प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का परिवार दुनिया की चकाचौंध से दूर आज भी सादगी से जी रहा है। आज के दौर में वीआईपी कल्चर और अपने नाम की धौंस दिखाना सत्ता में बैठे लोगों के लिए ट्रेंड बन चुका है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी का परिवार सुर्खियों से दूर कभी अपने किसी काम के लिए पीएम मोदी के नाम का इस्तेमाल करता नहीं पाया गया। देश की राजधानी दिल्ली में घटी स्नैचिंग की घटना इसका सबसे बड़ा सबूत है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए झपटमारों को गिरफ्तार करते हुए सारा सामान बरामद कर लिया। लेकिन इस पूरे मामले में फिर एक पहलू नजर आया, वह है प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सादगी, मध्यवर्गीय परिवार जैसे मूल्य, विनम्रता, निष्ठा और निश्छल स्वभाव ।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भतीजी दमयंती बेन मोदी अमृतसर से दिल्ली पहुंची थीं। ऑटो रिक्शा से उतरते समय दो स्कूटर सवार लोगों ने मोबाइल और पर्स झपट लिया। इसके बाद वह एक आम व्यक्ति की तरह ही पुलिस स्टेशन गईं और पीएम से रिश्ते का हवाला दिए बिना एफआइआर दर्ज कराई। इस दौरान उन्होंने किसी भी तरह के स्पेशल ट्रीटमेंट की मांग नहीं की।
ऐसे समय में जब सरकारी बाबुओं तक का परिवार बच्चों को स्कूल छोड़ने से लेकर राशन-पानी लाने तक जैसे अपने रोजमर्रा के कामों के लिए सरकारी गाड़ियों और दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल करने में नहीं हिचकते, वहीं प्रधानमंत्री का परिवार आज सार्वजनिक परिवहन या ऑटो से सफर करता दिखता है। अब दिल्ली की इसी घटना को ले लें, तो घटना के वक्त प्रधानमंत्री मोदी की भतीजी सार्वजनिक परिवहन से ही सफर कर रही थीं। उनका परिवार दिल्ली में गुजराती समाज की एक धर्मशाला में ठहरा हुआ था।
आइए एक नजर डालते हैं पीएम मोदी के परिवार और उनकी पारिवारिक स्थिति पर…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले करीब 19 साल से सत्ता के शिखर पर हैं। 13 साल मुख्यमंत्री और साढ़े पांच साल से देश के प्रधानमंत्री। फिर भी उनके परिवार पर सत्ता का असर कहीं दिखाई नहीं देता। आज भी उनका परिवार आम लोगों की तरह जीवन बसर कर रहा है। नरेन्द्र मोदी के चार भाई सोमभाई मोदी, अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी और एक बहन वसंती बेन हैं।
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- पीएम मोदी के सबसे बड़े भाई सोमभाई मोदी अपने पैतृक शहर वडनगर में वृद्धाश्रम चलाते हैं।
- मोदीजी से ठीक बड़े अमृतभाई मोदी एक प्राइवेट कंपनी के फिटर पद से रिटायर हुए हैं। 2005 में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे, उस समय ये रिटायर हुए और इनकी सैलरी तब भी महज 10 हजार रुपये थी। उनके साथ 48 वर्षीय बेटा संजय मोदी, अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। संजय छोटा-मोटा कारोबार चलाते हैं।
- नरेन्द्र मोदी से ठीक छोटे भाई प्रह्लादभाई मोदी सस्ते गल्ले की दुकान चलाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सबसे छोटे भाई पंकजभाई मोदी हैं। पंकज भाई गुजरात सूचना विभाग में काम करते हैं और मां हीराबेन उन्हीं के साथ गांधीनगर में तीन कमरे के सामान्य से घर में रहती हैं। प्रधानमंत्री मोदी की मां से मिलने जाने के कारण छोटे भाई पंकज से मुलाकात हो जाती है।
- पीएम मोदी के बाकी चचेरे भाई, भतीजे या दूसरे रिश्तेदारों का जीवन भी संघर्षों और कठिनाइयों से भरा है। कुछ तो अपनी जिंदगी बेहद गरीबी में काट रहे हैं।
- नरेन्द्र मोदी के चचेरे भाई अशोकभाई मोदी तो वडनगर के घीकांटा बाजार में एक ठेले पर पतंगें, पटाखे और कुछ खाने-पीने की छोटी-मोटी चीजें बेचते हैं। वे अब अपनी पत्नी के साथ एक व्यापारी के यहां काम करते हैं। यहीं अशोक भाई खाना बनाते हैं तो उनकी पत्नी बरतन मांजती हैं। कुल मिलाकर अशोकभाई मोदी 7-8 हजार कमा लेते हैं। उनके बड़े भाई भरतभाई एक पेट्रोल पंप पर छह हजार रुपए महीने में अटेंडेंट का काम करते हैं। तीसरे भाई चंद्रकांतभाई एक पशु गृह में हेल्पर का काम करते हैं। चौथे भाई अरविंदभाई कबाड़ी का काम करते हैं और इससे छह से सात हजार कमा लेते हैं। सबसे ज्यादा 10 हजार की कमाई भरतभाई मोदी की है। इनके सबसे बड़े भाई भोगीभाई किराने की दुकान चलाते हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी का साफ मानना है कि सत्ता के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव उन्हें भ्रष्ट कर सकता है। इसी वजह से उन्हें परिवार को दूर रखना पड़ता है।
आम लोगों के बीच खड़े थे बड़े भाई, पीएम मोदी ने लिया आशीर्वाद
दिसंबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मताधिकार का उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साबरमती विधानसभा क्षेत्र के राणिप में बूथ नंबर 115 में वोट डालने पहुंचे। उसी दौरान पीएम मोदी की नजर अपने बड़े भाई सोम मोदी पर पड़ गई। गाड़ी से उतरने के बाद सबसे पहले उन्होंने वहां मौजूद अपने बड़े भाई सोम मोदी के पैर छुए। उसके बाद पीएम मोदी वोट डालने के लिए काफी देर तक लाइन में खड़े रहे।