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पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब का कहर जारी, 35 से अधिक लोगों की मौत, बेपरवाह नीरो जनता की जगह अपराधियों की सुरक्षा पर ज्ञान देने में व्यस्त

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बिहार में इस समय अव्यवस्था का आलम है। तेजस्वी और नीतीश की सरकार पूरी तरह पंगु हो चुकी है। जंगलराज में अपराधियों और शराब माफिया का बोलबाला है। आज पूर्ण शराबबंदी वाले राज्य बिहार के हर जिले में खुलेआम जहरीली शराब बेची जा रही है। सरकार और पुलिस इस जहरीली शराब की खरीद, ब्रिकी और पीने पर पाबंदी लगाने में पूरी तरह नाकाम रही है। इसकी वजह से राज्य में जहरीली शराब का कहर देखने को मिल रहा है। मोतिहारी जिले में जहरीली शराब पीने से 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इससे जिले में हाहाकार मचा हुआ है। नीतीश सरकार मुआवजे की घुट्टी पिलाकर लोगों की जान की कीमत लगा रही है। इस घटना ने नीतीश सरकार और उसकी पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। इसने साबित कर दिया है कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जनता की नहीं अपराधियों की सुरक्षा की परवाह है। 

मोतिहारी के पांच थाना क्षेत्रों में जहरीली शराब का कहर

पिछले कुछ दिनों से मोतिहारी जिले में जहरीली शराब ने कहर बरपा रखा है। जिले के तुरकौलिया, हरसिद्धि, सुगौली, रघुनाथपुर और पहाड़पुर थाना क्षेत्रों से लोगों की मौत की खबरें लगातार आ रही हैं। अब तक मरने वालों का आंकड़ा 35 के पार चला गया है। 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है। वहीं कई लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है। मरीजों की बढ़ती संख्या से अस्पतालों में अफरातफरी का आलम है। मरीजों को समुचित इलाज नहीं हो रहा है। इसके लिए लोग बेपरवाह नीतीश सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं। 

माफियाओं ने टैंकर से मंगाई गई थी जहरीली शराब 

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बिहार में टैंकर से शराब मंगाई जा रही है और पुलिस को इसकी खबर तक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत से जहरीली शराब मंगाई जाती है। हाल ही में मोतिहारी में एक टैंकर जहरीली शराब माफियाओं द्वारा मंगवाई गई थी। उसी जहरीली शराब को विभिन्न थाना क्षेत्रों में शराब कारोबारियों को भेजा गया था। इस शराब की वजह से इलके में मौत का तांडव शुरू हो गया। सदर अस्पताल में भर्ती लोगों ने स्वीकार किया कि शराब पीने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी। इस शराब के अधिकतर शिकार गरीब और दलित परिवार के लोग हो रहे हैं, जो सस्ती शराब की लालच में अवैध शराब कारोबारियों के चंगुल में फंस गए। 

अधिक हो सकता है मृतकों का आंकड़ा, मामले को दबाने की कोशिश

जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा और अधिक हो सकता है। स्थानीय लोगोंं के मुताबिक कई मामले सामने नहीं आ रहे हैं। गुप्त रूप से आनन-फानन में मृतकों का दाह संस्कार किया जा रहा है। ताकी पुलिस परिजनों को परेशान नहीं कर सके। क्योंकि राज्य में पूर्ण शराबबंदी की वजह से शराब को खरीदना, बेचना और पीना अपराध है। मृतकों और मरीजों के परिजन कानून और पुलिस के चंगुल में फंसने से बचने के लिए मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं सरकार भी आंकड़े को छिपाने में लगी है। लेकिन भ्रष्ट पुलिस और शराब माफिया के गठजोड़ की कीमत गरीब लोगों को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ रही है। आज सरकार के संरक्षण में शराब की घर-घर “होम-डिलीवरी” हो रही है।

नीतीश का धोखा, शर्त ऐसी की मुआवजा मिलना मुश्किल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद अपनी सरकार की नाकामी को स्वीकार कर रहे हैं और आंसू बहा रहे हैं कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है। इसके बावजूद कुछ लोग अवैध तरीके से शराब का सेवन कर रहे हैं और उनकी मौत हो जा रही है। यह काफी दुखद है। उन्होंने सोमवार (17 अप्रैल, 2023) को यूटर्न लेते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया। लेकिन इस मुआवजे के लिए उन्होंने जो शर्तें लगाई हैं, वो काफी हैरान करने वाली हैं। मुख्यमंत्री के मुताबिक जिस परिवार का कोई सदस्य इससे मरा है, उस परिवार के लोगों को साफ तौर पर बताना होगा कि मृतक उनके परिवार के सदस्य हैं, अवैध शराब पीने से उनकी मृत्यु हुई है। इसके साथ ही परिवार को बताना होगा कि शराब कहां से ली थी, उसका नाम और पता भी देना होगा। ये भी बताना होगा कि बिहार सरकार की शराबबंदी की नीति बेहतर है। यह सब लिखित रूप में संबंधित जिलों के जिलाधिकारी को भेजना होगा। इन शर्तों से मृतकों के परिजनों को राहत मिलगी इसकी संभावना संदिग्ध नजर आ रही है।

मौतों के लिए बिहार की महागठबंधन सरकार जिम्मेदार- बीजेपी

बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतों की वजह से नीतीश सरकार विरोधी दलों के निशाने पर आ गई है। बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार में लोग मारे जा रहे हैं और सरकार को कुछ पता नहीं है। चंपारण में जहरीली शराब से लोग मर रहे हैं और सरकार आंकड़ों को छुपाने में लगी है। इन मौतों के लिए बिहार की महागठबंधन सरकार जिम्मेदार है। वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ट्वीट कर नीतीश सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि मोतिहारी में जिस तरह से जहरीली शराब से बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं, वह संवेदनहीन और अहंकारी महागठबंधन सरकार का क्रूर चेहरा दिखाती है। बीजेपी के सांसद राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि 50 से ज्यादा मौतें हुई हैं। रूडी ने राज्य सरकार पर सही आंकड़े छुपाने का आरोप लगाया।

नीतीश कुमार जनता की जगह अपराधियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित

बिहार में हो रही मौतोंं पर मुख्यमंत्री नीतीश की संवेदनहीनता देखने को मिल रही है। बिहार की जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर है। लेकिन मुख्यमंत्री जितना अपराधियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं, उतना बिहार की जनता की सुरक्षा के लिए नहीं। सोमवार को उनका एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वो अपराधियों की सुरक्षा पर उत्तर प्रदेश सरकार को ज्ञान दे रहे हैं। वो यूपी सरकार को माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या के मामले में नसीहत दे रहे हैं। नीतीश ने कहा, “वहां के लोगों को तो देखना चाहिए था पहले से ? कोई जेल में हो और आप उसे इलाज के लिए ले जा रहे है या किसी काम के लिए ले जा रहे हैं, रास्ते में ये सब हो गया। ये बहुत दुखद है। इस पर निश्चित रूप से लोगों को एक्शन करना चाहिए। लेकिन किसी को इस तरह से रास्ते में मार दिया जाए। पुलिस को देखना ना चाहिए। अपराधियों का सफाया यानि मार दीजिए उसको। ये कोई तरीका है। इसका मतलब जो जेल में जाएगा तो उसे मार दीजिएगा। ऐसा कोई नियम है।”

शराबबंदी की विफलता और जहरीली शराब से 250 से अधिक मौतें

बिहार में 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी का कानून लागू किया था। यह शराबबंदी पूरी तरह विफल रही है। तब से लेकर अब तक राज्य में जरहीली शराब से मौत होने की 20 से अधिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। शराबबंदी के बाद बिहार में 6 वर्षों में जहरीली शराब से 250 से अधिक मौतें हुई हैं। 2016 में 16 से 18 अगस्त के बीच बिहार के गोपालगंज जिले के खजुरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हुई थी। राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद जहरीली शराब से मौत का यह पहला बड़ा मामला था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 2021 में, जहरीली शराब के नौ मामले सामने आए और इनमें 106 लोगों की मौत हुई।पिछले साल दिसंबर 2022 में बिहार के छपरा समेत कई जिलों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। छपरा में 50 से ज्यादा और सीवान में 5 और बेगुसराय के तेघड़ा में दो लोगों की मौत हुई थी। 

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