प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में विश्व के नेताओं के साथ जो आपसी संबंध बनाए, उसी का परिणाम है कि आज दुनिया भर के तमाम देश भारत के साथ खड़े हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के साथ दोस्ती की जो मजबूत बुनियाद रखी है, उसी के कारण पाकिस्तान आज गिड़गिड़ाने को मजबूर हुआ है। पांच अगस्त 2019 का दिन भारतीय राजनय के इतिहास में एक टर्निंग प्वाइंट के रूप में देखा जाएगा। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने के लिए कूटनीतिक तौर पर जो मुहिम शुरू की उसमें उसे हर जगह मात मिली। गौर से देखें तो इससे पहले भारत पाकिस्तान को वैश्विक कूटनीति में अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन इसके बाद उसके वे सभी परिणाम एक साथ दिखाई दिए जिनकी उसे अपेक्षा थी।
विश्व में अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान
पाकिस्तान जिस तरह से हाथ-पैर मार रहा था, उसे देखते हुए भारत को अग्रगामी, रणनीतिक और काउंटर करने वाले कदम उठाने की जरूरत थी। इन कदमों की पिछले लगभग एक महीने में सभी ने न केवल आहट सुनी, बल्कि उनके अच्छे परिणाम भी देखे। इन्हीं कदमों का परिणाम है कि पाकिस्तान अलग-थलग और लगभग अनिश्चय की स्थिति में पहुंच चुका है और भारत एशिया के नेता के रूप में अपनी दावेदारी करता नजर आ रहा है।
ट्रंप ने इमरान खान को दी सलाह
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान इमरान खान ने फिर कश्मीर मध्यस्थता का मुद्दा उठाया। इस पर ट्रंप ने उन्हें साफ इंकार कर दिया। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि जब तक भारत नहीं चाहेगा, तबतक वह मध्यस्थता नहीं कर सकते। ट्रंप ने इमरान खान को सलाह दी है कि दोनों देश बातचीत के जरिए आपसी मुद्दों को सुलझाएं।
इमरान खान के सामने ही ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ
इमरान खान के सामने ही ट्रंप ने ह्यूस्टन में रविवार को आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम की जमकर प्रशंसा की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने कार्यक्रम में पीएम मोदी का बयान सुना और एनआरजी स्टेडियम में मौजूद 50 हजार लोगों की जिक्र करते हुए कहा कि वहां मौजूद लोगों ने भी वैसी ही प्रतिक्रिया व्यक्त की। ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा था। उनका कहना था कि भारत के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले से उन लोगों को परेशानी हो रही है जिनसे अपना ही देश नहीं संभाला जाता।
ट्रंप ने की पाकिस्तानी पत्रकार की खिंचाई
इमरान खान के साथ प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कई बार पाकिस्तानी संवाददाताओं की अनदेखी की। पाकिस्तानी पत्रकार कश्मीर पर इधर-उधर की बात कर रहे थे, जिससे नाराज ट्रंप ने उन्हीं की खिंचाई कर दी। एक बार तो उन्होंने एक संवाददाता से पूछ लिया कि क्या वह पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। कश्मीर मसले पर एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल करने पर ट्रंप ने इमरान खान से पूछ ही लिया कि ऐसे संवाददाता आप लाते कहां से हो? इस पर इमरान खान की बोलती बंद हो गई।
जब UN में पीएम मोदी का भाषण सुनने पहुंचे राष्ट्रपति ट्रंप
अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सोमवार को जलवायु परिवर्तन से जुड़े एक सत्र को प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया। पीएम मोदी के भाषण को सुनने के लिए यहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी पहुंचे। दिलचस्प बात ये है कि ट्रंप का यहां पहुंचना पहले से तय नहीं था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति सबको चौंकाते हुए पीएम मोदी का भाषण सुनने पहुंच गए। डोनाल्ड ट्रंप लगभग 15 मिनट तक शिखर सम्मेलन में रहे। हालांकि, उन्होंने सत्र को संबोधित तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने पीएम मोदी के भाषण जरूर सुने। इसके बाद ट्रंप यूएन मुख्यालय से रवाना हो गए।
मध्यस्थता पर UN की पाक को दो टूक
कश्मीर के मुद्दे पर लगातार मुंह की खा रहा पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र से फिर एक बार झटका लगा। कश्मीर में मध्यस्थता मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान की अपील स्वीकार नहीं की जा सकती। यूएन महासचिव के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में स्पष्ट कहा गया है कि दोनों देशों को ही यह मुद्दा आपसी बातचीत के जरिए सुलझाना होगा। प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि मध्यस्थता पर हमारी स्थिति पूर्ववत ही है, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
Stéphane Dujarric,Spox for UN Secretary-General on Kashmir: Our position on mediation has always remained the same. Secretary‑General has had contacts both with Govt of Pakistan&Govt of India. He saw PM of India at the sidelines of the G7.He had spoken to Pak Foreign Minister. pic.twitter.com/qYFHVjXMgN
— ANI (@ANI) September 11, 2019
UNHRC में पाकिस्तान को नहीं मिला समर्थन
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को पाकिस्तान के मुकाबले उस समय बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई। जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 42वें सत्र में में पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर मामले में संकल्प पेश करने के लिए पर्याप्त समर्थन हासिल नहीं हो सका है। इससे कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की पाकिस्तान की साजिश एक बार फिर विफल हुई। ज्यादातर सदस्य देशों ने पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन करने से इन्कार कर दिया। प्रस्ताव लाने की पाकिस्तान की मंशा धरी रह गई और उसके राजनयिक अपना सा मुंह लेकर यूएनएचआरसी परिसर से निकल गए।
UNSC में पाक और चीन को लगा तगड़ा झटका
कश्मीर मुद्दे पर 17 अगस्त, 2019 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बंद कमरे में बैठक हुई, जो बेनतीजा या बगैर किसी बयान के समाप्त हो गई, इससे कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीयकरण करने में जुटे पाकिस्तान और उसके सहयोगी देश चीन को एक बड़ा झटका लगा। वैश्विक संस्था की 15 देशों की सदस्यता वाली परिषद के ज्यादातर देशों ने इस बात पर जोर दिया कि यह भारत और पाक के बीच एक द्विपक्षीय मामला है। इतना ही नहीं, बैठक के बाद यूएनएससी अध्यक्ष ने कहा, ‘पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाने का कोई आधार नहीं है। इस बार भी उसकी बातों में कोई दम नहीं था। कोई नतीजा नहीं निकला, परामर्श के बाद पोलैंड ने कोई बयान नहीं दिया।’
यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान को लताड़ा, कहा- भारत में चांद से नहीं आते आतंकी
कश्मीर को लेकर दुनिया भर में विलाप करते फिर रहे पाकिस्तान को यूरोप के 28 देशों के संगठन यूरोपीय संघ ने जमकर फटकार लगाई है। यूरोपीय संघ की संसद के कई सदस्यों ने कश्मीर पर भारत के पक्ष का समर्थन किया और पाकिस्तान को आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देने के लिए कठघरे में खड़ा किया। इन सदस्यों ने साफ कहा कि भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी चांद से नहीं टपकते, बल्कि पड़ोस से ही आते हैं। यूरोपीय संसद में ‘कश्मीर में हालात’ विषय पर चर्चा के दौरान ज्यादातर सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को भारत का आंतरिक मामला बताया। इन सदस्यों ने यूरोपीय संघ से भी भारत की संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह किया।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने की पीएम मोदी की तारीफ, भारत का किया समर्थन
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसके बाद पाकिस्तान द्वारा भारत की छवि खराब करने के लिए फैलाए जा रहे झूठ को लेकर पाकिस्तान पहले ही पूरी दुनिया में बेनकाब हो चुका है। अब भारत के धुर विरोधी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) ने भी इस फैसले को लेकर पीएम मोदी की शान में कसीदे काढ़े और भारत का समर्थन किया है। साथ ही कश्मीर में मुस्लिमों के जनसंहार का दुष्प्रचार करने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को जमकर लताड़ लगाई।
अमेरिका के प्रख्यात विश्लेषक रोजर कोहेन ने न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में लिखा है, ‘जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर भारत ने इसे अपना अभिन्न हिस्सा बना लिया है। ये फैसला जम्मू-कश्मीर के विकास और उसके बेहतर भविष्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी इस फैसले को किसी भी सूरत में वापस लेने वाले नहीं हैं।’ साथ ही रोजर कोहेन ने कहा कि मैं ये दावा कर सकता हूं कि पीएम मोदी की सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसले, नए व एकीकृत कश्मीर क्षेत्र सहित पूरे भारत की तस्वीर बदलने वाले हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहली बार अपने किसी लेख में भारत के इस कदम का समर्थन किया है।
जी-7 में पीएम मोदी को मिली कूटनीतिक जीत
कश्मीर पर एक ऐतिहासिक निर्णय लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी जब जी-7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए तो ऐसा अनुमान व्यक्त किया जा रहा था कि संभवत: भारत के सामने कुछ सवाल भी रखे जाएंगे जो भारत के लिए भावी चुनौतियां साबित हों। यह भी संभावना थी कि जी-7 के कुछ देश पाकिस्तान की पैरोकारी करें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बायरिट्ज में जिस तरह से पाकिस्तान को अलग-थलग करने में भारत सफल रहा, वह एक बड़ी कूटनीतिक विजय है। जी-7 समिट में पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर राय रखी। ट्रंप के सामने पीएम मोदी ने साफ कहा कि पाकिस्तान के साथ जो भी मुद्दे हैं वे द्विपक्षीय हैं और इसमें हम किसी तीसरे देश को ‘कष्ट’ नहीं देना चाहते। इस बैठक के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप भी कश्मीर पर मध्यस्थता के बयान पर यू-टर्न लेते नजर आए। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है।
रूस ने किया भारत का समर्थन
जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का रूस ने समर्थन किया। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत-पाकिस्तान के मतभेदों को द्विपक्षीय आधार पर राजनीतिक और राजनयिक तरीकों से हल किया जाएगा। भारत और पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में किए गए बदलाव के बाद किसी तरह के तनाव को बढ़ावा नहीं देंगे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में कश्मीर पर बैठक से पहले ही पाकिस्तान और चीन को रूस ने बड़ा झटका दिया। संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रतिनिधि ने कहा कि जम्मू कश्मीर का मसला द्विपक्षीय है। रूस ने पाकिस्तान को इस मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने की नसीहत दी। रूस ने कहा है कि इस मुद्दे को केवल राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यम से सुलझाया जा सकता है।
पाकिस्तान को नहीं मिला इस्लामिक देशों का समर्थन
कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संकल्प का प्रस्ताव लाने के लिए पाकिस्तान कई दिन से एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा था। लेकिन उसे इस्लामिक सहयोग संगठन के सभी 57 देशों का भी समर्थन हासिल नहीं हो पाया। ज्यादातर देशों ने पाकिस्तानी अधिकारियों को समझा दिया कि जम्मू-कश्मीर का मसला भारत का अंदरूनी मामला है, अगर उस पर पाकिस्तान कुछ बात करना चाहता है तो वह भारत के साथ करे।
पीएम मोदी के खिलाफ तल्ख भाषा का इस्तेमाल नहीं हो
कुछ प्रभावशाली मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान से कहा है कि वह भारत के साथ अनौपचारिक बातचीत का प्रयास करे। उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान से यह अनुरोध भी किया है कि कश्मीर मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए वह पीएम मोदी के खिलाफ अपनी भाषा में तल्खी को भी कम करे। तीन सितंबर, 2019 को सऊदी अरब के उप विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन अल नाहयान इस्लामाबाद दौरे पर अपने नेतृत्व और कुछ अन्य शक्तिशाली देशों की ओर से संदेश लेकर आए थे।
मुस्लिम देशों के साथ व्यक्तिगत कूटनीतिक संबंध
पीएम मोदी 23 अगस्त, 2019 को यूएई गए थे, जहां उन्हें आबूधाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नहयान ने यूएई के सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जाएद’ से सम्मानित किया। भारत और इस्लामी दुनिया के साथ संबंधों में इस समय व्यक्तिगत कूटनीति (इंडिविजुअल डिप्लोमैसी) अपने प्रभाव को स्थापित कर रही है, जो इससे पहले कभी नहीं दिखी। शायद इसी का प्रभाव कह सकते हैं कि जिस इस्लामी दुनिया, विशेषकर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात या इस्लामी संगठन में पाकिस्तान का सिक्का चलता रहा है, अब वह बहिष्कृत महसूस कर रहा है।
इस्लामी दुनिया के साथ भारत की बॉन्डिंग
पीएम मोदी को मिले इस सर्वोच्च सम्मान से दुनिया को यह संदेश गया कि अब भारत और खाड़ी देशों के रिश्ते सिर्फ खरीद-बिक्री या व्यापार के नहीं रह गए हैं, बल्कि ये रिश्ते अब व्यापारिक परिधियों को पार कर स्वाभाविक साझेदारी के दायरे में पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात स्वीकार भी की कि अब द्विपक्षीय संबंधों में हमारा दृष्टिकोण समान है। इस्लामी दुनिया के साथ भारत की बॉन्डिंग इस तरह से बन रही है कि पाकिस्तान उसे किसी भी स्थिति में काउंटर नहीं कर पाएगा।
पाकिस्तान की कीमत पर भारत को तरजीह
वैसे भी आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन (ओआइसी) के विदेश मंत्रियों की परिषद के 46वें सत्र में आबूधाबी में भारत ने अपनी उपस्थिति दर्जा कराकर पाकिस्तान को संदेश दे दिया था। भारत ने इस संगठन में पहली बार शिरकत की थी और इन देशों ने भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को विशिष्ट अतिथि के तौर पर पाकिस्तान की कीमत पर बुलाया था। यही वजह थी कि पाकिस्तान ने इसके बहिष्कार की धमकी दी थी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया था। फिलहाल इतना कहा ही जा सकता है कि चाहे वह सऊदी अरब हो या संयुक्त अरब अमीरात या फिर इस्लामी विश्व के अन्य देश, वे उभरती हुई आर्थिक ताकत और कौशल प्रधान भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं, मौलानाओं और जेहादियों के मुल्क पाकिस्तान से नहीं।