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हर रात मां ‘जगत जननी’ को पत्र लिखते थे प्रधानमंत्री मोदी, आ रही है किताब ‘लेटर्स टू मदर’

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युवा काल में रोज अपनी मां को जगत जननी के नाम से पत्र लिखकर सोते थे। प्रधानमंत्री मोदी रोज अपनी सोच और भावनाओं को डायरी के पत्रों में उकेरते थे। उन्हें प्रतिदिन पत्र लिखने की आदत हो गई थी। वे इन पत्रों को गुजराती भाषा में लिखते थे। युवा नरेंद्र मोदी जो डायरी लिखते थे, हर 6-8 महीनों में उन पन्नों को जला देते थे। एक दिन एक प्रचारक ने उसे ऐसा करते हुए देखा और उन्हें ऐसा करने से मना किया, बाद में इन पन्नों ने एक पुस्तक का रूप ले लिया। यह 1986 की उनकी लिखी डायरी के बचे हुए पन्ने हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की यह किताब ‘लेटर्स टू मदर’ अंग्रेजी में है। भावना सोमाया में प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी का गुजराती से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। हार्परकॉलिंस इंडिया ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। ‘लेटर्स टू मदर’ का ई-बुक किंडल एडिशन और हार्डकवर किताब के रूप में 20 जून से उपलब्ध होगा।

ई-कॉमर्स साइट अमेजन पर इसकी बुकिंग शुरू हो गई है। ई-बुक किंडल एडिशन की कीमत 250.95 रुपये और हार्डकवर की कीमत 269 रुपये रखी गई है। किताब की डिलीवरी 20 जून से शुरू होगी।

अमेजन पर 112 पन्नों की इस किताब के बारे में प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से लिखा गया है कि यह साहित्यिक लेखन का प्रयास नहीं है, इस किताब में दिखाए गए अंश मेरे नजरिए और कभी-कभी बिना काट-छांट किए गए विचारों का प्रतिबिंब हैं। मैं लेखक नहीं हूं, हममें में से अधिकांश नहीं हैं, लेकिन हर कोई विचार अभिव्यक्त करता है और जब यह इच्छा तीव्र हो जाती है तो कलम और कागज उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। लिखना और आत्मनिरीक्षण जरूरी नहीं है, बल्कि यह बताना जरूरी है कि दिल और दिमाग के भीतर क्या चल रहा है और क्यों।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जब मैं 36 साल का था तब जगद्जननी मां के साथ मेरे संवाद का एक संकलन है साक्षीभाव। यह पाठक को मेरे साथ जोड़ता है और पाठक को न केवल समाचार पत्रों के द्वारा, बल्कि मेरे शब्दों के द्वारा मुझे जानने में सक्षम करता है। प्रधानमंत्री मोदी की किताबों को पढ़ने के लिए आप क्लिक करें- मोदी ई बुक्स

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