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चंद्रयान-3 लॉन्च, अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की ओर भारत, पीएम मोदी ने कहा- देश के सपनों को साकार करेगा यह मिशन

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भारत एक नया कीर्तिमान रचने के लिए तैयार है। भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया। चंद्रयान-3 मिशन सबसे अलग और खास है क्योंकि अब तक जितने भी देशों ने अपने यान चंद्रमा पर भेजे हैं उनकी लैंडिग उत्तरी ध्रुव पर हुई है जबकि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में किए गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजर इस मिशन पर टिकी है। चंद्रयान-3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चांद के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। इसी वजह से पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 हमारे देश की आशाओं और सपनों को साकार करेगा।

चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा
चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा-
“चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा का अभिनंदन करता हूं!”

चंद्रयान-3 हमारे देश की आशाओं और सपनों को साकार करेगा: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 के लॉन्च से पहले ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा कि जहां तक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का प्रश्न है, 14 जुलाई 2023 हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा। हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा का शुभारंभ करेगा। यह उल्लेखनीय मिशन हमारे देश की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा।

चंद्रमा पर हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा यह मिशन
पीएम मोदी ने कहा कि कक्षा में भेजने की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 को चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ में भेजा जाएगा। 3,00,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए, यह आने वाले हफ्तों में चंद्रमा पर पहुंचेगा। चंद्रयान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और हमारे ज्ञान को बढ़ाएंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएं! मैं आप सभी से इस मिशन और अंतरिक्ष, विज्ञान एवं नवाचार में की गई देश की प्रगति के बारे में और अधिक जानने का आग्रह करता हूं। इससे आप सभी बेहद गौरवान्वित महसूस करेंगे।

चंद्रयान-1 वैश्विक चंद्र मिशनों में एक पथ प्रदर्शक
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों को धन्यवाद, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है। चंद्रयान-1 को वैश्विक चंद्र मिशनों में एक पथ प्रदर्शक माना जाता है क्योंकि इसने चंद्रमा पर जल के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि की है। यह दुनिया भर के 200 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ। चंद्रयान-1 तक, चंद्रमा को एक पूर्ण रूप शुष्क, भूवैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय और निर्जन खगोलीय पिंड माना जाता था। अब, इसे जल और इसकी उप-सतह पर बर्फ की उपस्थिति के साथ एक गतिशील और भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय खगोलीय खंड के रूप में देखा जाता है। हो सकता है कि भविष्य में इस पर संभावित रूप से निवास किया जा सके!

चंद्रयान-2 ने क्रोमियम, मैंगनीज और सोडियम की उपस्थिति का पता लगाया
पीएम मोदी ने कहा चंद्रयान-2 भी उतना ही महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे जुड़े ऑर्बिटर के डेटा ने पहली बार रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम, मैंगनीज और सोडियम की उपस्थिति का पता लगाया था। इससे चंद्रमा के मैगमैटिक विकास के बारे में अधिक जानकारी भी मिलेगी। चंद्रयान 2 के प्रमुख वैज्ञानिक परिणामों में चंद्र सोडियम के लिए पहला वैश्विक मानचित्र, क्रेटर आकार वितरण पर उन्नत जानकारी, आईआईआरएस उपकरण के साथ चंद्र सतह पर जल से निर्मित बर्फ का स्पष्ट रूप से पता लगाना और बहुत कुछ शामिल है। यह मिशन लगभग 50 प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ है।

चंद्रयान-3 मिशन की थीम है चंद्रमा का विज्ञान
चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया गया। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है।

अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा भारत
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगी। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसने चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग की होगी। हाल के वर्षों में इसरो ने खुद को दुनिया की लीडिंग स्पेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया है। चांद पर सफल मिशन से उसकी साख और मजबूत होगी।

करीब 37 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ेगा चंद्रयान
LVM3 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया। तब इसकी शुरुआती रफ्तार 1,627 किमी प्रति घंटा थी। लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट हुआ और रॉकेट की रफ्तार 6,437 किमी प्रति घंटा हो गई। आसमान में 62 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो गए और रॉकेट की रफ्तार सात हजार किमी प्रति घंटा पहुंच गई। करीब 92 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को वायुमंडल से बचाने वाली हीट शील्ड अलग हुई। 115 किमी की दूरी पर इसका लिक्विड इंजन भी अलग हो गया और क्रॉयोजनिक इंजन ने काम करना शुरू कर दिया। तब रफ्तार 16 हजार किमी/घंटा थी। क्रॉयोजनिक इंजन इसे लेकर 179 किमी तक ले गया और इसकी रफ्तार 36968 किमी/घंटे थी।

40 दिन में पूरा होगा धरती से चांद तक का सफर
धरती से चांद की दूरी करीब 3.84 लाख किलोमीटर है। चंद्रयान-3 इस दूरी को 40 से 50 दिनों में तय करेगा। मतलब अगर सबकुछ सही रहा तो 50 दिनों में चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर होगा। इसरो की योजना के मुताबिक, इसे 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को रखी गई है लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितंबर में कर सकता है। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 लॉन्च होने के बाद पृथ्वी की कक्षा में जाएगा फिर इसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर आगे बढ़ेगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि सब ठीक रहेगा और 23 अगस्त या उसके बाद किसी भी दिन लैंड करेगा।

चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 का लैंडर ज्यादा मजबूत
चंद्रयान-2 के मुकाबले इस बार चंद्रयान-3 का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है।

चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर 250 किलो ज्यादा वजनी
चंद्रयान-2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर होंगे। चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है। चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ सात साल (अनुमानित) थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को तीन से छह महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर में चार थ्रस्टर्स लगाए गए हैं।

चांद के सबसे ठंडे इलाके की जानकारी जुटाएगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ ही रहेगा। रोवर के भीतर ही लैंडर मौजूद है। 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य भी चंद्रयान-2 की तरह ही है। इसके जरिए चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है। खासतौर पर चांद के सबसे ठंडे इलाके की जानकारी जुटाना। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जा रहे हैं। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना की भी स्टडी होगी।

भारत का चंद्रमा अभियान सबसे किफायती मिशन
चंद्रयान-1 मिशन में 386 करोड़ रुपये का खर्च आया था। वहीं, चंद्रयान-2 मिशन में 978 करोड़ रुपये की लागत आई थी। अब चंद्रयान-3 मिशन भी काफी किफायती है। इसकी लागत 615 करोड़ रुपये है। इतनी राशि में तो स्पेस पर आधारित हॉलीवुड की फिल्में बनती हैं।

चंद्रमा पर लहराएगा भारतीय तिरंगा
पौराणिक कथाओं में जहां चंद्रमा को देवता, सौंदर्य और कलाओं का स्वामी माना गया है। वहीं आधुनिक विज्ञान की दृष्टि ने चंद्रमा को एक उपग्रह के रूप में देखा है। बीते लंबे समय से चंद्रमा इंसानों के लिए एक उत्सुकता का केंद्र बना रहा है। 21 जुलाई 1969 की तारीख इंसानी सभ्यता के लिए सबसे बड़ी थी। इस दिन पहली बार किसी मनुष्य ने चांद पर अपने कदम रखे थे। ये व्यक्ति नील आर्मस्ट्रॉन्ग थे। इनके बाद आखिरी बार चांद पर 1972 यूजीन सेरनन गए थे। यूजीन आखिरी इंसान थे जो चांद पर गए थे। इसके बाद आज तक कोई भी इंसान चांद पर नहीं गया। वहीं अब दोबारा अमेरिका और दुनिया के बाकी देश चांद को एक्सप्लोर करने के लिए कमर कस रहे हैं। अमेरिका, रूस और यूरोपियन देशों के अलावा भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में चंद्रमा को लेकर कम जिज्ञासा और कौतूहल से भरा नहीं है। भारतीय वैज्ञानिक लगातार चंद्रमा पर जाने और वहां पर भारतीय तिरंगा लहराने के सपने संजोते रहे हैं। भारतीय वैज्ञानिक एक बार फिर चंद्रमा की ओर अपने मिशन चंद्रयान 3 के जरिए बढ़ चले हैं।

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