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संदेशखाली मामले के मास्टरमाइंड शाहजहां शेख को सरेंडर करने का आदेश, हाईकोर्ट ने कहा- पर्याप्त सबूत

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पश्चिम बंगाल में संदेशखाली न्याय की बाट जोह रहा है। संदेशखाली में 80 प्रतिशत हिंदू होने पर भी टीएमसी नेता शाहजहां शेख हिंदुओं को गुलाम बनाना चाहता था। शेख संदेशखाली को अपना देश समझता था। उसकी अनुमति के बिना वहां पत्ता भी नहीं हिलता था। उसके अत्याचार की अनगिनत कथाएं हैं। शेख ने सैकड़ों महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाया। इस्लामिक जिहाद का शिकार हुईं हिंदू महिलाओं का दर्द सुनकर दिल दहल उठता है। लेकिन मणिपुर मामले पर स्वतः संज्ञान लेने वाले सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल मामले पर PIL भी खारिज कर दी। हालांकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया है और ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अब तक उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि संदेशखाली हिंसा का मास्टरमाइंड शाहजहां शेख तुरंत सरेंडर करे।

शाहजहां शेख सरेंडर करेः हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने संदेशखाली हिंसा में मास्टरमाइंड टीएमसी नेता शाहजहां शेख को सरेंडर करने को कहा है। हाईकोर्ट ने 20 फरवरी 2024 को सुनवाई करते हुए कहा कि हम उन्हें यहां आत्मसमर्पण करने का आदेश देते हैं। मामले को करीब 18 दिन से ज्यादा हो गए हैं। एक व्यक्ति जो पूरी समस्या का कारण बना है वह अभी भी भागा हुआ है। हमें नहीं पता कि वो अब तक कैसे बचा हुआ है। पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करना होगा। राज्य उसकी रक्षा करना जारी नहीं रख सकता।

शाहजहां शेख को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अब तक उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि यह व्यक्ति ऐसे तो आसानी से भाग नहीं सकता। चीफ जस्टिस ने कहा कि शाहजहां शेख एक जन प्रतिनिधि है। वह कानून की अवहेलना नहीं कर सकते। देखते हैं कि क्या वह कोर्ट के सामने पेश होते हैं या नहीं।

शाहजहां शेख के खिलाफ पर्याप्त सबूत
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स को देखते हुए ऐसा लगता है कि शाहजहां शेख के खिलाफ पर्याप्त सबूत है। कोर्ट ने इस पूरे मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि “प्रथम दृष्टया सामग्री” से पता चलता है कि शाहजहां ने “जनता को नुकसान पहुंचाया है”। उन्होंने कहा, “कथित अपराध करने के बाद वह भाग रहे हैं। हमें नहीं पता कि उसे सुरक्षा मिली है या नहीं, लेकिन उसे सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि राज्य पुलिस उसे सुरक्षित करने में सक्षम नहीं है, या वह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।”

जनता के सामने बात रख सकते थे शेख शहाजहां
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रूप में, जिसे लोकप्रिय जनादेश से चुना गया है, शेख शाहजहां को अपनी बात जनता के सामने रखनी चाहिए। ‘एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रूप में उन्हें जन कल्याण के लिए काम करना चाहिए था। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं।’

हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया मामला
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्ब सिन्हा रॉय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने संदेशखाली में हाल के घटनाक्रम पर 13 फरवरी को स्वत: संज्ञान लिया और दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई की अनुमति दी। पहला मामला स्थानीय लोगों की जमीन जबरदस्ती हड़पने का और दूसरा बंदूक की नोंक पर स्थानीय महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का है।

संदेशखाली की तुलना मणिपुर से नहींः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई या एसआईटी जांच की याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया है। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को कलकत्ता हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। इस मामले में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। अब उन्‍होंने अपनी याचिकाकर्ता वापस ले ली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि इसकी मणिपुर से तुलना न करें।

पांच जनवरी से फरार है शाहजहां शेख
शाहजहां शेख 5 जनवरी को संदेशखाली में ईडी पर हमले के बाद फरार है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। इसके अलावा इस मुद्दे पर बीजेपी की तरफ से हाईकोर्ट को एप्रोच किया गया था।

5 जनवरी को हुआ था ईडी अफसरों पर हमला
ईडी और सीएपीजी अधिकारियों पर 5 जनवरी को हुए हमले को डेढ़ महीना बीत चुका है। इसके बावजूत पुलिस अब तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है। संदेशखाली स्थानीय महिलाओं के विरोध-प्रदर्शन से हिल गया है, जो शाहजहां के करीबी सहयोगियों द्वारा उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और हिंसा की शिकायत कर रही हैं।

ED जारी कर चुकी है तीन समन
संदेशखाली हिंसा के मास्टरमाइंड शाहजहां शेख को ईडी की तरफ से तीन समन जारी हो चुके हैं। शेख के फरार होने पर उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया था। 45 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस अभी तक शाहजहां शेख तक नहीं पहुंच पाई है। ईडी और दूसरी एजेंसियों ने पहले उसके बांग्लादेश भागने की आशंका भी व्यक्त की थी। संदेशखाली हिंसा में शाहजहां शेख के साथ शिबू हाजरा और उत्तम सरदार के नाम सामने आए थे। पुलिस ने अभी तक शिबू हाजरा और उत्तम सरदार को अरेस्ट किया है।

संदेशखाली पहुंचे सुवेंदु अधिकारी
उधर, सुवेंदु अधिकारी और भाजपा विधायक शंकर घोष स्थानीय लोगों से मिलने संदेशखाली पहुंच गए। दोनों नेताओं ने स्थानीय लोगों और पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की। हालांकि, पुलिस ने पहले सुवेंदु को संदेशखाली जाने से रोक दिया था। पुलिस का कहना है कि इलाके में धारा 144 लागू है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने ममता सरकार को झटका देते हुए बिना किसी पार्टी कार्यकर्ता के सुवेंदु और शंकर घोष को संदेशखाली जाने की अनुमति दे दी।

महिला आयोग ने की राष्ट्रपति शासन की मांग
एक दिन पहले यानी सोमवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी संदेशखाली का दौरा किया था। संदेशखाली दौरे के बाद रेखा शर्मा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति शासन के बिना यहां पर महिलाएं सुरक्षित हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की भी मांग की थी। साथ ही कहा कि ममता बनर्जी को एक महिला के नाते संदेशखाली जाना चाहिए तभी उन्हें वहां की स्थिति दिखाई देगी। अगर वे मुख्यमंत्री बनकर वहां जाएंगी तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।

अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन अरुण हलदर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने नॉर्थ परगना जिले के संदेशखाली में हुए हाल के घटनाओं का उल्लेख करते राज्य में तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि उनकी अध्यक्षता में आयोग की टीम ने 15 फरवरी को संदेशखाली का दौरा किया। इस टीम में डॉ. अनुज बाला और सुभाष रामनाथ प्रार्धी शामिल थे। वहां जो रिपोर्ट मिली वह दिल को दहलानेवाली है। संदेशखाली में शाहजहां शेख और उसके गुर्गों के द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के साथ रेप, प्रताड़ाना और जमीन कब्जा करने की बातें सामने आई हैं। ऐसा लगता है जैसे पश्चिम बंगाल की सरकार ने इन बातों को दबाने की कोशिश की है। शासन और प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।

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