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सनातन धर्म में भेदभाव और असमानता की बात करने वाले देखें कांग्रेस में दलितों की हालत, अध्यक्ष खड़गे को समझते हैं अछूत, करते हैं भेदभाव

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कांग्रेस सहित 28 विपक्षी दलों का I.N.D.I. Alliance असमानता और भेदभाव को आधार बनाकर सनातन धर्म को मिटाने का दावा कर रहा है। डीएमके और कांग्रेस के नेता सनातन धर्म में भेदभाव और जातिवाद का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सनातन धर्म समानता की बात नहीं करता है। बिहार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी नेता चंद्रशेखर यादव रामचरितमानस को पोटैशियम साइनाइड बता रहे हैं। यूपी में सपा के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस को बैन करने की मांग करते हैं। उनके समर्थक भेदभाव का आरोप लगाकर रामचरितमानस की प्रतियां जलाते हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि दूसरों पर आरोप लगाने वाले कितना समानता के सिद्धांत पर अमल करते हैं? जब I.N.D.I. Alliance का अघोषित नेतृत्वकर्ता कांग्रेस और उसके संगठन के सियासी सफर पर नजर डालते हैं तो स्पष्ट तौर पर भेदभाव और असमानता नजर आती है। इस पार्टी पर सिर्फ नेहरू गांधी परिवार का वर्चस्व है। गांधी परिवार को छोड़कर कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष बनता है तो वो इस पार्टी का सिर्फ मुखौटा हो सकता है। इसका ताजा उदाहरण कांग्रेस के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। 

कांग्रेस में बुजुर्ग दलित राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे का अपमान

कांग्रेस में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है। गांधी परिवार उनका सिर्फ इस्तेमाल करता है। नेहरू-गांधी परिवार में मोतिलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू से शुरू हुई अभिजात वर्गीय मानसिकता के वारिस राहुल गांधी हैं। उनके सामने कांग्रेस के सभी नेताओं की स्थिति गुलामों जैसी है। कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की स्थिति तो और भी खराब है। राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी उनको पार्टी में कोई महत्व नहीं दिया जाता है। यहां तक कि कांग्रेस के सोशल मीडिया एकाउंट्स से भी उनको गायब कर दिया गया है। कांग्रेस के नए कार्यकर्ता भी दलित और बुजुर्ग कांग्रेस अध्यक्ष का खुलकर अपमान करते हैं।

प्रियांक खड़गे देख लो कांग्रेस में अपने दलित पिता के साथ भेदभाव

कांग्रेस की नवगठित कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक 16-17 सितंबर, 2023 को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हुई। इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। यहां भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी छाये रहें। इस बैठक में शामिल होने के लिए जब सनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहुंचे तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनदेखी कर सोनिया गांधी के स्वागत में लग गए। इस दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे की स्थिति एक मूकदर्शक की थी। उनके चहरे पर उपेक्षा और अपमान का भाव स्पष्ट रूप से झलक रहा था। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी खड़गे को वो सम्मान नहीं मिला, जो सोनिया को मिला। कांग्रेस और गांधी परिवार पर आज भी सामंती मानसिकता हावी है। कांग्रेस के नेता एक दलित अध्यक्ष के साथ भेदभाव और अपमान करते हैं। लेकिन सनातन धर्म में असमानता और भेदभाव का आरोप लगाने वाले खड़गे के सुपुत्र प्रियांक खड़गे को अपने पिता का अपमान दिखाई नहीं देता है।   

रबर स्टैंप की भूमिका में कांग्रेस का दलित अध्यक्ष 

मल्लिकार्जुन खड़गे कहने को तो कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है, लेकिन उनके पास राष्ट्रीय अध्यक्ष की कोई शक्ति नहीं है। वह स्वतंत्र रूप से कोई फैसला लेने में सक्षम नहीं है। वह गांधी परिवार के कृपापात्र और मुखौटा है। उनके साथ हमेशा भेदभाव किया जाता है। I.N.D.I. Alliance के सहयोगी दल भी उनको उतना तवज्जों नहीं देते हैं, जितना एक कांग्रेस अध्यक्ष को मिलना चाहिए। मल्लिकार्जुन खड़गे भी मनमोहन सिंह की तरह रिमोट कांट्रेल से चल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक I.N.D.I. Alliance के नाम का प्रस्ताव राहुल गांधी ने दिया था। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस प्रस्ताव पर सिर्फ मुहर लगाने का काम किया। परोक्ष रूप से राहुल गांधी गठबंधन से संबंधित सभी फैसले ले रहे हैं। 

दलित अध्यक्ष के हाथ का बना मटन नहीं खा सकते लालू और राहुल

हाल ही में सोशल मीडिया में राहुल गांधी और लालू यादव को सावन में मटन बनाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें राहुल गांधी मटन बना रहे हैं और लालू यादव चंपारण मटन बनाने का टिप्स दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक लालू और राहुल की यह मुलाकात व्यक्तिगत न होकर सियासी थी। इस मुलाकात के जरिए राहुल गांधी ने I.N.D.I. Alliance में नीतीश कुमार को साइड लाइन करने की पठकथा लिखी थी, जिसकी झलक गठबंधन की मुंबई बैठक में देखने को मिली। इसमें नीतीश कुमार पूरी तरह से हाशिए पर नजर आए। इस मुलाकात पर सवाल उठ रहे हैं कि एक दलित अध्यक्ष की उपेक्षा कर राहुल गांधी लालू यादव जैसे ओबीसी नेता से मिलने गए। लालू यादव ने जिस तरह राहुल को महत्व दिया, क्या उस तरह का महत्व पाने का हकदार मल्लिकार्जुन खड़गे नहीं है? उन्हें इसलिए महत्व नहीं दिया गया कि वो दलित है। दलित होने की वजह से लालू यादव और राहुल गांधी उनके हाथ का बना हुआ मटन नहीं खा सकते थे।   

हिमाचल में सीएम सुक्खू ने की कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे की बेइज्जती!  

हिमाचल में शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जिस तरह से अनदेखी राहुल गांधी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने की उससे तो ऐसा नहीं लगता कि पार्टी में उनकी कोई हैसियत है। इससे यह भी जाहिर होता है कि वह केवल प्रॉक्सी अध्यक्ष हैं। यह कोई नई बात नहीं है, ये तो सबको पता है कि कांग्रेस में तो ‘परिवार’ ही सबकुछ है। हिमाचल में खड़गे की बेइज्जती केवल यहीं नहीं हुई। इससे पहले जब सुखविंदर सिंह सुक्खू का मुख्यमंत्री के तौर पर नाम तय हुआ उसके बाद उन्होंने जो बयान दिया था उसमें भी खड़गे का जिक्र तक नहीं किया गया। सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपने के लिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और समूचे गांधी परिवार को धन्यवाद दिया, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम तक नहीं लिया। हिमाचल में खड़गे की यह हालत भी देखने को मिली कि मंच पर बिना गांधी फैमिली के बैठे वह खुद नहीं बैठे।

कांग्रेस के दलित अध्यक्ष को नहीं मिला पद का अधिकार

औपचारिक तौर पर देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी में उसका राष्ट्रीय अध्यक्ष सर्वोच्च शक्ति होता है। लेकिन सवाल उठते हैं कि क्या यह सर्वोच्च शक्ति मल्लिकार्जुन खड़गे के पास है ? इसका जवाब नहीं में मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस के अघोषित अध्यक्ष राहुल गांधी हैं। गांधी परिवार ने एक दलित और बुजुर्ग अध्यक्ष को उसके वास्तविक अधिकार से वंचित कर दिया है। दलित अध्यक्ष के पास उसका पद जनित अधिकार नहीं है। 75 साल बाद भी गांधी परिवार कांग्रेस पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है। इसलिए एक दलित अध्यक्ष को उसका अधिकार नहीं मिल पाया है। मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे भेदभाव और असमानता का आरोप लगाकर सनातन धर्म का विरोध करते हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी में किस तरह उनके पिता के साथ भेदभाव किया जा रहा है, इसके खिलाफ प्रियंका खड़गे आवाज नहीं उठा रहे हैं। अपने पिता का अपमान होते हुए देख रहे हैं। उन्हें पता है कि अगर आवाज उठाई तो बाप-बेटे को सत्ता और पद की मलाई से वंचित होना पड़ेगा। 

अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से भेदभाव करती है कांग्रेस

देश में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का संविधान लागू है। जिसके आधार पर देश चलता है। लेकिन कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार द्वारा बनाए गए संविधान पर चलती है। इस संविधान में सिर्फ गांधी परिवार और उसके वारिसों को विशेषाधिकार प्राप्त है। राहुल गांधी को फिर से लॉन्च करने के लिए अब तक 13 बार प्रयास हो चुके हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी दलित नेता को कांग्रेस में इतनी बार लॉन्च होने का सौभाग्य मिल सकता है? क्या किसी आम दलित नेता को राहुल गांधी की तरह सम्मान मिलता है ? इन सवालों का जवाब नहीं में मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस गांधी पारिवार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जिसके वर्तमान प्रोपराइटर राहुल गांधी और सोनिया गांधी हैं। गांधी परिवार अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी भेदभाव करती है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में शशि थरूर को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास किया गया था। इस पार्टी में गांधी परिवार की इच्छा और आदेश ही संविधान है। जो इस संविधान में निष्ठा रखेगा वो कांग्रेस अध्यक्ष बन सकता है। टीवी-9 भारत वर्ष की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार शशि थरूर ने कहा था कि कुछ नेताओं पर इस बात का दबाव है कि वे इस इलेक्शन में मल्लिकार्जुन खड़गे को सपोर्ट करें।

गांधी परिवार की कठपुतली हैं कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे भी गांधी परिवार के कृपा से अध्यक्ष बने है, ना कि अपनी वरिष्ठता और योग्यता की वजह से। कांग्रेस पार्टी में समानता की बता छोड़िए नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है। इसका प्रमाण खुद मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। नवभारतटाइम्स.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते ही खड़गे ने कहा था कि मुझे सोनिया-राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है। मैं सोनिया और राहुल गांधी की बात सुनूंगा। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले भी अपने इंटरव्यू में खड़गे ने बड़ी साफगोई से कहा था कि वे अगर अध्यक्ष बन भी जाते हैं तो अपने रोजाना के फैसलों में सोनिया गांधी और गांधी परिवार के दूसरे सदस्यों की राय लेने में नहीं हिचकेंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव पार्टी के संविधान के अनुसार होता है। मतदान का अधिकार पूरे देश में 9,000 कांग्रेसियों को होता है। इन्हें कांग्रेस डेलीगेट्स या प्रतिनिधि कहा जाता है जो विभिन्न प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के सदस्य होते हैं। लेकिन खड़गे ने निर्वाचित होने पर पीपीसी के सदस्यों को कोई महत्व नहीं दिया। 

 

दलित होने की वजह से विदेशी यूनिवर्सिटी में खड़गे का लेक्चर नहीं होता 

कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेता जितना महत्व पार्टी के एक सांसद राहुल गांधी को देते हैं, उतना पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नहीं देते हैं। ओवरसीज कांग्रेस विदेशों में कोई कार्यक्रम आयोजित करती है, तो उसमें मल्लिकार्जुन खड़गे की जगह राहुल गांधी को आमंत्रित किया जाता है। अप्रवासी भारतीय और विदेशी प्रतिनिधियों को राहुल गांधी संबोधित करते हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी एक सामान्य सांसद हैं। ना तो उनके पास शासन का अनुभव है और ना ही संसदीय परंपरा की विशेष जानकारी है। वो इतने पढ़े-लिखे भी नहीं है कि वो भारत के किसी कॉलेज में प्रोफेसर बन सके। लेकिन राहुल गांधी विदेशी यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने के लिए जाते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, राहुल गांधी से वरिष्ठ और अनुभवी हैं। उनके पास मंत्री के रूप में शासन का भी अनुभव है। खड़गे ने अपने 50 साल के राजनीतिक करियर में 12 चुनाव लड़े हैं इनमें से उन्हें 11 बार जीत मिली है। खड़गे के पास 50 साल का राजनीतिक अनुभव होते हुए भी उन्हें ना तो विदेशी यूनिवर्सिटी से लेक्चर के लिए बुलावा आता है और ना ही किसी सम्मेलन में भाग लेने का मौका मिलता है। 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ गुलामों जैसा व्यवहार

मार्च 2023 में सोशल मीडिया में एक वीडियो खूब वायरल हुआ। इस वीडियो से एक बार फिर प्रमाण मिला कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी दलित होने की वजह से अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को सम्मान नहीं देते हैं। इस वीडियो में राहुल गांधी नाक खुजला कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कोट पर पोछते नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी के इस अपमानजनक बर्ताव पर सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। लोगों का कहना था कि एक दलित और बुजुर्ग राष्ट्रीय अध्यक्ष का कुछ तो सम्मान कर लेते। राहुल गांधी की हरकतें बच्चों जैसी हैं। उनके पास कुछ तो शिष्टाचार होना चाहिए। कुछ लोगों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत नैपकिन से ज्यादा नहीं है।

मल्लिकार्जुन की जगह राहुल गांधी ने दिया आखिरी भाषण

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अलवर के मालाखेड़ा में हुई कांग्रेस की जनसभा में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का भाषण सबसे आखिर में होना चाहिए था, क्योंकि कांग्रेस की किसी भी सभा में जब राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद होते हैं तो सबसे आखिर में भाषण उन्हीं का होता है। लेकिन इस सभा में राहुल गांधी ने आखिर में अध्यक्षीय भाषण दिया। इससे कांग्रेस पार्टी ने संदेश दिया कि भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे राष्ट्रीय अध्यक्ष है, लेकिन पार्टी के सर्वोच्च और सबसे पावरफुल नेता राहुल गांधी हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा। सभा के दौरान मंच पर बहुत से ऐसे मौके आए जब वे हर तरह से पावरफुल नेता कम, बॉस की भूमिका में दिखे। खड़गे और राहुल के बीच ज्यादा चर्चा भी नहीं हुई। खड़गे संगठन चुनाव के जरिए अध्यक्ष चुने गए थे। खड़गे अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार राजस्थान में किसी जनसभा में शामिल हुए थे। लेकिन जनसभा में राहुल गांधी असली बॉस की भूमिका में नजर आए। 

दलित होने की वजह से नहीं बन पाए कर्नाटक के सीएम 

कर्नाटक की दलित राजनीति के पोस्टर ब्वॉय मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आज दलित होना उनकी सबसे बड़ी योग्यता है, वहीं अतीत में उनके लिए कमजोरी बन गया था। 1972 में उन्होंने जिस सीट से विधायिकी जीतकर अपने राजनीतिक सफर का औपचारिक आगाज किया था उसी सीट से वे लगातार 2004 तक जीते। यानी कि उन्होंने 32 साल तक लगातार एक ही सीट से जीत हासिल की। कर्नाटक की राजनीति में तीन बार ऐसा मौका आया जब खड़गे सीएम बनने वाले थे। लेकिन हर बार राजनीतिक समीकरणों ने ये मौका उनके हाथ से छीन लिया। दरअसल कर्नाटक की राजनीति में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय का वर्चस्व है। ऐसे में कांग्रेस ने अपने इस दलित पोस्टर ब्वॉय को दरकिनार कर दिया। लेकिन अब दलितों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए गांधी परिवार ने दलित अध्यक्ष का मुखौटा लगा लिया है। 

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