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विपक्षी गठबंधनः सबके अपने-अपने पीएम, सबके अपने-अपने राम!

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विपक्ष के नए-नए बने गठबंधन में जितने दल हैं उतने ही पीएम पद के दावेदार हैं। I.N.D.I.A. गठबंधन की मुंबई बैठक से पहले गठबंधन के कई घटक दलों ने अपने-अपने नेताओं को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर दिया। जेडीयू ने नीतीश कुमार, समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) ने उद्धव ठाकरे, तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस ने राहुल गांधी का नाम आगे बढ़ाया। उधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी पीएम उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी ठोकते रहे हैं। रावण के दस चेहरे की तरह I.N.D.I.A. गठबंधन में पीएम उम्मीदवार के अनगिनत चेहरे हैं। जिस तरह I.N.D.I.A. गठबंधन में पीएम उम्मीदवार के अनेक चेहरे हैं उसी तरह उनके अपने-अपने राम हैं! ये तिलक लगाकर राम मंदिर निर्माण का विरोध करते हैं, सनातन धर्म का अपमान करते हैं, रामचरितमानस को लेकर अनर्गल बयान देते हैं। मोहब्बत की दुकान से नफरत फैलाना ही इनका काम है।

I.N.D.I.A. गठबंधन की मुंबई बैठक में रंग में भंग
भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने का खोखले दम भर रहे विपक्षी दलों की तीसरी बैठक मुंबई में हो रही है। लेकिन विपक्षी एकता की राह आसान नहीं। इस बैठक में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल की अप्रत्याशित एंट्री हुई तो इससे कांग्रेस नेता असहज हो गए। दरअसल सिब्बल बैठक में आधिकारिक आमंत्रित सदस्य नहीं थे। कुछ नेता फोटो सत्र में उनकी उपस्थिति से नाखुश नजर आए और कांग्रेस भी इससे नाराज दिखी। कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने फोटो खिंचवाने से पहले इसकी शिकायत उद्धव ठाकरे से कर दी। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला और और अखिलेश यादव ने वेणुगोपाल को मनाने की कोशिश की। आखिरकार कपिल सिब्बल को फोटो सेशन का हिस्सा बनाया गया। उल्लेखनीय है कि कपिल सिब्बल मई 2022 में कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे।


I.N.D.I.A. गठबंधन की पहली बैठक में ही केजरीवाल ने दिखाए थे रंग!
I.N.D.I.A. गठबंधन की पटना में हुई पहली बैठक में भी रंग में भंग देखने को मिला था। जब आम आदमी पार्टी की ओर से यह कहा गया कि आगे विपक्षी एकता की जिस बैठक में कांग्रेस शामिल होगी, उसमें वह शामिल नहीं होगी। इसका कारण यह था कि दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने और राष्ट्रीय दल का दर्जा पाने के उपरांत उसे लग रहा है कि वह कांग्रेस का स्थान ले सकती है। वह उसके ही जनाधार में सेंध लगा रही है। यानि केजरीवाल बेमन से विपक्षी गठबंधन में बने हुए हैं।

I.N.D.I.A. गठबंधन के पीएम उम्मीदवार और उनके अपने-अपने राम पर एक नजर-

राहुल गांधी
मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता को 07 अगस्त 2023 को बहाल कर दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी ने पहली बार 2004 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी की गिनती कांग्रेस के ही नहीं बल्कि देश के अमीर नेताओं में होती है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी इनके पास न तो अपना घर है और न ही अपनी कोई गाड़ी। साल 2019 के एफिडेविट के मुताबिक राहुल गांधी की नेटवर्थ लगभग 15 करोड़ रुपये है। वे मोहब्बत की दुकान से नफरत फैलाते रहते हैं और भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने वाले यूरोप और चीन की बातों को हवा देते रहे हैं।

राहुल गांधी ने कहा था- ये देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि “भारत देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं है”। राहुल गांधी के इस बेतुके बयान पर विवाद काफी बढ़ गया। देशभर में पुजारी राहुल गांधी के विरोध में उतर आए तो वहीं संत समाज ने कहा कि पुजारी और तपस्वी में कोई अंतर नहीं होता है। देश के प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तपस्या की है तभी आज वो इस मुकाम पर हैं।

नीतीश कुमार
वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के सपने संजोने वाले बिहार के मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार अब इस सपना को पाले हुए हैं। नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव को लेकर काफी समय से विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में जुटे थे। लेकिन अब इसे कांग्रेस ने हाईजैक कर लिया है। वर्ष 2016 में नीतीश कुमार ने ‘आरएसएस मुक्त भारत’ का नारा दिया था। हालांकि, बाद में वे भाजपा के साथ हो गए। अब भाजपा का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार फिर भाजपा-आरएसएस के खिलाफ हैं तथा विपक्षी एकता की बात करते दिख रहे हैं। उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा उनका पलटूराम चरित्र और उनकी विश्वनीयता है।

बिहार के शिक्षा मंत्री ने किया भगवान राम का अपमान
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने बीते दिनों रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की जिसकी लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने आलोचना की। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने 11 जनवरी 2023 को कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस “समाज में नफरत फैलाती है”। बिहार के शिक्षा मंत्री की टिप्पणी राष्ट्र के राम भक्तों और सर्व समाज के भक्तों का घोर अपमान है। यह बयान जातीय विवाद पैदा करने, हिंदुओं को जातियों में बांटने के घृणित सोच के तहत दिया गया जिससे चुनावी लाभ हासिल किया जा सके।

अरविंद केजरीवाल
आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल भी 2024 में पीएम दावेदार के तौर पर अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। केजरीवाल अभी खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन अंदरखाने उनकी तैयारी चल रही है। 2024 की दौड़ में आम आदमी पार्टी भी खुद को प्रबल दावेदार मान रही है। पार्टी के नेता यदा-कदा उन्हें पीएम उम्मीदवार के तौर पर उछालती रहती है।

दिल्ली विधानसभा में रामचरितमानस और हिन्दू आस्था पर हमला
हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ पूरे देश में मुहिम चला रहे आम आदमी पार्टी के विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने 29 मार्च, 2023 को दिल्ली विधानसभा में अपने एजेंडे के तहत रामचरितमानस को निशाना बनाया। पवित्र ग्रंथ के एक दोहे का जिक्र करते हुए उन्होंने हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगला। उन्होंने सदन में जो बयान दिया, उससे लगा कि वो ‘ताड़ना’ शब्द की आड़ में हिन्दू धर्म के खिलाफ लोगों को भड़का रहे हैं। शूद्र और नारी के संदर्भ मे ‘ताड़ना’ शब्द की गलत व्याख्या कर उन्होंने रामचरितमानस के बहिष्कार की अपील की। अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए आम आदमी पार्टी के नेता और केजरीवाल हिन्दू साधु-संतों और विद्वानों के पक्ष को अनसुना कर लगातार हिन्दू धर्म और उसकी आस्था पर हमला कर रहे हैं।

ममता बनर्जी
ममता बनर्जी स्वयं को मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर स्थापित करने की होड़ में कांग्रेस के साथ जाने से बचती हैं। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने अगस्त 2022 में मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी विपक्ष की तरफ से पीएम पद की दावेदार हो सकती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को एकजुट होना होगा। इससे पहले अर्थशास्त्री ने अमर्त्य सेन ने कहा था, ‘ऐसा नहीं है कि सीएम ममता बनर्जी में पीएम बनने की क्षमता नहीं है। उनके पास स्पष्ट रूप से क्षमता है। इस तरह उनकी पार्टी के नेता ममता को पीएम बनाने की वकालत करते रहे हैं।

ममता बनर्जी को जय श्रीराम के नारे से चिढ़ है
पश्चिम बंगाल कि सीएम ममता बनर्जी को सनातन प्रतीकों और जय श्रीराम से चिढ़ है। मुंबई की बैठक में पहुंचे ममता ने तिलक लगाने से इनकार कर दिया वहीं उन्होंने 2019 में इंटेलिजेंस एजेंसियों को निर्देश देते हुए कहा है कि जो लोग जय श्रीराम के नारे लगाते दिखें उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। पश्चिम बंगाल की हिंदू विरोधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिंदुओं की आस्था पर लगातार प्रहार करती रहती हैं। ममता राज में राज्य में पूरी तरह से तालिबानी शासन है। पश्चिम बंगाल में हिंदू देवी-देवताओं का नाम लेना अपराध बन गया है। यहां हिन्दुओं को न तो मंदिरों में पूजा करने की आजादी है और न ही सार्वजनिक रूप से जय श्री राम बोलने की।

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इससे पूर्व वे लगातार तीन बार सांसद भी रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया था। हालांकि जब से विपक्षी एकता चर्चा शुरू हुई है अखिलेश यादव का नाम पीएम उम्मीदवार के रूप में ज्यादा नहीं सुना गया। लेकिन अब लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही उनकी पार्टी के नेता उन्हें पीएम उम्मीदवार के रूप में देखने लगे हैं और इस तरह के बयान भी देने लगे हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बताया बकवास
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार हिंदू धर्म, रामचरितमानस और ब्राह्मणों पर विवादित बयान दे रहे हैं। रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद को बढ़ा दिया है। सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही विरोध के सुर उठने लगे। अमेठी से सपा विधायक राकेश प्रताप ने मौर्य कहा कि राम के चरित्र पर टिप्पणी करने वाला न तो सनातनी हो सकता है और न ही समाजवादी हो सकता है। ऐसा करने वाला सिर्फ एक विक्षिप्त प्राणी हो सकता है। लेकिन अखिलेश के करीबी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने एजेंडे में लगे हुए हैं।

उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे पहले शिवसेना के अखबार सामना का काम देखते थे। शिव सेना के संस्थापक और उद्धव ठाकरे के पिता बाल ठाकरे की सेहत जब खराब होने लगी तब उद्धव राजनीति में सक्रिय हुए और पार्टी का कामकाज देखने लगे। साल 2000 से पहले उद्धव राजनीति से दूर रहे थे। राजनीतिक घटनाओं के एक महत्वपूर्ण मोड़ में, उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। शिवसेना (उद्धव गुट) ने राज्य सरकार का नेतृत्व करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ एक अप्रत्याशित गठबंधन बनाया था। पार्टी में बगावत के बाद 30 जून 2022 को उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

उद्धव ने कहा था- अयोध्या में भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के एक मशविरे पर विवाद शुरू हो गया। उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर का भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराने का सुझाव दिया था जिस पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ये बयान शिवसेना के पतन का परिचायक है। यह सुझाव केवल एक अंधे विरोध करने की भावना से आया है। आलोक कुमार ने कहा कि यह शिवसेना का कैसा पतन है, जिसे कभी बाला साहब ठाकरे ने प्रखर हिंदुत्व की राजनीति के लिए गढ़ा था।

I.N.D.I.A. गठबंधन के नेता 345 रुपये के पानी पीकर पीएम मोदी को कोसेंगे 
I.N.D.I.A. गठबंधन के नेता दो दिन तक मुंबई के ग्रैंड हयात होटल में रुकेंगे और गरीबी और बेरोजगारी पर चर्चा करेंगे और पीएम मोदी को कोसेंगे। ग्रैंड हयात का बिल इस तरह होगा- 
पानी की बोतल : 345 रुपये + टैक्स
चाय/कॉफी : 550 रुपये + टैक्स
सलाद: 1440 रुपये + टैक्स
दाल मखनी : 1560 रुपये + टैक्स
सब्जी: 1325 रुपये + टैक्स
रोटी : 400 रुपये + टैक्स
कमरे का किराया: 16000 रुपये + टैक्स

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