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भारत की संस्कृति और प्रकृति से जुड़ा है आयुर्वेद, यह लोक कल्याण का सही समय: ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल में बोले पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति और पर्यावरण को जो सम्मान देती है, उससे आयुर्वेद का गहरा नाता है। इसे पौधों से लेकर आपकी प्लेटों तक एक समग्र मानव विज्ञान के रूप में वर्णित किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि आयुर्वेद और चिकित्सा के पारंपरिक रूपों को बढ़ावा देने के लिए यह महोत्सव एक सराहनीय प्रयास है। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल के चौथे संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद पूरे शरीर को सुरक्षित रखता है। आयुर्वेद भारत की संस्कृति और प्रकृति से जुड़ा हुआ है। इस सम्‍मेलन में कई विशेषज्ञ अपने विचारों और अनुभवों को साझा करने जा रहे हैं। इसमें प्रतिनिधित्व किए जाने वाले देशों की संख्या लगभग 25 है जो एक महान संकेत है। यह भागीदारी आयुर्वेद और चिकित्सा के पारंपरिक रूपों के प्रति बढ़ती रुचि को दिखाती है।

लोक कल्याण के बारे में सोचने का सही वक्‍त

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना की घोषणा की है। मौजूदा वक्‍त में विभिन्न देशों के छात्र आयुर्वेद और पारंपरिक दवाओं का अध्ययन करने के लिए भारत आ रहे हैं। यह दुनिया भर में लोक कल्याण के बारे में सोचने का सबसे माकूल वक्‍त है। राष्ट्रीय आयुष मिशन को आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है।

आयुर्वेद को समर्थन

पीएम मोदी ने कहा कि आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए सभी को धन्यवाद। कोरोना संकट के वक्‍त हमें लोक कल्‍याण का अवसर नहीं खोना चाहिए। आज युवा आयुर्वेदिक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग कर रहे हैं। यह साक्ष्य आधारित चिकित्सा विज्ञान के साथ आयुर्वेद को एकीकृत करने की चेतना है। मुझे पूरा भरोसा है कि भारत की नैतिकता और हमारे युवाओं की उद्यम भावना चमत्कार कर सकती है। सरकार की ओर से मैं आयुर्वेद की दुनिया को पूरा समर्थन देने का भरोसा देता हूं।

मौजूदा स्थिति आयुर्वेद के लिए अनुकूल 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मौजूदा स्थिति आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के लिए बहुत अनुकूल है। यह आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर और भी लोकप्रिय बनाती है। आज कोरोना संकट में लोग प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद और इसकी भूमिका के लाभों को महसूस कर रहे हैं। मौजूदा वक्‍त में भारत पूरी दुनिया को स्‍वास्‍थ्‍य टूरिज्‍म का अवसर प्रदान कर रहा है। इसके मूल में लोक कल्याण का सिद्धांत है। इसका सबसे मजबूत स्तंभ आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा है।

आयुर्वेद एक समग्र मानव विज्ञान

पीएम मोदी ने कहा कि इस मंच से मैं उन सभी लोगों के प्रयासों की सराहना करना चाहूंगा जो दुनिया भर में आयुर्वेद के लिए काम कर रहे हैं। इस लगन और दृढ़ता से पूरी मानवता को लाभ होगा। आयुर्वेद कई पहलुओं का ध्यान रखता है। आयुर्वेद को सही रूप में समग्र मानव विज्ञान के रूप में वर्णित किया जा सकता है। पौधों से लेकर आपकी प्लेट तक, शारीरिक शक्ति से लेकर मानसिक भलाई तक- आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा का प्रभाव बहुत बड़ा है।

आयुर्वेद एक प्रेरक शक्ति

पीएम मोदी ने आयुर्वेद एक प्रेरक शक्ति है जो दुनिया को भारत में लाती है। यह हमारे युवाओं के लिए समृद्धि भी ला सकती है। मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं और सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देता हूं। बता दें कि यह उत्सव 12 मार्च से 19 मार्च तक चलेगा। इसमें वर्चुअल माध्‍यम के जरिए देश विदेश की जानी मानी चिकित्‍सा हस्तियां शिरकत कर रही हैं। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन, फिक्की के अध्यक्ष उदय शंकर एवं पूर्व फिक्की अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी भी शामिल हैं।

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