आज जो लोग चीन के साथ तनाव के समय देश की सुरक्षा और सेना पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उस चिट्ठी को जरूर पढ़ना चाहिए, जो उन्होंने पीएम मनमोहन सिंह को लिखी थी। मोदी सरकार को कमजोर सरकार बताने वाले वैसे लोग समझ सकेंगे कि सेना को खुली छूट देने और सेना के हाथों को मजबूत करने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समय में हुआ या फिर मनमोहन सिंह के समय।
“सेना की स्थिति बहुत कमजोर है और गोला-बारूद लगभग न के बराबर”
दरअसल, साल 2012 के मार्च महीने में जनरल वीके सिंह की यह चिट्ठी मीडिया में भी आई, जो उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी थी। वीके सिंह ने साफ-साफ लिखा था कि सेना की स्थिति बहुत कमजोर है और गोला-बारूद लगभग न के बराबर है। उन्होंने लिखा था कि अगर हमला हुआ तो देश को बचाने की गारंटी सेना नहीं ले सकती है, क्योंकि सेना के आधुनिकीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
“हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं”
अपने पांच पन्नों की चिट्ठी में जनरल वीके सिंह ने लिखा कि सेना के टैंक का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं। इतना ही नहीं पैदल सेना के पास हथियारों तक की कमी है। जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च 2012 को यह चिट्ठी लिखी। उन्होंने लिखा, ‘हमारे सभी प्रयासों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही हैं। मैं यह सूचित करने को विवश हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक से कोसों दूर है। ‘खोखलेपन’ की स्थिति से बहुत ज्यादा स्पष्ट अंतर नहीं दिख रहा।’
“सेना की खामियों को अविलंब दूर करने की आवश्यकता”
- टैंक के बेड़े के पास गोला-बारूद लगभग खत्म
- तोपखाने में फ्यूज नहीं, अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर में खरीदी और कानूनी प्रक्रिया का अडंग़ा
- हवाई सुरक्षा के 97 फीसदी उपकरण बेकार, हवाई हमले से बचाने का भरोसा नहीं
- पैदल सेना के पास पर्याप्त हथियारों का अभाव, रात में लडऩे की क्षमता भी नहीं रही
- विशेष फोर्सेस के पास जरूरी हथियार नहीं, युद्ध में काम आने वाले पैराशूट्स भी खत्म हुए
- सेना की निगरानी में बड़े स्तर पर खामियां, यूएवी और निगरानी के लिए जरूरी रडार नहीं
- एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता और उपलब्धता बेहद कम
- लंबी दूरी तक मार करने वाले तोपखाने में वेक्टर्स (पिनाका व स्मर्च रॉकेट सिस्टम) का अभाव