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गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत पाई, राजस्थान में बीजेपी को 130 से 150 सीट मिलने की उम्मीद, सट्टा बाजार में बीजेपी को 124 सीटें

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राजस्थान की 200 सीटों वाली राज्य विधानसभा की 199 सीटों पर मतदान संपन्न हो गया है जबकि श्रीगंगानगर जिले की करणपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के निधन की वजह से चुनाव स्थगित कर दिया गया था। राजस्थान चुनाव को लेकर अब सभी की नजरें 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों पर है। लेकिन उससे पहले 30 नवंबर को आने वाले एग्जिट पोल का भी लोग इंतजार कर रहे हैं जिसमें राजस्थान चुनाव की तस्वीरें साफ हो सकती है। वहीं प्रदेश में फलोदी सट्टा बाजार हो या चुनाव से पहले आए ओपिनियन पोल। सभी में इस बार बीजेपी की सरकार बनती हुई दिखाई दी। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो राजस्थान की तस्वीर साफ हो चुकी है। सोशल मीडिया पर चुनाव विशेषज्ञ कह रहे हैं कि राजस्थान में बीजेपी को 130 से 150 सीटें मिल सकती हैं। वहीं कांग्रेस को 50 से कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। फलौदी के सट्टा बाजार ने भाजपा के 122 से 124 सीटें जीतने का दावा किया है। वहीं कांग्रेस के पक्ष में 62 से 65 सीटें दी गई हैं। सट्टा बाजार में भाजपा का भाव 25 पैसे जबकि कांग्रेस का 3.5 से 4 रुपए बताया गया है। पिछले 25 साल के राजस्थान विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो कांग्रेस ने तीन बार 1998, 2008 और 2018 में जीतकर सरकार बनाई है। लेकिन इन तीनों ही बार कांग्रेस ने अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ा था। वहीं 2003 और 2013 में कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव में उतरी और दोनों में ही उसे हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर 2023 में कांग्रेस ने अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा है। आंकड़े बता रहे हैं कि इस बार कांग्रेस की हार तय है। 

सट्टा बाजार में बीजेपी को 124 सीटें और कांग्रेस को 65 सीटें
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में चुनावों के दौरान जोधपुर जिले के फलौदी का सट्टा बाजार सटीक आकलन करता आया है। ऐसा माना जाता है कि फलोदी सट्टे बाजार का आकलन काफी हद तक सही होता है। हाल ही में सट्टा बाजार के एक सटोरिये ने एक नेशनल टीवी चैनल की रिपोर्टर से बात की। इस बातचीत में सटोरिये ने बताया कि सट्टा बाजार में भाजपा का भाव 25 पैसे का चल रहा है जबकि कांग्रेस का भाव 3.5 से 4 रुपए चल रहा है। ध्यान रहे कि जिसका भाव जितना कम होता है, वह उतना ही ज्यादा मजबूत स्थिति में होता है।

पीएम मोदी की रैलियों के बाद बीजेपी मजबूत, कांग्रेस के मंत्री भी हार रहे चुनाव
सट्टा बाजार में पिछले सप्ताह तक कांग्रेस की स्थिति कुछ अच्छी थी लेकिन पीएम मोदी की रैलियों के बाद कांग्रेस के भाव बढ़ गए। यानी मोदी की सभाओं और रोड शो के बाद कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो गई। सट्टा बाजार के मुताबिक इस चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और गहलोत के कई मंत्री चुनाव हार रहे हैं। सटोरियों का आकलन है कि कांग्रेस के ऐसे 12 से 15 नेता हैं जो विधानसभा चुनाव हारने वालों में शामिल हैं। साथ ही कई प्रमुख नेता ऐसे हैं जिनकी स्थिति काफी मजबूत है। मजबूत स्थिति वाले नेताओं में अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, दिव्या मदेरणा, सचिन पायलट, सतीश पूनिया, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और राजेंद्र राठौड़ शामिल हैं।

बीजेपी 156 सीट जीत रहीः आम जनता
राजस्थान में आम जनता भी कह रही है कि बीजेपी 155-156 सीट जीत रही है। आम लोग तो अभी से बीजेपी की जीत का जश्न मना रहे हैं। यह दर्शाता है कि राजस्थान में पांच साल चली कांग्रेस की सरकार की कुव्यवस्था से लोग कितने नाखुश हैं। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार के दौरान कानून व्यवस्था चौपट रही, अपराधियों में कानून का खौफ नहीं रहा। भ्रष्टाचार और घोटाला का बोलबाला रहा। महिलाओं के खिलाफ अपराध पर गहलोत सरकार लगाम नहीं लगा पाई। तुष्टिकरण का खुला खेल खेला गया। हिंदुओं की मौत पर केवल शोक जताया गया और मुसलमान की मौत पांच लाख का मुआवजा दिया गया। इस तरह के भेदभाव से भी लोगों में काफी नाराजगी है।

अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस कभी चुनाव जीत नहीं पाई
राजस्थान की सियासत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 40 साल से कांग्रेस का चेहरा बने बने हुए हैं। अशोक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने अपने सियासी सफर में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को सियासी मात दी है। लेकिन जब उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है तब वो खुद मात खा जाते हैं। अशोक गहलोत साल 1998 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन उस समय चुनाव उनके नेतृत्व में नहीं लड़ा गया था यहां तक कि गहलोत उस समय विधायक भी नहीं थे। पिछले 25 साल के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन बार जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने तीन बार 1998, 2008 और 2018 में जीतकर सरकार बनाई है। लेकिन इन तीनों ही बार कांग्रेस ने अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस 1998 में परसराम मदेरणा के नेतृत्व में, 2008 में सीपी जोशी के नेतृत्व में और 2018 में सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी थी और जीत हासिल की और गहलोत मुख्यमंत्री बने। वहीं 2003 और 2013 में कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव में उतरी और दोनों में ही उसे हार का सामना करना पड़ा। ये कड़वा सच है कि सरकार के मुखिया के तौर पर अशोक गहलोत कांग्रेस को दोनों ही बार जीत दर्ज नहीं करा पाए। अब तीसरी बार कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी है तो इसमें उसकी हार तय मानी जा रही है।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस कभी चुनाव जीत नहीं पाई। इस पर एक नजर-

1998
परसराम मदेरणा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा
नतीजा- कांग्रेस की जीत, गहलोत सीएम बने
राजस्थान कांग्रेस ने जाट नेता परसराम मदेरणा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और कांग्रेस चुनाव जीत गई। लेकिन मदेरणा सीएम नहीं बन पाए। सीएम अशोक गहलोत बने।

सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री चुना 
साल 1998 में हुए चुनाव में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। लेकिन उससे पहले सबसे मजबूत दावेदार परसराम मदेरणा को माना जाता था। जिनका जोधपुर नागौर से लेकर बाड़मेर जैसलमेर समेत पूरे जाट बेल्ट में मजबूत प्रभाव था। राजस्थान में 1998 का चुनाव काफी अहम माना जाता है। वह इसलिए कि प्रदेश के सियासी इतिहास में पहली बार कोई जाट मुख्यमंत्री बनने के करीब था। जोधपुर के ओसियां से विधायक परसराम मदेरणा जिनका बाड़मेर जैसलमेर समेत पूरे पश्चिमी राजस्थान में सीधा प्रभाव था। और पूरे प्रदेश में दिग्गज जाट लीडर के तौर पर देखा जा रहा था। उस समय राज्य में भैरोसिंह शेखावत की सरकार थी। अशोक गहलोत पीसीसी चीफ थे और मदेरणा नेता प्रतिपक्ष थे। चुनावों में जाटों ने एक तरफा कांग्रेस को वोट दिए। परिणाम, कांग्रेस ने अपने इतिहास की सबसे ज्यादा सीटें जीती। 200 में से 153 सीटें जीती। जो 2013 के चुनाव को छोड़कर अब तक किसी पार्टी को मिली सबसे ज्यादा सीटें थी। माधव राव सिंधिया राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी थे। लेकिन सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को मुखमंत्री पद के लिए चुना।

2003
अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा
नतीजा- कांग्रेस चुनाव हार गई
इस बार कांग्रेस ने अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और उन्हें सीएम चेहरा घोषित किया लेकिन कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार गई।

गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली
मुख्यमंत्री रहते गहलोत के 5 साल के कार्यकाल के बाद 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। कांग्रेस 200 में से केवल 56 सीट ही ला पायी, उसे 1998 में मिली 153 सीटों में से 97 सीटों का नुकसान हुआ। भाजपा ने 120 सीटें जीतकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। चुनाव में भाजपा को 39.20 प्रतिशत वोट मिले। वहीं, कांग्रेस 56 सीटों पर सिमटकर रह गई थी।

2008
सीपी जोशी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा
नतीजा- कांग्रेस की जीत, गहलोत सीएम बने
इस बार कांग्रेस ने सीपी जोशी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और कांग्रेस ने चुनाव जीत लिया। लेकिन सीपी जोशी खुद 1 वोट से हार गए। वह सीएम नहीं बन पाए। सीएम अशोक गहलोत बने।

सीपी जोशी 1 वोट से चुनाव हार गए, गहलोत सीएम बने
वर्ष 2008 में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में डॉ सी पी जोशी, अशोक गहलोत, दीवान माधोसिंह, डॉ चन्द्रभान, डॉ बी डी कल्ला, दुर्र मियां सहित कई नेता सीएम पद की दौड़ में थे। कांग्रेस ने भी सी पी जोशी के रूप में ब्राह्मण नेता को आगे रखा था। कांग्रेस को बहुमत मिला, लेकिन सीपी जोशी खुद 1 वोट से चुनाव हार गए। इसके बाद दूसरे नंबर के दावेदार अशोक गहलोत सीएम बने। इस चुनाव में कांग्रेस 200 में 96 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। इसके बाद निर्दलियों और बसपा के विधायकों की मदद से कांग्रेस सत्ता में आयी। इस चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 36.82 फीसदी रहा। वहीं, सरकार बनाने में नाकाम रही भाजपा ने 78 सीटों पर जीत दर्ज की।

2013
अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा
नतीजा- कांग्रेस चुनाव हार गई
इस बार कांग्रेस ने अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। और कांग्रेस बहुत बुरी तरह चुनाव हार गई।

अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की बेहद शर्मनाक हार
2013 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 5 साल कार्यकाल के बाद हुए इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बेहद शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, कांग्रेस 200 में से मात्र 21 सीटों पर सिमट कर रह गई। भाजपा ने प्रदेश की 200 में से 163 सीटें जीतकर सबसे बड़ी जीत दर्ज की। मोदी लहर में पार्टी को 46.05 फीसदी वोट मिले। वहीं, कांग्रेस को केवल 21 सीटों से संतोष करना पड़ा।

2018
सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा
नतीजा- कांग्रेस की जीत, गहलोत सीएम बने
इस बार कांग्रेस ने सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। और कांग्रेस जीत गई। लेकिन पायलट सीएम नहीं बन पाए। अशोक गहलोत सीएम बने।

राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष का पत्ता कटा, गहलोत सीएम बने
कांग्रेस ने 2018 का चुनाव युवा चेहरे और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में लड़ा। इस चुनाव में गुर्जर, मुस्लिम और मीणा को एकजुट करने में कांग्रेस कामयाब रही। कांग्रेस को राज्य में बहुमत मिला। एमपी और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को बहुमत मिला। एमपी और छत्तीसगढ़ में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीएम बने। लेकिन राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष का पत्ता कट गया और फिर से अशोक गहलोत सीएम बने। कांग्रेस ने 99 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की, लेकिन पूर्ण बहुतम का आंकड़ा नहीं जुटा पाई। इस चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 39.3 फीसदी रहा। वहीं, भाजपा को 73 सीटें मिलीं।

2023
अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा 
नतीजा- कांग्रेस की हार??
कांग्रेस ने 2023 में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस जब भी गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है तो चुनाव हारती है। जब भी वह दूसरे के नेतृत्व में लड़ती है तो वह चुनाव जीततीहै। इस तरह से भी देखा जाए तो 2023 अशोक गहलोत के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता। अभी तक के विश्लेषण यही संकेत दे रहे हैं। फाइनल रिजल्ट के लिए तीन दिसंबर तक का इंतजार है। 

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