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उमेश पाल और संदीप निषाद की हत्या पर दलित ठेकेदार मौन, जानिए क्यों करते हैं दलितों पर मुस्लिम अत्याचार का समर्थन ?

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उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उमेश पाल पर हुए हमले में उनके सुरक्षाकर्मियों में से एक संदीप निषाद की भी मौत हो गई। 24 फरवरी, 2023 को हुई इस हत्याकांड ने सबको हिलाकर रख दिया। माफिया अतीक अहमद के गुंडों ने जिस तरह सरेआम उमेश पाल को उनके घर के सामने हत्या की, उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। लेकिन यह गूंज दलित ठेकेदारों को सुनाई नहीं दे रही है। दलितों पर सवर्ण अत्याचार को लेकर सड़क से लेकर सदन और मीडिया तक हाय-तौबा मचाने वाले दलित ठेकेदार दो दलितों की हुई इस हत्या पर मौन है। उन्हें दलितों पर हो रहा मुस्लिम अत्याचार दिखाई नहीं दे रहा है। वे चंद मुस्लिम वोट के लिए दलितों के खून से ही सौदा कर रहे हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि दलितों पर अत्याचार तभी अत्याचार माना जाएगा जब वो अत्याचार किसी सवर्ण ने किया हो ?

कांग्रेस, बसपा और सपा ने दिया दलितों पर मुस्लिम अत्याचार को बढ़ावा 

दलित उमेश पाल हत्याकांड दलितों के खिलाफ हो रहे मुस्लिम अत्याचार का ताजा प्रमाण है, जिसे कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी में खूब बढ़ावा मिला। 1986 में यूपी में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी और केंद्र में राजीव गांधी की। अतीक अहमद लूट, अपहरण और हत्या जैसी खौफनाक वारदातों को लगातार अंजाम दे रहा था। जब पुलिस ने अतीक को गिरफ्तार किया तो उसे छुड़ाने के लिए दिल्ली से फोन आया था। माफियागिरी के 7 सालों में प्रयागराज के कांग्रेस सांसद से उसके अच्छे संबंध बन चुके थे। इसके बाद दलितों की सुरक्षा के नाम पर अपनी सियासी दुकान चलाने वाली पार्टियों ने दलितों पर अत्याचार करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और उन्हें फलने-फूलने का पूरा मौका दिया। इनके राज में गरीब दलितों की चिताएं जलती रहीं और इन पार्टियों के प्रमुख सत्ता की मलाई चाटते रहे। अगर इन पार्टियों ने दलित अत्याचार को रोकने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया होता तो अतीक अहमद जैसे दलित विरोधी माफिया का साम्राज्य विस्तार नहीं होता। सपा और बसपा राज में पोषित ये माफिया आज इस तरह शासन और प्रशासन को खुलेआम चुनौती देने वाले नहीं बनते।

एक दलित की जीत को बर्दाश्त नहीं कर पाया सपा सांसद अतीक   

दलित उमेश पाल हत्याकांड की पृष्टभूमि पर नजर डाले तो इसकी शुरुआत साल 2004 से होती है। आज दलितों और शूद्रों के ठेकेदार बनी समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट से लड़ने का मौका दिया था। अतीक अहमद ने धनबल और बाहुबल से फूलपुर का चुनाव जीत लिया। इस के बाद प्रयागराज की पश्चिम सीट के विधायक अतीक अहमद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। शहर पश्चिमी विधायक की कुर्सी खाली हो गई। अब अतीक अपने छोटे भाई अशरफ को वहां से विधायक बनाना चाहता था। उपचुनाव की तारीख आई, तो अतीक के खास रहे राजू पाल ने भी बीएसपी के टिकट पर विधायकी लड़ने का ऐलान कर दिया। राजू पाल ने उपचुनाव में अशरफ को हरा दिया। एक दलित की जीत को अतीक अहमद बर्दाश्त नहीं कर पाया और राजू पाल का दुश्मन बन गया। विधायक बनने के 3 महीने बाद 15 जनवरी, 2005 को राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली। शादी के ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या कर दी गई।

बसपा और सपा की विधायक रहीं राजू पाल की पत्नी को नहीं मिला न्याय

राजू पाल की हत्या के बाद खाली हुई शहर पश्चिमी सीट से अतीक अहमद के भाई खालिद आजिम उर्फ अशरफ ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद इस सीट से 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने बसपा के टिकट पर जीता। 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी के टिकट पर सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जीत हासिल की। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सपा की उम्मीदवार रिचा सिंह को करीब 25,000 मतों से हराया। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल साल 2022 में सपा की टिकट पर कौशांबी की चायल सीट से फिर विधायक बन गईं। राजू के पक्ष में 17 साल तक मुकदमा लड़ने के बावजूद फैसला नहीं आया है। अब उसके आखिरी गवाह रहे पूजा पाल के चचेरे भाई उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई। उमेश पाल कोर्ट से बाहुबली माफिया अतीक अहमद के खिलाफ मुकदमें की सुनवाई से लौट रहे थे, तभी उनके घर के सामने अतीक के गुंडों ने हमला किया। उमेश पाल की हत्या के बाद पूजा पाल ने योगी सरकार को पत्र लिखकर अपनी जान की सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सितंबर 2019 से माफिया अतीक अहमद के लोग लगातार धमकी दे रहे हैं। दबाव बनाया जा रहा कि मैं राजू पाल हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट में गवाही देने न जाऊं। माफिया अतीक अहमद के खिलाफ गवाही देने पर उनकी और उनके परिवार परिजनों को खत्म कर दिया जाएगा। 

सपा के दलित महिला विधायक को जान का खतरा, स्वामी प्रसाद मौर्य मौन

अब समाजवादी पार्टी की एक दलित विधायक एक मुस्लिम माफिया से अपनी और परिवार की जान को खतरा बता रही है, तो शूद्र और महिलाओं के अपमान के नाम पर रामचरितमानस जलकर हिन्दुओं में नफरत फैलाने वाले स्वामी प्रसाद अपनी पार्टी के दलित विधायक की आवाज नहीं उठा रहे हैं। एक दलित महिला गुहार लगा रही है, लेकिन सभी दलित ठेकेदार मौन है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद खौफ में जी रही एक दलित महिला विधायक और उसका परिवार उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि ये अत्याचार करने वाला कोई सवर्ण ना होकर एक मुस्लिम बाहुबली और माफिया अतीक अहमद है। उन्हें मुस्लिमों के नाराज होने का खतरा सता रहा है। इसलिए ये दलित ठेकेदार अतीक अहमद के खिलाफ सड़क से लेकर मीडिया तक मुहिम नहीं चला रहे हैं। इससे पता चलता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव जैसे दलित ठेकेदार सीर्फ दलितों के वोट लिए रामचरितमानस को सियासी मुद्दा बना रहे हैं।

मुस्लिम वोट के लिए दलित महिला विधायक का सौदा कर रहे अखिलेश

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव अपने सियासी फायदे के लिए तुलसीदास रचित रामचरितमानस के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। रामचरितमानस को जलाने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य को पदोन्नति देकर सपा का महासचिव बनाया। लेकिन उमेश पाल की हत्या और अपनी पार्टी की दलित महिला विधायक के चीरहरण की आशंका पर मौन है। सपा की दलित विधायक पूजा पाल बचाने की गुहार लगा रही है, लेकिन खुद को कृष्ण का वंशज बताने वाले अखिलेश यादव भगवान कृष्ण की तरह अपनी पार्टी की एक दलित विधायक को बचाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, क्योंकि चीरहरण करने वाला कोई सवर्ण ना होकर एक मुस्लिम माफिया है। अखिलेश यादव मुस्लिम वोट के लिए अपनी दलित विधायक पूजा पाल और उसके परिवार का सौदा कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने एक बार भी अतीक अहमद और उसके गुंडों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है। 

अतीक की पत्नी को बीएसपी से बाहर करने से डरी मायावती

दलित उमेश पाल हत्याकांड का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वारदात के सीसीटीवी फुटेज से अतीक अहमद का बेटा असद अहमद, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और अरमान की शिनाख्त हो गई है। अभी तक हमले में सात लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। बाकी तीन की भी शिनाख्त करवाई जा रही है। उधर, उमेश की पत्नी जया की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, जिसमें गुजरात की जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन और बेटों समेत उसके करीबी गुड्डू मुस्लिम, गुलाम का नाम शामिल है। अतीक के एक बेटे और उसके साथियों को एफआईआर में मुख्य आरोपित जबकि अन्य को साजिशकर्ता बनाया गया है। अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन इस वक्त बीएसपी में है। लेकिन दलितों की सबसे बड़ी झंडाबरदार बीएसपी सुप्रीमो मायावती शाइस्ता परवीन के खिलाफ कार्रवाई करने से डर रही है। उन्होंने दलील दी है कि जांच में दोषी साबित होते ही बीएसपी से शाइस्ता को निष्कासित कर दिया जाएगा। दरअसल मायावती भी मुस्लिम वोट के लिए दलित के खून और अत्याचार पर सौदा कर रही है। 

उदित राज, चंद्रशेखर और दिलीप मंडल जैसे दलित ठेकेदारों के एजेंडे की खुली पोल

महज 200 साल तक शासन करने वाले अंग्रेज़ों की गर्दन काटने वाले दलित 5000 साल तक सवर्णों का अत्याचार सहते रहे ? क्या इस बात पर यकीन किया जा सकता है ? इन सवालों का जवाब उमेश पाल की हत्या और सपा विधायक पूजा पाल की गुहार पर कांग्रेस नेता उदित राज, आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ और पत्रकार दिलीप मंडल की चुप्पी है। इनकी चुप्पी बता रही है कि इनका दलितों की सुरक्षा और हित से कोई मतलब नहीं है। ये एक एजेंडे के तहत दलितों पर सवर्ण अत्याचार का नैरेटिव तैयार करते हैं और उसे विभिन्न प्लैटफॉर्म पर आगे बढ़ते हैं। सवर्णों को दलित शोषक के रूप में पेश करते हैं। वहीं इन दलित ठेकेदारों को दलितों पर मुस्लिम अत्याचार दिखाई नहीं देता है, क्योंकि इनकी आंखों पर दलित-मुस्लिम भाईचारा का चश्मा लगा दिया गया है। ये अपने राजनीतिक और निहित स्वार्थ के लिए दलितों पर सवर्ण अत्याचार का नैरेटिव तैयार कर खूब हाय-तौबा मचाते हैं। अगर ये दलितों पर मुस्लिम अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे तो उनका एजेंडा धराशायी हो जाएगा। इसलिए दलित ठेकेदार अपने एजेंंडे को जारी रखने के लिए मुस्लिम अत्याचार का मौन समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस नेता उदित राज ने उमेश पाल हत्याकांड पर ट्वीट तो किया, लेकिन दलित और मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल करने से डर गए,जो उनके एजेंडे की पोल खोलता है। 

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