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1951 में सोमनाथ तो 2024 में राम मंदिर, कांग्रेस ने एक बार फिर बाबर को चुना! नेहरू, इंदिरा, राहुल गांधी ने किया था बाबर की कब्र का दौरा

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कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को स्वीकार न करते हुए कहा कि ये भाजपा और आरएसएस का इवेंट है। कांग्रेस पार्टी ने निमंत्रण को ठुकराते हुए एक पत्र भी जारी किया जिसमें कहा कि धर्म व्यक्तिगत चीज है। लेकिन ऐसा करके उसने भारतवासियों की भावना को ही ठेस पहुंचाया। अगर धर्म व्यक्तिगत चीज है तो वोट देना भी व्यक्तिगत विषय है। तो अब देशवासी अपने वोट से रामविरोधी कांग्रेस को जवाब देंगे। कांग्रेस ने अपने पत्र में इस बात को भी उठाया कि बीजेपी लंबे समय से राम मंदिर मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए उठाती रही है। सच्चाई यह है कि राजनीतिक लाभ-हानि से परे बीजेपी लंबे समय से राम मंदिर के लिए संघर्ष करती रही है। उसके घोषणापत्र में हमेशा राम मंदिर शामिल रहा। तो ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि बीजेपी को इसका राजनीतिक लाभ मिलेगा और बीजेपी को लाभ दिलाने में कांग्रेस का भी महत्वपूर्ण योगदान है। कांग्रेस ही लंबे समय तक जनता के सामने जाकर कहती रही- ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे।’ अब तारीख बताई जा रही है तो कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसक गई है। एक तरफ बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी खुशी-खुशी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार हैं लेकिन रामद्रोही कांग्रेस नहीं जा रही है। कांग्रेस के चरित्र को इसी से समझा जा सकता है। 

कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकराया 
उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तय है। कांग्रेस ने इससे दूरी बनाने का फैसला किया है। कांग्रेस ने 10 जनवरी को एक बयान जारी कर कहा कि यह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम है और वह इस संदर्भ में आए आमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करती है।

नेहरू ने 1951 में सोमनाथ मंदिर का न्योता ठुकराया था
कांग्रेस ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है। जिस राम मंदिर के लिए पूरी दुनिया में आज भारत का डंका बज रहा है, देशभर के भक्त पूरे उत्साह के साथ जिस 22 जनवरी का इंतजार कर रहे हैं, कांग्रेस ने उसी भव्य समारोह को केवल BJP-RSS का समारोह बताया है। लेकिन इतिहास में झांकें तो कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा के न्योते को ठुकराकर इतिहास को फिर से दोहराने का काम किया है। असल में, ये बात उस वक्त की है जब साल 1951 में सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी और देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में जाने से भी इनकार कर दिया था। नेहरू ने तर्क दिया था कि वो इस हिंदू पुनरुत्थान से बहुत परेशान हैं।

नेहरू ने कहा था- मैं शिक्षा से ईसाई, संस्कृति से मुस्लिम और जन्म के संयोग से हिंदू हूं
जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘मैं शिक्षा से ईसाई, संस्कृति और परंपरा से मुस्लिम और केवल जन्म के संयोग से हिंदू हूं।’ इससे साफ जवाहरलाल नेहरू और गांधी परिवार पूरी तरह से हिंदू विरोधी, इस्लाम समर्थक हैं। ऐसे में यह बेहतर ही है राम मंदिर के पवित्र प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हैं।

कांग्रेस ने एक बार फिर बाबर को चुना
एक तरफ प्रभु श्रीराम, दूसरी ओर आक्रांता बाबर! कांग्रेस ने एक बार फिर बाबर को चुना है। नेहरू से सोनिया तक। सोमनाथ से अयोध्या तक। वही सनातन धर्म और हिंदू पुनरुत्थान से घृणा। पीढ़ियां बदल गईं, लेकिन नेहरू-गांधी परिवार की हिंदू विरोधी सोच नहीं बदली। जैसा कि तय था सोनिया गांधी ने श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इनकार कर दिया। सोनिया गांधी नेहरू के ही पदचिन्हों पर चल रही हैं। नेहरू ने भी यही किया था। 

राहुल गांधी ने 2005 में बाबर की कब्र का दौरा किया था
जिस मुगल आक्रांता बाबर ने 1556 में राम मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनवाई थी। जिस बाबर को देशवासी घृणा की दृष्टि से देखते हैं वहीं कांग्रेस पार्टी का शासक वंश मुगल आक्रांता के प्रति किस प्रकार का आकर्षण रखता है उसे इससे समझा जा सकता है कि नेहरू-गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों ने बाबर की कब्र का दौरा किया। जवाहरलाल नेहरू ने 1959 में, इंदिरा गांधी ने 1968 में और राहुल गांधी ने 2005 में अफगानिस्तान में बाबर की कब्र का दौरा किया था।

सोनिया गांधी जमीयत उलेमा ए हिंद की रैलियों में शामिल हुई
सोनिया गांधी ने 29 मई 2005 फिर 24 अप्रैल 2007 को उस शुद्ध इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की रैलियों में घंटों तक शामिल हुई, जो दर्जन से ज्यादा आतंकियों को कानूनी मदद खुलेआम करता रहा है। लेकिन राम मंदिर का बहिष्कार सोनिया इसलिए करेगी क्योंकि ये RSS का कार्यक्रम है। इससे यह साफ होता है कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर सोनिया राहुल गांधी तक इस्लामपरस्त हैं।

सोनिया गांधी ने पोप को लिखी थी चिट्ठी
सोनिया गांधी ने पोप को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि मार्गरेट अल्वा और लूज़िन्हो फलेरियो मदर टेरेसा के संत घोषित समारोह में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। यदि मैं अस्वस्थ न होती, तो मैं भी इस पवित्र समारोह का गवाह बनने और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए वहां होती। 

कांग्रेस ने ‘भगवा आतंक’ शब्द गढ़कर समाज में नफरत फैलाया
हिंदू विरोधी कांग्रेस नेता अयोध्या नहीं जाएंगे, बल्कि टोपी पहनेंगे और धूमधाम से इफ्तार पार्टियों में शामिल होंगे। उस पार्टी से और क्या उम्मीद की जाए जिसने ‘भगवा आतंक’ शब्द गढ़कर सदी का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा किया हो।

जयराम रमेश ने कहा- अयोध्या में 1986 में ताले खुलवाना गलती थी
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश Satyahindi.com पर आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और पत्रकार आशुतोष से बातचीत में कांग्रेस की भगवान श्री राम विरोधी मानसिकता को फिर जाहिर करते हुए कहा कि गलतियां हमसे भी हुई हैं। ऐसा नहीं कि हमने गलतियां नहीं कीं। जो ताले खुलवाए गए अयोध्या में, 1986 में। इस पर फिर से चर्चा हो सकती है।

मणिशंकर अय्यर ने उठाए थे भगवान राम के अस्तित्व पर उठाए 
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने 2019 में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था। दिल्ली में राष्ट्र विरोधी संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ‘एक शाम बाबरी मस्जिद के नाम’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने भगवान राम, अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि स्थल सभी को कठघरे में खड़ा कर दिया। मस्जिद और मुसलमानों के प्रेम में डूबे अय्यर ने कहा कि राजा दशरथ एक बहुत बड़े राजा थे, उनके महल में 10 हजार कमरे थे, लेकिन भगवान राम किस कमरे में पैदा हुए ये बताना बड़ा ही मुश्किल है। इसलिए ये दावा करना कि राम वहीं पैदा हुए थे, यह ठीक नहीं है।

अब तक गांधी परिवार का इतिहास हिंदू विरोधी ही रहा है। राहुल गांधी के खानदान की ‘हिंदू विरोधी’ साजिशों के कुछ सबूत… 

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 1
आज़ादी के बाद से ही नेहरू गांधी ख़ानदान ने हिंदुओं को नीचा दिखाने और उनका मनोबल तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसकी शुरुआत आज़ादी के बाद से ही हो गई थी। लेकिन जब नेहरू के हिंदू विरोधी काम पर अंकुश लगाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल नहीं रहे तो नेहरू पूरी बेशर्मी से इस काम में जुट गए।

इंग्लिश अखबार ‘द हिंदू’ के मौजूदा संपादक एन. राम के पिता कस्तूरी ने तब ‘द हिंदू’ का संपादक रहते हुए लेख छापा था। मौजूदा तेलंगाना के सिकंदराबाद के के. सुब्रह्मण्यम के इस लेख में आजाद भारत में हिंदू और उनकी आस्था से हो रहे खिलवाड़ और सरकार की अल्पसंख्यकपरस्त नीतियों का खुलासा किया गया था।

के. सुब्रह्मण्यम हिंदू आस्थाओं का मजाक उड़ते देखकर ही परेशान नहीं हुए। उन्होंने ये भी देखा की नेहरू सरकार बेशर्मी से दूसरे धर्मों को हिंदू धर्म से श्रेष्ठ बताने की कोशिश कर रही है।  के. सुब्रह्मण्यम ने अंबेडकर की तुलना में अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, बीएन राव जैसे दूसरे हिंदू संविधान निर्माताओं को कम महत्व देने के लिए नेहरू को जिम्मेदार माना था। के. सुब्रह्मण्यम इस बात से भी दुखी थे कि वेद और हिंदू धर्मग्रन्थों का अनुवाद करने वाले अग्रेज मैक्सम्यूलर का भी सरकार गुणगान करती है। जबकि वो इनके जरिए हिंदुओं को पिछड़ा और ईसाई धर्म की सर्वोच्चता स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सरकार हिंदुओं का अहित और अल्पसंख्यकों को बढ़ावा दे रही है। अंग्रेज तो चले गए लेकिन हमारी सरकार अब भी उनकी नीतियों पर ही चल रही है। 

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 2
7 फरवरी, 1916 को मोतीलाल नेहरू ने अपने बेटे जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की शादी के तीन कार्ड छपवाए गए थे। तीनों कार्ड अंग्रेजी के अलावा सिर्फ अरबी लिपि और फारसी भाषा में छपे थे। तीनों ही कार्ड में किसी भी हिन्दू देवी देवता का नाम नहीं लिखा गया था। न ही उन कार्ड पर हिन्दू धर्म से जुड़ा कोई श्लोक लिखा था। हिन्दू संस्कृति या फिर संस्कृत भाषा का कार्ड में कोई नामोनिशान तक नहीं था।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 3
आजादी के बाद जब बल्लभ भाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर के दोबारा निर्माण की कोशिश शुरू की तो महात्मा गांधी ने इसका स्वागत किया, लेकिन जवाहर लाल नेहरू इसका लगातार विरोध करते रहे। जब तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर गए तो नेहरू ने न केवल उन्हें जाने से मना किया और विरोध भी दर्ज कराया।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 4
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दू शब्द रखने पर जवाहर लाल नेहरू को घोर आपत्ति थी, उन्होंने इस शब्द को हटाने के लिए कहा था। पंडित मदन मोहन मालवीय पर भी नेहरू ने यूनिवर्सिटी से हिंदू शब्द हटाने के लिये दबाव डाला था। हालांकि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुस्लिम शब्द रखने पर कभी आपत्ति नहीं जताई।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 5
वंदे मातरम को राष्ट्रगीत बनाने पर जवाहर लाल नेहरू ने आपत्ति जताई थी। उन्हीं की आपत्ति के बाद मुस्लिमों का मनोबल बढ़ा, जिससे आज तक मुस्लिम वंदे मातरम गाने का विरोध करते हैं।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 6
7 नवंबर, 1966 को दिल्ली में हजारों नागा साधु इकट्ठा होकर ये मांग कर रहे थे कि – गाय की हत्या बंद होनी चाहिए, इंदिरा गांधी किसी भी कीमत पर गौ हत्या बंद करने के मूड में नहीं थी। फिर क्या था, दिल्ली में ही इंदिरा गांधी ने जालियांवाला कांड दोहराया और जनरल डायर की तरह हजारों नागा साधुओं के ऊपर गोलियां चलवा दीं। इस गोलीबारी में 6 साधु की मौत हो गई, यही नहीं उस समय गौभक्त माने जाने वाले गुलजारी लाल नंदा को इंदिरा ने गृहमंत्री पद से हटा दिया। इस घटना के बाद इंदिरा गांधी कई राज्यों में चुनाव हार गई थीं।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 7
साधु- संतो पर गोली चलाने से चुनाव हार चुकी इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की शादी में हिन्दी में कार्ड तो छपवाया… लेकिन कार्ड में कहीं भी हिन्दू देवी देवता के नाम से परहेज किया गया। इसमें भगवान गणेश का भी नाम नहीं था ।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 8
नेहरू-गांधी परिवार ने कभी कोई हिन्दू त्योहार पारंपरिक रूप से नहीं मनाया। रमजान में गांधी परिवार हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन करता है, वैसा आयोजन आज तक कभी नवरात्रि में उनके घर पर नहीं हुआ। कभी कन्याओं को भोजन नहीं कराया गया। कभी किसी ने इनको दीपावली में दीये जलाते नहीं देखा।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 9
राहुल गांधी की उम्र 50 साल है, जबकि प्रियंका वाड्रा की 48 साल। कभी राहुल को प्रियंका वाड्रा से किसी ने राखी बंधवाते नहीं देखा। हिन्दुओं में भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही पवित्र माना जाता है। कोई भी हिन्दू परिवार रक्षा बंधन से परहेज नहीं करता।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 10
राहुल गांधी सिर्फ मोदी को हराने के लिए हिन्दू बने हैं… वर्ना पूरे नेहरू परिवार का कभी भी हिन्दू धर्म से नाता नहीं रहा है। यहां तक कि हिन्दू पर्व- त्योहारों में बधाई देना भी अपमान माना जाता है। उदाहरण के लिए 2017 में साल पहली बार कांग्रेस दफ्तर में होली मनाई गई, इससे पहले अघोषित बैन था। राहुल गांधी ने पहली बार लोगों को 2017 में दिवाली की शुभकामनाएं दी।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 11
नेहरू गांधी परिवार कभी भी राम मंदिर निर्माण का समर्थन नहीं करता। बल्कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में भी कांग्रेसियों ने रोड़े अटकाने का काम किया। कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राम मंदिर की सुनवाई जुलाई 2019 तक टाल दी जाए, ताकि लोकसभा चुनाव हो सके। कांग्रेस चाहती थी कि 2019 तक वो हिन्दुओं को बरगला कर सत्ता में आ जाए और राम मंदिर का निर्माण हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाए। 

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 12
2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी काल्पनिक किरदार हैं, इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 13
कांग्रेस ने ही पहली बार मुस्लिमों को हज में सब्सिडी देने और अमरनाथ यात्रा पर टैक्स लगाने का पाप किया। दुनिया के किसी भी देश में हज में सब्सिडी नहीं दी जाती है, सिर्फ कांग्रेस सरकारों ने भारत में मुसलमानों के वोट के लिए ये खैरात बांटना शुरू किया। लेकिन मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 14
कांग्रेस ने ही सबसे पहले दुनिया भर में हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए हिन्दू आतंकवाद नाम का शब्द गढ़ा। एक ऐसा शब्द ताकि मुस्लिम आतंकवाद की तरफ से दुनिया का ध्यान भटकाकर हिन्दुओं को आतंकवादी सिद्ध किया जा सके।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 15
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बयान के जरिए देश की बहुसंख्यक आबादी को चौंका दिया, जब उन्होंने कहा कि मंदिर जाने वाले लोग लड़कियों को छेड़ते हैं। हिन्दू धर्म में मंदिर जाने वाले लोग लफंगे होते हैं।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 16
तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस्लामी कुरीति की तुलना राम से कर दी। जाहिर ये कांग्रेस आलाकमान के इशारे के बिना कपिल सिब्बल ये जुर्रत नहीं कर सकते थे।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 17
राहुल गांधी ने विदेश जाकर ये फैलाने की कोशिश की कि लश्कर से भी ज्यादा कट्टर आतंकी हिन्दू होते हैं। जबकि आज तक कभी ये सामने नहीं आया कि कोई हिन्दू आतंकी बना हो।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 18
राहुल गांधी ने जर्मनी जाकर फिर से हिन्दू धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया। राहुल ने जर्मनी में कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ जो अत्याचार होते हैं, उसकी वजह भारतीय संस्कृति है।

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