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सच हो गई पीएम मोदी की भविष्यवाणी, कहा था – पूरे राजस्थान के लोग लिखकर रख लें, अब अशोक गहलोत कभी नहीं बनेंगे मुख्यमंत्री

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राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद अशोक गहलोत अब निवर्तमान मुख्यमंत्री बन चुके हैं। उनके लोकलुभावन वादे और रेवड़ियां बांटने के बावजूद बीजेपी की प्रचंड जीत ने साबित कर दिया है कि देश में मोदी लहर कायम है। जनता पर प्रधानमंत्री मोदी का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। उनके सामने अशोक गहलोत का जादू नहीं चला है। 199 सीटों के लिए हुए चुनाव में जहां बीजेपी के वोट शेयर में करीब तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 115 सीटें मिली हैं, वहीं कांग्रेस को 70 सीटों से संतोष करना पड़ा है। इसी बीच अशोक गहलोत के बारे में की गई प्रधानमंत्री मोदी की भविष्यवाणी सच साबित हुई है, जिसकी अब खूब चर्चा हो रही है।

मावजी महाराज की धरती से बोले गए शब्द कभी गलत नहीं हो सकते- पीएम मोदी

दरअसल 22 नवंबर, 2023 को डूंगरपुर में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जनता जनार्दन लिखकर रख लें कि अशोक गहलोत इस चुनाव के बाद तो मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, आगे भी कभी इस पद पर नहीं बैठेंगे। इस धरती को सटीक भविष्यवाणी के लिए मावजी महाराज का आशीर्वाद मिला है। यह भूमि मावजी के तपस्या की भूमि है। यहां की भविष्यवाणी 100 प्रतिशत सच निकलती है। मैं मावजी महाराज को प्रणाम करते हुए एक भविष्यवाणी करने की हिम्मत कर रहा हूं। मेरी नहीं है, इस पवित्र धरती की ताकत है कि मेरे मन में विचार आया है, इसलिए हिम्मत कर रहा हूं। पूरे राजस्थान के लोग लिखकर रख लें, इस बार तो नहीं, अब राजस्थान में कभी भी अशोक गहलोत की सरकार नहीं बनेगी। ये मावजी महाराज की धरती से बोले गए शब्द हैं। मावजी महाराज की धरती से बोले गए शब्द कभी गलत नहीं हो सकते हैं।

पीएम मोदी को सियासत के साथ ही जनता के नब्ज को पकड़ने में महारत 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रचारक और संगठनकर्ता के रूप में सांसारिक चुनौतियों से साक्षात्कार किया। इसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री और दुनिया के सर्वमान्य नेता बनने तक एक लंबी यात्रा तय की है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में जहां उन्हें शासन संचालन का अनुभव प्राप्त हुआ है, वहीं गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों की पीड़ा को समझने, उनकी सेवा करने का मौका मिला है। इस सेवा का परिणाम है कि उन्हें देश की सियासत के साथ ही जनता के नब्ज को पकड़ने में महारत हासिल हो चुकी है। वे सियासी हवा के रूख और जनता के मूड को भलीभांति समझ लेते हैं। इसलिए उनकी सियासी भविष्यवाणियां सच साबित होती हैं। यूपी में मायावती-अखिलेश गठबंधन और राहुल-अखिलेश गठबंधन के बारे में की गई उनकी भविष्यवाणी को दुनिया ने देखा है।

माया-अखिलेश का परिणाम के 13वें दिन टूटा महागठबंधन

चुनाव प्रचार के दौरान जब पीएम मोदी कहा करते थे कि यह महागठबंधन नहीं बल्कि ठगबंधन है और चुनाव के बाद यह खटबंधन में बदल जाएगा तो किसी को विश्वास नहीं होता था। लेकिन चुनाव परिणाम आए 12 दिन ही हुए कि यूपी में महागठबंधन का इतिश्री हो गया। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीम मायावती ने समाजवादी पार्टी से महागठबंधन तोड़ने का एकतरफ ऐलान कर दिया। मायावती का घमंड देखिये उन्होंने इस ऐलान से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से विचार-विमर्श करना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित महागठबंधन तोड़ने के ऐलान के साथ अकेले उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। वहीं जब इस बारे में सपा अध्यक्ष से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भी अकेले उपचुनाव लड़ेगी। यूपी में महागठंबधन टूटने के साथ यह साबित हो गया है कि इन लोगों की कोई वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं है। बस ये लोग किसी तरह सत्ता हथियाने के फिराक में रहते हैं ताकि जनता और पदेश का बेड़ा गर्क किया जा सके

अखिलेश और राहुल की बनी जोड़ी, जो टूट गई

जब यूपी में विधानसभा चुनाव हुआ था, उस समय भी दो लड़कों का गठबंधन बना था। प्रधानमंत्री मोदी को रोकने के लिए अखिलेश और राहुल गांधी की जोड़ी मैदान में उतरे थे। लेकिन मोदी के आगे दोनों को मुंह की खानी पड़ी। मोदी के नेतृत्व में भाजपा को यूपी में इतना प्रचंड बहुमत मिला जो पहले कभी नहीं मिला था। भाजपा की जीती और यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सपा और कांग्रेस गठबंधन टूट गया। देश में जब भी अवसरवादी गठबंधन हुए हैं उसका अंत निराशाजनक ही हुआ है। 2019 लोकसभा चुनाव में एक तो महागठबंधन कोई आकार नहीं ले पाया, दूसरा जो गठबंधन हुए भी वे अवसरवादी निकले। अपने स्वार्थ के लिए किए गए गठबंधन की उम्र सपा-बसपा गठबंधन जैसी छोटी होती है।

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