पंजाब में बिगड़ते हालात, सिर उठाता आतंकवाद और अमृतसर में जी-20 की बैठक को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार (02 मार्च, 2023) को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद मोदी सरकार ने अर्धसैनिक बलों की 50 टुकड़ियां भेजने का फैसला किया। जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ की 10, आरपीएफ की 8, बीएसएफ की 12, आईटीबीपी की 10 और एसएसबी की 10 टुकड़ियां पंजाब भेजी जा रही हैं। ये टुकड़ियां 6 मार्च को पंजाब पहुंच जाएंगी और जी-20 समिट के कार्यक्रमों के बाद ही वापस लौटेंगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान राज्य की कानून-व्यवस्था पर उनके साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियां कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी मुद्दों से निपटने के लिए मिलकर काम करेंगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और इसकी विशेष दंगा-रोधी इकाई के लगभग 1,900 कर्मियों को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए राज्य में भेजा जा रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पंजाब के सीएम के बीच करीब 40 मिनट तक चली मुलाकात में राज्य के हालात और पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन और ड्रग तस्करी सहित कई मुद्दों पर मंथन किया गया था। साथ ही सीमा पर सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय पर भी बात हुई। गौरतलब है कि पंजाब के अमृतसर में 15 से 17 मार्च को G-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक पंजाब की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए गृह मंत्रालय में इस सप्ताह की शुरुआत में एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इस बैठक में उन्होंने पंजाब में मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह संधू के बारे में भी चर्चा की। अमृतपाल सिंह ने अपने समर्थकों के साथ अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोलकर अपने एक सहयोगी को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।
आइए देखते हैं विदेशी शक्तियां किस तरह पंजाब में अमृतपाल सिंह के माध्यम से खालिस्तान के एजेंडे को बढ़ावा देकर देश की एकता और अखंडता को चुनौती दे रही हैं…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विदेशी ताकतों के हित नहीं सध रहे हैं तो वे इससे बौखला गए हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव है तो वे पीएम मोदी को हर हाल में सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं और चाहते हैं कि देश में कोई कठपुतली सरकार बने जिससे उनके हित पूरे होते रहें। चूंकि लोकसभा चुनाव नजदीक आती जा रही है तो विदेशी ताकतें एक के बाद एक प्रोपेगेंडा नैरेटिव लेकर आ रहे हैं। बीबीसी डाक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट, न्यूज एजेंसी ANI पर फर्जी खबरें चलाने का आरोप, देश की प्रमुख कंपनियों अडानी और वेदांता पर नकारात्मक खबरें चलाकर ये देश को अस्थिर करने और आंदोलन की आग में झोंकने की साजिश रच रहे हैं। अपनी नापाक मंसूबे को पूरा करने के लिए अब वे खालिस्तान मुद्दे को हवा देकर भारत की छवि धूमिल करना चाहते हैं।
अमृतपाल सिंह की ‘पैराशूट एंट्री’ के पीछे आईएसआई
खालिस्तान मुद्दे को हवा देने के पीछे भी अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और डीप स्टेट एजेंट जार्ज सोरोस हैं। सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ रुपये देने का खुलेआम ऐलान किया था। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई दशकों से खालिस्तान समर्थकों को उकसाती रही है और खालिस्तान से जुड़े लोगों से उसके नजदीकी संबंध रहे हैं। इसे देखते हुए सीआईए ने आईएसआई को यह काम सौंप दिया। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि जो पाकिस्तान आज दाने-दाने को मोहताज है उसकी खुफिया एजेंसी भारत में खालिस्तान मुद्दे को भड़काकर अपने आका अमेरिकी एजेंसी सीआईए को खुश करने में जुटी है। खासकर जिस तरह से अमृतपाल सिंह की खालिस्तान मुद्दे पर ‘पैराशूट एंट्री’ हुई है उससे यह बात साबित हो जाती है कि इस साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है।
अमृतपाल का उभार, भिंडरावाले की याद दिलाई
अमृतपाल ने जिस तरह से साथी को छुड़ाने के लिए थाने पर हमला किया उस मंजर ने पंजाब में 80 के दशक के उन भयानक पलों की याद दिला दी है, जिनमें जरनैल सिंह भिंडरावाले का उभार हुआ और राजनीतिक सरपरस्ती में वो दमदमी टकसाल के मुखी से एक आतंकी में तब्दील हो गया। अब ये राजनीतिक सरपरस्ती अमृतपाल को भी मिल रही है, जिसने पंजाब में खतरे की घंटी तो बजा ही दी है। क्योंकि अगर बात आगे बढ़ी तो फिर किसी के रोके नहीं रुकेगी और पंजाब में आतंक के उभार का इतिहास एक फिर दोहराया जाएगा।
#पंजाब में खालिस्तान समर्थक #अमृतपाल_सिंह की आपराधिक हरकतों के बाद कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं! @JagranNews में पूर्व पुलिस अधिकारी @singh_prakash ने लिखा है कि अगर @BhagwantMann सरकार हालात नहीं संभाल पाये तो #AAP की सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए! pic.twitter.com/tCi8sihIqL
— Sumit Awasthi (@awasthis) March 1, 2023
अमृतपाल के जरिये भिंडरावाले की कहानी दोहराने की साजिश
30 साल का अमृतपाल सिंह संधू करीब 10 साल तक दुबई में रहा और जब भारत लौटा तो खालिस्तान का झंडा बुलंद कर पंजाब सरकार और देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया। उसके बयान, उसके कारनामे और उसकी वेशभूषा अब इस बात की गवाही देते हैं कि अगर इसे जल्द ही रोका नहीं गया तो फिर ये पंजाब का दूसरा जरनैल सिंह भिंडरावाले बन सकता है, जिसकी वजह से ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ और जिसके कारण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या तक हो गई थी। पंजाब का अमृतसर जिला स्वर्ण मंदिर के कारण पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है। दुनियाभर के सिखों के लिए यहां की धरती स्वर्ग के समान है। इसी धरती से अमृतपाल सिंह का भी ताल्लुक है। वह अमृतसर की बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खैरा का रहने वाला है।
किसान आंदोलन का समर्थक, वेशभूषा भिंडरावाले की
वर्ष 2019 में शुरू हुए किसान आंदोलन का भी उसने खुलकर समर्थन किया था, जिसने उसे पंजाब में एक नई पहचान दी थी। लेकिन यह सब वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर कर रहा था। दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद वो दुबई में अपना कारोबार छोड़कर ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया बनने के लिए भारत लौटा और खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव पहुंचा। यहीं खालिस्तानी नारेबाजी के बीच उसकी ताजपोशी हुई। इस ताजपोशी के दौरान उसकी पूरी वेशभूषा जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह ही थी।
‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर भारत लौटा
वर्ष 2022 से पहले अमृतपाल सिंह की कोई खास पहचान नहीं थी। लेकिन ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर भारत लौटा। उसने सबसे पहले पंजाब में ड्रग्स के विरोध में अभियान चलाया। अमृत प्रचार अभियान शुरू किया, जिसका मकसद लोगों को निहंग सिख का हिस्सा बनाना था। दूसरे शब्दों में कहें तो अमृतपाल सिंह ने घर वापसी का अभियान शुरू कर दिया।
भारत में इस तरह बढ़ा अमृतपाल का कारवां
अमृत प्रचार अभियान का पहला आयोजन उसने राजस्थान के गंगानगर में किया, यहां उसने 647 लोगों को अमृत चखाकर निहंग सिख में बदल दिया। फिर उसने आनंदपुर साहिब में कुल 927 हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों को अमृत चखाया और निहंग सिख बनाया। उसके इस कारनामे को देखकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने उसे अपना समर्थन दे दिया। इसके बाद उसका कारवां बढ़ता ही गया।
ड्रग्स मुक्त बनाने की मुहिम के बहाने युवाओं को खालिस्तान के लिए प्रेरित किया
भिंडरावाले को अपना आदर्श मानने वाले अमृतपाल सिंह का कहना है, “मैं जरनैल सिंह भिंडरावाले की पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हूं। मैं तो सिर्फ भिंडरवाले के दिखाए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहा हूं।” 23 नवंबर 2022 वो तारीख थी, जिसने अमृतपाल सिंह को पंजाब में एक नई पहचान दे दी। इस दिन वो तमाम जिलों में रोडशो करते हुए हजारों की संख्या में अपने अनुयायियों के साथ श्रीअकाल तख्त पहुंचा। पंजाब को ड्रग्स मुक्त बनाने की मुहिम के बहाने उसने बड़ी संख्या में युवाओं को अपने साथ जोड़ा और उन्हें खालिस्तान के लिए प्रेरित किया।
साल 2022 खत्म होते-होते बना ली समर्थकों की बड़ी फौज
साल 2022 खत्म होते-होते उसने समर्थकों की एक बड़ी फौज खड़ी कर ली, जिसने धार्मिक उन्माद भड़काने के साथ ही पंजाब की पुलिस को भी चुनौती देनी शुरू कर दी। अक्टूबर 2022 में उसने जीसस क्राइस्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से ईसाई समुदाय के लोग भड़क गए थे और अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी की मांग की। खालिस्तान का समर्थन करने की वजह से ही उसका ट्विटर अकाउंड तक सस्पेंड कर दिया। 15 फरवरी 2023 को अमृतसर के अजनाला थाने में अमृतपाल सिंह और उसके 6 समर्थकों के खिलाफ किडनैपिंग और मारपीट समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ।
लाल किला हिंसा के आरोपी रहे दीप सिद्धू ने बनाई थी ‘वारिस पंजाब दे’
अमृतसर में हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या के बाद अमृतपाल सिंह का नाम खूब चर्चा रहा। परिवार अमृतपाल सिंह पर केस दर्ज करने की मांग करता रहा। ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था किसान आंदोलन और फिर दिल्ली में लाल किला हिंसा के आरोपी रहे दीप सिद्धू ने बनाई थी। किसान आंदोलन के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किला हिंसा के बाद दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 को वारिस पंजाब संस्था बनाने का ऐलान किया था। लेकिन फरवरी 2022 में कार एक्सीडेंट के दौरान उनका देहांत हो गया।
दीप सिद्धू के देहांत के बाद खाली था जत्थेदार का पद
फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की कार का एक्सीडेंट हो गया। जिसमें उनकी मौत हो गई। इसके बाद से ही वारिस पंजाब दे संस्था में जत्थेदार का पद खाली थी। इससे पहले व बाद में भी वारिस पंजाब दे पंजाब में इतनी अधिक पॉपुलर नहीं हुई। लेकिन सितंबर में अमृतपाल सिंह के आने के बाद वारिस पंजाब दे संस्था लाइम लाइट में आ गई।
सितंबर 2022 से ही वारिस पंजाब दे के लिए अमृतपाल के नाम की चर्चा
29 साल के अमृतपाल सिंह का जन्म अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खेड़ा में हुआ था। 12वीं के बाद उनका परिवार दुबई चला गया। जहां उनका ट्रांसपोर्ट का बिजनेस रहा। इसी साल अमृतपाल पंजाब लौटा और सोशल मीडिया पर उसकी वीडियो काफी तेजी से वायरल हुईं। सितंबर 2022 में अचानक से ही वारिस पंजाब दे के जत्थेदार पद पर अमृतपाल सिंह का नाम जुड़ने लगा।
अमृतपाल के जत्थेदार बनाए जाने का हुआ विरोध
अमृतपाल सिंह के जत्थेदार के पद पर आने के साथ ही विवाद भी उसके साथ जुड़ने लगा। दीप सिद्धू के पारिवारिक सदस्य भी उसके चयन पर सवाल उठा चुके हैं। परिवार ने बार-बार यही कहा कि अमृतपाल का चयन गलत तरीके से हुआ है। लेकिन अमृतपाल ने इसका विरोध किया और सदस्यों की रजामंदी के बाद ही इस पद पर बैठने की बात कही। उसके लिए गांव रोडे में खास समागम आयोजित किया गया था, जिसमें सिख नेताओं के साथ साथ रेडिकल सोच के नेता भी पहुंचे थे।
गृह मंत्री अमित शाह को दे चुका है धमकी
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान दिया कि पंजाब में खालिस्तान समर्थित गतिविधियों पर सरकार की नजर है। गृहमंत्री के इस बयान पर 19 फरवरी को अमृतपाल ने शाह को ही धमकी दे दी। उसने कहा, “शाह को कह दो कि पंजाब का बच्चा-बच्चा खालिस्तान की बात करता है। जो करना है कर ले। हम अपना राज मांग रहे हैं, किसी दूसरे का नहीं। हमें न इंदिरा हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है। दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे, लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे। इंदिरा ने भी हमें दबाने की कोशिश की थी, क्या हश्र हुआ। अब अमित शाह अपनी इच्छा पूरी कर के देख लें।”
अमृतपाल के बयान पर विवाद बढ़ा तो बात से पलटा
अमृतपाल के इस बयान पर विवाद बढ़ा तो 22 फरवरी को वह अपनी बात से पलट गया, लेकिन उसका लहजा खालिस्तान के लिए नरम नहीं हुआ। उसने कहा, “हिन्दू राष्ट्र की बात करने पर सरकारें कोई कार्रवाई नहीं करती, लेकिन जब सिख खालिस्तान और मुस्लिम जिहाद की बात करते हैं तो सरकार तुरंत एक्शन ले लेती हैं।”
तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन
इस बात पर विवाद चल ही रहा था कि पुलिस ने उसके साथी तूफान सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में 23 फरवरी की सुबह अमृतपाल सिंह ने अपने हजारों समर्थकों के साथ अजनाला थाने पर चढ़ाई कर दी। पुलिस के साथ उसके समर्थकों की झड़प भी हुई, जिसमें 6 पुलिसवाले भी घायल हो गए। उसने पंजाब सरकार को एक घंटे के भीतर तूफान सिंह को छोड़ने का अल्टीमेटम दिया।
पंजाब पुलिस को तूफान सिंह को रिहा करना पड़ा
अमृतपाल के अल्टीमेटम पर पंजाब सरकार ने झुकते हुए तूफान सिंह को रिहा कर दिया। इस पूरे हंगामे के बाद अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह ने कहा, “तूफान को छोड़ा जा रहा है। उसके समर्थकों ने उसकी बेगुनाही के पर्याप्त सबूत दिए हैं। मामले की जांच के लिए एसपी तेजबीर सिंह हुंदल की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है।”
भिंडरावाले की याद ताजा हुई, पुलिस के रवैये से उठे सवाल
पुलिस के इस रवैये ने पंजाब की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 80 के दशक में भी ऐसे ही हालात थे। तब पंजाब में कांग्रेस ने अकाली दल को कमजोर करने के लिए जरनैल सिंह भिंडरावाले पर भरोसा जताया था। वो उस वक्त दमदमी टकसाल का मुखिया था। वह सिखों को कट्टरपंथी बना रहा था। इसी कारण उसकी निरंकारियों से दुश्मनी हो गई थी। इस दुश्मनी में दोनों समुदायों के बीच काफी हिंसा हुई। 24 अप्रैल 1980 को हुई निरंकारी संप्रदाय के तीसरे गुरु गुरुबचन सिंह की हत्या में भी भिंडरावाले और उसके लोगों का ही नाम सामने आया था। पंजाब केसरी अखबार के संपादक रहे लाला जगत नारायण की हत्या में भी भिंडरावाले का ही हाथ था।
भिंडरावाले को गिरफ्तारी के दो दिन अंदर रिहा करना पड़ा
गुरु गुरुबचन सिंह और लाला जगत नारायण की हत्याओं की वजह से कांग्रेस ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करवा दिया। इंदिरा गांधी के आदेश पर भिंडरावाले को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में पंजाब जल उठा और पुलिस को दो दिन के अंदर ही भिंडरावाले को रिहा करना पड़ा। इसके बाद पूरा पंजाब उग्रवाद की आग में जलने लगा। 25 अप्रैल 1983 को उसने पंजाब पुलिस के डीआईजी अवतार सिंह अटवाल की हत्या करा दी। भिंडरावाले के डर से 2 घंटे तक डीआईजी का शव किसी ने छुआ तक नहीं था। जब भिंडरावाले ने बॉडी उठाने की इजाजत दी, तभी पुलिस अपने अधिकारी के शव को उठाया था।
भिंडरावाले के समय दरबारा सिंह की सरकार को भंग कर दिया गया था
5 अक्टूबर, 1983 को भिंडरावाले के लोगों ने ढिलवान बस नरसंहार को अंजाम दिया, जिसमें एक बस को घेरकर छह हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे दरबारा सिंह की सरकार को भंग कर दिया और पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। कांग्रेस सरकार ने भिंडरावाले से बात करने की भी कोशिश की. लेकिन नाकामयाबी ही हाथ लगी और तब आखिर में भारतीय सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने की मंजूरी दे दी गई।
3 जून 1984 को हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार
इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के जवानों के साथ ही सीआरपीएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस के भी जवान शामिल थे। ऑपरेशन की कमान संभाली लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने, जो खुद एक सिख थे। 3 जून 1984 को भारतीय सेना ने पूरे गोल्डेन टेंपल को चारों तरफ से घेर लिया। सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों, इसके लिए लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने ऑपरेशन शुरू होने से पहले जवानों को संबोधित करते हुए कहा, “ये ऐक्शन न तो सिखों के खिलाफ है और न ही सिख धर्म के खिलाफ। ये ऐक्शन आतंकवाद के खिलाफ है। अगर किसी को भी लगता है कि उसकी धार्मिक भावनाएं इससे आहत हो रही हैं या फिर और भी कोई दूसरी धार्मिक वजहें हैं तो वो खुद को इस ऑपरेशन से अलग कर सकता है और इस अलगाव का किसी भी अधिकारी या जवान के करियर के ऊपर कोई असर नहीं होगा।”
ऑपरेशन ब्लू स्टार में बड़ी तादाद में सिख अधिकारी और जवान भी शामिल थे
ऑपरेशन में शामिल किसी भी अधिकारी या जवान ने खुद को इससे अलग नहीं किया। और इसमें बड़ी तादाद में सिख अधिकारी और जवान भी शामिल थे। 3 जून की शाम तक लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने कोशिश की कि भिंडरावाले सरेंडर कर दे। बार-बार लाउडस्पीकर से ऐलान किया जाता रहा। बार-बार भिंडरवाले और उसके समर्थकों को समझाने की कोशिश की जाती रही। लेकिन कोई हल नहीं निकला। उल्टे भिंडरावाले की ओर से सेना के टैंक और तोपों पर हमला कर दिया गया। फिर सेना ने जवाबी कार्रवाई की। करीब 24 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद भिंडरावाले मारा गया। इस ऑपरेशन के दौरान सेना के 83 जवान शहीद हो गए और कुल 249 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं इस ऑपरेशन में 493 आतंकी मारे गए और 1500 से ज्यादा गिरफ्तार हो गए।
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा की हत्या हुई
इस ऑपरेशन से नाराज दो सिखों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंग भड़क गए, जिसमें कम से कम 3000 सिखों की हत्या कर दी गई और लाखों सिखों को घर-बार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
भिंडरावाले की कहानी दोहरा रहा है अमृतपाल
यह सब इसलिए हुआ कि भिंडरावाले ने अपनी गिरफ्तारी के दो दिनों के अंदर ही समर्थकों के जरिए इतना उत्पात मचा दिया कि सरकार को झुकना पड़ा। और अब अमृतपाल के साथ भी यही हो रहा है। उसके एक साथी को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उसने थाने पर ही हमला कर दिया। बिना गोली चलाए पंजाब पुलिस को झुकने पर मजबूर कर दिया और ऐलानिया तौर पर कहा कि मैं अपने साथियों को जेल में सड़ने नहीं दे सकता।
अमृतपाल की लोकप्रियता संदेह के घेरे में
यह बहुत आश्चर्य की बात है कि 29 साल का दुबई से आया हुआ एक व्यक्ति कैसे रातों-रात इतना प्रसिद्ध हो गया। भिंडरावाले तो एक धार्मिक नेता भी था। हम जानते हैं कि एक राजनीतिक पार्टी ने उसे खड़ा किया था। लेकिन अमृतपाल की इस कदर लोकप्रियता रहस्यमयी नज़र आती है। सवाल यह भी उठता है कि क्या वजह है कि इतने लोग उनके साथ खड़े हो जाते हैं? कुछ यही बात इस ओर इशारा करती है कि उसे विदेशी ताकतों का समर्थन है और वह उनके हाथों में खेल रहा है।
पाकिस्तान की ISI का नया प्यादा है अमृतपाल सिंह
इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि अमृतपाल के पीछे पाकिस्तान के आईएसआई का हाथ है, जो पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश में है। अधिकारी बताते हैं कि केंद्रीय इंटेलिजेंस एजेंसियां अमृतपाल को संभावित खतरे के रूप में देखती है और उसके भारत आने के पहले दिन से ही एजेंसियों ने यह चेतावनी दी। एजेंसियां उसे भिंडरावाले और बुरहानवानी जैसा मानती है, जिसका भारत में अशांति फैलाने के लिए आईएसआई ने प्यादे के रूप में इस्तेमाल किया।
अमृतपाल को ISI कर रही अप्रत्यक्ष फंडिंग और समर्थन
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) खालिस्तान समर्थक नेता और ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को सोशल मीडिया पर समर्थन दे रही है। अगस्त 2022 में दुबई से भारत आने के बाद से ही अमृतपाल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अप्रत्यक्ष ‘फंडिंग रूट’ के माध्यम से सिंह का समर्थन कर रही है।
आईएसआई के निशाने पर भारत के युवा सिख
आईएसआई सोशल मीडिया के माध्यम से 18 से 25 साल के युवा सिखों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भारत में सिखों पर कथित ‘अत्याचार’ और ‘दमन’ की झूठी तस्वीरें दिखाकर टारगेट कर रही है। जानकारी के मुताबिक, ऐसी पोस्ट पर कमेंट्स भारत के पंजाब से नहीं बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से हैं जो वीपीएन के माध्यम से भारत में दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय गृह मंत्रालय पंजाब की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि सिंह को फंडिंग कौन कर रहा है।
अमृतपाल की सुरक्षा में लगे 20-25 बंदूकधारी
अमृतपाल की मंशा को देखते हुए इंटेलिजेंस एजेंसियां पंजाब पुलिस के साथ लगातार कॉन्टेक्ट में थी और चेतावनी दे रही थी। एजेंसियों ने पंजाब पुलिस के साथ नियमित रूप से अपडेट साझा किया और चेतावनी दी कि अमृतपाल की चरमपंथी सिखों के बीच बढ़ती लोकप्रीयता समस्या पैदा कर सकता है। हैरानी की बात ये है कि अमृतपाल अपनी सुरक्षा भी बढ़ा रहा है और अब उसकी सुरक्षा में 4-5 नहीं, बल्की 20-25 बंदूकधारी देखे जा सकते हैं।
पंजाब पुलिस ने नहीं की हथियारों की जांच
अमृतपाल की ‘प्राइवेट आर्मी’ जाहिर तौर पर उसकी खास सुरक्षा के लिए हैं। हालांकि, यह भी आरोप लगाया जाता है कि कट्टरपंथी चरमपंथियों का एक बजाब्ता एक समूह है, जो सिख शुद्धवाद को बनाए रखने के नाम पर आम लोगों को धमकाते हैं और गुरुद्वारों में कथित रूप से तोड़फोड़ करते हैं। मीडिया रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया गया है कि अमृतपाल के बंदूकधारी समर्थकों ने शुरू में सिर्फ लाइसेंसी हथियार रखने का दावा किया था, लेकिन पंजाब पुलिस के किसी भी अधिकारी ने इन हथियारों की जांच नहीं की है।
खालिस्तानी समर्थकों के सामने पंजाब पुलिस का आत्मसमर्पण
गुरुवार (23 फरवरी, 2023) को पंजाब के अंमृतसर में जो कुछ हुआ, उसने भिंडरावाले की याद ताजा कर दी। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह अपने समर्थकों के साथ अजनाला पुलिस थाने के बाहर खूब तांडव किया। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि हिंसक हो चुके अमृतपाल के समर्थक पूरी तरह हथियारों से लैस थे। इनके हाथ में लाठी, बंदूकें और तलवारें थीं। इन्होंने पुलिस के बैरिकेड्स भी तोड़ दिए। पुलिस वालों पर भी हमला किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। अमृतपाल समर्थकों की भीड़ और आक्रोश देखकर पुलिसकर्मियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद भीड़ जबरन पुलिस स्टेशन के अंदर घुस गई। ये सभी किडनैपिंग केस में गिरफ्तार अपने एक साथी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। आखिरकार पुलिस ने आरोपी को रिहा कर दिया। इस घटना ने साबित कर दिया कि पंजाब में सरकार पूरी तरह पंगु हो चुकी है और खालिस्तानी सरकार चला रहे हैं।