प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उनकी छवि धुमिल करने के लिए कुछ लोगों ने ‘सुपारी’ ली है। इसकी परतें अब खुलने लगी है। मोदी विरोधियों की सबसे बड़ी मीटिंग गुपचुप तरीके से Zoom कॉल पर हुई और इसमें देश की 19 पार्टियों के बड़े ताकतवर नेता शामिल हुए। इसमें तीन मुख्यमंत्री, एक डिप्टी सीएम, क्षेत्रीय पार्टी के सारे बड़े चेहरे एक मंच पर इकट्ठा हुए। मोदी हटाओ मोर्चा की यह मीटिंग आल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस (All India Federation for Social Justice) के बैनर तले हुई। इस संस्था को बनाने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हैं। दरअसल कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी मतों से जीत के अनुमान और भाजपा के दक्षिण भारत में तेजी से विस्तार से भयभीत एमके स्टालिन अपनी खिसकती जमीन से परेशान हैं। यही वजह है कि अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए वह भी पीएम मोदी की छवि धुमिल करने के लिए ‘सुपारी’ लेने वालों के गुट में शामिल हैं।
जूम मीटिंग में शामिल होने वाले प्रमुख चेहरे
जूम मीटिंग में शामिल होने वाले प्रमुख चेहरे में 51 सीटों वाली कांग्रेस को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लीड किया। बिहार से नीतीश नहीं आए। जीरो सीट वाले आरजेडी के तेजस्वी यादव और मनोज कुमार झा ने मोर्चा संभाला। 23 सीट वाली टीएमसी ने डेरेक ओ ब्रायन को भेजा। तीन सीट वाली समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव आए। एक सीट वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हिस्सा लिया। तीन सीट वाली सीपीएम की ओर से सीताराम येचुरी पहुंचे। 2 सीट वाली सीपीआई से डी राजा थे। पांच सीट वाली एनसीपी ने छगन भुजबल को टास्क सौंपा। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की लोकसभा में एक भी सीट नहीं है लेकिन पार्टी की ओर संजय सिंह ने मोर्चा संभाला। नौ सीट वाली केसीआर ने भी मोदी हटाओ मोर्चा में अपने सांसद को भेजा। जम्मू-कश्मीर से फारुख अब्दुल्ला भी इसमें शामिल हुए।
पीएम मोदी को हराने के लिए 4 घंटे चला मंथन
इंडिया टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस जूम मीटिंग में मोदी को हराने के लिए फॉर्मूला सुझाया गया। यह जानना अपने आप में दिलचस्प है कि इस Zoom कॉल की रिकार्डिंग कुछ खास ग्रुप में ही शेयर की गई। लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर 543 सीटों को लेकर जूम कॉल पर करीब चार घंटे यानी 240 मिनट चर्चा की गई। इस मीटिंग के सूत्रधार थे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन।
AIFSJ is organising its 1st national conference on “taking forward the struggle for social justice & joint national programme for social justice movement” on 3.4.23 at 5-7 pm
Hon. M.K. Stalin, CM, TN & President, DMK will be Chief Guest. @mkstalin #AISJF #EverythingForEveryone pic.twitter.com/oAgTCrH3Gq— All India Federation For Social Justice (@aifsoj) April 1, 2023
फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस का ट्विटर हैंडल मार्च 2023 में बना
इस मीटिंग की रूपरेखा बनते ही आल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस का मार्च 2023 में ट्विटर हैंडल बनाया गया। इसमें जिन 35 लोगों और पार्टियों को फॉलो किया गया है उसे देखने के बाद साफ जाहिर हो जाता है कि यह मोदी विरोधियों का एक मंच है।
ईगो को पीछे छोड़ो, मोदी से मिल के लड़ो
19 पार्टियों की Zoom कॉल पर हुई इस मीटिंग में सभी नेताओं ने अपनी बातें रखी। इसमें जो मुख्य बात उभरकर सामने आई वह थी- ईगो को पीछे छोड़ो, मोदी से मिल के लड़ो। मोदी को हराना है तो साथ मिलकर लड़ना है। बैठक में यह मुद्दा भी उठा- न खाऊंगा न खाने दूंगा। दरअसल विपक्षी पार्टियों को दिक्कत पीएम मोदी की इसी बात से है।
अब आमने-सामने की लड़ाई, एक तरफ मोदी दूसरी तरफ समूचा विपक्ष
इस मीटिंग से एक बात साफ हो गई कि अब देश में तीसरा मोर्चा वाली बात पीछे रह गई है। अब बस आमने-सामने की लड़ाई है। एक तरफ पीएम मोदी हैं और दूसरी तरफ वंशवादी, भ्रष्टाचारवादी, परिवारवादी, जातिवादी, संप्रदायवादी, विदेशी ताकतों से सहायता लेने वाली शक्तियां या कहें समूचा विपक्ष।
क्या 2024 में पीएम मोदी को दक्षिण के नेता से मिलेगी चुनौती
एक सवाल यह भी उठता है कि क्या अब पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव 2024 में दक्षिण भारत का कोई नेता चुनौती देगा। चूंकि इस बैठक के संयोजक एमके स्टालिन थे तो इससे ऐसा लगता है कि इस बार दक्षिण से लीडरशिप देने की कोशिश हुई है। स्टालिन की यह कोशिश उन्हें दक्षिण का नेता बना पाएगी या वे अपनी जमीन बचाने की जद्दोजहद तक ही सीमित रहेंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
मोदी विरोधी खेमे ने खुद को तौलने के लिए किया जूम मीटिंग
वर्चुअली बैठक करने वाला खेमा रैली कर सकता था। भीड़ इकट्ठी कर सकता था लेकिन नहीं, इस खेमे ने जानबूझकर जूम कॉल पर गुपचुप तरीके से मीटिंग करने का फैसला किया। मकसद यही था कि मोदी को ‘जूम’ करके देख सकें और खुद को तौल सकें कि सभी नेता एकमत हो रहे हैं या नहीं। यह भी देखना था मोदी विरोधी बातें आपस में मेल खा रही हैं या नहीं। वे इसे भी चेक करना चाहते थे।
जूम मीटिंग में हर नेता की बात पीएम मोदी पर खत्म हुई
पीएम मोदी विपक्षी दलों के नेताओं के दिलोदिमाग में किस कदर छाया हुआ है कि इस बैठक में कहने को तो सोशल जस्टिस का एजेंडा रखा गया ता। लेकिन इस बहाने अगर किसी की सबसे ज्यादा चर्चा हुई तो वह थे पीएम मोदी। हर नेता की बात पीएम मोदी पर जाकर ही खत्म हुई। उसके बाद आरएसएस, अडानी और ध्रुवीकरण का मुद्दा उठा।
मोदी विरोध का बीड़ा आखिर स्टालिन ने क्यों उठाया?
यह अपने आप में सवाल है कि इस बार मोदी विरोध का बीड़ा आखिर दक्षिण भारत से स्टालिन ने क्यों उठाया? दरअसल उसके पीछे वजह है। पीएम मोदी 8 अप्रैल 2023 को हैदराबाद जाने वाले हैं। वह लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर तेलंगाना सहित दक्षिण को साधने वाले हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पीएम मोदी की टीम दक्षिण में जितनी मेहनत कर रही है वो आने वाले दिनों में स्टालिन जैसे नेताओं की नींद उड़ाने वाली है। यही वजह है कि अपनी जमीन बचाने के लिए स्टालिन ने मोदी विरोध का बीड़ा उठाया है।
दक्षिण का किला फतह किए बगैर पीएम मोदी दो बार से केंद्र की सत्ता में
पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी दो टर्म से पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में है। दक्षिण का किला फतह किए बगैर पीएम मोदी ने यह चमत्कार किया है। दक्षिण की 129 लोकसभा सीटों में से बीजेपी के पास केवल 29 सीटें हैं। 25 कर्नाटक में और चार तेलंगाना में। अभी बीजेपी के लिए आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल खुला मैदान की तरह है और जिस तरह बीजेपी की टीम मेहनत कर रही है आने वाले चुनाव में इसका व्यापक असर दिखने वाला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को दक्षिण में भारी सफलता मिलने जा रही है। यही वजह है कि दक्षिण के नेता अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं।
विपक्षी पार्टियों के एक होने का फायदा सत्ताधारी पार्टी को
इतिहास इस बात गवाह रहा है कि विपक्षी पार्टियों का एक मंच पर आना सत्ताधारी पार्टी के लिए फायदेमंद रहा है। 1967 में जब संयुक्त विधायक दल बना तब देश में पहली बार ये मैसेज गया कि विपक्षी दलों के एक साथ आने से देश में अस्थिर सरकार आएगी। इसके बाद का सियासी अंकगणित 1971 में कांग्रेस के फेवर में गया। बाद में जितने भी गठबंधन बने, सब कामचलाऊ ही थे। और देश की जनता अब गठबंधन सरकार तो बिलकुल नहीं चाहती।
सामाजिक न्याय के नाम पर बुलाई बैठक में स्टालिन हुए बेनकाब
आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, EWS मुद्दे पर स्टालिन ने अपना स्टैंड रखते हुए कहा कि यह देखते हुए कि भाजपा अगड़ी जातियों में गरीबों के बहाने ईडब्ल्यूएस लागू करती है, स्टालिन ने कहा कि यह सामाजिक न्याय नहीं है। अब सोचिए स्टालिन की सोच क्या है। वह अगड़ी जातियों के गरीबों तक योजना का लाभ पहुंचे वे यह नहीं चाहते।
19 दलों की बैठक बुलाने की तैयारी में कांग्रेस
जानकारी के मुताबिक, अब कांग्रेस पार्टी विपक्षी एकता को लेकर 19 दलों की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही है। ताकि, वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता का खाका तैयार किया जा सके। पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी एकता की रणनीति को अंतिम रूप देना चाहती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही है। शुरुआत में संसद के अंदर साथ देने वाली 19 पार्टियों को न्योता दिया जाएगा। इस बैठक में विपक्षी एकता का खाका तैयार किया जाएगा।
भ्रष्टाचार में लिप्त राजनीतिक दलों की नींद उड़ी
एक तरफ विपक्षी दल एकता की बात करते हैं तो दूसरी तरफ उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर देती है। ये वही दल हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और वंशवादी राजनीति को बढ़ावा देती हैं। जिस तेजी से केंद्रीय जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं उससे उनके मन में भय व्याप्त हो गया है कि कहीं अगला नंबर उनका तो नहीं है। यही वजह है कि पीएम मोदी का विरोध करने के साथ ही वे अब संवैधानिक संस्थाओं एवं केंद्रीय जांच एजेंसियों के विरोध में भी उतर आई हैं।
14 विपक्षी दलों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
CBI और ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ 14 विपक्षी दलों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 5 अप्रैल 2023 को कहा कि राजनेताओं के लिए अलग से गाइडलाइन नहीं बनाई जा सकती। विपक्षी दलों ने कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद अपनी याचिका वापस ले ली।
विपक्ष का महत्व कम हो रहा तो इसका इलाज कोर्ट में नहीं
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आप ये कहते हैं विपक्ष का महत्व कम हो रहा है तो इसका इलाज राजनीति में ही है, कोर्ट में नहीं। CJI ने यह भी कहा कि कोर्ट के लिए तथ्यों के अभाव में सामान्य गाइडलाइन जारी करना खतरनाक होगा।
याचिका दायर करने वाले 14 विपक्षी दल
सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले विपक्षी दलों में कांग्रेस, TMC, DMK, RJD, BRS, आम आदमी पार्टी, NCP, शिवसेना (UTB), JMM, JDU, CPI (M), CPI, समाजवादी पार्टी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कांग्रेस का नाम शामिल थे। कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर CBI और ED के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया था। याचिका में इन दलों ने गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत को लेकर नई गाइडलाइन जारी करने की मांग की थी।
पीएम मोदी ने कहा था – मेरी छवि को खराब करने की सुपारी
पीएम मोदी ने हाल ही में कहा था कि कुछ लोग उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। लोग उनकी छवि को धूमिल करने के लिए सुपारी भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने ये संकल्प लिया है कि- मोदी की छवि को धूमिल करके रहेंगे। इसके लिए इन लोगों ने अलग-अलग लोगों को सुपारी दे रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बयान अपने भोपाल दौरे के दौरान रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 3 अप्रैल 2023 को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेवा का उद्घाटन करने के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए दिया था। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कुछ लोग 2014 से ये कोशिश कर रहे हैं कि वो मेरी छवि धूमिल करें। वो ऐसा करने की खुद भी कोशिश कर रहे हैं और लोगों को भी सुपारी दे रहे हैं। लेकिन इन लोगों को नहीं पता है कि भारत के गरीब, पिछड़े और दलित लोग मोदी का सुरक्षा कवच हैं।