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पीएम मोदी ने कहा आज के भारत में विश्व को राह दिखाने का सामर्थ्य

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190 देशों से आए प्रवासी भारतीयों के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने पहले जो भारत के बारे में सुना होगा या दूसरों की नजरों से देखा होगा और आज जो अपनी नजरों से देख रहें हैं उसमें काफी फर्क महसूस कर रहे होंगे। क्योंकि इस दौर में भारत की सूरत ही नहीं सीरत भी बदली है। आज का भारत दूसरों की नजरों से नहीं बल्कि खुद की नजरों से देखने वाला भारत है। क्योंकि आज के हिंदुस्तान में दुनिया को राह दिखाने का सामर्थ्य है। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत सभी प्रवासियों को सौभाग्यशाली बताते हुए किया। उन्होंने कहा कि आपलोग इसलिए सौभाग्यशाली हैं कि आप प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दर्शन कर चुके हैं लेकिन अभी तक यह सौभाग्य मुझे नहीं मिल पाया है। इसके साथ ही उन्होंने सूचना देते हुए कहा कि इस बार के कुंभ में रविवार यानि 24 फरवरी को जाने वाला हूं। पीएम मोदी ने कहा कि होश संभालने के बाद शायद ही कोई कुंभ हो जहां मुझे जाने का सौभाग्य न बन पाया हो।

बगैर देखे और गए कुंभ को नहीं समझा जा सकता

प्रवासी भारतीयों से मुखातिब पीएम मोदी ने कुंभ के बारे में कहा कि यह एक ऐसा मेला है जहां आप स्वयं जाते नहीं या फिर घटित होते देख नहीं लेते तब तक न तो इसका अंदाजा लगा सकते ना ही उसके महात्म्य को समझ सकते हैं। यह कुंभ मेला देश की कितनी बड़ी विरासत है इसके बारे में भी आप नहीं जान पाते। यह अपने आप में एक अद्भुत घटित घटना है। इसके लिए किसी को निमंत्रण कार्ड नहीं दिया जाता है। इसके कोई आयोजक भी नहीं होते हैं। यह स्वतःस्फूर्त घटना है। यह हजारों सालों से तय समय के साथ होता चला आ रहा है। यह एक ऐसा मेला है जो बगैर किसी के कहे होता और लगता आ रहा है।

दुनिया जिस शांति की तलाश में है वह भारत में मिलेगी

भारत एक उभरता हुआ पर्यटन देश बन रहा है। दुनिया शांति की तलाश में है। पश्चिमी देशों के लोग जीवन का कुछ हिस्सा शांति से बिताना चाहते हैं। इसलिए वे इंस्पायरिंग वर्ल्ड की खोज में है। जिसके लिए भारत से उपयुक्त और बेहतर जगह कोई दूसरा हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि भौतिक संपदा की कमी के बावजूद आध्यात्मिक खोज से जीवन को वैभवशाली कैसे बनाया जा सकता है यह कोई भी किसी भी भारतीय से सीख सकता है। जब तक आप आकर उस नदी में डूबकी लगा नहीं लेते तब तक आप कैसे किसी को बता सकते हैं कि एक नदी के अंदर डुबकी लगा लेने से आपको क्या अनुभूति होती है। आप किसी को न तो बता सकते हैं न ही कोई आपकी बात को समझ ही सकता है। इसलिए इससे जानने के लिए अनुभव और अनुभूति की जरूरत है। विश्व भर के प्रवासियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

कुंभ मेले का मैकेनिज्म शोध का विषय है

भारत की ऑरगेनाइजिंग कैपेसिटी को समझना हो तो कुंभ मेले को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पास व्यवस्था को व्यवस्थित करने की अद्भुत क्षमता है। अब जहां हर दिन एक पूरे यूरोप का जमावड़ा लगे वहां खोने भटकने की घटना तो हो ही जाती है। कुंभ में हर रोज हजारों मिसिंग की घटनाएं होती हैं लेकिन ऐसा मैकेनिज्म बना है कि एक से दो घंटे में सब निपटा लिया जाता है। किस प्रकार यह संभव हुआ है यह छात्रों से लेकर कॉलेज और विश्वविद्यालय के लिए शोध का विषय है। एक व्यवस्था किस प्रकार सब कुछ संभाल रही है इस पर भी एक न एक दिन विश्व का ध्यान जाएगा।

लोकतंत्र के कुंभ को देखने आएं लोकतंत्र समर्थक

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि इस कुंभ के समापन के थोड़े ही दिन बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए कुंभ का आयोजन शुरू होगा। यानि देश का लोकसभा चुनाव का महापर्व शुरू होने वाला है। यह भी तो लोकतंत्र का कुंभ ही है। इसमें 8 मिलियन से भी अधिक लोग वोट करते हैं। भारत में होने वाला लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव है। इस अवसर पर विश्व के हर देश के प्रतिनिधियों को आना चाहिए और देखना चाहिए कि किस प्रकार भारत के हर नागरिक के दिल में लोकतंत्र बसता है। उन्होंने कहा लोकतंत्र में विश्वास करने वाले दुनिया भर के छात्र लोकतंत्र के इस कुंभ को देखने आएं और फिर दुनिया को संदेश दे कि हमने अपनी नजरों से जो अलग भारत देखा है वह पहले दूसरों की नजर से दिखे भारत से बिल्कुल अलग और समर्थ भारत है। 

 

अक्षय वृक्ष की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय परिवेश में प्रकृति को भगवान मानने की चलन वैसे नहीं हैं। हम पेड़ में भी भगवान का दर्शन करते हैं। उन्होंने कहा है कि अगर भारतीय संस्कृति और परिवेश को अपनाया जाए तो पूरी दुनिया को कभी क्लाइमेट चेंज जैसी समस्या से दो-चार करने की नौबत ही न आए।

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