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मोदी सरकार में मिडिल क्लास की उड़ान, संख्या बढ़ने के साथ परचेजिंग पावर में भी हो रहा इजाफा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में देश के मिडिल क्लास को आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिल रहा है। उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे की सुविधाएं मिल रही हैं। इन सुविधाओं का लाभ उठाकर मिडिल क्लास अपनी ताकत का एहसास पूरी दुनिया को करा रहा है। प्राइस आईसीई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आज विश्व की बड़ी कंपनियां मिडिल क्लास की बढ़ती संख्या और उसकी परचेजिंग पावर को देखते हुए भारत की तरफ खींची चली आ रही हैं। एपल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी विदेशी कंपनियां भारत में अपना विस्तार कर रही है, क्योंकि उन्हें भारत एक बड़े मार्केट में के रूप में उभरता हुआ दिखाई दे रहा है। इससे ना सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, बल्कि रोजगार भी बढ़ रहे हैं। 

मोदी सरकार की विकासपरक नीतियों से मिडिल क्लास के जीवन में सुधार

दरअसल मोदी सरकार में कल्याणकारी और विकासपरक नीतियों और योजनाओं से समाज के हर वर्ग को लाभ मिल रहा है। स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के साथ आर्थिक प्रोत्साहन से मिडिल क्लास के जीवन में सुधार हो रहा है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही स्किल इंडिया जैसे अभियानों से प्रोफेशनल तैयार हो रहे हैं,जो भारत और विदेश कंपनियों के लिए स्किल्ड मानव संसाधन के रूप में आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। मोदी सरकार के वित्तीय प्रोत्साहन से मिडिल क्लास के युवा आज जॉब सीकर नहीं, जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। देश में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या इसका बड़ा प्रमाण है। ऐसे युवाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होने से परचेजिंग पावर बढ़ रही है। इससे देश में मांग बढ़ रही है और भारत एक बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है। 

मिडिल क्लास की बढ़ती आबादी से भारत बन रहा है बड़ा बाजार 

देश में मिडिल क्लास की आबादी में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। प्राइस आईसीई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल आबादी में 31 प्रतिशत जनता मिडिल क्लास के दायरे में आती है। साल 2031 तक इसके 38 प्रतिशत तक जाने का अनुमान है। साल 2047 तक यह आंकड़ा बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाएगा। जब भारत की आजादी के 100 साल हो जाएंगे, तब देश में 1 अरब से अधिक लोग मिडिल क्लास में होंगे। इस तरह आबादी बढ़ने से मिडिल क्लास का अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ेगा। इससे अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर के लिए ग्राहक पैदा होंगे। मांग में वृद्धि होने से कंपनियों के सामने उत्पादन बढ़ाने की चुनौती होगी। मांग और आपूर्ति में संतुलन स्थापित करने लिए मानव संसाधन की जरूरत पड़ेगी। इससे रोजगार में बढ़ोतरी के साथ कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ेगा।

राजनीतिक दलों के लिए मिडिल क्लास बना रहा बड़ा वोटबैंक

प्राइस आईसीई के मुताबिक बढ़ता मिडिल क्लास भारत के चुनाव को भी प्रभावित कर रहा है। मतदान पैटर्न में भी बदलाव आ रहा है। अब तक चुनाव में जाति और धर्म का बोलबाला रहा है, लेकिन धीरे-धीरे मिडिल क्लास एक बड़े वोटबैंक के रूप में उभर रहा है। इस मिडिल क्लास को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। आजकल हर चुनावों में मिडिल क्लास के लिए लोकलुभावन घोषणाएं की जा रही हैं। आगे चलकर जाति और धर्म के मुद्दे पीछे छूट जाएंगे और मिडिल क्लास उम्मीदवारों की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाएगा। भविष्य का चुनाव मिडिल क्लास के मुद्दों को लेकर लड़ा जाएगा। 

5 लाख से 30 लाख रुपये सालाना आय वाला परिवार मिडिल क्‍लास

गौरतलब है कि साल में 5 लाख से 30 लाख रुपये सालाना आय वाले परिवार मिडिल क्‍लास में आते हैं। कमाई से लेकर खर्च और बचत में मिडिल क्लास सबसे आगे हैं। प्राइस आईसीई के मुताबिक लो मिडिल क्लास फैमिली की सालाना आय का दायरा 1.25 लाख से 5 लाख रुपये के बीच रखा गया है। इस कैटिगरी में देश के 52 प्रतिशत परिवार आते हैं। आबादी में भी इनकी इतनी ही हिस्सेदारी है। बचत के मामले में लो मिडिल क्लास की हिस्सेदारी सिर्फ 1 प्रतिशत है। भरत की 3 प्रतिशत आबादी ‘अमीर’के दायरे में आती है, जिनकी सालाना आय 30 लाख रुपये से ज्यादा होती है।

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