उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सिर्फ धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं करते वे अपनी सुविधा अनुसार भी भेदभाव करते हैं। बिजली पहुंचाने में धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं। श्मशान की तुलना में कब्रिस्तान पर ज्यादा पैसे खर्च कर सिर्फ तुष्टिकरण की नीति अपनाते है। इतना ही नहीं चुनाव के दौरान जिन मतदाताओं के सामने वोट के लिए मिन्नतें मांगते हैं, मतदान खत्म होने के तुरंत बाद उन्हें भूल जाते हैं और उनकी अनदेखी करने लगते हैं।
यकीन नहीं हो रहा तो एनजीओ प्रयास के इन आंकड़ों को देखिए। इसमें साफ दिखाया गया है कि 11 फरवरी को 15 जिलों के जिन 73 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले गए, वहां मतदान से पहले बिजली की कम कटौती हुई और मतदान खत्म होते ही बिजली की भारी कटौती शुरू कर दी गई।
आगरा के रामबाग में चुनाव से पहले 4 से 11 फरवरी तक सिर्फ 2 घंटे 35 मिनट की कटौती हुई और मतदान खत्म होने के बाद 12 से 19 फरवरी के बीच 34 घंटे 58 मिनट की कटौती हुई। यही हाल केदारनगर, पथौली और धनोली में भी रहा।

इसी तरह दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले के राजनगर, झंडापुर, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र इलाके में मतदान से पहले कम और वोटिंग खत्म होते ही ज्यादा कटौती शुरू कर दी गई।
