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नये शहरों का विकास और मौजूदा शहरों का आधुनिकीकरण अमृतकाल के दो महत्‍वपूर्ण पहलू- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ते भारत के माहौल में शहरों का नियोजित होना समय की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरी नियोजन अमृतकाल में देश के शहरों की नियति निर्धारित करेगा। उन्‍होंने कहा कि नये शहरों के विकास और मौजूदा शहरों में सेवाओं को आधुनिक बनाना शहरी विकास के दो महत्‍वपूर्ण पक्ष हैं। आज, 1 मार्च को ‘शहरी योजना, विकास और स्वच्छता’ विषय पर बजट बाद के वेबिनार को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश में अब तक केवल दो योजनाबद्ध शहरों का विकास किया गया। उन्होंने कहा कि अगर स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने पर 75 योजनाबद्ध शहरों का विकास हो जाता, तो दुनिया में भारत की स्थिति बिलकुल भिन्न होती। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कहा कि सुनियोजित शहर 21वीं सदी में भारत के तेज विकास के माहौल में समय की जरूरत बनेंगे। उन्होंने बताया कि शहरी विकास के मानकों के लिए इस साल के बजट में 15,000 करोड़ रुपये की धनराशि की घोषणा की गई है। उन्होंने भरोसा जताया कि इससे योजनाबद्ध शहरीकरण में तेजी आयेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने शहरी विकास में योजना और शासन की अहम भूमिका पर एक बार फिर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शहरों की कमजोर योजना या योजना के बाद उचित कार्यान्वयन के अभाव के कारण भारत की विकास यात्रा में बड़ी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। उन्होंने जगह को लेकर योजना, परिवहन योजना और शहरी अवसंरचना जैसे क्षेत्रों पर ध्यान लगाकर काम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने वेबिनार के शामिल लोगों से कहा कि वे तीन मुख्य प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करें कि कैसे राज्यों में शहरी योजना इको-प्रणाली को मजूबत बनाया जा सकता है, शहरी विकास में निजी सेक्टर में उपलब्ध विशेषज्ञता का उचित इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है और अंत में शहरी योजना को एक नये स्तर पर ले जाने वाले उत्कृष्टता केंद्रों को कैसे विकसित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारें और शहरी स्थानीय निकाय तभी विकसित राष्ट्र के प्रति अपना योगदान कर सकते हैं, जब वे योजनाबद्ध शहरी क्षेत्रों को तैयार करें। प्रधानमंत्री ने कहा, “शहरी योजना अमृतकाल में हमारे शहरों का भविष्य तय करेगी और केवल सुनियोजित शहर ही भारत का भविष्य तय करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि बेहतर योजना की बदौलत ही हमारे शहर जलवायु-अनुकूल और जल-संरक्षित बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि वे इनोवेटिव विचारों के साथ आगे आएं। उन्होंने विशेषज्ञों की भूमिका का भी जिक्र किया, जो जीआईएस-आधारित मास्टर प्लानिंग, योजना उपकरणों के विभिन्न स्वरूपों के विकास, कुशल मानव संसाधन और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में वे निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को उनकी विशेषज्ञता की बहुत जरूरत होगी और इस तरह अनेक अवसर पैदा होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवहन योजना, शहरी विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ है और हमारे शहरों में आवागमन निर्बाध होना चाहिये। वर्ष 2014 के पहले देश में मेट्रो क्नेक्टिविटी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार अनेक शहरों में मेट्रो रेल पर काम कर रही है और मेट्रो नेटवर्क कनेक्टिविटी के मामले में भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने मेट्रो नेटवर्क को मजबूत करने और पहले से अंतिम गंतव्य तक की कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि शहरों में सड़कों को चौड़ा करना, ग्रीन हाउस उत्सर्जन, वायु प्रदूषण व शोर-शराबे से मुक्त आवागमन, एलीवेटेड सड़कों और सड़कों के जंक्शन में सुधार लाने के काम को परिवहन योजना में शामिल करना होगा।

देश में हर दिन बैटरी अपशिष्ट, इलेक्ट्रिक अपशिष्ट, मोटर-वाहन अपशिष्ट, टायर और कंपोस्ट खाद बनाने योग्य कचरे जैसा हजारों टन अपशिष्ट नगर निगम क्षेत्र में जमा होता है, जिसका जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “सर्कुलर इकोनॉमी को भारत शहरी विकास का प्रमुख आधार बना रहा है।” उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में अपशिष्ट का प्रसंस्करण केवल 14-15 प्रतिशत था, जिसकी तुलना में आज 75 प्रतिशत अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह कदम पहले उठा लिया जाता, तो भारत के शहरों के किनारे कचरे के पहाड़ न खड़े हो पाते।

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे नये शहरों को कचरा-मुक्त, जल संरक्षित और जलवायु-अनुकूल होना चाहिए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे भविष्य के शहरों को वास्तु, शून्य उत्सर्जन मॉडल, ऊर्जा की रचनात्मक स्थिति, जमीन का कारगर इस्तेमाल, परिवहन गलियारों और जन सेवाओं में कृत्रिम बौद्धिकता के इस्तेमाल जैसे पैमानों पर तैयार करना चाहिए। उन्होंने यह भी गौर किया कि खेल के मैदान और बच्चों के लिए साइकिल चलाने के मार्गों की जरूरत भी शहरी योजना का हिस्सा हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार द्वारा बनाई जा रही योजनाओं और नीतियां से न केवल शहरवासियों का जीवन आसान होना चाहिए, बल्कि उन्हें खुद के विकास में भी सहायक होना चाहिए।” उन्होंने बताया कि इस साल के बजट में पीएम आवास योजना के लिए 80,000 करोड़ रुपये खर्च करने की सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई मकान बनता है, तो सीमेंट, इस्पात, पेंट और फर्नीचर जैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। शहरी विकास के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप्स और उद्योगों से आग्रह किया किया कि वे इस दिशा में विचार करें और तेजी से कार्य करें।

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