Home नोटबंदी 08 नवंबर को क्यों उत्सव मनाना चाहिए ? जानिये आठ कारण…

08 नवंबर को क्यों उत्सव मनाना चाहिए ? जानिये आठ कारण…

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लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से वादा किया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार और कालेधन पर कार्रवाई करेगी। उन्होंने लोगों को यह भी भरोसा दिया था कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने का प्रयास करेंगे। अपने उसी वादे के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी ने कई बड़े और कड़े कदम उठाए हैं। भारत जैसे विशाल देश में नोटबंदी जैसा निर्णय कोई आसान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री ने साहस दिखाया और देश की जनता ने उनका साथ दिया। 08 नवंबर को नोटबंदी लागू किए हुए एक साल पूरे हो गए हैं और इस अवसर पर भाजपा ‘एंटी ब्लैक मनी डे’ मना रही है। दरअसल इसके मनाए जाने के पीछे बहुत सारे उचित कारण भी हैं।

नोटबंदी ने महामंदी से बचाया के लिए चित्र परिणाम

दरअसल नोटबंदी के बाद तीन लाख करोड़ से अधिक कैश का बैंकिंग सिस्टम में आना, टैक्स पेयर्स की संख्या में बढ़ोतरी, कैशलेस ट्रांजेक्शन में वृद्धि और आतंकवादी-नक्सलवादी गतिविधियों में भारी गिरावट नोटबंदी की सफलता की कहानी कहती है। इस एक वर्ष में नोटबंदी के अनेकों फायदे सामने आए हैं, आइये हम उनपर एक दृष्टि डालते हैं-

कारण नंबर 01
बैंकिंग सिस्टम में आया कालाधन
आर्थिक प्रणाली को साफ व स्वच्छ करने के लिए नोटबंदी का निर्णय सफल साबित हो रहा है। नोटबंदी का ही नतीजा है कि 18 लाख संदिग्ध खातों की पहचान हो चुकी है। 2.89 लाख करोड़ रुपये जांच के दायरे में हैं। इसके अलावा अडवांस्ड डेटा ऐनालिटिक्स के जरिए 5.56 लाख नए मामलों की जांच की जा रही है। साथ ही साढ़े चार लाख से ज्यादा संदिग्ध ट्रांजेक्शन पकड़े गए हैं। दरअसल नोटबंदी से पहले 1000 रुपये के 633 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे। इनमें से नोटबंदी के बाद 98.6 फीसदी नोट वापस बैंकों में जमा हो गए। यानी 8,900 करोड़ रुपये बैंकों में वापस नहीं लौटे हैं। स्पष्ट है कि सरकार के लिए अब इन नोटों का हिसाब-किताब लगाना अब आसान हो गया है।

बैंकिंग सिस्टम में आया कालाधन के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 02
813 करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्त
नोटबंदी के बाद से सीबीडीटी ने देश में चल और अचल, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपत्तियों की खोजबीन शुरू की। दरअसल ये संपत्ति वास्तविक मालिक के बजाय किसी और के नाम पर दर्ज हैं। नोटबंदी के बाद ऐसी बेनामी संपत्ति का पता लगाने में भी बड़ी सफलता मिली है। आयकर विभाग के अनुसार 14 क्षेत्रों में अब तक 233 मामलों में 813 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति जब्त की गई है। बेनामी अधिनियम के तहत 233 मामलों में संपत्तियों को अस्थायी तौर पर अटैच किया गया है। विभाग ने 600 करोड़ रुपये से अधिक बेनामी संपत्तियों को कुर्क भी किया है। गौरतलब है कि 240 मामलों में से 40 मामलों में ही 530 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया है।

800 करोड़ की बेनामी संपत्ति के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 03
2.24 लाख कंपनियों पर कार्रवाई
भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीरो टॉलरेंस की नीति रही है। उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए एक के बाद एक कई निर्णय लिए हैं। नोटबंदी के बाद ऐसी लाखों कंपनियों का पता लगा है जिन्होंने अपने बैंक खातों में 7,000 करोड़ रुपये जमा कराए थे, जिसे बाद में उन्होंने निकाल लिया था। अब इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। कालेधन के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए सरकार ने 2.24 लाख से अधिक कंपनियों का नाम आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया है। इन 2.24 लाख कंपनियों में से तीन प्रतिशत ने नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में करीब 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये जमा कराए जिसे बाद में निकाल लिया गया। अभी आंकड़ों को खंगाला जा रहा है क्योंकि यह मामला और बड़ा हो सकता है।

800 करोड़ की बेनामी संपत्ति के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 04
कैश ट्रांजेक्शन्स में भारी कमी
नोटबंदी लागू करने के बाद कैशलेस इकोनॉमी ने जोर पकड़ा। इसमें ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, मोबाइल वॉलेट का क्रेज दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे, जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है। इससे पता चलता है कि लेस कैश के अभियान में सरकार ना सिर्फ सफल रही है बल्कि बिना हिसाब-किताब वाले धन की जमाखोरी में भी तेजी से गिरावट आई है।

कैश ट्रांजैक्शन में कमी के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 05
करदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि
नोटबंदी का असर है कि टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। 5 अगस्‍त, 2017 तक ई-रिटर्न भरने की संख्‍या पिछले वर्ष इसी अवधि तक भरे गए 2.22 करोड़ ई-रिटर्न की तुलना में बढ़कर 2.79 करोड़ हो गई यानी 57 लाख की वृद्धि। एक साल के भीतर टैक्स पेयर्स की संख्या में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि बड़ी बात कही जा सकती है। इसके अतिरिक्त पूरे वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान दायर सभी रिटर्न की कुल संख्‍या 5.43 करोड़ थी जो वित्‍त वर्ष 2015-16 के दौरान दायर रिटर्नों से 17.3 प्रतिशत अधिक है। नोटबंदी लागू होने के वित्त वर्ष में पूर्वोत्तर के राज्यों में आयकर संग्रह में रिकार्ड वृद्धि हुई है। नागालैंड में करीब 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो देशभर में सबसे ज्यादा है। मिजोरम में 117 प्रतिशत तथा मणिपुर में 89 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

करदाताओं की संख्या बढ़ी के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 06
आतंकवाद और जाली नोट पर चोट
नोटबंदी के बाद से आतंकियों के हौसले पस्त हुए हैं और उनके पास पैसा पहुंचने पर काफी हद तक ब्रेक लगाई जा सकी है। पहले जब कभी भी किसी आतंकी का एनकाउंटर होता था तो हजारों लोग वहां पहुंच जाते और आर्मी पर पत्थरबाजी करते। अब हालात ये हैं कि इनकी तादाद 20 या 30 से ज्यादा नहीं होती। हवाला के जरिये नक्सलियों आतंकवादियों और जिहादियों को जो पैसा मिलता था वो अब कचरा बन गया है। नोटबंदी इसलिए आवश्यक था क्योंकि भारतीय रुपया नकली नोटों की वजह से बर्बाद हो रहा था। रिजर्व बैंक के अनुसार 500 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोट में औसत 7 नोट नकली थे और 1000 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

आतंकवाद और जाली नोट पर नोटबंदी के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 07
नोटबंदी ने महामंदी से बचाया
नोटबंदी के बाद जीडीपी की गिरावट और विनिर्माण क्षेत्रों में मंदी के सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक तथ्य यह है कि नोटबंदी के निर्णय ने भारत को बड़ी मुसीबत से बचा लिया है। 2004 के बाद एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की तरफ जा रही थी। चलनिधि यानि Liquidity की कमी से उत्पन्न होने लगी थी। परिणामस्वरूप देश की आर्थिक वृद्धि दर घटते-घटते 2013 में 4.4 प्रतिशत तक आ गई थी।

नोटबंदी ने महामंदी से बचाया के लिए चित्र परिणाम

कारण नंबर 08
कैश बब्बल से बच गया भारत
नवंबर 2016 के बाद निफ्टी और बीएसई के शेयर सूचकांक में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। दरअसल नोटबंदी के वक्त देश में ‘कैश बब्बल’ यानी कैश ट्रांजेक्शन्स की अधिकता थी। अगर नोटबंदी न होती तो भारत भी अमेरिका की तरह 2008 जैसी मंदी का शिकार हो सकता था। नोटबंदी से पहले कम टैक्स कलेक्शन होता था जिस कारण सरकार को ज्यादा नोट छापने पड़ते थे और उसकी वजह से देश में कैश का ढेर हो गया था। हर ट्रांजैक्शंस के लिए कैश चल रहा था। जिसका अंजाम बुरा हो सकता था।

नोटबंदी ने महामंदी से बचाया के लिए चित्र परिणाम

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