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राजस्थान में कांग्रेस बन रही डूबता जहाज, PM Modi की ताबड़तोड़ रैलियोंं के बीच कांग्रेस विधायक और मंत्री ‘कमल दल’ की सवारी को तैयार, बीजेपी नवरात्रों में करेगी बड़ा धमाका!

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 डूबने वाला होता है तो चूहे सबसे पहले दुम दबाकर भाग खड़े होते हैं। कांग्रेस नामक सबसे पुरानी पार्टी का जहाज भी राजस्थान में डूबने के अंदेशे से उसके विधायक और कुछ मंत्री बीजेपी से सम्पर्क साधने में लगे हैं। PM Modi की ताबड़तोड़ सभाओं और बीजेपी की विधानसभा चुनावों के लिए पहली सूची के बाद ही कई कांग्रेस नेताओं की हालत पतली हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी के आकर्षण के बीच वे अपना सियासी भविष्य बचाने के लिए बीजेपी की शरण में जाने के तत्पर हैं। बीजेपी नेताओं ने भी इस पर विचार मंथन कर लिया है। भाजपा ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी है और पार्टी नवरात्रों में कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं, विधायकों को शामिल कर बड़ा धमाका कर सकती है। बीजेपी का प्रयास है कि कांग्रेस के दो दिग्गज जाट परिवारों में बड़ी सेंध लगा कर प्रदेश में बड़ा सियासी संदेश दिया जाए।

मिर्धा के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर बीजेपी करेगी धमाका
बीजेपी हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज मिर्धा परिवार की सदस्य ज्योति मिर्धा को अपनी पार्टी में शामिल करके कांग्रेस के कैंप में खलबली मचा चुकी है। ज्योति के बीजेपी का दामन थामने के साथ ही इसकी चर्चाएं तेज हैं कि यह तो जाट नेताओं की बीजेपी में आने की पहली कड़ी है। ज्योति के बाद कुछ और बड़े जाट नेता बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। कांग्रेस के अन्य कुछ बड़े दिग्गजों के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में झटका लग सकता है, क्योंकि राजस्थान की राजनीति में जाटों का कई सीटों पर जबरदस्त प्रभाव है।

नवरात्र के दौरान दिल्ली भाजपा कार्यालय में पार्टी में शामिल हो सकते हैं कई नेता
राजस्थान के कांग्रेस नेताओं को दिल्ली भाजपा कार्यालय में नवरात्रों के दौरान भाजपा की सदस्यता दिलवाई जा सकती है। पार्टी की कोशिश है कि राजस्थान की चुनाव समिति की बैठक से पहले कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल हो जाएं। बताया जा रहा है कि करीब दस से बारह ऐसे नेता हैं, जो भाजपा नेताओं के सम्पर्क में हैं। कांग्रेस के इन नेताओं में चार-पांच मौजूदा विधायक, कुछ पूर्व विधायक और प्रदेश पदाधिकारी है। हालांकि, इस मामले में कांग्रेस या बीजेपी का कोई भी नेता खुल कर नहीं बोल रहा है। सारी बातचीत दिल्ली के स्तर पर ही चल रही है। प्रदेश भाजपा के एक बड़े नेता ने यह पुष्टि की है कि कांग्रेस नेताओं से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की बातचीत चल रही है।मारवाड़ से जैसलमैर तक कांग्रेस नेता बना रहे हैं ‘घर वापसी’ की रूपरेखा
कांग्रेस के जिन नेताओं की बीजेपी में जाने की बात चल रही है उनमें से एक जैसलमेर से हैं। कभी एनडीए सरकार में मंत्री रहे नेता के पुत्र, जो टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वर्तमान में कांग्रेस सरकार ने उन्हें सैनिकों से जुड़े एक बोर्ड का अध्यक्ष बना रखा है। वे अब घर वापसी का मन बना रहे हैं। इसी प्रकार मारवाड़ क्षेत्र के युवा विधायक, जो अक्सर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, वे गहलोत सरकार पर संकट के समय उभर कर आए थे। कांग्रेस के दिग्गज जाट परिवार से संबंध रखने वाले जोधपुर जिले के विधायक भी अब बीजेपी ज्वाइन करने के मंसूबे बना रहे हैं।ज्योति मिर्धा से जुड़े जाट नेता और विधायक छोड़ सकते हैं हाथ का साथ
नागौर से कांग्रेस की दिग्गज जाट नेता ज्योति मिर्धा पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं। बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि ज्योति मिर्धा के रिश्तेदार और वर्तमान में विधायक बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। कुछ समय पहले अपने स्टाफ को लेकर विवादों भी रह चुके हैं। नागौर जिले के दूसरे युवा विधायक हैं। ये पहली बार ही विधायक चुन कर आए हैं और राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा नागौर से ही जुड़े कांग्रेस सरकार में एक मंत्री की भी भाजपा की बातचीत चल रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा इनको सांसद का चुनाव लड़वाने पर भी विचार कर रही है। इसके अलावा धौलपुर में तीन बार के विधायक रहे चुके कांग्रेस नेता की भी बीजेपी में जाने की चर्चा है। कांग्रेस सरकार पर संकट के समय 2020 में भी इनकी भाजपा के साथ जाने की चर्चा चली थी।विधायक और मंत्रियों में कांग्रेस नेतृत्व के प्रति विश्वास नहीं रहा-सीपी जोशी
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्र प्रकाश जोशी के मुताबिक इस समय कांग्रेस जबर्दस्त आंतरिक कलह से जूझ रही है। विधायक और मंत्रियों में कांग्रेस नेतृत्व के प्रति विश्वास नहीं रहा है। कांग्रेस के कई मंत्री तक अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। इसलिए बीजेपी से संपर्क साध रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के बड़े नेताओं की कांग्रेस सरकार में तीन मंत्रियों से भी बातचीत हुई है। ये मंत्री बाड़मेर और झुंझुनूं और जयपुर ग्रामीण से आते हैं। बाड़मेर और झुंझुनूं से आने वाले दोनों मंत्री कांग्रेस के स्थापित नेताओं में शामिल हैं। झुंझुनूं जिले के मंत्री के पिता तो केन्द्र की कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। जयपुर जिले से जुड़े ये मंत्री वर्तमान में केन्द्रीय जांच एजेंसियों के दायरे में भी आ रहे हैं।सीएम के सलाहकार दानिश अबरार का दांव पर लगा सियासी भविष्य
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार और सवाई माधोपुर से विधायक दानिश अबरार मानेसर प्रकरण के ताप से झुलस सकते हैं। हाल ही में सचिन पायलट के समर्थकों ने उनका विरोध किया था। पायलट के समर्थकों का कहना था कि 2020 में दानिश अबरार ने उनके साथ गद्दारी की, जब वे मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत के खिलाफ मुहिम छेड़ रहे थे तो अबरार ने सचिन का साथ छोड़ दिया। दानिश अबरार के क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं की संख्या अधिक है। 2018 में पायलट ने अबरार के पक्ष में जमकर सभाएं की थी। परिणाम भी कांग्रेस के पक्ष में रहा और वे करीब 25 हजार वोटों से चुनाव जीते। बीजेपी ने इस बार कद्दावर नेता किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर से मैदान में उतार दिया है। सवाई माधोपुर सीट पर मुख्य रूप से मीणा, गुर्जर और मुस्लिम वोटरों का दबदबा है।तो गहलोत के मंत्री खाचरियावास का सदन में पहुंचना हो जाएगा मुश्किल
गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का सियासी भविष्य भी दांव पर है। खाचरियावास जयपुर के सिविल लाइंस सीट से विधायक हैं। पिछली बार उन्हें चुनाव जिताने और मंत्री बनाने में सचिन पायलट ने बड़ी भूमिका निभाई थी। 2018 के चुनाव का बिगुल पायलट ने सिविल लाइंस से ही फूंका था। यहां से उन्होंने पदयात्रा की शुरुआत की थी। 2018 के चुनाव के बाद खाचरियावास ने पायलट को सीएम बनाने की भी पैरवी की थी, लेकिन मानेसर की घटना के बाद दोनों के बीच खटपट हो गई। खाचरियावास की सीट पर बीजेपी ने अभी तक टिकट का ऐलान नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी किसी ब्राह्मण चेहरे को यहां से मैदान में उतार सकती है। यहां ब्राह्मण और वैश्य वोटर सबसे ज्यादा हैं, जो बीजेपी के कोर वोटर्स माने जाते हैं। पायलट समर्थक अलग से खाचरियावास से नाराज हैं। ऐसे में खाचरियावास का सदन में पहुंचना मुश्किल हो सकता है।

 

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