प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों का शुभारंभ किया। उन्होंने मध्य प्रदेश में ‘राशन आपके ग्राम’ योजना का भी शुभारंभ किया। उन्होंने मध्य प्रदेश सिकल सेल मिशन को भी लॉन्च किया। उन्होंने देश भर में 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला रखी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आजादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के जनजातीय समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है, उन्हें सम्मान दिया जा रहा है।’ जनजातीय समाज के साथ अपने लंबे जुड़ाव को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके समृद्ध आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन की प्रशंसा की और कहा कि गीत एवं नृत्य सहित जनजातीय लोगों के हर सांस्कृतिक पहलू में जीवन का एक अद्भुत सबक है और उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना, उसे नई पीढ़ी से परिचित कराना हमारा कर्तव्य है।’ गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता है। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं में जनजातीय आबादी के उच्च अनुपात वाले आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश का जनजातीय क्षेत्र हमेशा धन और संसाधनों के मामले में समृद्ध रहा है। लेकिन “जो पहले सरकार में थे, उन्होंने इन क्षेत्रों के शोषण की नीति को अपनाया। हम इन क्षेत्रों की क्षमता का उचित उपयोग करने की नीति का पालन कर रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कैसे वन कानूनों को बदलकर जनजातीय समाज को वन संसाधन उपलब्ध कराए गए।