स्वामीनाथन आयोग की जिन सिफारिशों को कांग्रेस सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था, मोदी सरकार ने उसकी सिफारिशों को स्वीकार किया। उत्पादन लागत का न्यूनतम 1.5 गुना एमएसपी निर्धारित करने की घोषणा की। इसके बाद एमएसपी में लगातार वृद्धि करते हुए मोदी सरकार ने इसे आगे जारी रखने का संकल्प भी व्यक्त किया है। आइए देखते हैं मोदी सरकार किस तरह किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठा रही है।
मोदी सरकार में पहली बार
- मोदी सरकार ने ‘एक देश, एक कृषि बाजार’ बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
- किसानों को अपनी फसल कहीं पर, किसी को भी बेचने की आजादी मिली।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन कर कृषि उपजों को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया।
- केंद्रीय बजट 2018-19 में उत्पादन लागत का न्यूनतम 1.5 गुना एमएसपी निर्धारित करने की घोषणा की गई।
- 7 अगस्त, 2020 को देवलाली से दानापुर तक पहली किसान रेल की शुरुआत हुई।
- केंद्रीय बजट 2020-21 में किसान कृषि उड़ान योजना की घोषणा की गई।
- अक्टूबर 2017 में किसानों को दी जाने वाली उर्वरक सब्सिडी को डीबीटी के दायरे में लाया गया।
- वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने ‘’पेड़’’ की परिभाषा से बांस को हटाने के लिए कानून में संशोधन किया।
- पहला e-NAM अंतरराज्यीय व्यापार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच 19 जनवरी, 2019 से शुरू हुआ।
- वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने हर साल 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।
- 2016 में कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय किया गया।
- 19 फरवरी, 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया।
आजादी से समृद्धि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था। संसद में पारित विधेयकों से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा,“हमारे कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत है, क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह स्वागत योग्य कदम है।“
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “देश में एमएसपी की व्यवस्था के साथ ही सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।“
ऐतिहासिक पहल
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020
किसानों को मिलेगा लाभ
- किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं।
- किसान मंडी के साथ-साथ मंडी से बाहर भी अपनी उपज भेज सकते हैं।
- किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा। उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
- किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध होगा, जिससे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित हो सकेगा।
- मंडियों के अलावा व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी।
- किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातक, संगठित रिटेलर सीधा जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी।
- किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे। लेन-देन की लागत में कमी आएगी। उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिलेगी।
शंकाएं
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा।
- मंडियों के बाहर उपज बेचने से मंडियां समाप्त हो जाएंगी।
- e-NAM जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा ?
समाधान
- एमएसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे।
- मंडियों को समाप्त नहीं किया जाएगा, वहां पूर्व की तरह व्यापार होता रहेगा। किसानों को अन्य स्थान पर उपज बेचने का विकल्प होगा।
- e-NAM ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी। इलेक्ट्रॉनिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी।
ऐतिहासिक सुधार
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
किसानों को मिलेगा लाभ
- कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान की उपज का दाम निर्धारित किया जाएगा।
- देय भुगतान राशि के उल्लेख सहित डिलीवरी रसीद उसी दिन किसानों को देने का प्रावधान किया गया है।
- करार से उच्च मूल्य वाली कृषि उपज के उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए निवेश और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- अब बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा।
- मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
- किसानों की पहुंच आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद-बीज तक होगी। शोध को बढ़ावा मिलेगा।
- इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
- अब खेत से उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी।
- किसी विवाद को स्थानीय स्तर पर निपटाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा, जो 30 दिनों के भीतर समाधान करेगा।
शंकाएं
- अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा और वे कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगे।
- छोटे किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कैसे कर पाएंगे? क्योंकि प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
- नई व्यवस्था से किसानों को परेशानी होगी। विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।
- कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी। किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी।
समाधान
- किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता होगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा।
- किसानों को अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर फसल की बिक्री का भुगतान प्राप्त होगा।
- कृषक उत्पादक समूह छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
- किसानों को व्यापारियों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। खरीददार उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
- विवाद की स्थिति में कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था होगी।
- समझौते से किसानों को पहले से तय दाम मिलेंगे, लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकेगा।
- किसान समझौते से कभी भी हटने के लिए स्वतंत्र होगा, इसके लिए उससे कोई पेनॉल्टी नहीं ली जाएगी।
- किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है। समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं।
किसानों को मोदी सरकार की बड़ी सौगात
2021-22 की रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी
फसल | 2020-21
(रुपये/क्विंटल) |
2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
उत्पादन की लागत 2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि
(रुपये/क्विंटल) |
लागत के ऊपर मुनाफा
(प्रतिशत में) |
गेहूं | 1925 | 1975 | 960 | 50 | 106% |
जौं | 1525 | 1600 | 971 | 75 | 65% |
चना | 4875 | 5100 | 2866 | 225 | 78% |
मसूर | 4800 | 5100 | 2864 | 300 | 78% |
सरसों | 4425 | 4650 | 2415 | 225 | 93% |
कुसुंभ | 5215 | 5327 | 3551 | 112 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना
मोदी सरकार में रबी फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2013-14 (रुपये/क्विंटल) | 2021-22 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
गेहूं | 1400 | 1975 | 41% |
जौं | 1100 | 1600 | 45.5% |
चना | 3100 | 5100 | 64.5% |
मसूर | 2950 | 5100 | 73% |
सरसों | 3050 | 4650 | 52% |
कुसुंभ | 3000 | 5327 | 77.5% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में खरीफ फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2013-14 (रुपये/क्विंटल) | 2020-21 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
धान | 1310 | 1868 | 43% |
ज्वार | 1500 | 2620 | 74.5% |
बाजरा | 1250 | 2150 | 72% |
मक्का | 1310 | 1850 | 41% |
अरहर | 4300 | 6000 | 40% |
मूंग | 4500 | 7196 | 60% |
उरद | 4300 | 6000 | 40% |
कपास | 3700 | 5515 | 49% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में फसलों की खरीद में बढ़ोतरी
फसल | 2013-14 (लाख मीट्रिक टन) | 2019-20 (लाख मीट्रिक टन) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
गेहूं | 250.92 | 341.32 | 36% |
धान | 355.78 | 762.08 | 114% |
उड़द | 0.05 | 0.18 | 294% |
अरहर | 0.5 | 5.47 | 994% |
मूंगफली | 3.56 | 7.21 | 103% |
चना | 0.00036 | 7.76 | 2155456% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
यूपीए सरकार से दोगुना एमएसपी का भुगतान
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 3,76,359.25 करोड़ रुपये अनाज की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 6,97,645.53 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 85% की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 625 करोड़ रुपये गेंहू की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 2,39,183.98 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 795 करोड़ रुपये धान की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 4,14,447.73 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 101 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 83 करोड़ रुपये दलहन की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 30,880.04 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 4689 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 1,454.00 करोड़ रुपये तिलहन की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 13,133.78 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 803 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- पीएम मोदी ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू कर उत्पादन लागत पर MSP को बढ़ाकर 1.5 गुणा किया। किसानों को अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत के कम से कम 50 प्रतिशत लाभ देने का प्रावधान किया।
- 2009-2014 की अवधि में खाद्यान्नों का उत्पादन 248.81 मिलियन टन था, जो 8.40 प्रतिशत बढ़कर 2014-19 के दौरान 269.72 मिलियन टन हो गया।
- 2009-14 की अवधि में बागवानी फसलों की औसत वार्षिक उत्पादन 253.4 मिलियन टन था, जबकि 2018-19 की अवधि में औसत उत्पादन 17.86 प्रतिशत बढ़कर 298.67 मिलियन टन हो गया।
- मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में किसानों को किफायती दर पर खाद मुहैया कराने के लिए गैर-यूरिया खादों पर सब्सिडी बढ़ाने का ऐलान किया।
- सल्फर खाद पर 3.56 रुपये, नाइट्रोजन वाली खाद पर 18.90 रुपये, फॉस्फोरस वाली खाद पर 15.21 रुपये, पोटाश खाद पर 11.12 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दी गई।
- किसानों को उत्पाद के लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान को मंजूरी दी गई।
संकटमोचक बनी मोदी सरकार
- कोविड-19 संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि क्षेत्र के लिए 1.63 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की गई।
- कोविड-19 संकट आने के बाद 3 करोड़ किसानों को 4.22 लाख करोड़ रुपये के फसल ऋण पर ब्याज में छूट दी गई।
- किसानों के फसल ऋण पर ब्याज में छूट की समय सीमा को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 तक किया गया।
- इसके तहत फसल ऋण पर ब्याज में 2 प्रतिशत और समय पर भुगतान करने पर 3 प्रतिशत की छूट दी गई।
- किसानों को खरीफ के दौरान बुवाई जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों ने 70.32 लाख किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किए।
- किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 62,870 करोड़ रुपये का ऋण भी किसानों को दिया गया।
- माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए 10,000 करोड़ रुपये की घोषणा की गई। इससे खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र की छोटी इकाइयों को फायदा होगा।
- ऑपरेशन ग्रीन के दायरे में सभी फल और सब्जियों को लाया गया। इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
- ऑपरेशन ग्रीन योजना के तहत सभी फल सब्जियों के परिवहन और स्टोरेज पर 50-50 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा की गई।
- कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों से रिकॉर्ड 382 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई। इससे 42 लाख किसान लाभान्वित हुए।
- एमएफपी योजना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत लघु वन उपजों की भी 79.42 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड खरीद हुई।
आत्मनिर्भर बनते किसान
- कृषि सेक्टर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की गई।
- नाबार्ड के जरिए अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा के रूप में 30,000 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई।
- कृषि क्षेत्र को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रोत्साहन देने के लिए मिशन-मोड में अभियान चलाया जा रहा है।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन कर खाद्य वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया।
- 24 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत की गई।
- किसान सम्मान निधि के तहत 10.6 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 93,000 करोड़ रुपये बैंक खाते में भेजे गए।
- 12 सितंबर, 2019 को पीएम किसान मानधन योजना शुरू की गई। किसानों को प्रति माह 3,000 रुपये पेंशन की सुविधा है।
- सितंबर 2020 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 9 करोड़ से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया।
- मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अब स्वैच्छिक बना दिया है।
- पूर्वोत्तर राज्यों के लिए प्रीमियम सब्सिडी में केन्द्रीय सब्सिडी का हिस्सा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया गया।
- 33 प्रतिशत और उससे अधिक फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को मदद मिलेगी।
- मोदी सरकार कृषि के पारंपरिक तरीके को फिर से अपनाने के लिए जीरो बजट खेती को प्रोत्साहन दे रही है।
- मोदी सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए पूरी तरह नीम कोटिंग यूरिया के इस्तेमाल की मंजूरी दी।
- मोदी सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ की शुरुआत की।
- औषधीय जड़ी बूटी की खेती को प्रोत्साहन के लिए 4,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गयी।
श्वेत क्रांति की बढ़ी रफ्तार
- पशुपालकों और डेयरी सेक्टर के विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया है।
- 5 करोड़ डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड्स (केसीसी) अभियान की शुरुआत की गई।
- पीएम मोदी ने किसानों को पशुधन के लिए ई-मार्केटप्लस उपलब्ध कराने के लिए ई-गोपाला मोबाइल एप का लॉन्च किया।
- 50 करोड़ से ज्यादा पशुधन को खुरपका और मुंहपका बीमारियों से मुक्ति के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
- देसी नस्ल की गायों के विकास के लिए मिशन गोकुल शुरू किया गया है।
- डेयरी किसानों के लोन या सब्सिडी पर ब्याज छूट को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
मधुमक्खी पालन
- मोदी सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया।
- एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, विपणन और भंडारण केंद्र से संबंधित अवसंरचनाओं का विकास किया जाएगा।
- मधुमक्खी-पालकों के रूप में महिलाओं पर विशेष फोकस करते हुए क्षमता निर्माण को गति प्रदान की जा रही है।
- मोदी सरकार ने नेशनल बी-कीपिंग एंड हनी मिशन को मंजूरी दी, इससे 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
- शहद उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत और निर्यात में दोगुने से अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
नीली क्रांति
- 10 सितंबर, 2020 को पीएम मोदी ने 20,050 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया।
- इससे मछली उत्पादकों को नया इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक उपकरण और नया मार्केट भी मिलेगा।
- 2013-14 से 2018-19 के बीच मत्स्य उत्पादन 79 लाख टन से बढ़कर 134.2 लाख टन पहुंचा।
- पिछले पांच वर्षों में समुद्री उत्पाद के निर्यात में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- बजट 2020 में 2024-25 तक मत्स्य निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने के लक्ष्य की घोषणा की गई।
- मछुआरों की आय और मछली का उत्पादन दोगुना करने के लिए मत्स्यपालन विभाग बनाया गया।
हर खेत को पानी
- हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत 2015 में की गई।
- कुसुम योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य रखा गया है।
- मोदी सरकार ने अगले 5 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 100 लाख हेक्टेयर भूमि कवर करने का लक्ष्य रखा है।
- वर्ष 2019-20 में ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाने से 11 लाख किसानों को लाभ हुआ।
मृदा स्वास्थ्य सुधार
- 19 फरवरी, 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया था।
- सितंबर 2020 तक 22.4 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया गया।
- हर दो साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने से मिट्टी के पोषण की कमियों को दूर किया जा सकेगा।
- इससे पानी व केमिकल की बचत होगी और मृदा स्वास्थ्य बढ़ाने में भी कामयाबी मिलेगी।
कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा
- 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना से किसान समूहों के साथ एक नया आयाम जुड़ा है।
- देश के 60 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत हैं, जो इन एफपीओ के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगे।
- ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत बागवानी उत्पादों के लिए क्लस्टर आधारित रणनीति अपनायी गई है।
- कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में इनोवेशन व तकनीक के उपयोग के लिए स्टार्ट-अप्स और कृषि-उद्यमिता पर जोर दिया जा रहा है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि के क्षेत्र में 112 स्टार्ट-अप्स को 1,185.90 लाख रुपये की सहायता किस्तों में दी जाएगी।
किसान रेल
- 7 अगस्त, 2020 को देवलाली से दानापुर तक पहली किसान रेल प्रारंभ की गई।
- 9 सितंबर,2020 को देश की दूसरी व दक्षिण भारत की पहली किसान रेल अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) से दिल्ली के लिए रवाना हुई।
- किसान ट्रेन कम समय में सब्जियों, फलों जैसे जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों को बाजार में लाने में मदद करेगी।
किसान उड़ान
- केंद्रीय बजट 2020 में किसान कृषि उड़ान योजना की घोषणा की गई।
- किसानों की फसलों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए विशेष हवाई यात्रा की व्यवस्था की जाएगी।
- जल्दी ख़राब होने वाले खाद्य सामग्री जल्द बाजार में पहुंच सकेंगी। किसानों को फसल के अच्छे दाम प्राप्त होंगे।
किसान चैलन
- 26 मई, 2015 को किसानों के लिए समर्पित देश का पहला टीवी चैनल ‘डीडी किसान’ का शुभारंभ हुआ।
- चैनल द्वारा किसानों को नई तकनीकों और शोधों के बारे में सही और सीधी जानकारी पहुंचाई जा रही है।
- केंद्रीय कृषि मंत्री ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के सहकार कॉपट्यूब चैनल का शुभारम्भ किया।
तकनीक से खेती करना हुआ आसान
- कृषि उत्पादों के विपणन को आसान बनाने के लिए 14 अप्रैल, 2016 को e-NAM व्यापार पोर्टल की शुरुआत की गई।
- सितंबर 2020 तक 1.67 करोड़ से अधिक किसानों ने e-NAM पर पंजीकरण कराया।
- अप्रैल 2020 में कृषि उत्पादों के परिवहन में सुगमता लाने के लिए किसान रथ मोबाइल एप लांच किया गया।
- सीएचसी-फॉर्म मशीनरी मोबाइल एप किसानों को किराए पर कृषि मशीनरी और उपकरण प्राप्त करने में मदद करता है।
- एग्री मार्केट एप से फसलों की कीमतों के बारे में और फसल बीमा एप से फसल बीमा की जानकारी मिलती है।
- किसान सुविधा मोबाइल एप से किसानों को मौसम, कीमत, बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि की जानकारी मिलती है।
- मोदी सरकार ने किसानों को दिए जाने वाले उर्वरक की सब्सिडी को डीबीटी के दायरे में ला दिया।
- पहले चरण में पीओएस मशीनों के माध्यम से दर्ज खुदरा बिक्री के अंकड़ों की जांच के बाद कंपनियों को सब्सिडी ट्रांसफर की जा रही है।
- मोदी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से देश के किसानों की तकदीर बदलने की तैयारी कर रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए पूरी तरह से अलग फीडर तय किया है, जिससे किसानों को 24 घंटे बिजली मिल सके।
- मोदी सरकार में सिंद्री, गोरखपुर और बरौनी के उर्वरक कारखानों को फिर से खोला गया।
- उर्वरक की बिक्री में साल-दर-साल लगभग 98 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कृषि क्षेत्र में आ रही मजबूती को दर्शाता है।
- 6 साल पहले जहां देश में सिर्फ एक केंद्रीय कृषि विश्विद्यालय था, वहीं मोदी सरकार में इसकी संख्या बढ़कर तीन हो गई है।
- मोदी सरकार ने 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को दुरुस्त करने का लक्ष्य तय किया है।
- किसानों को सशक्त करने के लिए ‘बीज से बाजार तक’ मोदी सरकार ने एक अनोखी पहल की।
- बजट 2018-19 में गोबर-धन यानि गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स योजना की घोषणा की गई।