्तों ने रामजन्मभूमि पर बने अवैध बाबरी ढांचे को गिरा दिया था। बैठक के 6 दिसंबर का दिन चुनकर INDI Alliance ने मुसलमानों को खुश करने की चाल चली है। इसके साथ ही उसने 80 फीसदी हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का काम किया है।

सेमीफाइनल में एकजुट नहीं, फाइनल में भाजपा से कैसे मुकाबला कर पाएगी?
विपक्षी गठबंधन की बैठक 6 दिसंबर को जरूर बुलाई गई है लेकिन क्या विपक्ष वाकई एकजुट हो पाएगा। पांच राज्यों के चुनाव में तो एकता कहीं दिखाई नहीं दी। जब सेमीफाइनल मैच में ही विपक्ष एकजुट नहीं हो पाई तो फाइनल मैच में वो भाजपा से कैसे मुकाबला कर पाएगी? यह एक अहम सवाल है। सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से सीट शेयरिंग का फ़ॉर्मूला तय करने वाली थी लेकिन अब यह मुमकिन नहीं हो पाएगा। कांग्रेस ने जिस हिसाब से विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत का दावा किया था, वह जमीनी तौर पर फेल हो गया। इसलिए अब इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के हिसाब से ही कांग्रेस को चुनावी रणनीति बनानी होगी।

विधानसभा के चुनावी नतीजे आने के बाद बिखरा विपक्ष
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि छह दिसंबर को होने जा रही इंडिया गठबंधन की इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस हिस्सा नहीं लेगी। तृणमूल कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि कांग्रेस ने छह दिसंबर को नई दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई है। जिस तरह से इंडी अलायंस को कांग्रेस ने हाईजैक कर लिया है उससे समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन नाराज बताए जा रहे हैं।

ममता बनर्जी ने कहा- यह कांग्रेस की हार है, लोगों की नहीं
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने तीन राज्यों में कांग्रेस की हार पर हमला बोला है। ममता ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी गठबंधन INDI Alliance के सदस्यों के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था की कमी के कारण तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हारी है। ममता के बयान के बाद इंडिया गठबंधन पर भी सवाल उठने लगे हैं। ममता ने विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह कांग्रेस की हार है, लोगों की नहीं। कांग्रेस ने तेलंगाना जीत लिया है। वे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जीत सकते थे। कुछ वोट विपक्षी गठबंधन INDI Alliance की पार्टियों ने काटे। यह सच है। हमने सीट-बंटवारे की व्यवस्था का सुझाव दिया था। वोटों के बंटवारे के कारण कांग्रेस हार गई।

इंडी अलायंस का चेहरा बनने को लेकर हो रही जूतम पैजार
टीएमसी सांसद और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा, ”जनता तय करेगी कि चेहरा ममता बनर्जी होगा या राहुल गांधी या अरविंद केजरीवाल या उद्धव ठाकरे…अगर आपको लगता है कि बीजेपी की यह जीत पश्चिम बंगाल में दिखाई देगी , तो मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि बंगाल का चुनाव बंगाल के मुद्दों पर लड़ा जाएगा – छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश या राजस्थान में जो हुआ उस पर नहीं…”।

कांग्रेस की हार पर जदयू का तंज, नीतीश से ही लगेगा I.N.D.I.A का बेड़ा पार
पांच राज्‍यों में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है। इसे देखते हुए INDI Alliance के नेतृत्व पर एक फिर बहस छिड़ गई है। नीतीश कुमार की पार्टी के नेता ने तीन राज्‍यों में चुनाव हारने पर कांग्रेस को नसीहत दे डाली है। जदयू के प्रदेश महासचिव निखिल मंडल ने कहा कि I.N.D.I.A को अब नीतीश कुमार के अनुसार चलना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त होने की वजह से ‘इंडी अलायंस’पर ध्यान नहीं दे पा रही थी। अब तो कांग्रेस चुनाव भी लड़ लि‍या और परिणाम भी सामने है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जहां INDI Alliance के दलों में गठबंधन नहीं हो पाया था वे अलग-्अलग चुनाव लड़ रहे थे। इंडी अलायंस के गठन के बाद से ही दलों में मतभेद रहे हैं और एक-दूसरे को नीचा दिखाते रहे हैं। इस पर एक नजर- 

बेंगलुरू में नीतीश के खिलाफ लगे पोस्टर, अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार’
पटना के बाद इंडी अलायंस की दूसरी बैठक कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में 17-18 जुलाई को हुई। इस मीटिंग के समय भी कुछ ऐसा हुआ जो नीतीश कुमार के सियासी कद को कतरने जैसा था। बेंगलुरु की सड़कों पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिए पोस्टर लगाए गए जिनमें नीतीश को ‘अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार’ बताया गया था। कहां तो उन्हें संयोजक बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन यहां तो उन्हें टारगेट किया गया। शायद यही वजह रही जो नीतीश कुमार मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे। वे पहले ही मीटिंग से निकलकर पटना के लिए रवाना हो गए। यह कांग्रेस की बुरी नीयत को दर्शाता है।

सुखपाल खैरा की गिरफ्तारी I.N.D.I. Alliance के टूटने की शुरुआत
पंजाब में कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी के बाद विपक्षी गठबंधन I.N.D.I. Alliance में दरार आने की अटकलें तेज हो गई। दरअसल, पंजाब में आम आदमी पार्टी यानी AAP की सरकार है। इंडी अलायंस में आप और कांग्रेस एक दूसरे के पार्टनर भी हैं। ऐसे में पंजाब में कांग्रेस विधायक की गिरफ्तारी के बाद दोनों पार्टियां एक दूसरे के आमने-सामने आ गई हैं। सुखपाल सिंह खैरा को सात साल पुराने एक मामले में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मामले को लेकर विपक्षी गठबंधन पर असर दिख सकता है।

दिल्ली में कांग्रेस सभी लोकसभा सीट लड़ेगी, AAP ने कहा- I.N.D.I. Alliance बनाने का औचित्य ही क्या है?
दिल्ली में कांग्रेस की एक बैठक के बाद पार्टी के नेताओं ने संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने की तरफ से दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर मजबूत तैयारी करने के निर्देश मिले हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के मूड में नहीं है और दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर लड़ना चाहती है। कांग्रेस नेताओं के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी ने इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो I.N.D.I. Alliance बनाने का औचित्य ही क्या है? आम आदमी पार्टी नेता विनय मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं का ये बहुत हैरान करने वाला बयान है। ऐसे बयानों के बाद गठबंधन का क्या मतलब रह जाता है?

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को दिखाया ठेंगा
मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ सीटों को लेकर समझौता करने से इनकार कर दिया। 230 सदस्यों वाली मध्यप्रदेश विधानसभा की पहली लिस्ट में कांग्रेस ने उन पांच सीटों पर भी कैंडिडेट उतार दिया, जहां समाजवादी पार्टी दावा कर रही थी। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की ओर से 2018 में जीती गई सीट बिजावर से भी चरण सिंह यादव को टिकट थमा दिया। 2018 में समाजवादी पार्टी के राजेश कुमार 67 हजार के अधिक वोटों से बिजावर सीट पर जीत दर्ज की थी। 

मप्र में कांग्रेस, सपा और AAP आमने-सामने
विपक्षी पार्टियों ने इंडी अलायंस तो बना लिया लेकिन विधानसभा चुनावों में यहीं पार्टियां एक-दूसरे का पत्ता काटने में लगी हुई थी। मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे के सामने खड़े थे। इन तीनों पार्टियों में प्रदेश स्तर पर कोई गठबंधन नजर नहीं आया। यहां सभी पार्टियां एक-दूसरे की कमियां गिनाने में लग हुई थीं। लिहाजा ये दल एक दूसरे के खिलाफ ही चुनाव लड़ रहे थे। 

विपक्ष के हर दल में प्रधानमंत्री उम्मीदवार

कांग्रेस पार्टी जहां राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार बताती रही है और उसकी कोशिश है कि सभी विपक्षी दल इस पर सहमति दे दें। वहीं सभी विपक्षी दल के नेताओं में पीएम उम्मीदवार बनने की महत्वाकांक्षा है। विपक्षी गठबंधन में एकता नहीं हो पाने की एक सबसे बड़ी वजह यही है। पीएम उम्मीदवार बनने की चाहत रखने वाले कुछ नेताओं पर एक नजर-

नीतीश कुमार

वर्ष 2013 से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के सपने संजोने वाले बिहार के मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन की पहल की थी और शुरुआत में दलों को एकजुट किया। जेडीयू के विधायक, पदाधिकारी भी नीतीश को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने के लिए खुले मंचों से दावा पेश करते रहे हैं। वर्ष 2016 में नीतीश कुमार ने ‘आरएसएस मुक्त भारत’ का नारा दिया था। हालांकि, बाद में वे भाजपा के साथ हो गए। अब भाजपा का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार फिर भाजपा-आरएसएस के खिलाफ हैं तथा विपक्षी एकता की बात करते दिख रहे हैं। उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा उनका पलटूराम चरित्र उनकी विश्वनीयता है।

चंद्रशेखर राव (केसीआर)

केसीआर भी पूर्व में अरविन्द केजरीवाल से लेकर नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी जैसे विपक्ष के नेताओं से मिल चुके हैं। इसी प्रयास के तहत कुछ माह पहले चंद्रशेखर राव द्वारा ने अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति से बदल कर भारत राष्ट्र समिति कर दिया। केसीआर स्वयं को तेलंगाना तक ही सीमित नहीं रखना चाहते थे। वे राष्ट्रीय स्तर के नेता की छवि बनाना चाहते थे लेकिन अब विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की हार हुई है और वे अब मुख्यमंभत्री की कुर्सी भी गंवा बैठे हैं। 

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी स्वयं को मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर स्थापित करने की होड़ में कांग्रेस के साथ जाने से बचती हैं। टीएमसी के कई नेता ममता बनर्जी को पीएम उम्मीदवार के लिए योग्य बता चुके हैं। टीएमसी सांसद सौगत रॉय अगस्त 2022 में मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी विपक्ष की तरफ से पीएम पद की दावेदार हो सकती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को एकजुट होना होगा।

अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल भी 2024 में पीएम दावेदार के तौर पर अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। केजरीवाल अभी खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन इंडी अलायंस में उनको ज्यादा भाव मिल नहीं रहा है। दूसरी तरफ शराब घोटाले में उनका नाम आ चुका है और कयास लगाए जा रहे हैं उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। 

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