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जम्मू-कश्मीर में मिला लीथियम का भंडार, मोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा, बदलेगी भारत की तकदीर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत जहां अपना खोया हुआ गौरव फिर से प्राप्त कर रहा है, वहीं अपनी छिपी हुई प्रतिभा और संसाधन को सामने ला रहा है। इसके साथ ही आधुनिक तकनीक का विकास कर रहा है। इससे देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रधानमंत्री मोदी का सपना साकार हो रहा है। आज देश में हो रही नई खोज और अनुसंधान से भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में चमक रही है और दूसरे देशों पर निर्भरता भी खत्म हो रही है। इसी क्रम में एक ऐसा खजाना भारत के हाथ लगा है, जो देश की तकदीर बदलने वाला साबित होगा। भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण (जीएसआइ) ने जम्मू संभाग के सलाल क्षेत्र में देश का पहला लीथियम भंडार खोज निकाला है।

उच्च गुणवत्ता वाले कुल 59 लाख टन लीथियम का भंडार

भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण के मुताबिक जम्मू संभाग के रियासी जिले में कुल 59 लाख टन लीथियम का भंडार मौजूद है। अभी सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि मां वैष्णो देवी धाम के उत्तर में हिमालय की तलहटी में सलाल क्षेत्र में मिला लीथियम का यह भंडार काफी उच्च गुणवत्ता का है। भारत के अलावा चीन और चुनिदा अन्य देशों में ही लीथियम का भंडार उपलब्ध है। बैटरियों की बढ़ती मांग और उनमें लीथियम आयन की आवश्यकता को देखते हुए यह भंडार काफी महत्वपूर्ण है। लीथियम का उपयोग सौर ऊर्जा पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी बनाने के लिए काफी अहम है। 

500 पीपीएम-पल्स ग्रेडिंग का है जम्मू-कश्मीर का लीथियम

जम्मू-कश्मीर के खनन विभाग के सचिव अमित शर्मा ने बताया कि अभी एडवांस शोध हुआ है। इसके बाद दो और एडवांस स्टडी होनी हैं और उसके बाद ही खनन कार्य आरंभ किया जा सकेगा। खनन सचिव के मुताबिक 220 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) के सामान्य ग्रेड के मुकाबले जम्मू कश्मीर में पाया जाने वाला लिथियम 500 पीपीएम-पल्स ग्रेडिंग का है। 59 लाख टन लिथियम के भंडार मिलने बाद भारत अब चीन को पीछे छोड़ देगा। उन्होंने कहा कि लीथियम बेशकीमती खनिज है और जी-20 सम्मेलन से पहले यह भंडार मिलने से जम्मू-कश्मीर अपने संसाधनों को दुनिया के समक्ष रख सकेगा।

लीथियम के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता होगी खत्म

अभी तक भारत लीथियम के लिए पूरी तरह से आयात पर ही निर्भर है। भारत में ज़रुरत का 96 प्रतिशत लीथियम आयात किया जाता है। भारत लीथियम का सबसे ज्यादा आयात चीन और हांगकांग से करता है। इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में लीथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8,984 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत ने 13,838 करोड़ रुपये की लीथियम ऑयन बैटरी इम्पोर्ट की थीं। साल दर साल आयात की मात्रा और रकम में काफी बढ़ोतरी हो रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ने के बाद से भारत लीथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा है।  

बैटरी सस्ती होने से इलेक्ट्रिक कारें भी होंगी सस्ती

अगर भारत अपने खुद के लीथियम भंडार का इस्तेमाल कर पाता है तो फिर घरेलू बाज़ार में लीथियम-आयन बैटरी के निर्माण में इजाफा हो सकता है। इसका फायदा ग्राहकों को भी मिल सकता है। इससे इलेक्ट्रिक बैटरी सस्ती हो सकती है। जिससे इलेक्ट्रिक कारें ज्यादा सस्ती हो जाएंगी। दरअसल, इलेक्ट्रिक कारों की कीमत में करीब 45 प्रतिशत हिस्सेदारी इनमें लगे बैटरी पैक की होती है। उदाहरण के तौर पर नेक्सन ईवी में लगे बैटरी पैक की कीमत 7 लाख रुपये है जबकि इसकी कुल कीमत करीब 15 लाख रुपये है।

इलेक्ट्रिक वाहन के इस्तेमाल से पर्यावरण संरक्षण

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत में चलने वाली 30 प्रतिशत निजी कारें, 70 प्रतिशत कमर्शियल वाहन और 80 प्रतिशत टू-व्हीलर्स इलेक्ट्रिक हो जाएं। जाहिर है इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में लीथियम ऑयन बैटरी का उत्पादन बढ़ाना ज़रुरी है। रिचार्जेबल बैटरी में लीथियम एक प्रमुख तत्व है, जो स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे कई गैजेट्स के लिए बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह खोज ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए प्रयासों के तहत 2030 तक प्राइवेट इलेक्ट्रिक कारों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि करने में भारत की मदद कर सकती है। इलेक्ट्रिक वाहन की कीमतें भी कम होने से ज्यादा से ज्यादा लोग इन वाहनों का इस्तेमाल करेंगे और इससे पर्यावरण को सुधारने में भी मदद मिलेगी। 

स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे

जम्मू-कश्मीर में मिला लीथियम का भंडार अर्थव्यवस्था के साथ ही रोजगार के लिए गेम चेंजर साबित होने जा रहा है, क्योंकि सरकार की औद्योगिक नीति के अनुसार किसी भी प्रोजेक्ट में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है। इससे बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। आस-पास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। लीथियम आधारित उद्योगों और सहायक उद्योगों को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए अवसर बनेंगे। इससे स्थानीय युवाओं में खुशी की लहर दौड़ गई है।  

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