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आम बजट 2023: सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ किया, पूंजीगत व्यय देश के आर्थिक विकास में भरेगा रफ्तार

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बजट 2023 पेश कर दिया गया है। ये मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट था। इस कारण सरकार ने अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों को लेकर ऐलान किए हैं। इस बजट में एक प्रमुख ऐलान पूंजीगत व्यय (Capex) को लेकर किया गया और इसमें 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। इसके बाद पूंजीगत खर्च जीडीपी का 3.3 प्रतिशत हो गया है। उद्योगों का कहना है कि पूंजीगत खर्च बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। इससे विकास परियोजनाओं में पर्याप्त वृद्धि के साथ विकास क्षमता बढ़ेगी साथ ही रोजगार सृजन के नए मौकों के साथ निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

पूंजीगत व्यय में पिछले साल की तुलना में 33 फीसदी वृद्धि

यह पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) अब तक का सबसे अधिक खर्च है। बजट 2022-23 में कैपेक्स परिव्यय 7.5 लाख करोड़ रुपये (7.5 ट्रिलियन रुपये) था। नया परिव्यय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.3 प्रतिशत होगा और इसमें 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

सरकार ने पूंजीगत व्यय बढ़ाकर अर्थव्यवस्था और नौकरी सृजन पर दिया जोर

सरकार ने लगातार पूंजीगत व्यय बढ़ाकर अर्थव्यवस्था और नौकरी सृजन पर जोर दिया है। वर्ष 2019 में यह 3.1 लाख करोड़ रुपये था वहीं 2020 में 3.4 लाख करोड़, 2021 में 4.4 लाख करोड़, 2022 में 5.5 लाख करोड़, 2023 में 7.5 लाख करोड़ और अब 2023-24 में इसमें 33 फीसदी वृद्धि कर 10.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है।

बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये

केंद्र ने कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 50 नए एयरपोर्ट का भी प्रस्ताव दिया है। साथ ही, शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये अलग रखे जाएंगे।

रेलवे के लिए पूंजी परिव्यय बढ़ाकर 2.40 लाख करोड़ रुपये किया गया

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए रेलवे के लिए पूंजी परिव्यय को बढ़ाकर 2.40 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। सीतारमण ने यह भी कहा कि राज्यों और शहरों को शहरी नियोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

पीएम आवास योजना का परिव्यय 66 प्रतिशत बढ़ाया गया

सीतारमण ने अपने बजट 2023 के भाषण में कहा कि पीएम आवास योजना के परिव्यय यानी खर्च को भी 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा। सरकार ने कार्यान्वयन के लिए 100 महत्वपूर्ण परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की भी पहचान की है।

पूंजीगत व्यय का असर रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल इंडस्ट्रियल, लॉजिस्टिक सेक्टर पर दिखेगा

सरकार की ओर से किए जाने वाले इस पूंजीगत व्यय का असर रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक सेक्टर में देखने को मिलेगा। लास्ट माइल कनेक्टिविटी से लॉजिस्टिक कॉस्ट में काफी कमी आएगी, जिससे भारत का स्थान वैश्विक प्रतिस्पर्धा और निवेश सूचकांक में बढ़ेगा।

पूंजीगत व्ययः देश में विकास परियोजनाओं पर होने वाला खर्च

आम भाषा में समझें तो पूंजीगत व्यय परिव्यय (Capital Expenditure Outlay) बजट का काफी अहम हिस्सा है। इसका तात्पर्य है, देश में विकास परियोजनाओं पर होने वाला खर्च। जैसे विकास कार्यों के लिए राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की ओर से पैसा दिया जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार अपनी ओर से भी कई विकास योजनाओं को आकार देता है। केंद्रीय बजट 2023 में इस पूंजीगत व्यय को बढ़ाया गया है।

पूंजीगत व्यय यानी वह खर्च जिससे संपत्ति बनता है

पूंजीगत व्यय – कैपिटल एक्सपेंडिचर सरकारी खर्च का हिस्सा है जो सड़क, स्कूल, राजमार्ग, डैम, रेल जैसे फिक्स्ड एसेट्स पर खर्च किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो वह व्यय जो संपत्ति ( Assets ) बनाता है। जैसे सड़क, रेल, स्कूल और बांध।

क्या होता है पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय में अंतर?

सरकार के खर्च को दो हिस्सों – पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) और राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) में बांटा जाता है। सरकार की परिसंपत्तियों में वृद्धि करने वाले खर्चों को पूंजीगत व्यय माना जाता है, जैसे पुल, सड़क निर्माण। राजस्व व्यय ऐसे खर्चे होते हैं जिनसे न सरकार की उत्पादन क्षमता बढ़ती है और न ही आय, जैसे वेतन और पेंशन।

पूंजीगत व्यय से संबंधित प्रमुख बिंदुः

पूंजीगत व्यय देश के आर्थिक विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।

आर्थिक मंदी के दौरान, सरकार पूंजीगत व्यय में वृद्धि करती है ताकि देश आर्थिक विकास के मार्ग पर वापस आ सकें।

पूंजीगत व्यय अर्थव्यवस्था में मांग को भी बढ़ाता है।

पूंजीगत व्यय से देश में रोजगार भी बढ़ता है।

पूंजीगत व्यय संपत्ति बनाता है।

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