कनाडा और खालिस्तानियों को सबक सीखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब आर-पार के मूड में आ गए हैं। कनाडा के खिलाफ एक के बाद एक सख्त फैसले ले रहे हैं। इसी कड़ी में मोदी सरकार ने भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा बन चुके कनाडा के दूतावासों पर एक बड़ा सर्जिकल स्ट्राइक किया है। इसके तहत कनाडा को 10 अक्टूबर तक भारत स्थित अपने दूतावासों के 41 राजनयिकों को वापस बुलाने का फरमान जारी किया है। साथ ही अल्टीमेटम दिया है कि समय सीमा का उल्लंघन करने पर उनकी राजनयिक छूट वापस ले ली जाएगी। अंग्रेजी अखबार ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में कनाडा के 62 राजनयिक हैं, जिसे घटाकर 21 करने का निर्देश भारत सरकार ने दिया है।
राजनयिकों की संख्या और ग्रेड में समानता चाहता है भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पहले ही संकेत दिया था कि भारत में कनाडा के राजनयिक स्टाफ, भारत के कनाडा में मौजूद राजनयिक स्टाफ से बड़ा है और इसमें समानता होनी चाहिए। 21 सिंतबर को उन्होंने कहा था कि भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या भारत के कनाडा में राजनयिकों की संख्या से ज्यादा है। इसलिए इसे कम करने की जरूरत है। क्योंकि प्रत्येक देश दूसरे देश में तैनात राजनयिकों की संख्या और ग्रेड में समानता चाहता है। कनाडा, भारत में तीन वाणिज्यिक दूतावास संचालित करता है जो मुंबई, बेंगलुरु और चंडीगढ़ में स्थित हैं। इसके अलावा नई दिल्ली में कनाडा का उच्चायोग स्थित है। वहीं भारत, कनाडा में राजधानी ओटावा, टोरंटो और वैंकूवर में उच्चायोग और वाणिज्यिक दूतावासों को संचालित करता है।
Canadian Diplomats number much higher, we need parity, says MEA Spox @MEAIndia pic.twitter.com/zKWtRyjb60
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 21, 2023
कनाडा के खिलाफ भारत का चौथा सबसे बड़ा एक्शन
भारत की ओर से कनाडा के खिलाफ यह चौथा एक्शन है। कनाडा द्वारा एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने के बाद भारत ने अगले ही दिन जवाबी कार्रवाई की। सबसे पहले कनाडा के एक खुफिया अधिकारी को देश छोड़ने का आदेश दिया। फिर वीजा सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया और कनाडा के नागरिकों की भारत में एंट्री पर रोक लगा दी गई। इसके अलावा भारत सरकार ने कनाडा की यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी भी जारी की थी। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी यूएनजीए के मंच से और वाशिंगटन डीसी में मीडिया से बात करते हुए भारत के सख्त इरादे स्पष्ट कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि अब दोहरा मानदंड नहीं चलेगा। कुछ देश राजनीतिक सुविधाओं को देखते हुए आतंकवाद से निपट रहे हैं, जो अब चलने वाला नहीं है।
कनाडा पर कार्रवाई कर भारत ने दूसरे देशों को भी दिया सख्त संदेश
भारत ने अपनी इस कार्रवाई से कनाडा के साथ ही दुनिया को संदेश दिया है कि सिर्फ आरोप लगाने से भारत दबाव में आने वाला नहीं है। जो भी भारत पर आरोप लगाएगा उसे भारत की तरफ से पलटवार के लिए तैयार रहना होगा। भारत ने बार-बार कहा है कि अगर कनाडा के पास कोई सबूत है तो वो साझा करें। बिना सबूतों के बात नहीं हो सकती है। कनाडा-भारत विवाद शुरू होने पर अमेरिका भी सावधानी से कदम आगे बढ़ा रहा था। अमेरिका ने ट्रूडो के बयान को नकारते हुए कहा था कि जांच पूरा होने तक आरोप लगाना सही नहीं। लेकिन अब कनाडा से करीबी दिखाते हुए अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह कनाडा के साथ निज्जर हत्याकांड की जांच में सहयोग करें। इसको देखते हुए भारत ने भी सख्त संदेश दे दिया है कि वह किसी भी कीमत पर किसी के दबाव में आने वाला नहीं है।
चंडीगढ़ स्थित कनाडाई दूतावास के संचालन में खालिस्तानियों की भूमिका
कनाडा के चंडीगढ़ स्थित वाणिज्यिक दूतावास के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही थीं। वीजा देने में बड़ा खेल हो रहा था। खालिस्तानी विचारधारा वाले लोगों को प्राथमिकता दी जा रही थी। उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिए जाते थे। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक कनाडा में बैठे खालिस्तानी पंजाब के युवाओं को छोटी-मोटी नौकरी का लालच देकर बुलाते हैं। इन युवाओं का वीजा वगैरह खालिस्तानी आतंकी ही तैयार करवाते हैं। कहा जाता है कि शिरोमणि अकाली दल-अमृतसर कनाडा में राजनीतिक शरण चाहने वाले युवाओं से 1-2 लाख रुपये लेकर लेटर जारी करता हैं। लेटर में बताया जाता है कि भारत में उनका धार्मिक उत्पीड़न हो रहा है। कनाडा पहुंचने पर खालिस्तानी उन्हें प्लंबर, ट्रक ड्राइवर का काम दिलाते हैं। जिन युवाओं को कोई रोजगार नहीं मिलता है तो उन्हें सेवादार, पाठी या रागी बनकर गुरुद्वारों में एडजस्ट किया जाता है। इस तरह खालिस्तानियों के चंगुल में फंसे युवाओं का इस्तेमाल भारत विरोधी प्रदर्शनों में किया जाता है।
कनाडा के दूतावास से गैंगस्टरों को आसानी से मिलता है वीजा
गैंगस्टरों को वीजा दिलाने में कनाडाई दूतावास काफी अहम भूमिका निभाते हैं। पंजाब से भागकर कनाडा जाने वाले गैंगस्टर को खालिस्तानियों और ट्रूडो सरकार का पूरा संरक्षण मिलता है। कनाडा में बैठकर ये गैंगस्टर पंजाब में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। पंजाब में भारत समर्थक सिखों, हिन्दुओं और ईसाइयों की लक्षित हत्याओं को अंजाम देते हैं। जिस हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच विवाद बढ़ा है, वह भी एक हिन्दू पुजारी की हत्या के बाद कनाडा फरार हो गया था। कनाडा अब निज्जर के सहयोगी भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श दल्ला, लकबीर लांडा को संरक्षण दे रहा है। ये गैंगस्टर पंजाब में ड्रग्स लाने और उसकी सप्लाई करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी वजह से पंजाब के युवा ड्रग्स की चपेट में आ रहे हैं, वहीं इससे होने वाली कमाई को खालिस्तानी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही ये गैंगस्टर पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी के इशारोंं पर भारत के खिलाफ काम करते हैं।
कनाडा के तत्कालीन रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने किया था चंडीगढ़ दूतावास का उद्घाटन
हालांकि वर्तमान में कनाडा के रक्षा मंत्री बिल ब्लेयर है, लेकिन अप्रैल 2017 में कनाडा के तत्कालीन रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने चंडीगढ़ में कनाडा के नए महावाणिज्य दूतावास कार्यालय का उद्घाटन किया था। हरजीत सिंह सज्जन पंजाब में जन्म लेने वाले पहले विदेशी रक्षा मंत्री थे। जब वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन हुआ तो उस समय दूतावास द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं के बारे में जानकारी दी गई थी। इनमें कनाडाई लोगों को सहायता, वीज़ा सेवाएं, कंपनियों को कनाडा में व्यापार करने में मदद करने वाली सेवा शामिल है और यह कनाडाई कंपनियों को सेवाएँ प्रदान करती है। इसके अलावा, यह लोगों को कनाडा की यात्रा करने और वीज़ा के लिए आवेदन करने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन देकर मदद करता है। लेकिन समय के साथ इसमें खालिस्तानी तत्वों का दबदबा बढ़ता गया और यह दूतावास खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रमुख माध्यम बन गया।
कैप्टन अमरिंदर ने हरजीत सिंह सज्जन से मिलने से कर दिया था इनकार
तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस दौरान कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन से मिलने से इनकार कर दिया था। क्योंकि वह वर्ल्ड सिख संगठन से जुड़े थे और इस संगठन का भारत के प्रति रिकॉर्ड अच्छा नहीं था। उन्होंने तब कहा था कि सज्जन खालिस्तानी समर्थक थे और उनके पिता भी खालिस्तानी समर्थक थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2018 में जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान जो आतंकियों की लिस्ट सौंपी थी, उसमें गुरजीत सिंह चीमा, मलकीत सिंह फौजी, गुरजिंदर सिंह पन्नू, गुरप्रीत सिंह जैसे आतंकवादियों के नाम शामिल थे। खालिस्तानियों और गैंगस्टरों के गठजोड़ को लेकर सुरक्षा एजेंसियां लगातार कनाडा सरकार को आगाह करती रहीं। लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने इस लिस्ट की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया था।