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पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल उठाने वालों को एक वरिष्ठ महिला पत्रकार का करारा जवाब

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता लगातार सवाल उठाते रहे हैं। अपने सियासी फायदे के लिए पीएम मोदी को बदनाम करने और उनका मजाक उड़ाने के लिए उनकी डिग्री को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। केजरीवाल ने यहां तक कहा है कि देश का प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा इंसान होना चाहिए। गुजरात यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री सार्वजनिक कर दी थी। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता बार-बार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मुहिम चलाते रहते हैं। इस कृत्य के लिए केजरीवाल को गुजरात हाईकोर्ट से फटकार और जुर्माना भी लग चुका है। अब एक वरिष्ठ महिला पत्रकार शीला भट्ट ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं को करारा जवाब दिया है। 

पत्रकारिता के क्षेत्र में दशकों का अनुभव रखने वाली शीला भट्ट ने न्यूज एजेंसी एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश के साथ खास बातचीत में कई अहम खुलासे किए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री को लेकर जो बातें कहीं, वो प्रधानमंत्री मोदी के विरोधियों के गाल पर जोरदार तमाचा है। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहली बार 1981 में मिली थी, तब वह एमए पार्टू टू में थे। उनके मेटर थे प्रवीण सेठ, वही मेरे भी मेंटर थे। तब प्रोफेसर सेठ और उनकी पत्नी सुरभि के घर नरेन्द्र मोदी रोज आते थे। तब नरेन्द्र मोदी अक्सर उनके पास आते थे और मैं भी वहां आ जाती थी। तब नरेन्द्र मोदी बहुत पढ़ाई-लिखाई करते थे।

पत्रकार शीला भट्ट ने कहा कि मुझे बहुत कुछ याद है, लेकिन ये समय नहीं है उन सारी बातों को कहने का। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक क्लासमेट को भी जानती हूं। वह वकील है। मैंने कुछ दिन पहले उनसे बातचीत की थी, जब अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता नरेन्द्र मोदी की पढ़ाई-लिखाई पर सवाल उठा रहे थे। मैंने उनको कहा था कि आप उनकी क्लासमेट हैं, तो आप इस पर कुछ बोलिए, लेकिन वह बोलने के लिए तैयार नहीं हुईं। शीला भट्ट ने बताया कि हाल ही में सुरभि सेठ की मौत हुई, जिसके बाद पीएम मोदी ने उनके बेटे को फोन किया था।

शील भट्ट ने आगे कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह को आपको थोड़ा अलग हटकर देखना होगा। इंडिया के जितने भी मुद्दे हैं, ये उनकी ग्रिप में थे, लेकिन इंतजार किया और अब हल कर रहे हैं। ऐसा कौन सा पीएम मिलेगा, जो 1981 से 2001 तक हर साल दिवाली पर देश के किसी न किसी जिले में अकेले घूमने जाता थे। तब वह किसी के संपर्क में नहीं होते थे। और देश को समझने के लिए 5 दिन के लिए निकलते थे। शीला भट्ट ने बताया कि 2001 तक तो नरेन्द्र मोदी के पास कोई घर ही नहीं था। मैं मोदी के गुजरात पहुंचने पर हसमुख भाई जैसे 5 से 6 लोगों से पूछती थी कि क्या उनका बैग आपके पास यहा हैं ? इसका मतलब था कि क्या नरेन्द्र मोदी आए हुए हैं। नरेन्द्र मोदी जब से पैदा हुए हैं तब से ही ऐसे हैं। वह मुश्किलों में रास्ते निकालते आए हैं।

शीला भट्ट ने कहा कि मैंने अहमद पटेल का भी इंटरव्यू लिया था और 1980 से उन्हें जानती थी। तब मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन अब मोदी और अमित शाह आ गए हैं, तो समस्या है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हर चीज को मोदी से जोड़ देते हैं। लव जिहाद की कोई बात होती है तो उसे भी पीएम मोदी से जोड़ दिया जाता है, जबकि हमें उनके परिजनों की चिंता करनी चाहिए। हमें राजनीति से ज्यादा ग्राउंड पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि मुंबई से नई दिल्ली स्थानांतरित होना गलत निर्णय था, क्योंकि दिल्ली सत्ता का केंद्र है और काफी निर्दयी है। दिल्ली क्षेत्रीय भारत और उसकी संवेदनशीलता की उपेक्षा करती है।

गौरतलब है कि शीला भट्ट ने 1979 में पत्रकारिता की शुरुआत की थी। तब से उनको 44 साल हो गए पत्रकारिता करते हुए। इस दौरान उन्होंने मुंबई में क्राइम रिपोर्टिंग के साथ ही गुजरात की राजनीति को लंबे समय तक कवर किया है। 1987 में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली’के लिए इंटरव्यू किया था। उसी इंटरव्यू के दौरान ली गई कुछ तस्वीरें हाल ही में वायरल हुई थीं। शीला भट्ट डॉन का इंटरव्यू लेने के लिए दुबई भी गई थी। 1970 के दशक के अंत में चित्रलेखा पत्रिका में मुंबई के माफिया डॉन करीम लाला के साथ शीला भट्ट की तस्वीर ने दाऊद का ध्यान खींचा था।

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