बुरे काम का बुरा नतीजा…गाना भले ही फिल्मी हो, लेकिन समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय महासचिव आजम खान पर बिल्कुल सटीक बैठता है। पूर्व मंत्री खान के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी उनको अपने ‘पापों’ की सजा भुगतनी पड़ी है। तब आजम खान की विधानसभा सदस्यता खत्म होने से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा था। इस बार उनके किए-कराए की सजा परिवार को भी भुगतनी पड़ी है। रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज़म खान, बेटे अब्दुल्ला आज़म और उनकी पत्नी तंजीम फातिमा को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात-सात साल की जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों नेताओं को सीधे जेल भेजे जाने के आदेश जारी किए हैं। सात साल की सजा होने से जहां एक तरफ आज़म खान परिवार की राजनीति समाप्त होती दिख रही है, वहीं इससे समाजवादी पार्टी को भी भारी झटका लगा है।
लोकसभा चुनाव में अखिलेश की पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा
लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में अखिलेश यादव के बाद दूसरे सबसे ताकतवर नेता के जेल जाने से पार्टी की तैयारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। भाजपा ने इसे आज़म खान के गलत कार्यों का परिणाम बताया है। साथ ही भाजपा ने अखिलेश यादव को दागी नेताओं से दूर रहने की सलाह ही है। आजम खान के खिला सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज होने, उसको भू-माफिया घोषित करने और जेल जाने के बावजूद समाजवादी पार्टी अभी भी आजम खान को बचाने की कोशिशों में है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सपा अपने नेता के साथ खड़ी रहेगी और इस लड़ाई को हर मोर्चे पर मजबूती के साथ लड़ेगी।न्यायाधीश ने कोर्ट से सीधे जेल भेजने के दिए आदेश
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान और उनके परिवार की की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सपा नेता उनकी पत्नी और बेटे को सात-सात साल की सजा सुनाई गई है। आजम खान का परिवार कोर्ट से सीधे जेल पहुंचा है। आजम खां के परिवार के खिलाफ दो जन्म प्रमाण पत्र का मामला भाजपा विधायक आकाश सक्सेना की ओर से दर्ज कराया गया था। इसमें आरोप था कि आजम खां ने बेटे के अलग-अलग जन्मतिथि से दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं। इसमें एक जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका से बना है, जबकि दूसरा लखनऊ से बना है। इस मुकदमे में आजम खां के अलावा उनके बेटे अब्दुल्ला और पत्नी पूर्व सांसद डा.तजीन फात्मा भी नामजद हैं।
अब्दुल्ला आजम ने दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र से लड़ा चुनाव
आजम के बेटे अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र हैं। एक पत्र रामपुर में बना है। चुनाव लड़ने के समय इन्होंने लखनऊ से दूसरा प्रमाण पत्र बनवाया था। शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला की डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है। जबकि, जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 बताया गया है। यह मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद उस पर सुनवाई शुरू हुई थी। अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था। इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव भी रद्द कर दिया गया था। चुनाव लड़ने के लिए अपनी जन्म तिथि बढ़ाई हुई पाई गई। दरअसल, भाजपा नेता और विधायक आकाश सक्सेना ने साल 2019 में रामुपर के गंज थाने में अब्दुल्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। ये मुकदमा दो जन्म प्रमाणपत्रों से जुड़ा था। इसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम, उनकी पत्नी डॉ. तंजीन को भी आरोपी बनाया था। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।
केस में 70 दस्तावेजी साक्ष्य और 15 गवाह पेश किए गए
सपा नेता आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा को सात-सात साल की कैद की सजा दस्तावेजी साक्ष्य और गवाहों के आधार पर हुई है। अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि अभियोजन की तरफ से 15 गवाह और 70 दस्तावेजी साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए। यही साक्ष्य तीनों की सजा का आधार बने हैं। जबकि, बचाव पक्ष की ओर से 19 गवाह पेश किए गए, लेकिन अदालत में उनके बयान सिद्ध नहीं हो सके। आजम खान को सजा होने के बावजूद सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि मैं आजम के साथ हूं। उनके परिवार को न्याय मिलेगा।
आजम पर भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने किया था केस
आजम खान की विधायकी जाने के बाद रामपुर शहर सीट पर 5 दिसंबर 2022 को उपचुनाव हुए थे। 7 दिसंबर को रिजल्ट घोषित हुआ, इसमें भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने आजम के करीबी आसिम रजा को 25,703 वोटों से हरा दिया। इससे पहले भी आकाश सक्सेना रामपुर विधानसभा सीट से 2022 में आजम के खिलाफ चुनाव लड़े थे, हालांकि वो हार गए थे। आकाश अब तक 43 मामलों में आजम के खिलाफ सीधे पक्षकार हैं। आकाश सक्सेना पेशे से व्यवसायी और पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं।
अब जानिए उस केस के बारे में जिसमें आजम फैमिली दोषी करार
सियासत के शिखर पर चल रहे आजम के परिवार की उल्टी गिनती 2017 में शुरू हुई। जब पहली बार उनके बेटे के खिलाफ स्वार विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद उम्र के गलत दस्तावेज लगाने का आरोप लगा था। 2017 के चुनाव में आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से सपा के विधायक चुने गए थे। अब्दुल्ला के सामने BSP से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खान ने नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम होने का आरोप लगाया। जांच में आया कि अब्दुल्ला आजम ने फर्जी आयु प्रमाण पत्र पर चुनाव लड़ा था और वो नामांकन के समय 25 साल के नहीं थे। इसके बाद अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द कर दिया गया। उनकी सदस्यता भी चली गई। इस मामले में दर्ज मुकदमे में अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम और मां तंजीन फातिम को भी जेल जाना पड़ा। हालांकि, 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में स्वार सीट से वह दोबारा जीते थे। इस बार सरकारी कार्य में बाधा डालने के एक मुकदमे में उन्हें फिर सजा हुई और उनकी सदस्यता रद्द हो गई। अब वह भी चुनाव नहीं लड़ सकते।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान के राजनीतिक पतन की कहानी
उत्तर प्रदेश में आजम खान के सियासी रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह रामपुर सीट से ही 10 बार विधायक और एक बार सांसद रहे। उनकी पत्नी तंजीन फातिमा भी विधायक बनीं और बेटा अब्दुल्ला आजम दो बार विधायक बने। सपा सरकार में आजम का जलवा किसी CM से कम नहीं था। स्टेट प्लेन उन्हें रामपुर तक सिर्फ ड्रॉप करने के लिए जाया करता था। ऐसा माना जाता था कि प्रदेश की आधी सरकार रामपुर से ही चलती है। आजम के इस जलवे पर साल 2017 से ग्रहण लगना शुरू हो गया।
“इन कलक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं”
2019 में लोकसभा में आजम खान सपा के स्टार प्रचारक के रूप में रामपुर में चुनाव प्रचार कर रहे थे। इसी बीच चुनावी रैली में सुर्खियां बटोरने और अपनी ताकत दिखाने के लिए आजम ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ एक बड़ा डायलॉग मारा। उन्होंने कहा, “इन कलक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं। अल्लाह ने चाहा तो चुनाव बाद इन्हीं से जूते साफ कराऊंगा।” यही डायलॉग आजम के लिए नासूर बन गया। इस बयानबाजी के बाद आजम को जेल जाना पड़ा। फिर उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा को भी जेल हुई। जब आजम ने रामपुर के अफसरों से जूते साफ करवाने वाला डायलॉग मारा था, उन दिनों वहां के डीएम आंजनेय कुमार थे। उसी दौरान कुछ किसानों ने जौहर यूनिवर्सिटी में गलत तरीके से जमीन लेने की शिकायत आजम खान के खिलाफ की। डीएम ने उस पर जांच के आदेश दिए और धीरे-धीरे आजम के पाप खुलते गए।
पिता-पुत्र के बुरे कर्मों का फल ही कोर्ट से मिला- भाजपा
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मीडिया से कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में पूरे शासन-प्रशासन तंत्र को कानून से नहीं, बल्कि कुछ लोगों की मनमर्जी से चलाया जा रहा था। सत्ता की हनक में समाजवादी पार्टी के नेता, मंत्री, पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता हर जगह कानून तोड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि आज आज़म खान को अपने ही कर्मों का फल भुगतना पड़ रहा है। राकेश त्रिपाठी ने कहा कि यह पूरा मामला न्यायालय की प्रक्रिया से होकर गुजरा है और अदालत ने साक्ष्यों के प्रकाश में यह निर्णय दिया है। अदालत के निर्णय को सम्मान के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को भी ऐसे गलत नेताओं से दूर रहना चाहिए जो कानून का दुरुपयोग करते हैं और पार्टी के लिए परेशानी का कारण बनते हैं। वहीं, भाजपा विधायक आकाश सक्सेना का कहना है, ”ये सत्य की जीत है। इनको इनके कामों की सजा मिली है। मुझे विश्वास आगे भी इनके ऊपर जो केस चल रहे हैं, उसमें इनको सजा मिलेगी। सत्य के लिए जो लड़ाई लड़ी जाती है, उसमें हमेशा जीतता सत्य ही है।”
विवादित और आपत्तिजनक बयान देकर सुर्खियों में रहने का आजम को शौक
सपा नेता आजम खान का विवादों से नया नाता नहीं है। वे अक्सर अपने बयानों और विवादों के कारण सुर्खियों में रहते आए हैं। सपा नेता को जिस मामले में सजा सुनाई गई है, वह बयान भी 2019 में काफी सुर्खियों में रहा था। आजम खान लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी थे और मिलक कोतवाली क्षेत्र एक जनसभा में प्रधानमंत्री को निशाना बनाते हुए अपनी बात शुरू की और धीरे-धीरे मुख्यमंत्री और फिर रामपुर के डीएम को टारगेट किया था। आजम खां ने अप्रैल 2019 को मिलक क्षेत्र के खाता नगरिया गांव में आयोजित जनसभा में हेट स्पीच दी थी। जिस पर रामपुर प्रशासन से लेकर आयोग तक एक्टिव हो गया था और दो दिन बाद यानि 9 अप्रैल 2019 को इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी।
आजम को हेट स्पीच (भड़काऊ भाषण) के मामले में तीन साल की सजा
गौरतलब है कि सपा विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान को गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने हेट स्पीच (भड़काऊ भाषण) के मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। उन पर छह हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। तब से ही लगातार उनकी सदस्यता जाने का खतरा मंडरा रहा था। सजा के ऐलान के बाद हालांकि आजम को तुरंत कोर्ट से जमानत मिल गई थी। दोपहर करीब दो बजे एमपीएमएलए की विशेष अदालत ने सुनवाई शुरू करने के बाद आजम को दोषी ठहराते ही कस्टडी में ले लिया था। चार बजे के करीब अदालत ने फैसला सुनाया था। इस दौरान आजम खां कस्टडी में ही रहे।
तीन साल की सजा होने से आजम खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द हुई
अब कोर्ट के द्वारा तीन साल की सजा के ऐलान के बाद रामपुर से सपा विधायक आजम खान को एक और बड़ा झटका लगा है। दरअसल जनप्रतिनिधियों के लिए बने कानून के मुताबिक यदि किसी विधायक को दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो फिर उसकी सदस्यता चली जाती है। इसी के चलते आजम खान की विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। सजा के ऐलान के बाद आजम के लिए यह सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। शिकायतकर्ता आकाशदास सक्सेना की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह कार्रवाई की है। आकाश सक्सेना ने विधानसभा अध्यक्ष के अलावा केन्द्रीय चुनाव आयोग को भी सदस्यता रद्द करने की शिकायत भेजी थी। स्पीकर ने सदस्यता रद्द करने के बाद रामपुर विधानसभा का पद रिक्त होने की सूचना भी चुनाव आयोग को भेज दी है।
चुनाव के दौरान कई मामले हुए थे दर्ज, इस केस की तीनों धाराओं में माना दोषी
आजम के खिलाफ तीन धाराओं में केस दर्ज हुआ था। तीनों ही मामलों में उन्हें दोषी माना गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम पर भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि भाषण के दौरान आजम खां ने पीएम मोदी और सीएम योगी पर भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। तब सपा और बसपा के गठबंधन के समय आजम खान सपा से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के कई मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए थे। इसमें एक मामला मिलक कोतवाली में हुआ था। इसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और तत्कालीन जिलाधिकारी के लिए अपशब्द कहे। धमकी दी और दंगा भड़काने का प्रयास किया। उनके द्वारा वर्ग विशेष से धर्म के नाम पर वोट की अपील की गई। इन आरोपों के साथ वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से आजम खां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।आजम के बिगड़े थे बोल- मोदी जी आपने ऐसा माहौल बनाया…
आजम पर दर्ज एफआईआर के अनुसार उन्होंने भड़काऊ भाषण में कहा था- मोदी जी आपने ऐसा माहौल बना दिया कि मुसलमानों का जीना दूभर हो गया है… बहुत उमस की जिंदगी गुजार रहे हैं…जो कांग्रेस का केंडीडेट खड़ा हुआ है, वह सिर्फ मुसलमानों में वोट न मांगे..कुछ हिंदू भाइयों में जाकर भी वोट मांगे…सारा दिन मुसलमानों में वोट मांग रहा है ताकि, मुसलमानों का वोट काटकर भारतीय जनता पार्टी को जिता सके…। इसके साथ ही तमाम धर्म विशेष के लोगों को भड़काने वाली तमाम बातें कहीं थी। रामपुर से ही इसी साल विधायक बनने पर आजम ने सांसदी से इस्तीफा दे दिया था।
आजम की कहानी के एक अहम किरदार हैं आईएएस ऑफिसर आंजनेय कुमार
नेताओं और अफसरों के पंगे कई बार देखने को मिलते हैं। लेकिन कुछ पंगे ऐसे होते हैं, जो नेताओं की सियासत की जड़ में मठ्ठे का काम करते हैं। आजम खान इन दिनों कुछ ऐसे ही अनुभव से गुजर रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव पर विधायकी का भी जाना आजम खान के लिए यह एक बड़ा झटका है। वैसे तो यह सजा हेट स्पीच के लिए दी गई है, लेकिन इसकी कहानी इतनी आसान भी नहीं है। इस कहानी का एक अहम किरदार है वह आईएएस ऑफिसर, जिसकी आजम खान ने कभी जमकर लानत-मलानत की थी। यहां तक कि आजम ने उस आईएएस से अपने जूते तक साफ कराने की बात कह डाली थी। इस आईएएस का नाम है आंजनेय कुमार। फिलहाल वह मुरादाबाद के मंडलायुक्त हैं।
खान ने कई बार मर्यादा लांघी, डीएम से जूते साफ कराने तक की बात कही
देश में 2019 में लोकसभा के चुनाव चल रहे थे। रामपुर में डीएम थे आंजनेय कुमार सिंह। आजम खान की तूती बोलती थी। आलम यह था कि आजम के सामने बोलने की हिम्मत अफसर नहीं जुटा पाते थे। लोकसभा चुनाव के दौरान डीएम आंजनेय जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में थे। इस दौरान आजम खान लगातार उनके ऊपर निशाना साध रहे थे। अफसरों पर हमला बोलते-बोलते आजम खान ने कई बार शब्दों की मर्यादा तक लांघी। आजम खान ने इस दौरान डीएम से जूते साफ कराने तक की बात भी कह डाली थी।
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही आजम खान के खिलाफ कई केस दर्ज किए गए
रामपुर में डीएम आंजनेय, आजम खान के बयानों पर कानूनी शिकंजा कसते जा रहे थे। एक के बाद एक मुकदमे दर्ज होते गए। आजम खान के बयान किस कदर अपमानजनक थे, इसका अंदाजा उस एफआईआर से लगाया जा सकता है, जिस केस में उन्हें सजा सुनाई गई है। एफआईआर के मुताबिक आजम ने कहा था कि डीएम अंधा हो गया है। इन जैसे कितने डीएम ने मेरे ऑफिस में खड़े-खड़े पेशाब कर दिया है। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही आजम के खिलाफ कई केसेज दर्ज किए गए। आईएएस आंजनेय का कहना है कि हमने पूरी तरह से निष्पक्ष चुनाव कराया था। प्रशासन के आरोप कोर्ट में सही साबित हुए।
आजम परिवार के खिलाफ कई तरह के केसों का अंबार
2019 में आजम पर दर्ज हुए मुकदमों की संख्या 100 से ज्यादा है। इस तरह देखा जाए तो अभी कई केसेज में फैसला आना बाकी है। यह तो हो गई केवल आजम खान की बात। आजम फैमिली के लिए मुसीबतें यहीं खत्म नहीं होने वाली। आजम के अलावा उनकी पत्नी पूर्व एमपी तजीन फातमा के खिलाफ 34, एमएलए बेटे अब्दुल्ला आजम पर 46 और बड़े बेटे अदीब पर 32 मुकदमे हैं। आजम की बहन निकहत पर भी 30 मुकदमे हैं। इस मुकदमेबाजी में परिवार को काफी समय जेल में गुजारना पड़ा है। पत्नी 10 महीने, बेटा 23 महीना जेल में रहे। वहीं आजम भी लंबे अरसे जेल में रहे हैं।