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प्रधानमंत्री मोदी से मिल भावुक होकर गले लग गए मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले पलानिवेल- देखिए वीडियो

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के 140 करोड़ लोगों के दिल पर राज करते हैं। देश के लोग प्रधानमंत्री मोदी से अथाह प्रेम करते हैं। लोगों का नरेन्द्र मोदी के साथ स्नेह का ये क्षण रविवार 17 सितंबर को भी देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एक्सपो सेंटर, यशोभूमि में पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को आईडी कार्ड भी दिए। तमिलनाडु से आए मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले एक बुजुर्ग पलानिवेल इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर भावुक हो गए और उन्हें गले लगा लिया। देखिए वीडियो-

 

 

‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ लॉन्च करने के साथ ही प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन और पोर्टल भी लॉन्च किया। उन्होंने इस अवसर पर एक कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट, एक टूल किट, ई-बुकलेट और वीडियो भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने 18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र वितरित किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है। प्रधानमंत्री ने देश के रोजमर्रा के जीवन में विश्वकर्मा के योगदान और महत्व का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा हमेशा समाज में महत्वपूर्ण बने रहेंगे, चाहे प्रौद्योगिकी में कितनी भी प्रगति क्यों न हुई हो। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा को मान्यता और सहायता मिले।

उन्होंने कहा, “सरकार विश्वकर्मा समुदाय के लोगों के सम्मान को बढ़ाने, क्षमताओं को बढ़ाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए एक भागीदार के रूप में आगे आई है।” कारीगरों और शिल्पकारों के 18 फोकस क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना में बढ़ई, लोहार, सुनार, मूर्तिकार, कुम्हार, मोची, दर्जी, राजमिस्त्री, हेयरड्रेसर, धोबी आदि को शामिल किया गया है और इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

अपनी विदेश यात्राओं के दौरान कारीगरों से बात करने के अपने व्यक्तिगत अनुभव का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्व भर की बड़ी कंपनियां अपने काम को छोटे उद्यमों को सौंप देती हैं। यह आउटसोर्स काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिले और वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनें, इसके लिए हम काम कर रहे हैं। यही कारण है कि यह योजना विश्वकर्मा मित्रों को आधुनिक युग में ले जाने का एक प्रयास है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “इस बदलते समय में, विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विश्वकर्मा मित्रों को 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर भी दिया जाएगा और सरकार उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि टूलकिट केवल जीएसटी पंजीकृत दुकानों से ही खरीदे जाएं और ये उपकरण मेड इन इंडिया होने चाहिए।

 

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