प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से डिजिटल इंडिया में बदल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में देश को डिजिटल इंडिया बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पीएम मोदी का विजन है कि देशवासियों को कागजात रखने के झंझट से मुक्ति मिले और हर सरकारी दस्तावेज डिजिटल रूप में उपलब्ध हो। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत अब दुनिया में मोबाइल डेटा का सर्वाधिक उपयोग करने वाला देश बन गया है। सरकार का उद्देश्य अब इसके प्रभाव को बढ़ाकर छूटे हुए क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना है। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि आगामी पांच वर्षों के दौरान 1 लाख गांवों को डिजिटल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जन सुविधा केन्द्रों (सीएससी) के विस्तार के जरिये इस लक्ष्य को हासिल किया जाएगा।
मोबाइल डेटा के उपयोग के मामले में विश्व में अग्रणी
पीयूष गोयल ने कहा, ‘जन सुविधा केन्द्र गांव में कनेक्टिविटी के साथ-साथ अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं और डिजिटल ढांचा भी तैयार कर रहे हैं, जिससे हमारे गांव डिजिटल गांवों में बदल रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि 3 लाख से अधिक जन सुविधा केन्द्र लगभग 12 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ नागरिकों को अनेक डिजिटल सेवाएं भी प्रदान कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि अब दुनिया में भारत में सबसे सस्ते मोबाइल टैरिफ उपलब्ध है, भारत अब दुनिया में मोबाइल डेटा के उपयोग के मामले में विश्व में अग्रणी है। पिछले पांच वर्षों के दौरान मोबाइल डेटा के मासिक उपयोग में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत में अब डेटा और वॉयस कॉल्स की कीमत संभावतः विश्व में सबसे कम हैं।
श्री पीयूष गोयल ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत भारत मोबाइल पुर्जों की निर्माता कंपनियों के साथ नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि आज मेक इन इंडिया के तहत मोबाइल और मोबाइल पुर्जों की निर्माता कंपनियों की संख्या 2 से बढ़कर 268 से अधिक हो गई है जो रोजगार के अपार अवसर प्रदान कर रही है। वित्त मंत्री ने जन-धन-आधार-मोबाइल (जेएएम) और डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के दूरगामी परिवर्तनों को बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से विकास के लिए टेक्नॉलाजी के इस्तेमाल पर जोर देते हैं। उन्होंने डिजिटल इंडिया बनाने के लिए देश में कई ऐसी योजनाएं लागू की हैं, जिनका असर आम लोगों के जीवन पर पड़ा है। एक नजर डालते हैं मोदी सरकार के उन कदमों पर जो डिजिटल इंडिया के तहत उठाए गए हैं और देश के जन-जन को फायदा पहुंचा रहे हैं-
प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया की धमक, अब घर बैठे बनेगा पासपोर्ट
पिछले साढ़े चार वर्षों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया की मुहिम को जन जन तक पहुंचाने में लगी है। मोदी सरकार इस मुहिम में कामयाब भी हो रही है। चाहे पैसों के लेनदेन की बात हो, टिकट बुकिंग, गैस बुकिंग, ऑनलाइन टैक्स भरने की बात हो, ऐसे हजारों काम है जो डिजिटल इंडिया की वजह से चुटकियों में होने लगे हैं। अब मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत मोबाइल एप पासपोर्ट सेवा एप लॉन्च किया है। इस एप के जरिए कोई भी घर बैठे ही पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। इस एप को एप्पल एप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
ऐसे इस्तेमाल करें Passport Seva एप
एप के जरिए पासपोर्ट के लिए आवेदन करना बेहद आसान है। सबसे पहले अपने फोन में Passport Seva एप डाउनलोड कर इंस्टाल करना होगा। इसके बाद आपको अपना पासपोर्ट ऑफिस चुन कर निजी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद पासपोर्ट एप्लीकेशन फॉर्म को भरकर सबमिट करना होगा। इसके बाद आपने जो एड्रेस दिया है उस पर पुलिस जांच होगी। पुलिस जांच सही होने पर कुछ ही दिनों में पासपोर्ट आपके पते पर पहुंच जाएगा।
Passport Seva एप के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 289 पासपोर्ट रजिस्ट्रेशन सेंटर्स की भी घोषणा की है। आपको बता दें कि अब पासपोर्ट बनाने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट देने की भी जरूरत नहीं है। वहीं, तलाकशुदा महिलाओं को अपने पूर्व पति का नाम देना भी जरूरी नहीं है।
Another step towards simplification of passport service to people! EAM @SushmaSwaraj and MoS @Gen_VKSingh launched Mobile Passport Application on the occasion of Passport Seva Divas. pic.twitter.com/PG5Djq3HZf
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) 26 June 2018
पीएम मोदी की पहल से देश को मिली डिजिटल लाइब्रेरी
प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया से देश के सभी पुस्तकालयों को एक क्लिक दूरी पर समेट दिया गया है। पीएम मोदी की पहल पर राष्ट्रीय पठन-पाठन दिवस (20 जून) के अवसर पर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी (एनडीएल) देश को समर्पित की है। यह लाइब्रेरी सूचना व संचार तकनीक (एनएमईआरसीटी) के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तत्वावधान में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परियोजना है। राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को डिजिटल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट उपलब्ध कराना है और उन्हें ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रेरित और सशक्त करना है। आईआईटी खड़गपुर ने भारतीय राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी को विकसित किया है।
200 भाषाओं में 1.76 करोड़ स्टडी मैटेरियल एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध
राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी में 200 भाषाओं में 160 स्रोतों की 1.7 करोड़ स्टडी मैटेरियल उपलब्ध हैं, इसमें पाठ्य पुस्तक, निबंध, वीडियो-आडियो पुस्तकें, व्याख्यान, उपन्यास तथा अन्य प्रकार की शिक्षण सामग्री शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री श्री जावड़ेकर ने कहा कि डिजिटल लाइब्रेरी से डिजिटल भारत के एक नये युग की शुरुआत हो गई है। यह वेबसाइट और एनडीएल मोबाइल ऐप के रूप में उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति, किसी भी समय और कहीं से भी राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी का उपयोग कर सकता है। यह सेवा नि:शुल्क है और ‘पढ़े भारत, बढ़े भारत’ के संदर्भ में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
उद्घाटन के साथ 7 लाख बार डाउनलोड हुआ ऐप
केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि एनडीएल मोबाइल ऐप पूरे देश के पुस्तकालयों और यहां तक कि विदेशी पुस्तकालयों की भी डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराता है। इस ऐप को 6.70 लाख बार डाउनलोड किया जा चुका है। यह ऐप आईफोन और एंड्रायड दोनों में उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। उपयोगकर्ता विषय, स्रोत, सामग्री का प्रकार आदि के माध्यम से विषय वस्तु ढूंढ़ सकते हैं। अभी यह ऐप तीन भाषाओं में उपलब्ध है-अंग्रेजी, हिंदी और बांग्ला। लाइब्रेरी की वेबसाइट www.ndl.gov.in है। अब तक यहां 30 लाख उपयोगकर्ताओं का पंजीयन हुआ है। हमारा लक्ष्य है कि प्रति वर्ष इस संख्या में 10 गुनी वृद्धि हो।

कुली के सपनों को मिली नई उड़ान, पास की सिविल सर्विसेज की परीक्षा
डिजिटल इंडिया के तहत देश भर में शुरू फ्री वाई-फाई इंटरनेट की सेवा ने लाखों लोगों के ख्वाब को नए पंख दिए हैं। फ्री वाई-फाई की मदद से पढ़ाई कर केरल में कुली का काम करने वाले श्रीनाथ ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर ली है। एर्नाकुलम जंक्शन पर पिछले पांच साल से कुली का काम करने वाले श्रीनाथ ने केरल पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर ली है। इसके लिए उन्होंने पढ़ाई किसी किताब से नहीं, बल्कि रेलवे स्टेशन के वाई-फाई की मदद से की है। अब अगर श्रीनाथ इंटरव्यू क्लीयर कर लेते हैं तो वे लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट में बतौर विलेज फील्ड असिस्टेंट नियुक्त होंगे।
डिजिटल ट्रांजेक्शन में लगातार बढ़ोतरी
पीएम मोदी की पहल पर डिजिटल इंडिया के तहत डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी हुई है। लोगों के बीच पैसे का लेन-देन भी एनईएफटी के जरिए होने लगा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में करीब 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। वैसे ही आईएमपीएस में 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कार्ड स्वैप और यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन में भी काफी इजाफा हुआ है। जो दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। भारत सरकार द्वारा UPI BHIM ऐप के आने के बाद यूपीआई ट्रांजेक्शन में तेजी से इजाफा हुआ है।
पारदर्शी हुआ सरकारी तंत्र
आज देश की युवा शक्ति भारत का गौरव है, देश की आशाओं का केंद्र है। भारतीय युवाओं का संपूर्ण विकास देश की प्राथमिकता है और इन युवाओं की प्राथमिकताओं में सर्वोच्च है- भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी तंत्र। इसी विचार को कार्यान्वित करने के उद्देश्य के साथ वर्ष ‘डिजिटल इंडिया’ की शुरुआत की गई। सरकारी कामकाज में भागीदारीयुक्त पारदर्शिता और जिम्मेदार सरकार बनाना, नागरिकों हेतु सरकारी सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप में उन तक पहुंचाना इसके लक्ष्य रहे हैं। साथ ही साधन-संपन्न और वंचित वर्ग के बीच की खाई को पाटना भी इस सरकार के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है। मोदी सरकार इस तथ्य में विश्वास करती है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह संपन्न वर्ग का हो या वंचित वर्ग का, सभी का समय अमूल्य है, जिसे हर जगह लंबी-लंबी लाइनों में लगकर नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इस विचार को क्रियान्वित करने के लिए संपूर्ण तंत्र का डिजिटलीकरण किया जाना आवश्यक है। ‘डिजिटल इंडिया’ इसी लक्ष्य की ओर एक पहल है। इस माध्यम से देश को डिजिटल के तौर पर सशक्त ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने का पूर्ण प्रयास किया जा रहा है। डिजिटल इंडिया का लाभ पहुंचाने के लिए देश में 2.5 लाख कॉमन सर्विस सेंटर का नेटवर्क स्थापित किए गए। इस उद्यमिता से गरीब, वंचित, दलित एवं महिलाओं को बड़ी संख्या में जोड़ा गया, ताकि ‘सबका साथ सबका विकास’ की अवधारणा को आगे बढ़ाया जा सके। इन केंद्रों में 34 हजार से अधिक महिलाएं जन औषधि, आधार सेवा, टिकेट बुकिंग जैसी इकाइयों के साथ जुड़कर कार्य कर रही हैं। डिजिटलीकण द्वारा कार्य में दक्षता लाकर, मानवीय श्रम को कम करके तथा उत्पादन में बढ़ोतरी द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न करने के प्रयास जारी है। यह सर्वविदित सत्य है कि वर्तमान मोदी सरकार के कार्यकाल में डिजिटलीकरण के कारण संपूर्ण शासन प्रणाली में, शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भारी सुधार हुआ है। कैशलेस अर्थव्यवस्था और डिजिटल लेन-देन व्यावहारिक रूप ले चुके हैं।
शिक्षा के नए सबक
यदि हम बढ़ती अर्थव्यवस्था और उसमें युवा भारत के योगदान की बात करते हैं तो हमें इस बात पर भी ध्यान देना पड़ेगा कि उन्नत कल का सामना करने के लिए वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है, जो कि केवल डिजिटलीकरण द्वारा ही संभव हो सकता था। मोदी सरकार द्वारा इस से संबंधित अनेक योजनाओं को मूर्त रूप दिया गया। शिक्षा का चाहे प्राथमिक स्तर हो, माध्यमिक स्तर हो, उच्च स्तर हो अथवा अनुसंधान कार्य, सभी में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं।
केवल ‘स्वयंम’ जैसी योजना की ही बात की जाए तो नौवी कक्षा से लेकर स्नातक स्तर तक उसके पाठ्यक्रम की संपूर्ण सामग्री विद्यार्थी को घर बैठे सुलभ है। इ-पाठशाला, मिड डे मील निगरानी एप, शाला सिद्धि, शाला दर्पण, ओलैब डिजिटल योजना, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क, इ-ग्रंथालय, उन अनेक योजनाओं में से हैं, जो विकास की धारा से कटे हुए वर्ग के लिए बहुत बड़ी सौगात है।
डिजिटल एम्स’ से सुधरती स्वास्थ्य सेवाएं
एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है। यह स्वास्थ्य चाहे देश का हो या व्यक्ति का। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का जो इतिहास रहा है, वह सर्वविदित है। इस सत्य को बदला है मोदी सरकार ने। ‘डिजिटल एम्स’ मोदी सरकार की एक ऐसी ही महत्वाकांक्षी योजना है, जो स्वास्थ्य सुविधाओं को सीधे सामान्य जन से जोड़ती है। इसका उद्देश्य यूएआईडीएआई और एम्स से सीधे तौर पर जोड़ना है। इ-स्वास्थ्य योजना स्वास्थ्य योजनाओं का एक सीधा-सरल विकल्प है। एमरक्त कोष सभी ब्लडबैंकों को आपस में जोड़ने का कार्य करता है, जो जरूरतमंद लोगों को सीधे तौर पर लाभान्वित करता है।
किसानों से मिटती दूरी
मोदी सरकार ने विकास के क्रम में किसानों के, गांवों के बीच की खाई को पाटने के लिए ऐसे कई एप जारी किए हैं, जो सीधे तौर पर इस वर्ग की समस्याओं का समाधान करते हैं। जैसे- इ-पंचायत द्वारा ग्रामीण वर्ग अपने लिए बनी सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करके उनका लाभ उठा सकता है। एम किसान, किसान पोर्टल, किसान सुविधा एप, पूसा कृषि, सॉयल हेल्थ कार्ड एप, इनाम, फसल बीमा मोबाइल एप, एग्री मार्केट एप, फर्टिलाइजर मोबाइल एप आदि ऐसे एप हैं, जो किसान और बाजार के बीच एक ऐसा समन्वयन स्थापित करते हैं, जिनकी सहायता से किसान घर बैठे उन्नत खेती और उसके विकास से जुड़ी सभी प्रकार की योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकता है। भूमि की उर्वरकता की जानकारी से लेकर मंडी में फसलों के उचित रेट तक का संपूर्ण ज्ञान इसमें मौजूद है। इससे किसान बिचौलियों द्वारा किए जाने वाले शोषण से भी बच सकता है।
महिला-सुरक्षा से लेकर प्रशासनिक तंत्र तक डिजिटलीकरण
महिला-सुरक्षा एक ऐसा विषय है, जिसे लंबे समय से एक सशक्त और प्रभावी समाधान की तलाश थी। ‘निर्भया एप’ और ‘हिम्मत एप’ ऐसे माध्यम के रूप में ऐसे ही विकल्प सामने आए हैं, जो किसी भी प्रकार की विपत्ति के समय महिलाओं की सुरक्षा को सशक्त बनाते हैं। ये वर्तमान समय में महिलाओं की जीवनशैली, उनके कामकाजी जीवन, उनकी सुरक्षा आदि को बल देते हैं।
मोदी शासन अपने कार्य में पारदर्शिता के प्रति आरंभ से ही कटिबद्ध है, इसलिए उसने प्रशासनिक कार्यप्रणाली के स्तर से लेकर न्याय व्यवस्था तक में सबकी भूमिका स्पष्ट करने हेतु अनेक एप जारी किए हैं। इन सबका उद्देश्य ‘हार्ड वर्क’ को ‘स्मार्ट वर्क’ में बदलना है, जो तकनीक के विकास के माध्यम से ही संभव है, क्योंकि आज विकास में भारत की दावेदारी विश्व-मंच पर है।