तमिलनाडु की डीएमके सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने I.N.D.I. अलायंस के गठन की सच्चाई उजागर कर दी है। उनका एक वीडियो 11 सितंबर को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वह कह रहे हैं कि I.N.D.I. अलायंस सनातन धर्म से लड़ने के लिए बनाया गया है। पोनमुडी ने यह टिप्पणी उसी सम्मेलन में की जिसमें मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया, कोरोना और डेंगू जैसी बीमारियों से की थी। इस तरह पोनमुडी के बयान से विपक्षी गठबंधन के नापाक इरादे का खुलासा हुआ है। मुंबई में I.N.D.I. अलायंस की बैठक 31 अगस्त और 1 सितंबर को आयोजित की गई थी और इसके 24 घंटे के अंदर चेन्नई में 2 सितंबर को ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगला गया। इससे साफ जाहिर है विपक्षी दलों ने सुनियोजित तरीके से सनातन धर्म पर हमले की साजिश रची। दरअसल विपक्ष को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध करने का कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है। वहीं वैश्विक स्तर पर पीएम मोदी का बढ़ता कद उनके लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। इसीलिए अब उन्होंने अंग्रेजों का रास्ता चुना है। अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो’ नीति पर चलकर भारत पर 200 सालों तक राज किया। अंग्रेजों ने भी सनातन धर्म को खत्म करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अब विपक्षी दल भी अंग्रेजों की नीति पर चल रहे हैं। जनता इन देसी अंग्रेजों को अगले चुनाव में जरूर सबक सिखाएगी।
सनातन धर्म का विरोध करने में 26 विपक्षी दल एकजुट
सनातन धर्म के उन्मूलन को समर्पित उसी सम्मेलन में पोनमुडी ने इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म का विरोध करने की विचारधारा गठबंधन के भीतर एक साझा उद्देश्य था, जो इसके सदस्य दलों के बीच किसी भी आंतरिक मतभेद से परे था। उन्होंने आगे बताया कि गठबंधन के सभी सदस्य समानता को बढ़ावा देने, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट हैं। इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामाजिक जागरूकता और चेतना बढ़ाने के लिए 26 राजनीतिक दलों वाले I.N.D.I. अलायंस की स्थापना की गई थी।
घमंडिया गठबंधन का असली एजेंडा
‘सनातन धर्म को ख़त्म करना है’ pic.twitter.com/Pxja88dQOL— Social Tamasha (@SocialTamasha) September 12, 2023
सनातन को मिटाना है, इसे खत्म करना हैः उदयनिधि स्टालिन
इसी सम्मेलन में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने इसके उन्मूलन की वकालत करते हुए सनातन धर्म की तुलना मलेरिया, कोरोना और डेंगू जैसी बीमारियों से की थी। उदयनिधि ने कहा था कि “कुछ चीजें हैं जिन्हें हमें मिटाना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना, ये सब ऐसी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें खत्म करना है। सनातन भी ऐसा ही है।” मुख्यमंत्री के बेटे ने कहा, ”सनातनम को खत्म करना और उसका विरोध न करना हमारा पहला काम होना चाहिए। सनातनम क्या है? सनातनम नाम संस्कृत से आया है। सनातनम समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातनम का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई सवाल नहीं कर सकता, यही सनातन का अर्थ है।”
सनातन धर्म कुष्ठ रोग और एचआईवी से भी ज्यादा घातक: ए राजा
सनातन धर्म के खिलाफ हेट स्पीच देने का सिलसिला नहीं थम रहा है। तमिलनाडु की सत्तारुढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के नेताओं में सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगलने की होड़ मची हुई है। डीएमके के ए राजा ने सनातन धर्म का अपमान करते हुए इसकी HIV से तुलना की है। ए राजा ने कहा- ‘सनातन धर्म सामाजिक बीमारी है। यह कुष्ठ रोग और एचआईवी से भी ज्यादा घातक है।’
पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता ए राजा ने बयान दिया है कि “उदयनिधि ने सनातन की तुलना डेंगू मलेरिया से करने में विनम्रता दिखाई, वास्तव में इसकी तुलना एचआईवी कुष्ठ प्रकार की गंदी बीमारियों से की जानी चाहिए”-
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– “जो हिन्दू हित की बात… pic.twitter.com/shmBEE0l6U— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) September 7, 2023
देसी अंग्रेजों को मिला सनातन का टूलकिट
तमिलनाडु की डीएमके सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी के बयान के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि विपक्षी दल अंग्रेजों के फूट डालो और राज करो की नीति अपनाने पर विवश हुए। क्योंकि पीएम मोदी के कद के सामने उनकी हर चाल उल्टी पड़ रही है। अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस की तिकड़में भी अब काम नहीं आ रही है। चाहे बीबीसी डाक्यूमेंट्री हो या अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट। देश की जनता इन सब को नकार चुकी है और अडानी के शेयर स्टॉक मार्केट में छोटे हिचकोले खाने के बाद फिर अपनी चमक बिखेर रहा है। भारतीय शेयर बाजार नित नए रिकार्ड बना रहा है और उधर जार्ज सोरोस की सांसें फूलती जा रही है कि अब क्या करें। तो अब उसने देसी अंग्रेजों को सनातन का टूलकिट दिया है।
मोहब्बत की दुकान से हिंदुओं को बांटने की साजिश
विपक्षी नेता हिंदू धर्म को नष्ट करना चाहते हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बेटे, बिहार के शिक्षा मंत्री, केरल के पीडब्ल्यूडी मंत्री और आम आदमी पार्टी के मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम के बयान सुनेंगे तो उसमें साजिश नजर आएगी। यह साफ दिख रहा है कि तमाम विपक्षी नेता सनातन धर्म के दुश्मन हैं। ये सभी लोग उस मोहब्बत की दुकान के प्रोडक्ट हैं, जो हिंदू धर्म को मिटाने की योजना बना रहे हैं। मोहब्बत की दुकान खोलने वाले राहुल गांधी विदेश से गीता और उपनिषद का ज्ञान भारतीयों को दे रहे हैं। उनका कहना है कि उनका हिंदुत्व बीजेपी के हिंदुत्व से अलग है। वे तपस्वी और पुजारी में अंतर बता रहे हैं। यह सब हिंदुओं को बांटने के लिए किया जा जा रहा है। लेकिन अब हिंदू बंटने वाले नहीं हैं, अब वे झांसे में आने वाले नहीं है।
अंग्रेजों ने अपनाई थी ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति
1857 में स्वाधीनता विद्रोह छिड़ गया जिसमें हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1857 की स्वाधीनता क्रांति के बाद अंग्रेजों ने भारत पर नियंत्रण के लिए नए सिरे से रणनीति बनाना आरंभ किया और 1858 में फूट डालो और राज करो की नीति का पालन करना आरंभ कर दिया। उस समय अंग्रेज सरकार ने पाया कि भारतीय समाज आपस में विखंडित है। भारत के अलग-अलग रियासतों के राजा आपस में लड़ते रहते हैं। यहां पर जातिगत भेदभाव है और हर जाति स्वयं को दूसरी जाति से श्रेष्ठ समझती है। दो प्रमुख धार्मिक समुदाय हिंदू एवं मुस्लिम आपस में लड़ते रहते हैं। इसी कारण ब्रिटिश सरकार ने एक नई रणनीति बनाई। उन्होंने विचार किया कि यदि भारतीय समाज को ऐसा ही बने रहने दिया जाए और उनमें फूट डालकर उन्हें छिन्न-भिन्न कर दिया जाये, तो उनके खिलाफ भारतीय समाज एकजुट होकर खड़ा नहीं होगा और इससे उनका भारत पर शासन करना आसान हो जाएगा। इसीलिए अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का पालन किया गया और इसी नीति के आधार पर अंग्रेजों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया।
किसी और मजहब को खत्म करने वाला बयान आता तो…
सनातन की जगह किसी और मजहब को खत्म करने वाला बयान दिया जाता तो सुप्रीम कोर्ट आधी रात को सुनवाई कर रहा होता। वकीलों का एक वर्ग तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता। कुछ लोगों के ‘सर तन से जुदा’ कर दिए जाते। सड़कों पर भीड़ दंगा कर रही होती। मीडिया में बड़े-बड़े लेख लिखे जाते कि सेकुलरिज्म खतरे में है। विदेशी नेताओं के बयान आते कि वो चिंतित हैं। उस मजहब के प्रति सद्भावना दिखाने के लिए मानवाधिकार संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते। सारे राजनीतिक दल एक सुर में निंदा करते। पत्रकारों का एक समूह ट्वीट पर ट्वीट करता। किसान नेता महापंचायत कर के ट्रैक्टर उतारने की धमकियां दे रहे होते। विश्वविद्यालयों में नुक्कड़ नाटकों का मंचन होता। और न जाने क्या-क्या होता।
सनातन को ख़त्म करने की मंशा रखने वाले दफन हो गए
नादिर शाह अफ़्शार, बाबर, मुहम्मद बिन कासिम, मोहम्मद गौरी, अहमदशाह अब्दाली और औरंगजेब तक सब यही मंशा रखते हुए दफन हो गए कि सनातन को ख़त्म करना है। अब I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत तमिलनाडु से यह स्वर उठे हैं तो यह तय मानकर चलिए कि इनका भी अंत निकट आ गया है। लेकिन इसके साथ ही अब देश के 100 करोड़ हिंदुओं को भी अब जागना ही होगा। जिस तरह तमिलनाडु में अन्नामलाई सनातन का झंडा बुलंद कर रहे हैं, अब सभी हिंदुओं को एकजुट होकर उनका हाथ मजबूत करना चाहिए जिससे स्टालिन परिवार को सबक सिखाया जा सके।
सावधान ☠️⚡️
घमंडिया I.N.D.I.A गठबंधन है सनातन धर्म का विरोधी !! pic.twitter.com/4XpGzmuAiN— Modi Bharosa (@ModiBharosa) September 4, 2023
I.N.D.I.A. गठबंधन के दल सनातन का अपमान करते रहे हैं। इस पर एक नजर-
राहुल गांधी ने कहा था- ये देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि “भारत देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं है”। राहुल गांधी के इस बेतुके बयान पर विवाद काफी बढ़ गया। देशभर में पुजारी राहुल गांधी के विरोध में उतर आए तो वहीं संत समाज ने कहा कि पुजारी और तपस्वी में कोई अंतर नहीं होता है। देश के प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तपस्या की है तभी आज वो इस मुकाम पर हैं।
बिहार के शिक्षा मंत्री ने किया भगवान राम का अपमान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने बीते दिनों रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने 11 जनवरी 2023 को कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस “समाज में नफरत फैलाती है”। बिहार के शिक्षा मंत्री की टिप्पणी राष्ट्र के राम भक्तों और सर्व समाज के भक्तों का घोर अपमान है। यह बयान जातीय विवाद पैदा करने, हिंदुओं को जातियों में बांटने के घृणित सोच के तहत दिया गया जिससे चुनावी लाभ हासिल किया जा सके।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर कह रहे है रामचरित मानस नफरत फ़ैलाने वाला ग्रंथ है.. जरा ये भी बता देते अमन चैन फैलाने वाली किताब कौन सी है? pic.twitter.com/APYMgXrfr3
— Dr. Richa Rajpoot (@doctorrichabjp) January 11, 2023
केजरीवाल के करीबी ने शपथ दिलाई- मैं किसी हिंदू देवी-देवता को नहीं मानूंगा
केजरीवाल के करीबी और दिल्ली सरकार में तब मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम ने 5 अक्तूबर 2022 को एक कार्यक्रम में लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को ईश्वर ना मानने की शपथ दिलाई थी। शपथ दिलाते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को नहीं मानूंगा। मैं राम-कृष्ण की पूजा नहीं करूंगा। मैं किसी हिंदू देवी-देवता को नहीं मानूंगा।’ वीडियो सामने आने के बाद काफी विवाद हुआ था।
श्रीराम श्रीकृष्ण से इतना बैर ?
ये हैं केजरीवाल सरकार के मंत्री राजेन्द्र गौतम पाल, जिनके द्वारा आयोजित जय भीम मिशन में 10 हजार लोगों को शपथ दिलाई गई
“मैं हिंदू धर्म के देवी देवताओं ब्रह्मा,विष्णु,महेश, श्रीराम, श्रीकृष्ण को भगवान नहीं मानूंगा, न ही उनकी पूजा करूंगा।” pic.twitter.com/Rfpcw3w8OL— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) October 7, 2022
ममता बनर्जी को जय श्रीराम के नारे से चिढ़ है
पश्चिम बंगाल कि सीएम ममता बनर्जी को सनातन प्रतीकों और जय श्रीराम से चिढ़ है। मुंबई की बैठक में पहुंचे ममता ने तिलक लगाने से इनकार कर दिया वहीं उन्होंने 2019 में इंटेलिजेंस एजेंसियों को निर्देश देते हुए कहा है कि जो लोग जय श्रीराम के नारे लगाते दिखें उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। पश्चिम बंगाल की हिंदू विरोधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिंदुओं की आस्था पर लगातार प्रहार करती रहती हैं। ममता राज में राज्य में पूरी तरह से तालिबानी शासन है। पश्चिम बंगाल में हिंदू देवी-देवताओं का नाम लेना अपराध बन गया है। यहां हिन्दुओं को न तो मंदिरों में पूजा करने की आजादी है और न ही सार्वजनिक रूप से जय श्री राम बोलने की।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बताया बकवास
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार हिंदू धर्म, रामचरितमानस और ब्राह्मणों पर विवादित बयान दे रहे हैं। रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद को बढ़ा दिया है। सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही विरोध के सुर उठने लगे। अमेठी से सपा विधायक राकेश प्रताप ने मौर्य कहा कि राम के चरित्र पर टिप्पणी करने वाला न तो सनातनी हो सकता है और न ही समाजवादी हो सकता है। ऐसा करने वाला सिर्फ एक विक्षिप्त प्राणी हो सकता है। लेकिन अखिलेश के करीबी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने एजेंडे में लगे हुए हैं।
समाजवादी पार्टी के “स्वामी प्रसाद मौर्य” जिसने रामचरित मानस जलाने की बात कही, उसको उद्धव ठाकरे ने बुधवार को “मातोश्री” निवास में सम्मानित किया!🥱
उद्धव ठाकरे का सनातन, हिंदुत्व विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया।😢😡 pic.twitter.com/J5HNNvGfZt— Ajay Srivastava (@AjaySri92648526) February 24, 2023
उद्धव ने कहा था- अयोध्या में भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के एक मशविरे पर विवाद शुरू हो गया। उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर का भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराने का सुझाव दिया था जिस पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ये बयान शिवसेना के पतन का परिचायक है। यह सुझाव केवल एक अंधे विरोध करने की भावना से आया है। आलोक कुमार ने कहा कि यह शिवसेना का कैसा पतन है, जिसे कभी बाला साहब ठाकरे ने प्रखर हिंदुत्व की राजनीति के लिए गढ़ा था।
पीएम मोदी सनातन के उत्थान से दिला रहे भारत का प्राचीन वैभव
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो तीर्थक्षेत्र के अर्थशास्त्र को नई ऊंचाई देने का काम शुरू किया। मोदी सरकार ने पिछले नौ साल के कार्यकाल में ऐसे कई तीर्थक्षेत्रों का विकास किया है जिससे न केवल देश में पर्यटन को नई ताकत मिली है बल्कि सनातन संस्कृति के उत्थान से अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। पिछले कुछ सालों में तीर्थ क्षेत्रों में विस्तार और सुविधाओं में बढ़ोतरी से भक्तों की संख्या यहां इतनी अधिक हो गई है कि अब पर्यटन से इतर हिंदू तीर्थ क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक अलग आर्थिक क्षेत्र भी बनता दिख रहा है और इस पर न रिसेशन की माया है न ही NPA का काला साया। यह सब पीएम मोदी के विजन से संभव हो पाया है। भारत की यह अनोखी अर्थव्यवस्था सैकड़ों सालों से चली आ रही है और अब 2014 के बाद पीएम मोदी भारत को प्राचीन वैभव दिला रहे हैं।