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मोदी सरकार में मिडिल क्लास की आय तीन गुना बढ़ी, 2012 की तुलना में आयकर रिटर्न दाखिल करने में 300 प्रतिशत वृद्धि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से जहां भारत समृद्धि के नए मुकाम हासिल कर रहा है वहीं भारतीय मिडिल क्लास की ताकत भी बढ़ी है। भारतीय मध्‍यवर्ग की आय में वित्‍तवर्ष 2013 से वित्‍त वर्ष 2022 तक भारी उछाल आया है। इनकम टैक्‍स रिटर्न के आंकड़ों पर आधारित एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिडिल क्‍लास भारतीयों की आय वित्‍त वर्ष 2013 में औसतन 4.4 लाख थी, जो वित्‍त वर्ष 2022 में 13 लाख रुपये सालाना हो गई। इस तरह आमदनी में लगभग तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल करने वाले मध्‍यम वर्ग के लोगों की आय में बढ़ोतरी के प्रमुख कारण भारत में आई समृद्धि है। इनकम टैक्‍स रिटर्न के आंकड़ों पर गौर करें तो बहुत से आयकरदाता इस अवधि में लोअर इनकम ग्रुप से अपर इनकम ग्रुप में पहुंच गए हैं। आयकर रिटर्न दाखिल करने में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं दूसरी तरफ शून्‍य कर देयता वाली भरी जाने वाली आयकर रिटर्न की संख्‍या में भारी गिरावट आई है जो कि औसत इनकम में वृद्धि को दर्शाता है।

मोदी राज में 13.6 प्रतिशत आबादी निम्न आय वर्ग से ऊपर पहुंची
मोदी राज में पिछले नौ वर्षों में वर्ष-दर-वर्ष भारतीयों की आय में वृद्धि हुई है। एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्‍त वर्ष 2011 में 1.6 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल की थी। इनमें से करीब 84 फीसदी आयकरदाताओं ने अपनी सालाना आया 5 लाख रुपये बताई थी। वहीं, वित्‍त वर्ष 2022 में 6.8 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल की थी जिनमें से 5 लाख की सालाना आय वाली आईटीआर केवल 64 फीसदी ही थी। यानी, वित्त वर्ष 2011 की तुलना में, वित्त वर्ष 2012 तक 13.6 प्रतिशत आबादी निम्न आय वर्ग को छोड़कर ऊपर की ओर पहुंच गई थी।

20 फीसदी आबादी 5 लाख आय वर्ग से बाहर निकली
वित्त वर्ष 2022 में 6.85 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया, जिसमें 64 फीसदी आबादी 5 लाख रुपये तक की आय वर्ग में है, जबकि आकलन वर्ष 2012 में यह आंकड़ा 84 फीसदी था। यानि 20 फीसदी आबादी 5 लाख आय वर्ग से बाहर निकली है। इसका मतलब यह है कि उनकी आय बढ़ी है।

मध्यम वर्ग की आय बढ़ी, रिटर्न दाखिल करने में 300 प्रतिशत वृद्धि
मोदी सरकार में मध्यम वर्ग की आय बढ़ने से आयकर रिटर्न दाखिल करने में 300 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। आयकर रिटर्न दाखिल करने के आंकड़े के आधार पर देखा जा सकता है कि जहां 2013 में भारतीयों की औसत आय सालाना 3.3 लाख रुपये थी वहीं 2023 में यह बढ़कर 13 लाख रुपये सालाना हो गया।

बड़ी आबादी निम्न आय वर्ग से मध्यम और उच्च वर्ग में पहुंची
पिछले 10 वर्षों में आमदनी में बढ़ोतरी के कारण निम्न मध्यम आय वर्ग की बड़ी आबादी मध्यम और उच्च वर्ग में पहुंची है। आयकर रिटर्न के आंकड़ों के अनुसार 5 लाख स्लैब में रिटर्न दाखिल करने वालों में 13.64 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं 5 से 10 लाख रुपये के स्लैब में रिटर्न दाखिल करने वालों में 8.13 प्रतिशत की की वृद्धि हुई है। इससे साफ जाहिर है कि लोगों की आय बढ़ रही है और वे ऊपरी स्लैब में रिटर्न दाखिल कर रहे हैं।

साल 2047 तक 49.9 लाख रुपये हो जाएगी सालाना कमाई
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, टैक्स देने वालों की औसत आय वित्त वर्ष 2022 में 13 लाख रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 47 में 49.9 लाख रुपये हो जाएगी और भारत लोअर इनकम ग्रुप से हाई-इनकम ग्रुप इकोनॉमी की श्रेणी में आ जाएगा। आयकर देने वालों की संख्‍या में भी साल 2047 तक भारी इजाफा होगा। साल 2014 में कुल 21 लाख लोगों ने आईटीआर भरा था। साल 2023 में यह संख्‍या बढ़कर साढ़े आठ करोड़ हो गई है। साल 2047 तक इसके बढ़कर 48.2 करोड़ हो जाने की उम्‍मीद है।

भारतीय कामगारों की संख्या 53 करोड़ से बढ़कर 2047 में 72 करोड़ होगी
वित्‍त वर्ष 2023 में भारतीय कामगारों यानि भारत की वर्कफोर्स 53 करोड़ है, जो 2047 में 72.7 करोड़ हो जाएगी। वित्त वर्ष 23 में टैक्सेबल वर्कफोर्स की हिस्सेदारी 22.4 फीसदी थी, जो 2047 तक बढ़कर 85.3 फीसदी हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2047 तक जीरो टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या में भी 25 फीसदी की गिरावट आएगी।

2047 तक 25 प्रतिशत लोग निम्नतम आय वर्ग से बाहर निकलेंगे
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष तक 25 प्रतिशत करदाताओं के निम्नतम आय वर्ग से मध्यम और उच्च आय वर्ग में जाने की उम्मीद है।

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