प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जनजातीय कल्याण को सदैव सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मोदी सरकार ने जनजातीय समाज के योगदान को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। मोदी सरकार ने जिस तरह से जनजातीय समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को गौरव को सम्मान दिया है, आजादी के बाद इससे पहले कभी नहीं दिया गया। आज मोदी सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं में जनजातीय आबादी वाले आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
मोदी सरकार ने पिछले 9 साल में एक समग्र दृष्टिकोण के साथ जनजातीय मानव संसाधन के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय की 9 साल की उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- पीवीटीजी) के विकास को पहली बार फोकस क्षेत्र के तहत शुरू किया गया है।
अर्जुन मुंडा ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक अवसर था, जब 12 और 13 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में 75 पीवीटीजी समुदायों में से प्रत्येक के 20-20 सदस्यों को आमंत्रित किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें संसद के सेंट्रल हॉल में संबोधित किया। अपने पारंपरिक परिधानों में सजे पीवीटीजी ने अपने देश की राजधानी में मौजूद होने का पहला अनुभव प्राप्त किया। आजादी के बाद 75 वर्षों में पहली बार देश के राष्ट्रपति ने उनसे राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
जनजातीय लोगों की शिक्षा के लिए केंद्र सरकार 740 एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल (ईएमआरएस) की स्थापना कर रही है। यह स्कूल 3.5 लाख जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेंगे। अगले तीन वर्षों में 740 ईएमआरएस के लिए 38,800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की केंद्रीय स्तर पर भर्ती की जाएगी। छात्र अपनी जड़ों से अलग न हो, इसके लिए ये स्कूल उन्हें स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देंगे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनजातीय क्षेत्रों में गरीब और कमजोर आबादी को किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें वित्तीय और तकनीकी सहायता दी जा रही है। सरकार ने 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के मिशन के तहत जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में 0-40 वर्ष की आयु के 7 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी और उन्हें जरूरी उपचार-परामर्श प्रदान किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय देश भर में कम से कम 50 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले 36000 से अधिक गांवों और 500 एसटी को मॉडल जनजातीय गांवों में विकसित करने के लिए कार्य कर रहा है। इससे जनजातीय गांवों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) देश भर में वन धन विकास केंद्र और वन धन उत्पादक उद्यम के माध्यम से आजीविका संचालित जनजातीय विकास हासिल करना चाहता है। इसके अलावा राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लघु वन उपज (एमएफपी) की खरीद के लिए सहायता दी जा रही है। इसे लागू करने का जिम्मा ट्राइफेड को दिया गया है। इसके प्रयासों से एमएफपी योजना में एमएसपी के तहत कवर किए जाने वाले एमएफपी की कुल संख्या 87 हो गई है।
जनजातीय लोगों के एक अन्य ऐतिहासिक अवसर यह है कि जनजातीय गौरव की खुशी मनाने और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में घोषित किया गया है। अब हर साल 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाया जाएगा।
देश भर में अनुसूचित जनजाति समुदायों के विकास के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के वार्षिक बजट में निरंतर वृद्धि की जा रही है। 2023-24 के लिए मंत्रालय को 12461.88 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है, जो 2013-14 के 4295.94 करोड़ रुपये के बजट की तुलना में तीन गुना अधिक है। अनुसूचित जनजाति घटक निधि के बजट आवंटन में 5 गुना की वृद्धि की गई है। 2013-14 के दौरान आवंटन 24,598 करोड़ रुपये था, जिसे 2023-24 के दौरान बढ़ाकर 1,19,509 करोड़ रुपये कर दिया गया है।