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मोदी विजन ने भारत के बैंकिंग सिस्टम को एनपीए से बचाया, नीतिगत सुधार से संकटग्रस्त बैंक प्रणाली को समृद्धि में बदला

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे मजबूत बनी हुई है और तेज गति से विकास कर रही है। मोदी विजन से भारत दुनिया की दसवीं अर्थव्यवस्था से अब पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और गति देने के लिए कई फैसले किए जिसमें एक महत्वपूर्ण फैसला भारत की बैंकिंग सिस्टम को एनपीए से बचाने और इसे दुरुस्त करने को लेकर था। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार में बैंकों की हालत खस्ता हो गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राज वाली संप्रग सरकार ने घोटाले के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। घोटाले का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2013 में रिजर्व बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर डॉ. केसी चक्रवर्ती ने कहा था कि एक करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटालों का हिस्सा 2004-05 से 2006-07 के बीच 73 फीसदी था, जो 2010-11 और 2012-13 में 90 प्रतिशत हो गया। इसका सबसे बुरा असर बैंकों पर पड़ा। बैंकों का बहुत सारा पैसा एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) हो गया। 20214 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद बैंकों की मनमानी पर लगाम लगी और कई सारे नीतिगत उपाय किए गए जिससे बैंकों की हालत सुधरी।

मोदी सरकार ने नीतिगत सुधार कर बैंकिंग सिस्टम को दुरुस्त किया
मोदी सरकार ने जब 2014 में सत्ता संभाली तो विरासत में कमजोर बैंकिंग का बोझ मिला था। इसमें एनपीए, अटकी हुई आर्थिक परियोजनाएं, औपचारिक बैंकिंग से 50 प्रतिशत भारतीयों का का दूर होना शामिल था। बैंकों के फंसे हुए ऋण को हासिल करने की जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। इसके बाद मोदी सरकार में भारत की अर्थव्यवस्था को उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है, इस वृद्धि का बड़ा श्रेय बैंकिंग क्षेत्र को भी जाता है। पीएम मोदी के नेतृत्व में कई नीतिगत सुधार किए गए जिससे भारतीय बैंकिंग प्रणाली में जो दिक्कतें थी वह दूर हुई है।

जन धन योजना और दिवाला कानून लाया गया
मोदी के कार्यकाल के शुरुआती दो वर्षों में, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) और दिवाला और दिवालियापन अधिनियम जैसी पहल शुरू की गईं। इनका उद्देश्य बैंकिंग पहुंच का विस्तार करना और संकटग्रस्त ऋणों के समाधान के लिए कानूनी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना था। जन धन योजना ने 99.74 प्रतिशत परिवारों को कवर करते हुए 11.50 करोड़ खाते खोलकर वित्तीय समावेशन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किया। इससे आबादी का एक बड़ा हिस्सा बैंकिंग सेवाओं के दायरे में आ गया, जिससे सार्वजनिक योजनाएं पहुंचाना आसान हो गया।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय महत्वपूर्ण सुधार
मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया अगला प्रमुख सुधार कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय था। मोदी सरकार ने घाटे से निपटने और परिचालन में सुधार के लिए 10 सार्वजनिक बैंकों को 4 में विलय कर दिया, जिनकी संपत्ति 55.8 ट्रिलियन रुपये है, जो भारतीय बैंकिंग उद्योग का 56 प्रतिशत है।

कांग्रेस काल में बढ़ा एनपीए, अब घट रहा
जब भी बैंकों को हुए नुकसान की बात आती है तो आपने ‘NPA’ के बारे में जरूर सुना होगा। एनपीए यानि नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानि फंसा हुआ कर्ज। सीधे शब्दों में कहें तो लोन लेने के बाद जब कर्जदाता किस्त चुकाने में सक्षम नहीं होते हैं तो बैंकों की रकम फंस जाती है और बैंक इसे एनपीए घोषित कर देता है। कांग्रेस शासन काल में बैंकों के एनपीए में बढ़ोतरी हुई थी लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं और 2022 में यह घटकर 5 प्रतिशत पर आ गया था।

एनपीए से निपट रही नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी
मोदी सरकार द्वारा उठाया गया एक और बड़ा कदम बैंकों में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के मुद्दे के समाधान के लिए नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (NARCL) की शुरुआत की है, जिसे आमतौर पर बैड बैंक के रूप में जाना जाता है। एक एग्रीगेटर के रूप में कार्य करते हुए, एनएआरसीएल बैंकिंग संस्थानों से संकटग्रस्त ऋण और अन्य होल्डिंग्स प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार है। इस इकाई को परिसंपत्तियों को स्थानांतरित करने से शीघ्र समाधान संभव हो जाता है जबकि बैंक मुख्य परिचालन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

एनपीए घटकर दशक के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर रहेगा
बैंकों की ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में घटकर दशक के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ जाएंगी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का अनुमान है कि हाल में खत्म हुए वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में एनपीए घटकर 4.2 प्रतिशत रह जाएगा। इससे एक साल पहले यह आंकड़ा 5.9 प्रतिशत था। इससे पहले अनुमान जताया गया था कि 2023-24 के अंत में एनपीए चार प्रतिशत रहेगा। यह मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कई सुधारों का संयुक्त परिणाम है।

दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 लागू
सरकार ने दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 भी लागू किया है। यह बोर्ड को निलंबित करने, प्रमोटर की शक्ति हटाने और कंपनियों और व्यक्तियों के लिए समयबद्ध ऋण वसूली की अनुमति देता है।

एसबीआई को 16,694.5 करोड़ का रिकॉर्ड तोड़ मुनाफा
इन सभी सुधारों के कारण, बैंकिंग क्षेत्र को यूपीए काल के दौरान खराब प्रबंधन के कारण उत्पन्न तनाव से राहत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। नवीनतम यह है कि एसबीआई ने मार्च 2023 को समाप्त तिमाही के लिए ₹16,694.5 करोड़ का रिकॉर्ड तोड़ मुनाफा कमाया। Q4FY23 में शुद्ध लाभ 83 प्रतिशत बढ़कर ₹16,695 करोड़ हो गया, जो FY23 के ₹50,000 करोड़ को पार कर गया, जिससे यह यह मील का पत्थर हासिल करने वाला पहला भारतीय बैंक बन गया।

पंजाब नेशनल बैंक का मुनाफा 1,741.11 करोड़ हो गया
पंजाब नेशनल बैंक का Q4FY23 मुनाफा 610.5% बढ़कर ₹1,741.11 करोड़ हो गया, जबकि कुल आय 31.8 प्रतिशत बढ़कर ₹28.13 हजार करोड़ हो गई। तिमाही के दौरान कम प्रावधानों और कुल आय में वृद्धि के कारण बैंक के मुनाफे में बढ़ोतरी हुई। पीएनबी का सकल एनपीए अनुपात Q4FY22 में 11.78 प्रतिशत से बढ़कर Q4FY23 में 8.74 प्रतिशत हो गया, और शुद्ध NPA पिछले वर्ष की समान तिमाही में 4.8 प्रतिशत से घटकर Q4 में 2.72 प्रतिशत हो गया।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का शुद्ध लाभ 93 प्रतिशत बढ़ा
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का Q4FY23 शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 93 प्रतिशत बढ़कर ₹2,782 करोड़ हो गया, जो मजबूत शुद्ध ब्याज आय वृद्धि और बट्टे खाते में डाले गए खातों से मजबूत वसूली से प्रेरित है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने एक साल पहले की तिमाही (14/15) में ₹1,440 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया था।

यूपीए के दौरान प्रभावशाली लोगों आसानी से मिला लोन
जब कोई बैंक ऋण देता है तब वह उधार लेने वाले की व्यवसाय योजना या उधारकर्ता के क्रेडिट इतिहास की जांच करते हैं। लेकिन भारत में, कई बैंक सरकारी नियंत्रण में हैं और सीधे वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं और यहां क्रोनी कैपिटलिज्म आता है। यूपीए कार्यकाल के दौरान, प्रभावशाली लोगों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से ऋण प्राप्त करना आसान था। वे पहुंच के बल पर लोन पा जाते थे। ऐसे ऋणों को मंजूरी देने से पहले बैंकों द्वारा कोई जोखिम मूल्यांकन नहीं किया गया।

बैंकों की मनमानी पर लगाम से घोटालेबाज घबराए
मोदी सरकार ने बैंकों की मनमानी पर लगाम कसनी शुरू की। इससे विपक्षी नेता घबराए हुए हैं, क्योंकि जांच-पड़ताल का शिकंजा अब उनके चहेतों और मनमाने ढंग से वित्त विभाग का दुरुपयोग करने वाले पूर्व मंत्रियों तक भी पहुंच रहा है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी इसका सुबूत है। बैंकों में घपले-घोटालों से पता चलता है कि हमारा बैंकिंग प्रशासन और उसकी निगरानी व्यवस्था किस कदर भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी। सरकारी बैंक रिजर्व बैंक और उसके ऑडिटरों की निगरानी में काम करते हैं जबकि भ्रष्टाचारियों की संपत्ति को जब्त करने का कानून भी कांग्रेस राज में संसद में पारित होने के लिए रखा नहीं जा सका था।

पीएम मोदी संकटग्रस्त प्रणाली को समृद्ध प्रणाली में बदला
बैंकिंग क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन ने आर्थिक विकास को गति दी है। मोदी सरकार ने यूपीए से विरासत में मिली एक संकटग्रस्त प्रणाली को एक समृद्ध प्रणाली में बदल दिया है। अब यह भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में योगदान देने के लिए तैयार है।

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