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पंजाब में चन्नी और सिद्धू के बीच चुनावी जंग, प्रियंका गांधी के सामने सिद्धू ने कराई कांग्रेस की किरकिरी

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पंजाब की सियासी जंग दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गयी है। 20 फरवरी को 117 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में मतदान के लिए चार पार्टियां कांग्रेस, बीजेपी,आम आदमी पार्टी और अकाली दल पूरा जोर लगा रही हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता दूसरी पार्टियों से लड़ने की जगह आपस में ही लड़ रहे हैं। रविवार (13 फरवरी, 2022) को धुरी में रैली के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह अपनी नाराजगी जतायी और भषण देने से साफ इनकार कर दिया, उससे प्रियंका गांधी और कांग्रेस की जमकर किरकिरी हुई। 

सिद्धू का भाषण देने से साफ इनकार

दरअसल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप मे चरणजीत सिंह चन्नी के नाम के ऐलान के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू काफी नाराज है। वे अब अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर करने में भी संकोच नहीं कर रहे हैं। जब धूरी में कांग्रेस प्रत्याशी दलबीर सिंह गोल्डी की रैली में कांग्रेस के मंच पर सिद्धू को भाषण के लिए आमंत्रित किया गया, तो उन्होंने अपनी सीट से खड़े होकर भाषण देने से साफ इनकार कर दिया और चन्नी की ओर इशारा कर बोले, इन्हें बुलवाओ। इस दौरान फिर उनका नाम लिया गया, लेकिन सिद्धू ने इशारा कर फिर मना कर दिया। इस दौरान प्रियंका गांधी पंजाब कांग्रेस का ड्रामा देखती रह गई।

सिद्धू की बेटी राबिया का सीएम चन्नी पर सीधा हमला

सिद्धू को सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं करने की कसक सिर्फ सिद्धू ही नहीं, उनके परिवार के मन में भी है। सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू और बेटी राबिया सिद्धू भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं। दो दिन पहले ही सिद्धू की बेटी राबिया सिद्धू ने भी अपना आक्रामक अंदाज दिखाया था। राबिया ने चन्नी पर निशाना साधते हुए कहा कि चन्नी उनके पिता के पास खड़े होने के लायक भी नहीं हैं। हाई कमान ने जो किया…उनकी कुछ मजबूरियां रही होंगी या…लेकिन ठीक है…कोई ईमानदार बंदे को काफी देर तक रोक नहीं सकता और जो बेईमान होता है उसे रुकना ही होता है। सीएम चन्नी को लेकर सवाल किया चन्नी कहां गरीब हैं? उनका बैंक अकाउंट खोलकर देख लो, 133 करोड़ मिल जाएंगे। मैं कुछ बोलने वाली नहीं होती, लेकिन कोई करोड़पति गरीब नहीं होता।

सिद्धू के भाषण से ‘पंजाब मॉडल’ गायब

गौरतलब है कि 6 फरवरी को सीएम उम्मीदवार की घोषणा से पहले नवजोत सिद्धू पंजाब में कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे और उन्होंने पूरे राज्य में प्रचार की कमान संभाल रखी थी। वह 54 विधानसभा हलकों में प्रचार कर चुके थे। लेकिन अब सिद्धू अपने विधानसभा क्षेत्र अमृतसर ईस्ट तक ही सिमट गए हैं। उन्होंने अपने पंजाब मॉडल की बात करना बंद कर दिया है और दूसरे हलकों में प्रचार करने भी नहीं जा रहे हैं। यह पहली बार है कि नवजोत अपने हलके में डोर-टु-डोर प्रचार कर रहे हैं। उन्हें प्रचार के लिए भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे नेताओं का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में सिद्धू अपनी जीत पक्की करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। 

कांग्रेस की हार में अपनी जीत ढूंढ़ रहे सिद्धू

सिद्धू ने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को निपटाया अब चरणजीत सिंह चन्नी का जड़ खोदने में लगे हुए हैं। दरअसल चन्नी को सीएम चेहरा बनाने को सिद्धू बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए सिद्धू पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी ज्यादा नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे उनकी सोच यह है कि अगर पार्टी जीत जाती है तो श्रेय चरणजीत सिंह चन्नी को जाएगा। अगर कांग्रेस हार जाती है तो उन्हें पार्टी आलाकमान को गलत साबित करने का मौका मिल जाएगा। इसलिए भी वह हालात भांप कर अब चुप हो रहे हैं। इस तरह सिद्धू पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के लिए हर तरह के दांव-पेंच लगा रहे हैं। 

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