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ऑनलाइन मंडी e-NAM से 1.8 करोड़ किसान जुड़े, 1389 मंडी और 3510 एफपीओ भी जुड़े, किसानों को दलालों से मिली मुक्ति

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते वर्षों में किसानों की इनकम बढ़ाने और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इन्हीं में से एक योजना है e-NAM यानि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना। किसानों को बाजार उपलब्ध कराने की e-NAM योजना यानि ऑनलाइन मंडी की योजना हिट हो गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, ऑनलाइन मंडी प्लेटफार्म ई-नाम (e-Nam) ने देश के 1389 मंडियों को जोड़ दिया गया है। जब 14 अप्रैल, 2016 को इसकी शुरुआत हुई थी तब इसमें सिर्फ 21 मंडियां ही शामिल हुई थीं। इसके अलावा इससे देश के 1.8 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं। वहीं, इससे 3510 एफपीओ भी जोड़े जा चुके हैं। इससे समझा जा सकता है कि इस प्लेटफार्म का कितना तेजी से विस्तार हो रहा है। मंडियों की बढ़ती संख्या से साफ है कि इससे किसानों को अपने उपज का कारोबार करने में बड़ी मदद मिल रही है और एक बड़े दायरे में उपज बेचने की सुविधा मिली है। इस तरह किसानों की आय दोगुनी करने में ये योजना लाभकारी सिद्ध हो रही है।

e-NAM ऑनलाइन मंडी से जुड़े 1.8 करोड़ किसान
मोदी सरकार ने e-NAM योजना यानि ऑनलाइन मंडी की शुरुआत 14 अप्रैल, 2016 को की थी। इससे जुड़े किसान बिचौलियों और आढ़तियों पर निर्भर नहीं हैं। मोदी सरकार ने इस ऑनलाइन मंडी से अब तक 1389 मंडियों को जोड़ दिया है। वहीं, इससे 3510 एफपीओ भी जोड़े जा चुके हैं। देश के 1.8 करोड़ किसान ऑनलाइन मंडी से जुड़ चुके हैं। इससे उनकी बिचौलियों और आढ़तियों पर निर्भरता खत्म हुई है।

किसानों को फसल बेचने की चिंता से मिली मुक्ति
किसानों को अपनी फसल को बेचने में हमेशा समस्या होती है। किसान फसलों का उत्पादन तो कर लेते हैं, लेकिन फसल कहां बेचें यह चिंता किसानों के मन में हमेशा रहता है। हालांकि अभी तक किसानों की फसलें बिचौलियों के द्वारा खरीद कर बेची जाती थी, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने इस पोर्टल को शुरू किया। इस पोर्टल पर फसल को बेचने के बाद पैसे सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है।

किसानों को मिल रहा फसल का उचित दाम
इस प्लेटफार्म के आने के बाद किसान और खरीदार के बीच का सीधा संबंध और गहरा हुआ है। दलालों की भूमिका काफी हद तक खत्म हो गई है। ऐसे में किसानों को मंडी और आढ़तियों के चक्कर में भटकना नहीं होगा। इसमें ध्यान इस बात का रखना होता है कि किसान अपने जिले में मंडी का पता करें। एक बार मंडी का पता चल जाएगा तो किसान ई-नाम के जरिये आसानी से अपनी उपज की नीलामी कर सकते हैं और बेच सकते हैं। ऐसे में किसानों को फसल का उचित दाम मिल रहा है।

किसान खुद तय करते हैं फसल के दाम
राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी e-Nam प्लेटफॉर्म के जरिए किसान अपनी फसल को अच्छे दामों पर ऑनलाइन बेच सकते हैं। e-Nam के माध्यम से किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को एक मंच पर लाया गया है। ई-नाम पोर्टल पूरी तरह से डिजिटल पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी फसल ऑनलाइन बेच सकते हैं, इसके अलावा अपनी समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं। ई-नाम पोर्टल के जरिए देश की सभी मंडियों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिया गया है, जो बिचौलियों से मुक्त है। यहां किसान अपनी फसल के दाम को तय करता है, तो वहीं देश के कोने-कोने में बैठे कारोबारी किसानों की मंजूरी के बाद बोली लगाते हैं और फसल खरीदते हैं।

पीएम मोदी ने कृषि क्षेत्र का चेहरा बदला, दस साल में 5.26 गुना बढ़ा कृषि बजट
प्रधानमंत्री मोदी 10 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले हैं। बीते 10 साल में केंद्र सरकार का जोर कृषि क्षेत्र का चाल, चरित्र और चेहरा बदलने पर रहा है। इस दौरान बजट आवंटन से लेकर किसानों के उत्पादों की खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तक में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई। किसानों को समृद्ध बनाने के लिए मोदी सरकार ने कई अहम योजनाओं और नीतियों की शुरुआत की। सरकारी खरीद के दायरे में दूसरे उत्पादों को भी शामिल करने के साथ तकनीक आधारित खेती की दिशा में भी कई अभिनव प्रयोग हुए। यह शाश्वत सत्य है कि पिछले एक दशक में केंद्र सरकार किसानों के लिए जो योजनाएं लाई है, उससे उनके जीवन में बेहतरी आई है। बजट की बात करें तो बीते दस सालों में इसमें 5.26 गुना बढ़ोतरी हुई। साल 2018 में शुरू हुई किसान सम्मान निधि के तहत 11 करोड़ किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये की मदद दी गई। खरीफ, रबी और वाणिज्यिक फसलों की एमएसपी पर 50 फीसदी से भी अधिक वृद्धि की गई। किसानों के लिए सस्ती दर पर 20 लाख करोड़ के ऋण की व्यवस्था की गई। इसमें पहली बार पशुपालकों और मत्स्यपालकों को भी शामिल किया गया। 

आइए जानते हैं अन्नदाताओं की आय बढ़ाने, उनका जीवन आसान और बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार ने कितने अभिनव प्रयोग किए हैं और उनके लिए कितनी योजनाएं लाई है…

1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2.8 लाख करोड़ वितरित
मोदी सरकार ने यूं तो एक दशक में किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन इस सरकार की एक ही योजना ने छोटे और गरीब किसानों की तकदीर बदल दी। इस योजना का नाम है पीएम किसान सम्मान निधि योजना। मोदी सरकार की इस योजना का लाभ डायरेक्ट किसानों को मिलता है और बिचौलिए चाह कर भी उनका हक नहीं मार पाते हैं। इस योजना में किसानों को हर साल 6000 रुपये मिलते हैं। दरअसल, पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत केंद्र की मोदी सरकार की ओर से की गई है, जो किसानों को सालाना 6 हजार रुपये देती है। इस योजना के तहत देश का कोई भी किसान आवेदन कर सकता है। इस योजना के तहत 6000 की राशि तीन किस्त में दी जाती है, जो 4 महीने के अंतराल पर दी जाती है। इस योजना में अब किसानों को किसी के भरोसे नहीं बैठना पड़ता है। मोदी सरकार ने यह योजना 2019 में शुरू की थी। पीएम किसान निधि के तहत 2.8 लाख करोड़ से अधिक की सम्मान निधि वितरित की जा चुकी है।

2. 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि
भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों, राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के विचारों के आधार पर 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि किसी सरकार ने लागत मूल्य पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न की गारंटी सुनिश्चित करते हुए 22 फसलों की एमएसपी में ऐतिहासिक वृद्धि की है। इसके मुताबिक, सभी अनिवार्य फसलों, खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी को कृषि वर्ष 2018-19 से अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत के रिटर्न के साथ बढ़ाया गया है। पिछले 10 वर्षों में किसानों को धान और गेहूं की फसल के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के रूप में लगभग 18 लाख करोड़ रुपये मिले हैं। यह 2014 से पहले के 10 वर्षों की तुलना में 2.5 गुना अधिक है। पिछले दशक में तिलहन और दलहन उत्पादक किसानों को एमएसपी के रूप में सवा लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मिले हैं।

3. किसानों को वित्तीय सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
इस योजना की शुरुआत साल 2016 में शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। पीएमएफबीवाई के तहत, किसानों को मामूली प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है, जिस पर सरकार द्वारा काफी सब्सिडी दी जाती है। प्रीमियम दरें फसल के प्रकार और जिस क्षेत्र में उगाई जाती हैं, उसके आधार पर तय की जाती हैं। केंद्र और राज्य सरकारें गैर-सब्सिडी वाली फसलों के लिए 50:50 के अनुपात में प्रीमियम सब्सिडी साझा करती हैं, जबकि सब्सिडी वाली फसलों के लिए, केंद्र सरकार उच्च सब्सिडी हिस्सेदारी प्रदान करती है। इस योजना की शुरुआत मोदी सरकार ने किसानों की समृद्धि के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर अच्छी फसल के लिए की। उचित समय पर लिए गए बीमा से किसान बिन मौसम वर्षा और जलभराव जैसे कारणों से होने वाले आर्थिक नुकसान की स्थिति में अपना बचाव कर सकते हैं।

4. प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र यानि एक छत के नीचे कई सुविधा
अगस्त 2022 के दौरान शुरू की गई उर्वरक विभाग की एक पहल है। एक ही छत के नीचे उचित मूल्य पर उर्वरक, बीज, कीटनाशक जैसे गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट प्रदान करते हैं। यह मृदा परीक्षण सेवाएं भी प्रदान करता है और किसानों को उनकी कृषि प्रथाओं और उपज में सुधार के लिए सलाहकार सेवाएं प्रदान करता है। अब तक सरकार 1.75 लाख से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र स्थापित कर चुकी है।

5. सॉइल हेल्थ कार्ड योजना में 23.50 करोड़ से ज्यादा कार्ड वितरित
साल 2015 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई योजना देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में राज्य सरकारों की सहायता के लिए शुरू की गई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में तथ्यपरक पूरी जानकारी देते हैं। साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्वों की उचित खुराक का सुझाव भी देते हैं। इससे किसानों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। अब तक देश के करोड़ों किसानों को यह कार्ड वितरित किया जा चुका है। 2014-15 से, देश भर में कुल 8272 सॉइल परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं। अब तक किसानों को 23.50 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं।

6. लागत कम करने के लिए नीम कोटेड यूरिया उर्वरक योजना
नीम कोटेड यूरिया मोदी सरकार लोक-लुभावन बातों के बजाए हकीकत में किसानों के कल्याण में जुटी हुई है। यही वजह है कि फसल में उर्वरकों की लागत को कम करने के लिए मोदी सरकार यह योजना लाई। यूरिया के उपयोग को कम करने, फसल के लिए नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ उर्वरक की लागत को कम करने के लिए मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। नीम कोटेड यूरिया उर्वरक के रिलीज को धीमा कर देता है और इसे फसल को प्रभावी तरीके से उपलब्ध कराता है। नीम कोटिंग करने से यूरिया की खपत 10 परसेंट तक कम हो गई है।

7. परंपरागत कृषि विकास योजना से जैविक खेती को बढ़ावा
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना लागू की गई है। इसे 2015 में लॉन्च किया गया। इससे मिट्टी के स्वास्थ्य और कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में सुधार हुआ है और किसान की शुद्ध आय में बढ़ोत्तरी भी हुई है। इस योजना के अंतर्गत खेती का क्लस्टर बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। इस योजना में किसानों को लाभार्थी बनाया जाता है।

8. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जल प्रबंधन का व्यापक कार्यक्रम
साल 2015 में 1 जुलाई को हर खेत को पानी के नारे के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य पानी की बर्बादी को कम करने और पानी के उपयोग में सुधार करना है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) सिंचाई और जल प्रबंधन के लिए जरूरी संसाधन प्रदान करने का एक व्यापक कार्यक्रम है। इसमें सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) घटक जैसी अलग-अलग योजनाएं शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य जल उपयोग दक्षता में सुधार करना और सिंचाई कवरेज को बढ़ावा देना है। यह योजना ना केवल सिंचाई के लिए स्त्रोत बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि पानी बचाने और सुरक्षित सिंचाई के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर फसलों को पानी उपलब्ध कराने पर जोर देती है।

9. वित्तीय जरूरतों को पूरी करती किसान क्रेडिट कार्ड योजना
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना भारत में एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य किसानों को कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए लोन सुविधाएं प्रदान करके वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना देश भर के विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा संचालित किया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत, पात्र किसानों को एक क्रेडिट कार्ड जारी किया जाता है, जो विभिन्न कृषि जरूरतों जैसे कि बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मशीनरी खरीदने और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए लोन और क्रेडिट की मदद ले सकते हैं। केसीसी पर क्रेडिट सीमा किसान की भूमि जोत और की जाने वाली फसलों या गतिविधियों के आधार पर निर्धारित की जाती है।

10. पीएम किसान मानधन योजना से वृद्धावस्था में मिली सामाजिक सुरक्षा
पीएम किसान मानधन योजना के तहत मोदी सरकार ने वृद्धावस्था में किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कराई है। इसका लाभ 18 से 40 वर्ष की उम्र के किसानों को मिल रहा है। इसमें उम्र के हिसाब से हर महीने 55 से 200 रुपये का अंशदान करने पर 60 वर्ष की उम्र के बाद 3,000 रुपये मासिक या 36000 रुपये वार्षिक पेंशन मिलने का प्रावधान है। यदि किसी किसान की मृत्यु हो जाती है, तो योजना के तहत किसान के पति/पत्नी पेंशन का 50 प्रतिशत पाने के हकदार होंगे। पारिवारिक पेंशन पति-पत्नी दोनों पर लागू होता है। एक अन्य योजना पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सरकार किसानों को प्रति वर्ष 2,000 रुपये की 3 किस्त में 6,000 रुपये देती है। अगर पेंशन स्कीम पीएम किसान मानधन में भाग लेते हैं, तो रजिस्टर करना आसान होगा। दूसरा अगर इस विकल्प को चुनें तो पेंशन स्कीम में हर महीने कटने वाला अंशदान भी इन तीन किस्तों से कट जाता है।

11. प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना बढ़ा रही है रोजगार के अवसर
एक व्यापक योजना है जिसमें मेगा फूड पार्क, एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना इत्यादि जैसी मंत्रालय की चल रही योजनाएं शामिल हैं। सम्पदा का अर्थ यहां ‘कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और विकास योजना’ है। कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसानों को लाभ हुआ है और 10 लाख रोजगार पैदा हुए हैं। सरकार एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, कुशल आपूर्ति श्रृंखला, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण और विपणन और ब्रांडिंग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दे रही है। 

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