Home समाचार मंदिरों व सनातन धर्म से घृणा करने वाले गोपाल इटालिया लेफ्ट लिबरल...

मंदिरों व सनातन धर्म से घृणा करने वाले गोपाल इटालिया लेफ्ट लिबरल गैंग और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ का हैं हिस्सा, विदेशी शह पर पीएम मोदी के खिलाफ उगलते हैं जहर

SHARE

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी और आम आदमी पार्टी (आप) की गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष गोपाल इटालिया इन दिनों अपनी बदजुबानी के लिए चर्चा में हैं। गुजरात में चुनाव है और वहां पीएम मोदी और भारत को कमजोर वाली ताकतें सक्रिय हो गई हैं और उन्होंने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस के साथ ही अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी गोपाल इटालिया को यह काम सौंप दिया है। गोपाल इटालिया यूं ही नहीं पीएम मोदी को ‘नीच’ और उनकी मां को नौटंकीबाज कह रहे हैं। गुजरात की महिलाओं का अपमान, महिलाओं को ‘सी’ शब्द से संबोधित करना, मंदिर और कथाओं में जाने वालों का अपमान करना, सनातन धर्म का अपमान करना… ये सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। यह रणनीति उस लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम का है जो विदेशी ताकतों के इशारे पर नाचते हैं। इन दिनों कई रिपोर्ट इस तरह भी आई हैं कि कुछ विदेशी ताकतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है क्यों कि मोदी के रहते भारत में उनकी दाल नहीं गल रही है। आजादी के बाद से कांग्रेस जहां वर्षों तक इन विदेशी ताकतों का पिछलग्गू बनी रही है, वहीं पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद ये ताकतें असहाय महसूस कर रही हैं। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम नफरत फैलाने का नया जिम्मा सौंपा है औप केजरीवाल और गोपाल इटालिया जिसके अगुवा बने हुए हैं।

ट्विटर यूजर विजय पटेल ने इटालिया की लेफ्ट लिबरल गैंग के साथ सांठ-गांठ पर ट्वीट की एक श्रृंखला प्रकाशित की है जो उनके भारत तोड़ो, गुजरात दंगों, शाहीन बाग, अर्बन नक्सलियों से गठजोड़ का खुलासा करते हैं।

2018 में हिंदू विरोधी और विदेशी फंड से एनजीओ चलाने वाली शबनम हाशमी और उनके एनजीओ ने “डिसमेंटलिंग इंडिया” नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया। अहमदाबाद में गोपाल इटालिया और ऑल्टन्यूज़ की मालिक निर्झरी सिन्हा कुछ अन्य कम्युनिस्टों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

शबनम हाशमी हमेशा मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के खिलाफ आवाज़ें उठाती रही थीं। पीएम मोदी जब केंद्र की सत्ता में आए तब उन्होंने कहा था, “आवाज़ें उठती रहेंगी जैसे पहले उठती थीं। असहमति और विरोध रहेंगे लेकिन इसे दबाने की कोशिशें अब बहुत ज़्यादा बढ़ जाएंगी और अब दमन अधिक बढ़ जाएगा। लेकिन आवाज़ें तो हिटलर के खिलाफ़ भी उठी थीं। उसके जो भी नतीजे हों आवाज़ें तो उठती रहेंगी।”

“डिसमेंटलिंग इंडिया” एक पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट थी जिसके लेखक एन रामदास (AAP के पूर्व लोकपाल और फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े), हर्ष मंदर, कम्युनिस्ट कविता कृष्णन, विदेश से वित्त पोषित कॉलिन गोंजाल्विस और कई अन्य कम्युनिस्ट और उनके समर्थक हैं।

शबनम हाशमी अनहद एनजीओ की संस्थापक हैं, जिसने अतीत में कई ईसाई गैर सरकारी संगठनों से धन प्राप्त किया है। उनका एनजीओ मेधा पाटकर और तीस्ता सीतलवाड़ जैसे विदेशी वित्त पोषित कार्यकर्ताओं के साथ भी काम करता है।

शबनम हाशमी ने सीएए का विरोध किया था और किसान आंदोलन के दौरान अराजकता फैलाने वालों का समर्थन किया था। वह गहरे वामपंथी और विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों का हिस्सा हैं।

कृषि कानूनों की वापसी और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार से सहमति होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किसान आंदोलन स्थगित किए जाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताई थी। उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए इसके लिए पूरे देश को बधाई दे दी थी। इससे यह साफ होता है कि शबनम हाशमी और केजरीवाल एक ही इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।

अगर आपको लगता है कि गोपाल इटालिया ने शबनम हाशमी के साथ सिर्फ एक इवेंट में हिस्सा लिया है, तो आप गलत हैं। 2018 में वह सक्रिय रूप से शबनम हाशमी और उनके एनजीओ के साथ काम कर रहे थे। इस प्री-प्लांड इंटरव्यू में आप उन्हें शबनम हाशमी के साथ देख सकते हैं।

अब मिलिए एक और शख्स गगन सेठी से। सेठी फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्टेल के लिए काम करता है। वह ऑक्सफैम के लिए भी काम करता है।

गगन सेठी जनविकास एनजीओ के संस्थापक हैं, जिसे फोर्ड फाउंडेशन और अन्य विदेशी गैर सरकारी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। क्या यह महज इत्तेफाक है कि अरविंद केजरीवाल को भी फोर्ड फाउंडेशन से फंड और अवॉर्ड मिल चुके हैं?

क्या यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने इटालिया को आप गुजरात का अध्यक्ष और सीएम उम्मीदवारों में से एक बनाया है? सोचिए अगर आप गुजरात में सत्ता में आती है तो सरकार कौन चलाएगा? शबनम हाशमी, मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़, हर्ष मंदर और अन्य सभी कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं जैसे विदेशी वित्त पोषित लोग, जिन्होंने गुजरात में हर बड़ी बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ एक बड़ी भूमिका निभाई है।

अब देव देसाई से मिलिए। वह एनजीओ अनहद के ट्रस्टी हैं। वह कई वर्षों से विदेशी वित्त पोषित और हिंदू विरोधी एनजीओ अनहद के साथ काम कर रहे हैं। वह आप गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया के बहुत अच्छे दोस्त हैं। आप उन्हें गोपाल इटालिया के साथ कई आयोजनों में देख सकते हैं! वह केवल दोस्त नहीं हैं बल्कि उस एनजीओ के लिए भी काम कर रहा था।

अब देखिए इटालिया के मित्र देव देसाई की हिंदू विरोधी वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र से कितनी गहरी जड़ें हैं! यहां आप उन्हें उमर खालिद, शैला रसीद, संजीव भट्ट और मेधा पाटकर जैसे लोगों के साथ देख सकते हैं!

जिग्नेश मेवाणी से उनकी खास दोस्ती है। मेवाणी इस समय कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। हालांकि, पार्टी की सदस्यता के बिना ही जिग्नेश मेवाणी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर भी कई तरह के सवाल भी उठे।

सलमान निजवी से भी है उनकी कुछ ऐसी ही खास दोस्ती!

आप एक और शख्स कन्हैया कुमार को उसके दोस्तों में शामिल कर सकते हैं। कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं। कन्हैया ने आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट की फांसी की सजा के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जेएनयू में कन्हैया कुमार की ओर से ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाये गये थे।

इससे जाहिर होता है कि इन लोगों का सीधा संपर्क कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी है! क्या यही वजह है कि गुजरात की राजनीति में कांग्रेस सक्रिय नहीं है? क्या यही कारण है कि कांग्रेस ने गुजरात में अभी तक अपना अभियान शुरू नहीं किया है? क्या कांग्रेस और आप के बीच डील हो चुकी है?

यह भी दिलचस्प है कि आप नेता इसुदान गढ़वी ने अपने डिबेट शो में एक पत्रकार के रूप में काम करते हुए उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पेश किया!

इसी प्रकार अन्य गुजराती मीडिया ने भी उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्थान दिया है! आप उन्हें देवांशी जोशी और कुछ अन्य लोगों के शो में देख सकते हैं! हैरानी की बात है कि गुजराती प्रिंट मीडिया ने उन्हें एक किसान नेता के रूप में पेश किया है!

कुछ लोग AIMIM को बीजेपी की बी टीम करार देते हैं लेकिन यहां AIMIM के प्रवक्ता उवेस मलिक के किससे संबंध हैं यह देखिए। वह गोपाल इटालिया और देव देसाई के सबसे अच्छे दोस्तों में से हैं!

इन एनजीओ को देश में राहत कार्य के लिए चंदा मिलता है या सरकार का विरोध करने के लिए? देश में जहां कहीं धरना प्रदर्शन होता है आप उन्हें हर विरोध में पाएंगे! चाहे वह सीएए का विरोध हो, किसान आंदोलन हो या किसी भी विकास परियोजना के खिलाफ विरोध हो। उदाहरण के तौर पर सरदार सरोवर बांध का विरोध हम सबने देखा है।

यहां तक ​​कि आप उन्हें हमारी सेना के खिलाफ प्रचार में भी पाएंगे। ये लोग कश्मीर को समर्थन देने के नाम पर हमारी सेना को निशाना बनाते हैं। देश अगर देशविरोधी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करता है तो ये उसका विरोध करते हैं। देश अगर सर्जिकल स्ट्राइक करता है तो ये उसका सबूत मांगते हैं।

यहां Altnews की मालिक निर्झरी सिन्हा के साथ देव देसाई हैं। यही वजह है कि जुबैर राष्ट्रीय महिला आयोग को निशाना बना रहे थे और गोपाल इटालिया का समर्थन कर रहे थे।

Altnews की मालिक निर्झरी सिन्हा के बेटे और एक प्रोपेगेंडा वेबसाइट Altnews के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने उन्हीं लोगों और कार्टेल के साथ ऊना की घटना के बाद एक रैली की और मीडिया और सोशल मीडिया अभियान चलाकर दलितों को भड़काने की कोशिश की है।

Leave a Reply