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दिल्ली दंगा पीड़ितों को मुआवजा चाहिए तो दिखाने होंगे कागजात, केजरीवाल सरकार ने अखबारों में दिया विज्ञापन

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आम आदमी पार्टी को दूसरी बार दिल्ली की सत्ता में आए अभी महीना भी नहीं गुजरा है, लेकिन उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दोगलापन सामने आ गया है। जिस नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग जैसा देशविरोधी प्रदर्शन की साजिश रचकर दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता। जिस कानून के विरोध के नाम पर मुसलमानों को कागज नहीं दिखाने का नारा दिया। जिस कानून के विरोध के नाम पर अपने गुर्गे ताहिर हुसैन जैसे मुसलमानों को भड़का कर दिल्ली को जलाने का काम किया। वही केजरीवाल आज दंगा पीड़ितों को मुआवजा के लिए कागजात दिखाने का फरमान जारी कर दिया है। 

नागरिकता संशोधन कानून के बारे में देशभर में झूठ फैलाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। एक तरफ दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले यही आम आदमी पार्टी और उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से कहा था कि किसी को कोई प्रूफ दिखाने की जरूरत नहीं है, यहां रहने वाला हर व्यक्ति इस देश का नागरिक है। यही केजरीवाल और आप के नेता कहते थे कि उनके पास कागज नहीं हैं तो वे कागज कहां से दिखाएंगे? और आज जब दिल्ली की सत्ता में वापस आते ही अपने वादे से पलट गए हैं। यही केजरीवाल अब दंगापीडितों को मुआवजा लेने के लिए अपने कागजात दिखाने का फरमान जारी कर दिया है। इसके लिए बजाबते उन्होंने विज्ञापन निकाला है, जिसमें लिखा है कि दंगापीड़ितों को दिल्ली सरकार से मुआवजा लेने के लिए आधार कार्ड या फिर वोटर कार्ड दिखाना और उसकी छाया प्रति जमा कराना जरूरी है। 

दरअसल, दिल्ली हिंसा के मद्देनजर  ने दंगा पीड़ितों को मुआवजा देनेे का ऐलान किया गया है। इसके लिए बकायदा अखबारों में विज्ञानपन निकाले गए है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन में फॉर्म भरने वालों से फॉर्म के साथ आधार और वोटर कार्ड की कॉपी संलग्न करने को कहा गया है। यानि मुआवजे के लिए कागज दिखाने होंगे।  

अब सवाल उठता है कि क्या जो लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं वो मुआवजा लेने के लिए कागज दिखाएंगे या नहीं। आधार और वोटर कार्ड की कॉपी लगाने का फैसला केजरीवाल सरकार द्वारा किया गया है। 

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